दीपक कोचर, चंदा कोचर और वेणुगोपाल धूत चल दिए नीरव मोदी की राह पर उन्मेष गुजराथी, दबंग दुनिया मुंबई। आईसीआईसीआई बैंक की सीईओ चंदा कोचर के घोटाले से तीन ‘नीरव मोदी’ तैयार हो रहे हैं। चंदा कोचर पर आरोप है कि उन्होंने बैंकों के नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए अपने पति के दोस्त वीडियोकॉन के …
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सैनिकों और अर्ध-सैनिक बलों को बलि का बकरा बनाना देश के लिए घातक सिद्ध होगा
श्याम सिंह रावत
नरेंद्र मोदी का प्रधानमंत्री बनना एक बहुत बड़ी राष्ट्रीय आपदा थी, जिसके दुष्परिणाम हर क्षेत्र में एक-एक कर सामने आ रहे हैं। उनकी 56″ की छाती कश्मीरी आतंकवादियों से निपटने में तो नाकाम हो चुकी है लेकिन देश के अन्य हिस्सों में उत्पात मचा रहे उपद्रवियों को सबक सिखाने में भी वे पूरी तरह असफल साबित हो रहे हैं। हालांकि कानून और व्यवस्था राज्यों का मामला है लेकिन जिस तरह कुछ एकदम स्थानीय स्तर के मामलों में स्थिति को नियंत्रित करने के स्थान पर उसे और भी विकराल बनने की छूट देकर देश के दूसरे हिस्सों में भी फैलने दिया गया, उसमें केद्र के हस्तक्षेप की पर्याप्त गुंजाइश होते हुए भी उसका आंख-कान बंद कर लेना किसी भी प्रकार से उचित नहीं ठहराया जा सकता।
पीएम के गृहनगर में भाजपा फ्लॉप, गुजरात में 6 मंत्री चुनाव हारे, हिमाचल में भाजपा के भावी सीएम हारे
पीके खुराना
जीत-हार के चुनावी सबक : हिमाचल प्रदेश और गुजरात के चुनाव अपने आप में अनोखे रहे। पहली बार ऐसा हुआ कि चुनाव के दौरान और चुनाव के बाद हम सबको गहराई से सोचने पर विवश किया। बहुत से विश्लेषण हुए और विद्वजनों ने अपनी-अपनी राय रखी। सच तो यह है कि हिमाचल प्रदेश और गुजरात विधानसभा के चुनाव परिणामों में मतदाताओं ने सत्तारूढ़ दल, विपक्ष और चुनाव आयोग को अलग-अलग संदेश दिये हैं। आइये, इन संदेशों को समझने का प्रयत्न करते हैं। नरेंद्र मोदी ने गुजरात जीत कर दिखा दिया है लेकिन उनकी जीत में हार का कसैला स्वाद भी शामिल है।
कश्मीर समस्या का एकमात्र हल
पी.के. खुराना
2014 के लोकसभा चुनावों से पहले नरेंद्र मोदी ने कई नारे उछाले थे, उनमें से एक नारा था — “मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्सीमम गवर्नेंस”। मोदी ने तब यह नारा देकर लोगों का दिल जीता था क्योंकि इस नारे के माध्यम से उन्होंने आश्वासन दिया था कि आम नागरिकों के जीवन में सरकार का दखल कम से कम होगा। लेकिन आज हम जब सच्चाई का विश्लेषण करते हैं तो पाते हैं कि यह भी एक जुमला ही था। अमित शाह ही नहीं खुद मोदी भी गुजरात के विधानसभा चुनाव के लिए गुजरात में प्रचार कर रहे हैं। अमित शाह के साथ बहुत से विधायक, सांसद, केंद्रीय मंत्री और भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री भी राज्य में दिन-रात एक किये दे रहे हैं। लगता है मानो देश की सारी सरकारें गुजरात में सिमट आई हैं। गुजरात विधानसभा चुनावों के कारण संसद का सत्र नहीं बुलाया जा रहा है ताकि संसद में असहज सवालों से बचा जा सके, वे सवाल मतदाताओं की निगाह में न आ जाएं। इसी प्रकार चुनाव आयोग और सर्वोच्च न्यायालय को प्रभावित करने के सफल-असफल प्रयास न तो गवर्नेंस हैं और न ही “मिनिमम गवर्नमेंट” के उदाहरण हैं।
चार महीने पहले रेल टिकट कटाने वाले इंजीनियर का दिवाली पर घर जाने का सपना ‘वेटिंग’ ही रह गया!
Yashwant Singh : हरिद्वार में कार्यरत इंजीनियर गौरव जून महीने में तीन टिकट कटाए थे, दिल्ली से सहरसा जाने के लिए, अपनी बहनों के साथ। ट्रेन आज है लेकिन टिकट वेटिंग ही रह गया। चार्ट प्रीपेयर्ड। लास्ट मोमेंट में मुझे इत्तिला किया, सो हाथ पांव मारने के बावजूद कुछ कर न पाया। दिवाली अपने होम टाउन में मनाने की उनकी ख्वाहिश धरी रह गई। दिवाली के दिन अपने जिला-जवार में होने की चार महीने पहले से की गई तैयारी काम न आई।
मोदी को भगवान न बनाओ
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर मंदिर बनाने की घोषणा क्रांति की जमीन मेरठ में एक सेवानिवृत्त अधिकारी ने की है। सिचाई विभाग से रिटायर इंजीनियर जेपी सिंह की माने तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जादू लोगों के सिर पर चढ़कर बोल रहा है। ऐसे में उनके नाम का मंदिर बनना चाहिए। ऊपरी तौर पर देखा जाए तो इस ऐलान के पीछे किसी की व्यक्तिगत इच्छा और भावना ही दिखाई देती है। पर रिटायर इंजीनियर की घोषणा एक लोकतांत्रिक देश में किसी नेता को भगवान बनाने की कोशिश भी दिखाई देती है। मामले को राजनीतिक चश्मे से नहीं देखा जा सकता।
नए साल में मोदी सरकार के खिलाफ क्यों बिगुल बजाएंगे अन्ना हजारे, पढ़िए उनके दिल की बात
सरकार या प्रधानमंत्री ही जनता के साथ धोखाधडी करने लगे तो इस देश और समाज का क्या होगा : अन्ना हजारे लोकपाल, लोकायुक्त जैसे कानून जो कानून जनता को जलद गतीसे किफायतशीर न्याय दे सके। शासन-प्रशासन मे बढ़ते भ्रष्टाचार को नियंत्रण में लाये। शासन-प्रशासन में बढ़ते अनियमितताओं और मनमानी को प्रतिबंध लगे। स्वच्छ शासन और प्रशासन निर्माण हो। शासन और प्रशासन जनता को जवाबदेही हो। क्यों की जनता इस देश कि मालिक है। शासन-प्रशासन में बैठे सभी लोग जनता के सेवक है। शासन-प्रशासन व्यवस्था लोकतांत्रिक हो। इसलिए सरकार के काम मे जनता का सहभाग ऐसे ना कहते हुए लोगों के काम मे सरकार का सहभाग हों। यह परिवर्तन लाने की शक्ती शक्ती लोकपाल, लोकायुक्त कानून में हैं।
अमित शाह की ओर से पीयूष गोयल ने ‘द वायर’ पर 100 करोड़ का आपराधिक मुकदमा ठोकने की बात कही
‘द वायर’ की पड़ताल ने कांग्रेस से लेकर बीजेपी तक को हिला दिया है
Nitin Thakur : अमित शाह के बेटे की कमाई का हिसाब किताब जान लीजिए। जब आपकी नौकरियां जा रही थीं, तब कोई घाटे से 16 हज़ार गुना मुनाफे में जा रहा था। द वायर की पड़ताल ने कांग्रेस से लेकर बीजेपी तक को हिला दिया है।
तुम्हारे पास रॉबर्ट वाड्रा है, हमारे पास जय शाह!
Atul Chaurasia : जिनको लगता है कि मोदीजी ने भ्रष्टाचार मुक्त, स्वच्छ सरकार दे रखी है देश को उसे अमित शाह के बेटे जय शाह का प्रकरण जानना चाहिए. साथ ही आनंदी बेन पटेल के बेटे और बेटी का भी मामला जोड़ लीजियेगा। पिछली सरकार में दामादों की चांदी थी इस बार गुजरातियों के हाथ सोना-चांदी है।
अडानी के खदानों पर रिपोर्टिंग करने आई आस्ट्रेलियाई पत्रकारों की टीम को गुजरात पुलिस ने भगाया
आस्ट्रेलिया से ‘4कॉर्नर’ मीडिया हाउस की एक टीम अडानी के खदानों पर रिपोर्टिंग करने के लिए गुजरात आई थी. दरअसल आस्ट्रेलिया में सबसे बड़ी कोयला खदान परियोजना पर अडानी ग्रुप काम कर रहा है. इसी परियोजना के लिए पर्यावरण तथा अन्य ट्रैक रिकॉर्ड की जांच करने आस्ट्रेलिया की मीडिया टीम भारत आई थी. जब अडानी ग्रुप के आकाओं को आस्ट्रेलियाई पत्रकारों के आने और उन्हीं के ग्रुप के चाल-चलन को लेकर कवरेज करने की बात पता चली तो फौरन हरकत में आ गए और सत्ता-सिस्टम में अपने संबंधों का इस्तेमाल करते हुए पुलिस को सक्रिय कर दिया. गुजरात पुलिस ने भारी सक्रियता दिखाते हुए आस्ट्रेलियाई पत्रकारों को जमकर धमकाया जिसके कारण टीम लौट गई. लेकिन लगे हाथ वह पूरी रिपोर्ट भी तैयार कर ले गई. इस बात का खुलासा चैनल के प्रोमो में पत्रकार स्टीफन ने किया है.
क्या वाकई नरेंद्र मोदी ने देश की अर्थव्यवस्था को चौपट कर दिया है?
Dilip Khan : हार्ड वर्क वाले अर्थशास्त्री मोदी जी जब सत्ता में आए तो इन्होंने आर्थिक सलाह परिषद को ख़त्म कर दिया। जब अर्थव्यवस्था की बैंड बजने लगी तो दो दिन पहले यूटर्न लेते हुए परिषद को फिर से बहाल कर दिया। अर्थशास्त्री नरेन्द्र मोदी ने आंकड़ों को ‘खुशनुमा’ बनाने के लिए GDP गणना के पुराने नियम ही ख़त्म कर दिए। लेकिन गणना के नए नियमों के मुताबिक़ भी GDP दर तीन साल के न्यूनतम पर आ गई है। पुराना नियम लागू करे तो 3% का आंकड़ा रह जाता है।
पत्रकारों को मिल रही गौरी लंकेश जैसा हश्र होने की धमकियां
Anil Jain : गौरी लंकेश की हत्या के बाद जैसी आशंका जताई गई थी, वैसा ही हो रहा है। त्रिपुरा में शांतनु भौमिक की हत्या इसकी पहली मिसाल है। पत्रकारों और लेखकों को धमकाने का सिलसिला शुरू हो चुका है। नीचे दिया गया स्क्रीन शॉट मेरे मित्र और पुराने सहकर्मी अनिल सिन्हा को मिले वाट्सएप मैसेज का है।
‘पेट्रो लूट’ का पैसा चुनावों में आसमान से बरसेगा और ज़मीन पर शराब बनकर वोट ख़रीदेगा : रवीश कुमार
Ravish Kumar : सजन रे झूठ मत बोलो, पेट्रोल पंप पर जाना है… पेट्रोल के दाम 80 रुपये के पार गए तो सरकार ने कारण बताए। लोककल्याणकारी कार्यों, शिक्षा और स्वास्थ्य पर ख़र्च करने के लिए सरकार को पैसे चाहिए। व्हाट्स अप यूनिवर्सिटी और सरकार की भाषा एक हो चुकी है। दोनों को पता है कि कोई फैक्ट तो चेक करेगा नहीं। नेताओं को पता है कि राजनीति में फैसला बेरोज़गारी, स्वास्थ्य और शिक्षा के बजट या प्रदर्शन से नहीं होता है। भावुक मुद्दों की अभी इतनी कमी नहीं हुई है, भारत में।
मोदी राज में भी महंगाई डायन बनी हुई है!
