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एक अपने भारत में हैं ‘शरीफ’ नेता मोदी जी, पनामा पेपर्स खा-चबा गए!

Yashwant Singh : एक अपने भारत में हैं ‘शरीफ’ नेता मोदी जी. पनामा पेपर्स ऐसे खा चबा गए, जैसे कुछ हुआ ही न हो. भाजपाई सीएम रमन सिंह के बेटे से लगायत अमिताभ, अडानी आदि की कुंडली है वहां, लेकिन मजाल बंदा कोई जांच वांच करा ले. और, बनेगा सबसे बड़ा भ्रष्टाचार विरोधी. पड़ोसी पाकिस्तान से सबक ले लो जी.

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Yashwant Singh : एक अपने भारत में हैं ‘शरीफ’ नेता मोदी जी. पनामा पेपर्स ऐसे खा चबा गए, जैसे कुछ हुआ ही न हो. भाजपाई सीएम रमन सिंह के बेटे से लगायत अमिताभ, अडानी आदि की कुंडली है वहां, लेकिन मजाल बंदा कोई जांच वांच करा ले. और, बनेगा सबसे बड़ा भ्रष्टाचार विरोधी. पड़ोसी पाकिस्तान से सबक ले लो जी.

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कोई है जो सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल दायर करके पनामा पेपर्स में भारतीयों के शामिल होने की सच्चाई सामने लाने की पहल करे और इसमें भारत सरकार को भी पार्टी बनाए कि ये लोग अब तक चुप क्यों हैं और इनने अब तक क्या कार्रवाई की. कांग्रेस वाले इसलिए चुप हैं इस मसले पर कि अव्वल तो ये खुदे महापापी और चोरकट हैं. दूसरे पनामा पेपर्स में कांग्रेसियों के भी तो नाम हैं.

भड़ास के एडिटर यशवंत सिंह की एफबी वॉल से.

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उपरोक्त स्टेटस पर आए ढेर सारे कमेंट्स में से सर्वोंत्तम यूं है :

Shyam Singh Rawat पनामा पेपर्स मामले में अपने यहाँ भी सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी, जिससे सम्बंधित दस्तावेजों को अपर्याप्त बताते हुए खारिज कर दिया गया था। एक मुख्यमंत्री आत्महत्या करने से पहले 42 पृष्ठों में लंबा-चौड़ा स्युसाइड नोट लिख कर इस आशा में छोड़ जाता है कि देश में कहीं कोई सकारात्मक कार्रवाई होगी। चूंकि उसमें सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्तियों पर रिश्वतखोरी के आरोप थे, इसलिए उसे मृत्युपूर्व लिखित बयान नहीं मानते हुए रद्दी की टोकरी में फेंक दिया गया। जबकि आमतौर पर ऐसे स्युसाइड नोट को पक्का सबूत माना जाता रहा है और शायद आगे भी माना जाएगा।

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