अजय कुमार, लखनऊ
2014 के लोकसभा चुनाव समय बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के दावेदार नरेन्द्र मोदी ने तत्कालीन यूपीए की मनमोहन सरकार के खिलाफ मंहगाई को बड़ा मुद्दा बनाया था। चुनाव प्रचार के दौरान सबसे पहले हिमाचल प्रदेश की रैली में महंगाई का मुद्दा छेड़कर मोदी ने आम जनता की नब्ज टटोली थी। मंहगाई की मार झेल रही जनता को मोदी ने महंगाई के मोर्चे पर अच्छे दिन लाने का भरोसा दिलाया तो मतदाताओे ने मोदी की झोली वोटों से भर दी। आम चुनाव में दस वर्ष पुरानी यूपीए सरकार को जड़ से उखाड़ फेंकने में मंहगाई फैक्टर सबसे मोदी का सबसे कारगर ‘हथियार’ साबित हुआ था, लेकिन आज करीब साढ़े तीन वर्षो के बाद भी मंहगाई डायन ही बनी हुई है।
प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी पर गुजराती में बन रही है फिल्म ‘हू नरेंद्र मोदी बनवा मांगू छू’
बॉलीवुड निर्देशक अनिल अनिल नरयानी का कहना है कि प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी पर आधारित उनकी आने वाली गुजराती फिल्म ”हूं नरेन्द्र मोदी बनवा मांग छू” बच्चों के लिये बेहद प्रेरणाश्रोत होगी। अनिल नरयाणी इन दिनों फिल्म ”हू नरेंद्र मोदी बनवा मांगू छू” बना रहे हैं। अनिल नरयानी ने फिल्म की चर्चा करते हुये कहा, “‘हू नरेंद्र मोदी बनवा मांगू छू’ हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बचपन की कहानी पर आधारित है।
जंगल से आदिवासियों को बेदखल कर कारपोरेट को बसाने का अभियान मोदी सरकार ‘नक्सल सफाया’ के नाम पर चला रही है : वरवर राव
1940 में आंध्र-प्रदेश के वारंगल में जन्मे वरवर राव ने कोई 40 सालों तक कॉलेजों में तेलुगू साहित्य पढ़ाया है और लगभग इतने ही सालों से वे भारत के सशस्त्र माओवादी आंदोलन से भी जुड़े हुए हैं। वैसे वरवर राव को भारतीय माओवादियों के संघर्ष का प्रवक्ता माना जाता है, सरकारी दावे के अनुसार वे सशस्त्र माओवादियों के नीतिकार भी हैं, परंतु वरवर राव अपने को क्रांतिकारी कवि कहलाना ज्यादा पसंद करते हैं। सत्ता के खिलाफ लिखने-पढ़ने, संगठन बनाने और पत्र-पत्रिकायें प्रकाशित करने वाले वरवर राव टाडा समेत देशद्रोह के आरोप में लगभग 10 वर्षों तक जेल में रहे हैं और अभी लगभग 50 मामलों पर विभिन्न कोर्टों में सुनवाई चल रही है तो कुछ मामलों पर जमानत पर हैं।
मोदी सरकार के लिए रवीश कुमार ने कहा- ”असफल योजनाओं की सफल सरकार, अबकी बार ईवेंट सरकार”
Ravish Kumar : असफल योजनाओं की सफल सरकार- अबकी बार ईवेंट सरकार… 2022 में बुलेट ट्रेन के आगमन को लेकर आशावाद के संचार में बुराई नहीं है। नतीजा पता है फिर भी उम्मीद है तो यह अच्छी बात है। मोदी सरकार ने हमें अनगिनत ईवेंट दिए हैं। जब तक कोई ईवेंट याद आता है कि अरे हां, वो भी तो था,उसका क्या हुआ, तब तक नया ईवेंट आ जाता है। सवाल पूछकर निराश होने का मौका ही नहीं मिलता।
मोदी की नीतियों से महिलाओं की सेविंग पर पड़ रही तगड़ी मार, पढ़िए ये खुलासा
Vikas Mishra : मेरी पत्नी का सेविंग अकाउंट था इंडियन ओवरसीज बैंक में। गुप्त खाता। जिसमें जमा रकम का मुझे घर में लिखित कानून के मुताबिक पता नहीं होना था, लेकिन श्रीमतीजी के मोबाइल में बैंक से अक्सर खातों से कुछ रुपये निकलने के मैसेज आने लगे। कभी एसएमएस चार्ज के नाम पर, कभी एटीएम चार्ज के नाम पर। बीवी आगबबूला। मैं बैंक पहुंचा तो पता चला कि सेविंग अकाउंट में ब्याज घटकर 3 फीसदी हो गया है। एसएमएस चार्ज हर महीने देना है, हर छह महीने में एटीएम चार्ज देना है। दूसरे बैंक के एटीएम से पैसे निकाले तो उसका चार्ज। चाहे एटीएम का इस्तेमाल हो या न हो उसका भी चार्ज। खैर, मैंने पत्नी का वो अकाउंट बंद करवा दिया।
रिजर्व बैंक के आंकड़े दे रहे गवाही, कालाधन रखना अब ज्यादा आसान हुआ!
Anil Singh : 2000 के नोट 1000 पर भारी, कालाधन रखना आसान! आम धारणा है कि बड़े नोटों में कालाधन रखा जाता है। मोदी सरकार ने इसी तर्क के दम पर 1000 और 500 के पुराने नोट खत्म किए थे। अब रिजर्व बैंक का आंकड़ा कहता है कि मार्च 2017 तक सिस्टम में 2000 रुपए के नोटों में रखे धन की मात्रा 6,57,100 करोड़ रुपए है, जबकि नोटबंदी से पहले 1000 रुपए के नोटों में रखे धन की मात्रा इससे 24,500 करोड़ रुपए कम 6,32,600 करोड़ रुपए थी।
जगदीश चंद्रा ने मोदी मंत्रिमंडल में भारी फेरबदल को लेकर कई चौंकाने वाली जानकारी दी (देखें वीडियो)
जी ग्रुप के रीजनल न्यूज चैनलों के सीईओ जगदीश चंद्रा ने अपने ‘अ डायलाग विथ जेसी’ में मोदी मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर कई चौंकाने वाली जानकारी दी है. जगदीश चंद्रा के मुताबिक रेल और जहाज वाले मंत्रालय मिलाकर एक किए जा सकते हैं ताकि टूरिज्म को समुचित बढ़ावा दिया जा सके और इन दोनों प्रमुख परिवहन के यात्रियों को ज्यादा से ज्यादा सुविधाएं दी जा सके. जेसी का तो यहां तक कहना है कि इन दोनों एकीकृत मंत्रालयों के मंत्री नितिन गडकरी बनाए जाएंगे.
‘विकास संवाद’ विमर्श : मोदी में सम्मोहन पैदा करने की निरंतर कोशिशें कर रहा है भारतीय मीडिया!
विकास संवाद संस्था द्बारा प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी एक ऐसे ही महीन विषय पर तीन दिवसीय संगोष्ठी राजा राम की नगरी ओरछा (अमर रिसार्ट) में 18 से 20 अगस्त तक आयोजित हुई। यह 11वां राष्ट्रीय मीडिया संवाद था। विषय ‘मीडिया, बच्चे और असहिष्णुता’ रखा गया। इसमें देश के मूर्धन्य पत्रकारों सहित तकरीबन 125 पत्रकारों ने सहभागिता निभाई। सर्वप्रथम सभी के परिचय के साथ विकास संवाद के राकेश दीवान ने इसकी भूमिका रखते हुए बच्चों के स्कूली बोझिल वातावरण का जिक्र किया जोकि न सिर्फ शिक्षा बल्कि उनके स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डाल रहा है।
जानिए, पीएम के आज के भाषण की क्यों हो रही है आलोचना…
Priyabhanshu Ranjan : नोटबंदी से कितना काला धन पकड़ में आया, उस पर ऐसा आंकड़ा दिया जिस पर भरोसा नहीं किया जा सकता। RBI तो अब तक नोट गिन ही नहीं सका है। ऊपर से मोदी ने एक निजी संस्था के आंकड़े बताए हैं। नोटबंदी से तबाह हुए छोटे और मझौले व्यापारियों की समस्या सुलझाने पर कुछ नहीं बोला। गोरखपुर में बच्चों की मौत और गुंडे गौरक्षकों के आतंक पर गोल-मोल बोल कर निकल लिए। पर ‘तीन तलाक’ पर खुलकर बोलना नहीं भूले, जैसे कि तलाक दिलवाना ही सरकार की प्राथमिकता हो।
महेश शर्मा का मंत्रालय बाबुओं के कब्जे में!
केंद्रीय संस्कृति एवं कला मंत्री महेश शर्मा का मंत्रालय कला एवं संस्कृति के सिवा सभी कार्य दक्षता से कर रहा है। चर्चा है कि इस दक्षता के लिए अवार्ड वापसी के नेता अशोक वाजपेयी से चुपके से हाथ मिलाकर शांति का समझौता कर लिया है। संस्कृति मंत्रालय के सभी स्वायत्त संसथान जैसे संगीत नाटक अकादमी, ललित कला अकादेमी, साहित्य अकादमी पर मंत्रालय के बाबू अशोक वायपेयी के फॉर्मूले से कब्ज़ा जमा कर बैठे हैं और मंत्री साहब किसी के खिलाफ कोई कार्यवाही करने को तैयार नहीं हैं।
जब केजरी पार्टी ‘पीटी’ जा रही थी तो कांग्रेसी उपदेश देते थे, अब कांग्रेसी ‘मारे’ जा रहे तो आपिये आइना दिखाने लगे!
Sheetal P Singh : अनुभवी लोग… अहमद पटेल पर बन आई तो अब बहुतों को लोकतंत्र याद आ रहा है ………आना चाहिये पर शर्म भी आनी चाहिये कि जब बीते ढाई साल यह बुलडोज़र अकेले केजरीवाल पर चला तब अजय माकन के नेतृत्व में कांग्रेसी राज्यपाल के अधिकारों के व्याख्याकारों की भूमिका में क्यों थे? जब एक बेहतरीन अफ़सर राजेन्द्र कुमार को सीबीआई ने बेहूदगी करके सिर्फ इसलिये फँसा दिया कि वह केजरीवाल का प्रिंसिपल सेक्रेटरी था तब भी लोकतंत्र की हत्या हुई थी कि नहीं? जब दिल्ली के हर दूसरे आप विधायक को गिरफ़्तार कर करके पुलिस और मीडिया परेड कराई गई तब भी यमुना दिल्ली में ही बह रही थी! तब कांग्रेसी बीजेपी के साथ टीवी चैनलों में बैठकर केजरीवाल को अनुभवहीन साबित कर रहे थे! अब अनुभव काम आया?
2019 में मोदी के लिए असली सिरदर्द केजरीवाल बनेंगे!
Vikram Singh Chauhan : अरविंद केजरीवाल बहुत बहादुर है, शेर हैं। वे मोदी के सामने झुके नहीं। दिल्ली में रहकर मोदी के 56 इंच के सीने पर मूंग दल रहे हैं। मोदी जहाँ गए वहां जाकर चुनाव लड़ने की चुनौती दी और बिना पहले के जनाधार और संगठन के चुनाव लड़कर मोदी का होश उड़ा दिया, हिंदुत्व ने उसे हरा दिया। वे भारत के एक अकेले ऐसे मुख्यमंत्री होंगे जिसके साथ वर्तमान ने अन्याय किया पर इतिहास न्याय करेगा। मीडिया पहले दिन से उनकी सुपारी ली हुई है।
अमित शाह की संपत्ति और स्मृति इरानी की डिग्री वाली खबरें टीओआई और डीएनए से गायब!
Priyabhanshu Ranjan : स्मृति ईरानी भी कमाल हैं। 2004 के लोकसभा चुनाव के वक्त अपने हलफनामे में अपनी शैक्षणिक योग्यता B.A बताती हैं। 2017 के राज्यसभा चुनाव में अपने हलफनामे में खुद को B. Com. Part 1 बताती हैं। 2011 के राज्यसभा चुनाव और 2014 के लोकसभा चुनाव में भी उन्होंने खुद को B. Com. Part 1 ही बताया था। बड़ी हैरानी की बात है कि 2004 में खुद को B.A बताने वाली स्मृति जी 2011, 2014 और 2017 में खुद को B. Com. Part 1 बताती हैं।
एक अपने भारत में हैं ‘शरीफ’ नेता मोदी जी, पनामा पेपर्स खा-चबा गए!
Yashwant Singh : एक अपने भारत में हैं ‘शरीफ’ नेता मोदी जी. पनामा पेपर्स ऐसे खा चबा गए, जैसे कुछ हुआ ही न हो. भाजपाई सीएम रमन सिंह के बेटे से लगायत अमिताभ, अडानी आदि की कुंडली है वहां, लेकिन मजाल बंदा कोई जांच वांच करा ले. और, बनेगा सबसे बड़ा भ्रष्टाचार विरोधी. पड़ोसी पाकिस्तान से सबक ले लो जी.
भारतीय राजनीति का निहायत खूंखार और ‘किलर इंस्टिंक्ट’ वाला मोदी-शाह युग!
Amitaabh Srivastava : कांग्रेस कमाल की पार्टी हो गई है। हमेशा दूसरों पर आरोप, आत्ममंथन से सख्त परहेज़। बीजेपी पर आरोप लगा रही है कि गुजरात में 10-10 करोड़ में उसके विधायक खरीद रही है। आपके विधायकों का ईमान इतना ढुलमुल है, यह ज़्यादा बड़ी चिंता नहीं होनी चाहिए? कितने जहाजों में कितनी बार फेरे लगेंगे टोली बचाये रखने के लिए? कहां गयीं वो वफादारी की बातें? राहुल गांधी फिर कह देंगे हमें सब पहले से ही मालूम था।
मोदी राज में हगने पर भी जीएसटी!
Yashwant Singh : शौचालय जाने पर जीएसटी वसूलने वाले आज़ादी के बाद के पहले प्रधानमंत्री बने मोदी। पंजाब में रोडवेज बस स्टैंड पर सुलभ शौचालय की रसीद है ये। 5 रुपये शौच करने का चार्ज और एक रुपया जीएसटी। कुल 6 रुपये। महंगाई इतनी, गरीब खा न पाए, और, अगर हगने जाए तो टैक्स लिया …
यूपी में बीजेपी की सियासी बेचैनी : अखिलेश, माया और राहुल मिल कर दे सकते हैं मात!
संजय सक्सेना, लखनऊ
उत्तर प्रदेश में बीजेपी लगातार जीत का परचम फहराती जा रही है। यूपी में उसकी सफलता का ग्राफ शिखर पर है, लेकिन शिखर पर पहुंच कर भी बीजेपी एक ‘शून्य’ को लेकर बेचैन नजर आ रही है। उसे चुनावी रण में हार का अंजाना सा डर सता रहा है। इस डर के पीछे खड़ी है अखिलेश-माया और राहुल की तिकड़ी, जो फिलहाल तो अलग-अलग दलों से सियासत कर रहे हैं, मगर मोदी के विजय रथ को रोकने के लिये तीनों को हाथ मिलाने से जरा भी गुरेज नहीं है। बीजेपी का डर लखनऊ से लेकर इलाहाबाद तक में साफ नअर आता है। असल में 2014 के लोकसभा चुवाव मे मिली शानदार जीत का ‘टैम्पो’ बीजेपी 2019 तक बनाये रखना चाहती है।
भाजपा की केंद्र और राज्य सरकारों में इतने सारे दागी हैं, पर इस्तीफा केवल तेजस्वी यादव का चाहिए!
*तेजस्वी यादव का इस्तीफा चाहिए?
-ठीक है, पर नरोत्तम मिश्रा को तो मंत्री पद से हटा दीजिए न. आरोप साबित हो गए हैं। कदाचारी साबित हुए हैं। विधायकी चली गई है। बहुत बदनामी हो रही है।
*-देखिए, वो मामला अलग है।
-तो सुषमा स्वराज को ही हटा दीजिए, ललित मोदी की हेल्पर हैं। उनकी बेटी ललित मोदी की वकील हैं। सुषमा ने इस भगोड़े के लिए सिफारिशी चिट्ठी लिखी थी।
रामबहादुर राय ने मोदी पर जो कटाक्ष किया है वह विपक्ष आलोचना के 10 संस्करण लिख कर भी नहीं कर सकता!
मैंने राम बहादुर राय के साथ काफी लंबा वक्त बिताया है। वे जनसत्ता में हमारे वरिष्ठ थे और ब्यूरो चीफ भी थे। कुछ लोग कहते थे कि उनके तार संघ के साथ जुड़े हुए हैं। वे आपातकाल की घोषणा होने के बाद मीसा के तहत गिरफ्तार होने वाले पहले व्यक्ति बताए जाते हैं। संघ के लिए उन्होंने उत्तर पूर्व में काफी काम किया और पत्रकारिता में काफी देर से संभवतः 1980 के दशक में आए। इसके बावजूद उनका समाजवादियों के साथ घनिष्ठ संबंध रहा।
मुकेश अंबानी ने अपनी मैग्जीन ‘फोर्ब्स इंडिया’ के जरिए कह दिया- ”मोदी पर भारत की 73% जनता भरोसा करती है”
Dilip Mandal : देश के हर अख़बार और वेबसाइट ने छापा, हर चैनल ने दिखाया कि नरेंद्र मोदी पर भारत की 73% जनता भरोसा करती है। नरेंद्र मोदी दुनिया के सबसे लोकप्रिय राजनेता है। यह ‘खबर’ चूंकि हर जगह छपी और हर चैनल ने दिखाई, जिनमें मोदीभक्त और तथाकथित प्रगतिशील चैनल और साइट भी हैं, तो आपके लिए भी शक करने का कोई कारण नहीं रहा होगा. हर कोई बोल और दिखा रहा है, तो शक कौन करता है? अब आइए इस ख़बर का एक्सरे निकालते हैं।
मोदी राज में सैनेटरी नैपकिन को लक्ज़री मानते हुए इस पर 18% टैक्स थोप दिया गया!
Deepali Tayday : जिस देश में सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं के लिए निहायती मानवीय ज़रूरत अदद टॉयलेट्स तक अवेलेबल नहीं हो पाते, जबकि हर कुछ दूरी में लड़कों के लिए ऐसी व्यवस्था है, नहीं भी है तो भी यूरिन करने के लिए पूरा जहान खुला है। महिलाएँ इसी डर में बाहर जाने पर पानी नहीं पीती और कितनी तरह की प्रॉब्लम्स झेलती हैं। हाँ, यहाँ हर गली, नुक्कड़-चौराहों पर मंदिर जरूर मिल जाएंगे। इंसानों की क़ीमत नहीं, पत्थरों की जरूर है। ऐसे देश में सैनेटरी नैपकिन को लक्ज़री मानने और 18% टैक्स लगाने पर मुझे कोई आश्चर्य नहीं हो रहा।
मोदी सरकार ने रियल एस्टेट उद्योग को सबसे बुरे दिनों के दर्शन करा दिए!
Ashwini Kumar Srivastava : अच्छे दिन लाने के नाम पर आई मोदी सरकार ने देश के साथ क्या सुलूक किया है, यह तो पता नहीं लेकिन कम से कम रियल एस्टेट उद्योग को तो जरूर ही उन्होंने मनमोहन सरकार के 10 बरसों के स्वर्णिम दौर से घसीट कर सबसे बुरे दिनों के दर्शन करा दिए हैं। पहले तो सरकार में आते ही काले धन के खिलाफ अभियान छेड़ने की धुन में न जाने कितने सनकी कानून बनाये या पुराने कानून के तहत ही नोटिस भेज-भेज कर देशभर को डराया….फिर बेनामी सम्पति कानून का ऐसा हव्वा खड़ा किया कि शरीफ आदमी भी दूसरा फ्लैट/मकान या प्लॉट लेने से कतराने लगा। ताकि कहीं उसकी किसी सम्पति को बेनामी करार देकर खुद सरकार ही न हड़प ले।
हिंदू और यहूदी सभ्यताओं ने अपने काम से काम रखने की बहुत कीमत चुकाई है!
Rajeev Mishra : प्रधानमंत्री की इजराइल यात्रा एक सरकारी दौरा नहीं है…एक राष्ट्र प्रमुख की दूसरे राष्ट्राध्यक्ष से मुलाक़ात भर नहीं है…यह दो प्राचीन सभ्यताओं का मिलन है… दो सभ्यताएं जिनमें बहुत कुछ कॉमन है…एक समय, इस्लाम की आपदा से पहले दोनों की सीमाएं मिलती थीं, पर दोनों में किसी तरह के टकराव की कहानी हमने नहीं सुनी. दोनों में से किसी को भी किसी और को अपने धर्म में शामिल करने की, अपने धर्म प्रचार की, मार्केटिंग की खुजली नहीं थी…
पुण्य प्रसून बाजपेयी का सवाल- कोई भारतीय प्रधानमंत्री इससे पहले इजराइल जाने की हिम्मत क्यों नहीं दिखा पाया?
नजदीक होकर भी दूर क्यों रहा इजरायल… दो बरस पहले राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी इजरायल के एयरपोर्ट पर उतरे जरुर लेकिन पहले फिलीस्तीन गए फिर इजरायल दौरे पर गये। पिछले बरस जनवरी में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज फिर पहले फिलिस्तीन गईं उसके बाद इजरायल गईं। लेकिन पीएम मोदी तो तीन दिन इजरायल में ही गुजारेंगे। तो क्या प्रधानमंत्री इजराइल को लेकर संबंधों की नयी इबारत लिखने जा रहे हैं और भारत के उस एतिहासिक रुख को हमेशा के लिए खत्म कर रहे हैं, जिसकी छांव में गांधी से लेकर नेहरु तक की सोच अलग रही। महात्मा गांधी ने 26 नवंबर 1938 को हरिजन पत्रिका में कई यहूदियों को अपना दोस्त बताते हुए लिखा, “यहूदियों के लिए धर्म के आधार पर अलग देश की मांग मुझे ज्यादा अपील नहीं करती। फिलीस्तीन अरबों का है, जिस तरह इंग्लैंड ब्रिटिश का और फ्रांस फ्रेंच लोगों का है और अरबों पर यहूदियों को थोपना गलत और अमानवीय है”।
एनडीटीवी के मुस्लिम पत्रकार ने ‘जय श्री राम’ कहकर बचाई अपने साथ पूरे परिवार की जान!
28 जून 2017 के दिन बिहार सफ़र के दौरान समसतीपुर नेशनल हाईवे के मारगन चौक पर बजरंग दल के लोग ट्रक को रास्ते में रोककर रास्ता जाम कर रखा था. मैं कार लेकर खड़ा ही हुआ था कि केसरिया गमछा गले मे डाले कई लोग ‘जय श्री राम’ का नारा लगाते आ पहुंचे, मैंने पूछा क्यों रास्ता जाम है. पूछते ही कई लोगों ने मेरी कार के अंदर बैठी मेरे मां-पिता के साथ पत्नी पर नज़र डाली. चूंकि मेरे पिताजी दाढ़ी रखे हुए हैं और पत्नी नक़ाब पहनती हैं तो इसको देखते हुए नारेबाज़ी तेज़ हो गई.
नोटबंदी, कैसलेश जैसी तमाम नादानियों के बाद भी नरेंद्र मोदी लोगों के दुलारे क्यों बने हुए हैं?
जिस दौर में राजनीति और राजनेताओं के प्रति अनास्था अपने चरम पर हो, उसमें नरेंद्र मोदी का उदय हमें आश्वस्त करता है। नोटबंदी, कैसलेश जैसी तमाम नादानियों के बाद भी नरेंद्र मोदी लोगों के दुलारे बने हुए हैं, तो यह मामला गंभीर हो जाता है। आखिर वे क्या कारण हैं जिसके चलते नरेंद्र मोदी अपनी सत्ता के तीन साल पूरे करने के बाद भी लोकप्रियता के चरम पर हैं। उनका जादू चुनाव दर चुनाव जारी है और वे हैं कि देश-विदेश को मथे जा रहे हैं। इस मंथन से कितना विष और कितना अमृत निकलेगा यह तो वक्त बताएगा, पर यह कहने में संकोच नहीं करना चाहिए वे उम्मीदों को जगाने वाले नेता साबित हुए हैं।
ये देखो मोदी का मंत्री खुलेआम मूत रहा है!
मोदी का मंत्री सुरक्षा बलों के घेरे में खुलेआम मूत कर स्वच्छ भारत अभियान को कलंकित कर गया…
कृषि मंत्री राधा मोहन जी को लघुशंका लगी तो अपने इर्द-गिर्द सिक्योरिटी तैनात करके एक जगह पर खुलेआम खड़े-खड़े मंत्री ही शुरू हो गये… अब आप बताईये ऐसे मे मोदी जी और अमिताभ बच्चन जी की बातें याद रखें कि खुलें मे शौच या लघुशंका ना करें या फिर अपना आराम देखें.. बंदूक़ों के साये मे खुले में यह करने का आनंद मंत्री जी से अच्छा भला और कौन समझ सकता है…
केंद की मोदी व उत्तर प्रदेश की योगी सरकारें हाथ धोकर पत्रकारों के पीछे पड़ी हैं!
पत्रकारों के आवास आवंटन निरस्तीकरण का आदेश वापस ले योगी सरकार… सर्वविदित है केन्द्र की मोदी सरकार ने लघु-मध्यम समाचार पत्रो के प्रकाशन पर RNI एवम् DAVP के माध्यम से शिकंजा कसकर पत्रकारों के लिए कब्र खोद दी है। दूसरी ओर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने पत्रकारों को आवास आवंटन में अखिलेश सरकार के फैसले को जबरन पत्रकारों पर थोप दिया है। जिसके परिणामस्वरूप पत्रकार घर से बाहर सड़क पर आकर दर-दर भटकने को मजबूर हो जायेंगे। लोकतन्त्र के सजग प्रहरियों का उत्पीड़न करना क्या न्याय संगत है?
मोदी-योगी राज में चोरी और चोरों का बोलबाला!
Yashwant Singh : अभी टिकट बुक कर रहा था, तत्काल में। प्रभु की साइट हैंग होती रही बार बार। paytm ने अलग से पैसा लिया और सरकार ने अलग से टैक्स वसूला, ऑनलाइन पेमेंट पर। ये साले भजपईये तो कांग्रेसियों से भी बड़े चोट्टे हैं। इनको रोज सुबह जूता भिगो कर पीटना चाहिए। मुस्लिम गाय गोबर पाकिस्तान राष्ट्रवाद के फर्जी मुद्दों पर देश को बांट कर खुद दोनों हाथ से लूटने में लगे हैं। ये लुटेरे खटमल की माफिक जनता का खून पी रहे हैं, थू सालों।
मैंने मोदी को वोट दिया था पर अब लगता है देश की लुटिया डूबने वाली है!
वैसे तो किसी भी देश में एक साथ कई नाम ऐसे होते हैं जो चर्चित होते हैं लेकिन इस समय देश में यदि कोई नाम सबसे ज्यादा चर्चित है तो वह है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का। यह कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि टॉप टेन चर्चित नामों की लिस्ट बनाने के लिए कहा जाए तो एक से दस नंबर तक नरेंद्र मोदी का ही नाम लिखना पड़ेगा। दूसरा नाम वास्तव में ग्यारहवें नंबर पर आएगा। प्रधानमंत्री मोदी की मौजूदा लोकप्रियता देश के लिए जितनी अच्छी है उतनी ही बुरी भी है।
नरेंद्र मोदी कहीं भाजपा के बहादुर शाह जफर यानी अंतिम प्रधानमंत्री तो नहीं साबित होने जा रहे हैं!
Ashwini Kumar Srivastava : देश के तकरीबन हर हिस्से से आ रहीं अराजकता की खबरें अब लोगों के जेहन में यह सवाल उठाने लग गई हैं कि नरेंद्र मोदी कहीं भाजपा के बहादुर शाह जफर यानी अंतिम प्रधानमंत्री तो नहीं साबित होने वाले हैं… जिन्हें इतिहास का ज्ञान होगा, वह जानते होंगे कि साढ़े तीन सौ बरस तक समूचे हिंदुस्तान पर हुकूमत करने वाले मुगल साम्राज्य के अंतिम सम्राट बहादुर शाह जफर के समय में पूरा देश तो बहुत दूर की बात थी, दिल्ली और उसके आसपास ही मुगलिया कानून को मानने वाले नहीं रह गए थे…
पेट्रोल-डीजल को जीएसटी से बाहर रखने की मोदी की दोगली नीति पर भाजपाई चुप क्यों हैं?
Yashwant Singh : ये तो सरासर मोदी की दोगली नीती है. देश को एक कर ढांचे में लाने की वकालत करने वाले मोदी आखिर पेट्रोल डीजल को जीएसटी से क्यों बाहर रखे हुए हैं. ये तर्क बेमानी है कि राज्य सरकारें पेट्रोल-डीजल से भारी टैक्स से काफी पैसा पाती हैं, जिसे वह खोना नहीं चाहतीं.
पुराने नोटों को बदलने का धंधा बंद न होने के पीछे बहुत बड़ा झोल है!
Mukesh Aseem : महाराष्ट्र-गुजरात में सभी दलों के नेता बहुत सारे कोआपरेटिव बैंक चलाते हैं जिनके बारे में रिजर्व बैंक का मत रहा है कि ये भ्रष्टाचार, काला धन, मनी लॉन्डरिंग, आदि तमाम किस्म की चोरी-स्कैम के केंद्र हैं| नोटबंदी में भी ऐसी शिकायतें खूब आईं| गुजरात में तो ये बीजेपी के नियंत्रण में ज्यादा हैं, खुद अमित शाह से लेकर सब बड़े नेता इनके डायरेक्टर हैं| इसलिए वहाँ तो रिजर्व बैंक कुछ नहीं बोला लेकिन महाराष्ट्र में इनमें से ज़्यादा कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना के कण्ट्रोल में हैं, बीजेपी के कम हैं| यहाँ भी इनके पास 2770 करोड़ के पुराने नोट जमा हुए थे| रिजर्व बैंक ने इन्हें लेने से मना कर दिया था क्योंकि इनके जमाकर्ताओं का कोई रिकॉर्ड नहीं था|
उप्र के दलित नेता को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाकर मोदी ने सबको चौंकाया
शायद यही राजनीति की नरेंद्र मोदी शैली है। राष्ट्रपति पद के लिए अनुसूचित जाति समुदाय से आने वाले श्री रामनाथ कोविंद का चयन कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फिर बता दिया है कि जहां के कयास लगाने भी मुश्किल हों, वे वहां से भी उम्मीदवार खोज लाते हैं। बिहार के राज्यपाल और अरसे से भाजपा-संघ की राजनीति में सक्रिय रामनाथ कोविंद पार्टी के उन कार्यकर्ताओं में हैं, जिन्होंने खामोशी से काम किया है। यानि जड़ों से जुड़ा एक ऐसा नेता जिसके आसपास चमक-दमक नहीं है, पर पार्टी के अंतरंग में वे सम्मानित व्यक्ति हैं। यहीं नरेंद्र मोदी एक कार्यकर्ता का सम्मान सुरक्षित करते हुए दिखते हैं।
85 से 95 परसेंट कमीशन पर अब भी बदले जा रहे हैं पुराने नोट!
Yashwant Singh : 2019 के लोकसभा चुनाव में मीडिया पर जितना पैसा बरसने वाला है, उतना कभी न बरसा होगा… कई लाख करोड़ का बजट है भाई…. मोदी सरकार भला कैसे न लौटेगी… और हां, नोट अब भी बदले जा रहे हैं.. 85 परसेंट से लेकर 95 परसेंट के रेट पर… यानि पुराना नोट लाओ और उसका पंद्रह से पांच परसेंट तक नया ले जाओ…. लाखों करोड़ रुपये का गड़बड़झाला है ये नोटबंदी… उपर से कहते हैं कि न खाउंगा न खाने दूंगा…
मोदी राज में भारतीय मीडिया में नए तरह का खौफ, पत्रकार दबाव में : न्यूयार्क टाइम्स
भारत में मीडिया पर मोदी राज के खौफ को लेकर अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचनाएं शुरू हो गई हैं. न्यूयार्क टाइम्स ने लिखा है कि 2014 में जबसे मोदी ने सत्ता संभाली, भारत के पत्रकारों को काफी दबाव का सामना करना पड़ रहा है. न्यूयार्क टाइम्स ने अपने संपादकीय में लिखा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शासनकालमें भारत के मीडिया में एक नए तरह का खौफ है. इन छापों ने भारतीय मीडिया के लिए खतरे की घंटी बजा दी है.
मोदी सरकार पर राजस्थान पत्रिका समूह के मालिक गुलाब कोठारी का हमला- ”झूठ बोलने के लिए मीडिया को खरीदने का काम चल रहा है”
राजस्थान पत्रिका समूह के मालिक गुलाब कोठारी ने मोदी सरकार पर हमला बोल दिया है. उन्होंने आरोप लगाया कि झूठ बोलने के लिए मीडिया और लोगों को खरीदने का काम चल रहा हैं. गुलाब कोठारी ने ये बात मुंबई में 14वें अंतरराष्ट्रीय कंसर्न्ड कम्यूनिकेटर अवॉर्ड (सीसीए) समारोह में कही. पत्रिका समूह को सामाजिक सरोकार के श्रेष्ठ रचनात्मक विज्ञापनों के लिए इस समारोह में पुरस्कृत किया गया. कोठारी ने कहा कि आजादी को 70 साल हो गए हैं लेकिन हम आज भी सच को सुनना ही नहीं चाहते हैं. सरकार मीडिया हाउस को शॉर्टलिस्ट कर जनता तक झूठी बातें पहुंचा रही है. झूठ को सच बताकर रखने की कोशिश में लोगों को दिग्भ्रमित किया जा रहा है. क्योंकि यदि झूठ को सौ बार बोला जाए तो वह सच मान लिया जाता है और आज यही हो रहा है.
भाजपा के छद्म राष्ट्रवाद की बदौलत देश में लागू हुआ अधिनायकवादी निजाम का अघोषित आपातकाल!
बात 2-3 साल पहले की है, उन दिनों उत्तराखंड के हल्द्वानी, नैनीताल, रानीखेत, अल्मोड़ा, बागेश्वर आदि शहरों में कार चोरों का एक गिरोह नई-नई कारों की चोरी करने में सक्रिय था। कार के ऑटोमेटिक लॉक को चुटकी में तोड़ कर उड़ा ले जाने में माहिर गिरोह से परेशान लोगों का पुलिस-प्रशासन पर भारी दबाव था। पुलिस का कहना था कि लोग सावधान रहें और अपने वाहनों की सुरक्षा खुद करें क्योंकि ताला लगाने के बावजूद वाहन चोरी हो सकता है। अपनी बात की पुष्टि और जन-जागरण के लिए पुलिस ने ताला लगे वाहन को चोर कैसे उड़ा ले जाते हैं, इसका एक लाइव डेमो देने को हल्द्वानी में एक सार्वजनिक प्रदर्शन आयोजित किया। जिसकी अखबारों में पूर्व-घोषणा करके अधिक से अधिक लोगों को यह तमाशा देखने का न्यौता भी दिया गया।
मोदी सरकार की नीतियों से देश का बहुत कुछ बर्बाद हो गया
तीन साल पहले उन दिनों जब ‘अच्छे दिन’ का नारा दिया गया था, किसान, नौजवान सब खुश थे क्योंकि घोटालेबाज कांग्रेस सरकार के जाने और नई मोदी सरकार के आने की उम्मीद सबको लगने लगी थी। लेकिन मोदी सरकार ने जो कुछ था ठीकठाक उसे भी तबाह कर डाला। सवाल यह उठता है कि ये देश सिर्फ कुछ भाजपा कार्यकर्ताओं या भक्तों भर का है जो क्षण क्षण में देशद्रोही, उपद्रवी का प्रमाण पत्र बांटते फिरते हैं या ये सवा सौ करोड़ वासियों का देश है जहाँ 80 करोड़ लोग बेरोजगार हैं। 60 करोड़ लोग भूखे हैं। लेकिन भक्त मण्डली ये भजन करती है कि गरीब निक्कमे हैं, काम नहीं करते। फ्री में खाना चाहते हैं। अरे भैय्या आपके पास ऐसा कौन सा काम है जो सवा सौ करोड़ वासियों को रोजग़ार देने का वादा करते हैं। जो वादा सरकार नहीं कर पा रही है वह भक्त मंडली कर रही है।
राष्ट्रभक्ति किसी की जागीर नहीं है
गोविंद गोयल
श्रीगंगानगर। जनाब! जिसे आप राष्ट्रप्रेम और राष्ट्रभक्ति कहते हो ना, वो व्यक्तिपूजा है। खास व्यक्ति की चापलूसी है। पता नहीं आपने किस किताब मेँ पढ़ ली, क्या मालूम कहाँ से सुन ली, देशभक्ति, राष्ट्रप्रेम और राष्ट्रभक्ति की ये नई परिभाषा। जिसमें श्री नरेंद्र मोदी जी की जय घोष, उनकी सरकार की जय जय कार, बीजेपी की प्रशंसा को ही देशभक्ति, राष्ट्रप्रेम और राष्ट्रभक्ति माना गया है। उनकी कार्यशैली, उनकी सरकार की नीतियों की आलोचना देशद्रोह हो चुका है। राष्ट्रद्रोह की श्रेणी मेँ मान लिया जाता है मोदी जी और उनकी सरकार की आलोचना को।
मोदी की नई विज्ञापन नीति : छोटे अखबार वाले अगर चोर हैं तो बड़े वाले पूरे डकैत हैं!
Sanjay Sharma : केंद्र सरकार की प्रिंट मीडिया विज्ञापन नीति 2016 को लेकर लघु और मध्यम अखबारों के प्रकाशक लगातार लड़ाई लड़ रहे है। इस लड़ाई के तहत हम लोगों के द्वारा इलाहाबाद हाईकोर्ट में कई याचिका दायर की जा चुकी है। मध्य प्रदेश में बीते वर्ष योजित एक याचिका के बाद DAVP के कुछ अधिकारी लघु और मध्यम अखबारों को फर्जी साबित करने और नीति को सही ठहराने के प्रयास में जुटे है।
Central government passed bill just before Ramzan to cause problems to Muslims!
Supreme court, President of India do Justice to Save India… Bismillah ir Rahman ir Rahim. One Country, two slaughter laws, Based on Religion is Pakistani Mentality, not Indian. Central gov passed a law that Cows and Buffallo cannot be traded for slaughter or transportation. Ok, MS Maneka Gandhi, if Central gov passed law which forbids sale or transportation of Cows and Buffallos for slaughter, then why are the 10 big butcher houses of india, which are owned by hindus, are slaughtering Lakhs of Buffallo daily and sending the beef to foreign countries.
मोदी राज में अखबार सरकारी तोता बन गए और न्यूज चैनल चमचा!
Priyabhanshu Ranjan : अगले लोकसभा चुनाव की तैयारियों में अभी से जुटे अमित शाह 95 दिन का देशव्यापी दौरा कर रहे हैं। भाजपा नेतृत्व अगले 100 दिनों का एक्शन प्लान तैयार कर चुका है और सख्ती से उस पर अमल भी कर रहा है। केंद्रीय मंत्री मीडिया को लगातार इंटरव्यू देकर मोदी सरकार के तीन साल की अपनी झूठी-सच्ची “उपलब्धियां” गिना रहे हैं । देश का एक बड़ा तबका उनकी बातें सुन भी रहा है। लेकिन विपक्ष, मीडिया और सोशल मीडिया क्या कर रहा?
रजत शर्मा, रोहित सरदाना, सुधीर चौधरी, अर्णब गोस्वामी, गौरव सावंत ने उस ‘एकपक्षीय’ मीडिया को ‘बहु-पक्षीय’ बनाया!
Abhinav Shankar : आज जब मोदी सरकार के तीन साल पूरे हुए हैं तो इन तीन सालों में हुए बदलावों पर स्वाभाविक रूप से पूरे देश में चर्चाओं का एक दौर चला है। जाहिर है कई विषयों पर चर्चा होगी। सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, सामरिक, रणनीतिक। मैं आज इन विषयों पर बात नहीं करना चाहता। इसके कई कारण हैं। पहला तो ये कि मैं अक्सर इन क्षेत्रों में हो रहे बदलावों पर ब्लॉग वगैरह पर लिखता रहा हूँ। दूसरा, आज इन चीजों पर पहले ही टनों स्याही बहाई जा चुकी होगी और तीसरा जिस विषय पर में बात करना चाहता हूं वो आज शर्तिया नहीं हुई होगी या हुई भी होगी तो उस परिप्रेक्ष्य में नहीं हुई होंगी जिस परिपेक्ष्य में होनी चाहिए।
मोदी के तीन साल पूरे होने पर सोशल मीडिया पर वायरल हो गया यह संदेश!
बीजेपी को बहुमत मिलने पर एक मोदीभक्त 16 मई 2014 को ख़ुशी के मारे बेहोश हुआ और सीधा कोमा में चला गया था। लगभग 36 महीने कोमा में रहने के बाद कल ही उसे होश आया। होश में आते ही उसने अपने डाक्टर दोस्त से निम्न प्रश्न पूछे ….
आरक्षण को लेकर एक पत्रकार का मोदी को खुला खत- ”कुर्सी के लालची हैं मोदी”
बाबा तुलसीदास ने रामायण में लिखा है कि संसार में ऐसा कोई नहीं है जिसे सत्ता मिलने पर मद न हो। देश के पीएम भी इससे अछूते नहीं उनके दो फैसले बहुत बुरे लगे।एक नोटबंदी और दूसरा आरक्षण की वकालत। नोटबंदी के कारण आज भी बैंकों व एटीएम पर्याप्त धन न होने के कारण लोग परेशान हैं। गांव के लोग भेलेभाले और मेहनतकश हैं। गांवों में शिक्षा का अभाव है। वह ई बैंकिंग क्या करेंगे। हम जैसे छोटे पत्रकार जिनको चंद पैसे वेतन मिलता है। समय पर रुपये बैंकों व एटीएम से नहीं निकलते। बहुत परेशानी होती है।
भाजपा सांसद केसी पटेल की ‘इज्जत’ लूटने वाली महिला हुई अंदर… भामाकीजैजै!!
Vishnu Rajgadia : दिल्ली में बलात्कार की शिकार एक महिला ने कई दिन पुलिस स्टेशन के चक्कर लगाए। मामला दर्ज नहीं हुआ। तब वह कोर्ट गई। कोर्ट ने पुलिस को मामला दर्ज करने का आदेश दिया। यह पता लगने पर आरोपी (भाजपा सांसद के.सी. पटेल) ने महिला पर ही बहला-फुसलाकर इज्जत लूटने का आरोप लगा दिया। अब पुलिस उस पीड़िता के ही खिलाफ जाँच कर रही है और गिरफ्तार कर अंदर कर दिया। अगर महिला की गलती थी, तब भाजपा सांसद अब तक चुप क्यों थे? उन्होंने उसी दिन पुलिस को रिपोर्ट क्यों नहीं लिखाई, जिस दिन महिला ने उनकी इज्जत लूटी थी। मोदी-मोदी की रट लगाने वाले भक्त अगर अब भी इन चीजों का मतलब न समझें, तो कल किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहेंगे। पापी सिर्फ वह नहीं, जो पाप करे। उसमें मौन सहमति भी पाप है।
गोरों की तरह बदमाश है भारत में कालों की सरकार!
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों… तो क्या ऐसा ही वतन आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वालों ने हमारे हवाले किया था, जैसा हमने इसे बना दिया है? क्या ऐसे ही वतन के लिए भगत सिंह और उनके साथियों ने हंसते हंसते फांसी का फंदा चूमा था? देश को आजाद कराने के लिए हिंदुओं की ही तरह मुसलमानों ने भी आपस में मिलकर अंग्रेजी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला था। गोरों की सरकार ने अपनी फौज के माध्यम से हिंदुओं, सिखों, मुसलमानों आदि पर बेइंतिहा जुर्म ढाये। ईसाई अंग्रेजों के अत्याचार की चपेट में इसलिए नहीं आये कि वे खुद ईसाई व इससे मिलती-जुलती कौम के थे।
ये न्यूज़ चैनलों का आपातकाल है… खोजी पत्रकारिता वेंटिलेटर पर है… : रजत अमरनाथ
Rajat Amarnath खोजी पत्रकारिता यानि INVESTIGATIVE JOURNALISM आज वेंटिलेटर पर है… अंतिम सांसें ले रहा है… कभी कभी उभारा लेता भी है तो सिर्फ INDIAN EXPRESS और THE HINDU जैसे अख़बारों की वजह से… टीवी के खोजी पत्रकारों और संपादकों की नज़र में खोजी पत्रकारिता का मतलब सिर्फ और सिर्फ स्टिंग है… आखिर ऐसा हो …
मोदी और केजरीवाल पर जम कर बरसे कुमार विश्वास
आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और कवि कुमार विश्वास ने शुक्रवार को एक नया वीडियो रिलीज़ किया। अपने ऑफिशियल यूट्यूब चैनल पर जारी किए गए इस वीडियो में कुमार विश्वास ने पिछले दिनों की कुछ घटनाओं पर क्षोभ व्यक्त किया है और कई सवाल खड़े किए हैं। लगभग तेरह मिनट के इस वीडियो में कुमार विश्वास कभी ख़ासे गुस्से में तो कभी भावुक नज़र आ रहे हैं। वीडियो में जहाँ एक तरफ़ पिछले दिनों कश्मीर में सीआरपीएफ के जवानों पर हुए हमले को ले कर सवाल खड़े किए गए हैं, वहीँ दूसरी तरफ़ सेना के जवानों द्वारा पिछले दिनों उठाए गए सवालों का भी जवाब माँगा है। पूरे वीडियो में किसी एक पार्टी या सरकार से सवाल न पूछ कर सभी नीति-निर्धारकों से पूछा गया है।
कश्मीर और पाकिस्तान मुद्दे पर नरेंद्र मोदी पूरी तरह फेल हो चुके हैं
कश्मीर और पाकिस्तान मुद्दे पर नरेंद्र मोदी पूरी तरह फेल हो चुके हैं। उनकी नीतियां पानी मांग गई हैं। दरअसल कश्मीर और पाकिस्तान दोनों ही मसले कूटनीति की परिधि से बाहर निकल चुके हैं। इन दोनों का समाधान अब सर्जिकल स्ट्राइक और सैनिक कार्रवाई है, कुछ और नहीं। मोदी कहते रह गए कि पाकिस्तान को अकेला कर दिया, यह कर दिया, वह कर दिया। नतीज़ा यह है कि कुछ नहीं किया। पाकिस्तान आज भी वही कर रहा है जो पहले करता रहा था।
किसानों की वायरल हुई ये दो तस्वीरें ‘मोदी गान’ में रत टीवी और अखबार वालों को न दिखेंगी न छपेंगी
Mahendra Mishra : ये तमिलनाडु के किसान हैं। दक्षिण भारत से दिल्ली पीएम मोदी के सामने अपनी फरियाद लेकर आये हैं। इनमें ज्यादातर के हाथों में ख़ुदकुशी कर चुके किसानों की खोपड़ियां हैं। बाकी ने हाथ में भीख का कटोरा ले रखा है। पुरुष नंगे बदन हैं और महिलाओं ने केवल पेटीकोट पहना हुआ है। इसके जरिये ये अपनी माली हालत बयान करना चाहते हैं। इन किसानों के इलाकों में 140 वर्षों बाद सबसे बड़ा सूखा पड़ा है।
मोदी और नीतीश जैसों ने हर स्तर पर लोकतंत्र का बैंड बजा रखा है…
Pushya Mitra : मनोहर पर्रिकर और राजनाथ सिंह जैसे ताकतवर मंत्रियों का राज्य में मुख्यमंत्री की कुर्सी थामने के लिये उतावलापन बता रहा है कि हाल के दिनों में किस तरह बहुत तेजी से सत्ता का केंद्रीकरण हो रहा है। PMO और CMO जैसी संस्थाओं में आजकल पूरी सरकार केंद्रित हो जा रही है। सारा काम वहीँ से निर्देशित हो रहा है। मंत्रियों के पास अब कोई काम नहीं रहा है, फाइलों पर दस्तखवत करने के सिवा। उनके पास अब इतना ही पॉवर रहा है कि अपने कुछ लोगों को लाभ दिला सकें। कुछ टेंडर वगैरह पास करवा सकें।
सारे न्यूज़ चैनल भाजपा के जरखरीद गुलाम बन गए हैं!
Dayanand Pandey : कि पेड न्यूज़ भी शरमा जाए…. आज का दिन न्यूज़ चैनलों के लिए जैसे काला दिन है, कलंक का दिन है। होली के बहाने जिस तरह हर चैनल पर मनोज तिवारी और रवि किशन की गायकी और अभिनय के बहाने मोदियाना माहौल बना रखा है, वह बहुत ही शर्मनाक है। राजू श्रीवास्तव, सुनील पाल आदि की घटिया कामेडी, कुमार विश्वास की स्तरहीन कविताओं के मार्फ़त जिस तरह कांग्रेस आदि पार्टियों पर तंज इतना घटिया रहा कि अब क्या कहें।
बैंक ट्रांजैक्शन चार्ज के खिलाफ 6 अप्रैल को बैंक से कोई ट्रांजैक्शन न करें
कृपया सपोर्ट करें… बैंक ट्रांजैक्शन चार्ज के खिलाफ आवाज उठायें… 06 अप्रैल 2017 को कृपया बैंक से कोई ट्रांजेक्शन ना करें ताकि बैंक को पब्लिक का पावर पता चल सके. इस विरोध के कारण शायद बैंक चार्जेज हटा भी दें जो बैंकों ने अभी अभी नया लगाया है. अगर आज हम लोग एक साथ नहीं आये तो आने वाले दिनों में बैंक नए चार्जेज लगाने से नहीं डरेगी. पैसा अपना है तो फिर पैसा लेते वक़्त हम किस बात का चार्ज दें?
अमेरिका से काटजू ने मोदी को लिखा पत्र- ‘न विकास हुआ, न अच्छे दिन आए’
To
The Hon’ble Shri Narendra Modi
Prime Minister of India
Dear Modiji,
I would have liked to personally deliver this letter to you, but unfortunately ( or fortunately ) I am presently in America, and likely to be here for some time. So I am posting it on fb, with the hope that someone will forward it to you.
पीएम मोदी के घर पर एसपीजी की महिलाएं रात में ड्यूटी क्यों नहीं करना चाहतीं?
Sanjaya Kumar Singh : प्रधानमंत्री के घर और निजता से संबंधित ये कैसी खबर? इस बार के “शुक्रवार” (24 फरवरी – 02 मार्च 2017) मैग्जीन में एक गंभीर खबर है। पहले पेज पर प्रमुखता से प्रकाशित इस खबर का शीर्षक है, “फिर विवादों में घिरी एसपीजी” लेकिन यह प्रधानमंत्री निवास से संबंधित विवाद खड़ा कर रही है। खबर के मुताबिक एसपीजी की महिला सुरक्षा कर्मियों ने अपने आला अफसरों से गुहार लगाई है कि उन्हें रात की ड्यूटी पर न रखा जाए।
हां मोदी जी, आपके माथे पर एक नहीं, कई कई कलंक हैं, लीजिए सुनिए…
Deshpal Singh Panwar : बड़े सरकार आज मेरठ की धरती पर दहाड़ रहे थे -है कोई कलंक मेरे माथे पर-बिना किसी की सुने खुद ही फैसला सुना रहे थे-नहीं है ना। तो सुनिए मैं बताता हूं आपके माथे पर कलंक क्या-क्या हैं, ना तो अाप मानेंगे और ना ही आपके चेले फिर भी–
मोदी सरकार ने भ्रष्टाचार के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए शरद पवार को पद्मविभूषण से सम्मानित किया!
Abhiranjan Kumar : एक तरफ़ कांग्रेसी थे, जिन्होंने नेताजी सुभाष चंद्र बोस, बाबा साहब भीमराव अंबेडकर, सरदार वल्लभ भाई पटेल इत्यादि को भी भारत रत्न दिये जाने लायक नहीं समझा, दूसरी तरफ़ भाजपाई हैं, जो कांग्रेस-कुल के भ्रष्ट लोगों का भी तुष्टीकरण करने में जुट गए। एक दिन वे उन्हें भ्रष्ट कहते हैं, दूसरे दिन पद्मविभूषण घोषित कर देते हैं। याद कीजिए, हालिया महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बीजेपी के तमाम नेताओं ने किस तरह से एनसीपी को भ्रष्टाचार का पर्यायवाची बताया था।
डीआईजी विजय भूषण ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘मनोरोगी’ बताया!
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में तैनात डीआईजी विजय भूषण ने एक अजीबोगरीब पोस्ट को साझा किया है जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘मनोरोगी’ बताया गया है. एक बड़े पद पर आसीन पुलिस अफसर द्वारा अपने प्रधानमंत्री पर अभद्र टिप्पणी का यह मामला तूल पकड़ता, उससे पहले ही अफसर ने सफाई दे दी कि सिस्टम जनरेटेड इरर के कारण यह पोस्ट कई ह्वाट्सएप ग्रुपों में गलती से शेयर हो गया.
घटिया और लचर है प्रधानमंत्री का मीडिया मैनेजमेंट
Sanjaya Kumar Singh : घटिया और लचर है प्रधानमंत्री का मीडिया मैनेजमेंट… खादी एंड विलेज इंडस्ट्रीज कमीशन की डायरी और कैलेंडर पर महात्मा गांधी की फोटो हटाकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की फोटो लगाए जाने के सवाल पर भक्त मीडिया ने पता नहीं अधिकारियों की इच्छा या आदेश पर या अपने स्तर पर ही नया पैंतरा लिया है। और, इस मामले में प्रधानमंत्री की छवि को हो सकने वाले नुकसान को धोने की कोशिश है। तर्क वही कि फोटो के उपयोग से पहले प्रधानमंत्री कार्यालय से अनुमति नहीं ली गई थी। यहां, यह खबर जब पहली बार आई थी तो आधिकारिक तौर पर क्या कहा गया था, उल्लेखनीय है। इंडियन एक्सप्रेस की साइट पर मूल खबर के साथ पीएमओ की प्रतिक्रिया भी है और इसका उल्लेख शीर्षक में ही है, “विवाद अनावश्यक है”।
रेल मंत्री सुरेश प्रभु के नेतृत्व में भारतीय रेल ने बनाया नया ‘रिकार्ड’!
Pushya Mitra : मैं जिस ट्रेन से दिल्ली जाने वाला हूँ वह आज पटना से शाम 4 बजे खुलने वाली थी मगर कल शाम ही मैसेज आ गया कि वह पटना 11 की सुबह पहुंचेगी। वह ट्रेन अभी दिल्ली से कोलकाता के रास्ते में है और 24 घंटे से अधिक लेट हो चुकी है। और यह कहानी किसी एक ट्रेन की नहीं दिल्ली पटना रुट से गुजरने वाली 50 से अधिक रेलगाड़ियों की है। और यह बहुत सामान्य मामला है। असली खबर तो इस खबर में है।
बजट से डर नहीं लगता साहब, उसकी मार से डर लगता है!
बजट आनेवाला है। सरकार कमर कस रही है। वित्त मंत्री व्यस्त हैं। अफसर पस्त हैं। और बाजार ध्वस्त। ज्वेलर निराश हैं। गोल्ड ही नहीं डायमंड और सिल्वरवाले भी परेशान है। बाजार से ग्राहक गायब है। सेल गिर गई है। उधार आ नहीं रहा है। नया माल बिक नहीं रहा है। कारीगर भी गांव निकल गए हैं। आगे क्या होगा, कुछ भी तय नहीं है। नोटबंदी ने मार डाला। सरकार के तेवर डरा रहे हैं। ज्वेलर घर से निकलकर बाजार आता है। बाजार से निकल कर घर जाता है। आता – जाता तो वह पहले भी था, लेकिन पहले उम्मीद के साथ आता था। और खुश होकर घर लौटता था। लेकिन अब परेशानी लेकर बाजार में आता है और खाली जेब वापस जाता है।
ऐसे नहीं छोड़ेंगे मोदी जी, आपके झोले की तलाशी होगी!
सहारा की डायरी में पैसे लेने वालों में आपका भी नाम है मोदी जी, फिर आप मौन क्यों हैं? यदि आप निर्दोष हैं तो सहारा के खिलाफ कार्रवाई कराओ…
नोटबंदी की मयाद पूरी हो गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठ नवम्बर को इस नोटबंदी योजना की घोषणा की थी। उन्होंने जनता से 50 दिन का समय मांगा था। उनका कहना था कि 50 दिन बाद यदि स्थिति न सुधरी तो जनता जिस चौराहे पर चाहे उन्हें सजा दे दे। इसमें दो राय नहीं कि योजना सही थी पर बिना तैयारी के इस योजना को लागू करने पर आम आदमी को जो परेशानी हुई वह छिपी नहीं है। सबके बड़ा कलंक इस योजना पर यह लगा है कि बेईमानों को सबक सिखाने के लिए लाई गई इस योजना ने अब तक 100 से भी अधिक लोगों की कुर्बानी ले ली है। इस योजना में अभी तक किसी भी नेता और पूंजीपति का कुछ नहीं बिगड़ा।
लचर ‘द एण्ड’ के साथ ‘नोटबंदी’ की फिल्म फ्लॉप…
नोटबंदी की जिस फिल्म का 8 नवम्बर को मोदी जी ने धूम धड़ाके के साथ रात 8 बजे प्रदर्शन किया था उसके टाइटल तो बड़े आकर्षक थे… फिल्म जैसे-जैसे आगे बढ़ी तो उसकी पटकथा में तमाम झोल नजर आने लगे। फिल्म के जो सितारे थे वह थोड़े ही दिन बाद खलनायकों में तब्दील हो गए। सोशल मीडिया के भक्तों ने बैंकों के अधिकारियों और कर्मचारियों को सितारा बताते हुए उनकी तुलना सरहद पर खड़े जवानों की ड्यूटी से कर डाली। यह बात अलग है कि बैंकों के ये सितारे बाद में गब्बर सिंह निकले, जिन्होंने पिछले दरवाजे से काले कुबेर रूपी मोगेम्बो से सांठगांठ कर कतार में लगे तमाम मिस्टर इंडियाओं को मूर्ख बना दिया और परवारे ही नए नोट बैंकों से लेकर एटीएम से गायब होकर काले कुबेरों के पास जमा हो गए।
भारतीय मन और प्रकृति के खिलाफ है कैशलेस
संजय द्विवेदी
हिंदुस्तान के दो बड़े नोटों को बंद कर केंद्र सरकार और उसके मुखिया ने यह तो साबित किया ही है कि ‘सरकार क्या कर सकती है।’ इस फैसले के लाभ या हानि का आकलन तो विद्वान अर्थशास्त्री करेगें, किंतु नरेंद्र मोदी कड़े फैसले ले सकते हैं, यह छवि पुख्ता ही हुयी है। एक स्मार्ट सरकार और स्मार्ट प्रधानमंत्री ही नोटबंदी की विफलता को देखकर उसका रूख कैशलेस की ओर मोड़ सकता है और ताबड़तोड़ छापों से अपनी छवि की रक्षा भी कर सकता है।
कंगाली के पचास दिन और देश का विश्वास
-निरंजन परिहार-
लालू यादव भले ही देश को याद दिला रहे हो कि 31 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए किसी चौराहे का इंतजाम कर लीजिए। लेकिन सवाल न तो किसी चौराहे का है और ना ही प्रधानमंत्री द्वारा गोवा से देश को दिए संदेश में उनके 50 दिन में सब कुछ ठीक हो जाने के वचन का। बल्कि सवाल यह है कि आखिर 30 दिसंबर को नोटबंदी के पचास दिन पूरे होने के बाद देश के सामने आखिर रास्ता होगा क्या। पचास दिन होने को है। नोट अब तक छप ही रहे हैं। बैंक अभी भी नोटों के इंतजार में हैं। एटीएम के बाहर खाली जेब लोगों की लंबी लंबी कतारें लगातार बढ़ती जा रही हैं। और जनता अभी भी परेशान हैं।
सिर्फ मायावती ही क्यों? सरकार में दम हो तो सभी पार्टियों के बैंक खाते चेक करवाए
डा. वेद प्रताप वैदिक
दिल्ली की एक बैंक में मायावती की बसपा का एक खाता पकड़ा गया है, जिसमें नोटबंदी की घोषणा के दो दिन बाद ही 104 करोड़ रु. जमा हुए। अब इस खाते की जांच होगी। क्या खाक जांच होगी? बसपा ही क्यों, सभी पार्टियां बिल्कुल स्वच्छंद हैं, अरबों-खरबों रु. अपने पास नकद या बैंकों में रखने के लिए! हमारी राजनीतिक पार्टियां भ्रष्टाचार की अम्मा हैं। आप अकेली मायावती को कैसे पकड़ेंगे? वह दिखा देंगी, कई हजार दानदाताओं के नकली नाम, जिन्होंने 20 हजार रु. से कम का चंदा दिया है।
राहुल गांधी की ‘पप्पू’ छवि बनाने वाली भाषण कला के माहिर खिलाड़ी हैं मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने भाषणों में कभी मजाकिया लहजे में तो कभी आक्रामक अंदाज में राहुल गांधी को हमेशा निशाने पर रखते हैं। दरअसल, राहुल गांधी के मामले में अपने भाषणों में मोदी इन दिनों बहुत आक्रामक दिख रहे हैं। मतलब साफ है कि माफ करना उनकी फितरत में नहीं है। और बात जब कांग्रेस और राहुल गांधी की हो, तो वे कुछ ज्यादा ही सख्त हो जाते हैं।
मोदी भी क्या सुब्रत राय के चंगुल में फंसे थे?
सहारा के चंगुल से कौन बड़ा राजनेता बचा है? कैश ही सहारा की सबसे बड़ी ताकत… मोदी भी क्या सुब्रत राय सहारा के चंगुल में फंसे थे? ये सवाल इसलिए भी अहम हो जाता है क्योंकि देश भर के जब सारे चिटफंडियों जैसे रोजवैली की संपत्ति कुर्क की जा रही है, चिटफंड कंपनी के निदेशकों को जेल की सलाखों के पीछे डाला जा रहा है, निचली अदालतों से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक किसी भी चिटफंडियों को जमानत तक नहीं दे रहा है तो सहाराश्री आखिर किस तरह रियायत पाते जा रहे हैं.
राजनीतिक दलों के खाते में पड़े काले धन का क्या कर रहे हैं प्रधानमंत्री जी!
यह देश का दुर्भाग्य ही है कि काले धन के लिए सड़क से लेकर संसद तक बवाल काटने वाले राजनीतिक दलों के खाते में पड़े काले धन का कुछ बिगड़ता नहीं दिख रहा है। सरकार हर जगह बिना हिसाब-किताब वाले धन पर जुर्माना लगाने की बात कर रही है पर राजनीतिक दलों के खाते में 500 और 1, 000 रुपये के पुराने नोटों में जमा राशि पर आयकर नहीं लगाएगी। इसका मतलब है कि आप किसी भी नाम से राजनीतिक दल का रजिस्ट्रेसन करा लीजिये और फिर इसके खाते में चाहे कितना काला धन दाल दीजिए। कोई पूछने वाला नहीं है। देश में हजारों राजनीतिक दल हैं। कितने दल चुनाव लड़ते हैं, बस नाम मात्र के। अधिकतर दल तो काले धन का सफेद करने तक सीमित हैं। ऐसा नहीं कि चुनाव लड़ने वाले दलों के खाते में काला धन नहीं हैं। आज की तारीख में तो राजनीतिक दलों के खाते में अधिकतर धन तो काला ही है। चाहे किसी कारपोरेट घराने ने दिया हो या फिर किसी प्रॉपर्टी डीलर ने या फिर किसी अधिकारी ने। यही हाल देश में कुकुरमुत्तों की तरह खुले पड़े एनजीओ का है।
भ्रष्टाचारियों के लिए वरदान साबित हुई नोटबंदी
कालाधन पर अंकुश के लिये लागू की गई नोटबंदी योजना आम जनता, मजदूर, साधारण व्यापरी, किसानों के लिए अभिशाप साबित हो रही है, वहीं भ्रष्ट व्यवस्था के चलते बैंक अफसरों, दलालों, माफियाओं के लिये यह योजना भी सोने का अण्डा देने वाली मुर्गी साबित हुई है। जहां आम जनता को कई-कई दिनों तक लाइनों में लगने के बाद भी बैंक और एटीएम से हजार रूपये भी नसीब नहीं हो रहे हैं वहीं दलाल-माफियाओं तक करोड़ों की नई करेंसी भण्डार के रूप में जमा हो गई है जो छापेमारी के दौरान जगह-जगह से बरामद हो रही है। जिससे मोदी सरकार की कार्यप्रणाली पर प्रश्न चिन्ह लगना शुरू हो गया है।
मोदी के पीएम पद पर बने रहते हुए सबूत कैसे जुटाए जाएंगे माई लॉर्ड!
Sanjaya Kumar Singh : मामला पर्याप्त सबूत होने या न होने का नहीं है… मामला देश की सर्वोच्च अदालत में है और बड़े-बड़े लोग जुड़े हैं। मेरी कोई औकात नहीं कि इस मामले में टिप्पणी करूं पर जैन हवाला मामले को अच्छी तरह फॉलो करने के अपने अनुभव से कह सकता हूं कि सुप्रीम कोर्ट की चिन्ता जायज है। लेकिन यहां मामला पर्याप्त सबूत होने या न होने का नहीं है। मामला ठीक से जांच कराए जाने का है।
सहारा-बिड़ला से मोदी द्वारा रिश्वत लेने मामले में सुप्रीम कोर्ट के ताजे आदेश पर उठने लगे सवाल
Priyabhanshu Ranjan : पिछले दिनों प्रशांत भूषण और अरविंद केजरीवाल ने ‘आरोप’ लगाया था कि गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी ने सहारा और बिडला ग्रुप से करोडों रूपए की कथित रिश्वत ली। प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी दाखिल कर मामले की एसआईटी जांच कराने की मांग भी की थी। आज सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिका दाखिल करने वाले को पहले पर्याप्त सबूत लाने होंगे, तभी एसआईटी जांच के आदेश दिए जाएंगे। अगर याचिकाकर्ता को ही सबूत लाना है जज साहब, तो एसआईटी जांच के आदेश क्यों दीजिएगा आप? फिर सीधा फैसला ही सुना दीजिएगा तो अच्छा रहेगा। क्यों?
‘इकोनॉमिस्ट’ पत्रिका ने नोटबंदी को बर्बादी लाने वाला एक अधकचरा कदम बताया
अरुण माहेश्वरी
Arun Maheshwari : मोदी का घपला Modi’s bungle… भारत में मोदी के नोटबंदी के क़दम को ‘इकोनॉमिस्ट’ पत्रिका ने अपने ताज़ा अंक (3 दिसंबर) में अच्छे उद्देश्य से बर्बादी लाने वाला एक अधकचरा कदम बताया है। इस लेख में दुनिया के उन देशों का उल्लेख है जिनकी सरकारें ऐसी कार्रवाई करके अपने देशों को बर्बाद कर चुकी हैं। आज तक एक भी देश को ऐसे क़दम से कोई लाभ नहीं हुआ है। “फिर भी मोदी ने उनसे कोई सबक़ नहीं लिया और एक ऐसा घपला कर दिया जिससे उसके घोषित उद्देश्यों के पूरा होने पर भी देश को अनावश्यक नुक़सान होगा।”
…तो पीएम झूठी कहानी कह रहे हैं!
Arun Maheshwari : मुरादाबाद में मोदी जी स्वाइप मशीन से भीख माँगने वाले एक भिखारी की कहानी सुना रहे थे। ऐसा एक वीडियो सोशल मीडिया पर भी चल रहा है। अभी एबीवीपी न्यूज़ ने पड़ताल करके बताया कि यह वीडियो फ़र्ज़ी है। अर्थात, प्रधानमंत्री अपने कैशलेस के विज्ञापन में झूठी कहानी कह रहे हैं।
निजी हाथों में मुनाफा देते पीएम
Nitin Thakur : डिजिटल इंडिया का अगुवा रिलायंस बना.. जबकि मौका बीएसएनएल के पास भरपूर था. कैशलेस इकोनामी का अवतार “रूपे” को बनना चाहिए था लेकिन बाजी पेटीएम के हाथ लगने दी गई. सरकारी संस्थानों को जानबूझकर प्राइवेट कंपनियों का पिछलग्गू बनाकर सरकार फायदा किसे पहुंचा रही है? अगर पालिसी में चेंज आ ही रहा है तो इसका मुनाफा सरकारी उपक्रमों को मिलने के बजाय निजी हाथों में क्यों दे रहे हैं?
नोटबंदी : एक भयावह सच्चाई यह भी!
नोटबंदी से नफा नुकसान का आंकलन किया जा रहा है। लोग इस उम्मीद में खुश है कि दूसरों के घरों में आग लगी है। लेकिन कुछ भयावह सच्चाई और भी हैं जिसे हम स्वीकार करने से कतराएंगे। वह यह है कि बेरोजगारी बढऩे वाली है। इस कारण देश से सुख चैन छिन सकता है। दरअसल नोटबंदी से ढाई लाख करोड़ ब्लैक मनी और नकली नोटों का सरक्यूलेशन बंद हो गया है। इस पैसे के कारण लगभग 3 से 4 करोड़ लोग रोजगारधारी थे।
मोदी जी, आप 8 नवम्बर को सही थे या अब 29 नवम्बर को?
कालेधन के रद्दी कागज को नोटों के रूप में फिर जिंदा क्यों किया… प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी आपने कालेधन के खिलाफ जो सर्जिकल स्ट्राइक की उसे देश की अधिकांश जनता ने तमाम दिक्कतों के बावजूद सराहा। 8 नवम्बर को रात 8 बजे आपने देश के नाम अपने संदेश में नोटबंदी की घोषणा करते हुए कहा कि आज आधी रात यानि 12 बजे के बाद 1000 और 500 रुपए के चल रहे नोट अवैध हो जाएंगे। इससे ईमानदार जनता, कारोबारी, करदाता, गृहणियां कतई न घबराए और वे अपने पुराने नोट दो दिन बाद से 30 दिसम्बर तक बैंकों और डाक घरों में जाकर जमा कर दें और बदले में 500 और 2000 के नए नोट पा लें।
प्रचार-प्रशंसा के भूखे मोदी ने ढाई साल में 1100 करोड़ रुपये विज्ञापनों पर फूंक डाला
केंद्र सरकार ने पिछले ढाई साल के कार्यकाल में पीएम मोदी पर केंद्रित विज्ञापनों पर 1100 करोड़ रुपए ख़र्च किए हैं. आरटीआई कार्यकर्ता रामवीर सिंह के सवालों पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने यह जानकारी दी है. यह खर्च एक जून 2014 से 31 अगस्त 2016 के बीच किया गया. हिसाब लगाया जाए तो इसका मतलब है कि सिर्फ विज्ञापनों पर सरकार ने 1.4 करोड़ रूपए रोज़ाना खर्च किए हैं. देखा जाए तो यह भारत के मंगल अभियान मंगल यान के खर्च से दोगुना है. इसे दुनिया का सबसे कम खर्चीला अंतरग्रहीय अभियान माना जाता है, जिसकी कीमत सिर्फ 450 करोड़ रुपए है.
काले धन के खिलाफ मुहिम को झटका, काली कमाई वालों के सामने सरकार ने घुटने टेके
नरेंद्र मोदी ने 1000 और 500 के नोटों की बंदी कर कालेधन और भ्रष्टाचार पर जो चोट की थी उससे काले धन के खिलाफ एक उम्मीद जगी थी। बड़े काले धन के कुबेरों और उद्योगपतियों के दबाव में मोदी सरकार ने जो नया निर्णय लिया है वह घुटने टेकने वाला है। इस निर्णय के तहत 50 फीसदी टैक्स देकर अघोषित आय को जमा करने के बाद ब्लैक मनी को व्हाइट किया जा सकता है। यह निर्णय देश के उन करोड़ों गरीबों का अपमान है जिनके वाजिब हक़ पर डाका डालकर भ्रष्टाचार के जरिये ये काली कमाई की गयी थी। सरकार इस तरह से काली कमाई को सफ़ेद करने का एक मौका पहले भी दे चुकी है जो कि नहीं देना चाहिए था।
देश को लूटो और 50 प्रतिशत हिस्सा सरकार को देकर छूट जाओ!
वाह मोदी जी… वाह! क्या खूब तमाशा किया… जनता से मांगे 50 दिन और 20वें दिन ही काले कुबेरों की खोल दी लॉटरी…
मोदीजी, देश की जनता के साथ मैंने भी आपको सलाम ठोंका था… 8 नवम्बर को आपने देश की जनता को संबोधित करते हुए यह दृढ़ घोषणा की थी कि रात 12 बजे के बाद काले कुबेरों का कालाधन कागज यानि रद्दी हो जाएगा। आपने देश की ईमानदार जनता को कहा कि वे घबराए नहीं और अपना सफेद धन जो हजार और पांच सौ के नोट में है उसे 30 दिसम्बर तक बैंकों में जमा कर दें। आजाद भारत में नोटबंदी का यह अब तक का सबसे कठोर कदम आपने उठाया, जिसका जनता ने तमाम परेशानियों के बावजूद स्वागत ही किया और इस मामले में विपक्ष भी एक्सपोज हो गया। इसके अगले ही दिन गाजीपुर की सभा में आपने भावुक होते हुए नोटबंदी से परेशान हो रहे आम आदमी की पीड़ा को जाहिर करते हुए 50 दिन मांगे और उसके बाद एक साफ-सुथरा देश देने का वायदा भी किया।
नोट पर रोक : जानिए, आखिर जनता की खुशी का क्या है राज…
500-1000 के नोट पर रोक के आदेश से जहां 16 दिन बाद भी पूरे देश में सड़क से लेकर संसद तक संग्राम छिड़ा है तो बैंक एवं एटीएम जनता की कसौटी पर खरे साबित नहीं हो रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निर्णय से एक-दो दिन तो गरीबों एवं आम जनता में हर्ष की लहर नजर आ रही थी और वह मोदी की वाह-वाह करते नजर आ रहे थे। जब इसकी तहकीकात की तो उनका कहना था कि अब बनियों का कालाधन निकलकर आयेगा और उसका लाभ गरीबों को मिलेगा। जिधर भी मैं निकला और जिस गरीब एवं आम जनता से जहां भी मिला वह इसलिये खुश नजर आ रहा था कि चलो हमें तो परेशानी हो रही है लेकिन अब बनियों की शामत आ जायेगी क्योंकि सबसे ज्यादा धन तो बनियों के ही पास है।
सहारा-बिड़ला से मोदी द्वारा घूस लेने के मामले की सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार
नई दिल्ली : सहारा और बिड़ला से नरेन्द्र मोदी द्वारा घूस लिए जाने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के लिए तैयार हो गया है. इस मामले में अगली सुनवाई शुक्रवार को है. सहारा और बिड़ला ग्रुप की ओर से राजनेताओं को फंड देने के आरोप की याचिका सुनने के लिए सुप्रीम कोर्ट का तैयार हो जाना एक बड़ा घटनाक्रम है. दरअसल इन दो बड़ी कंपनियों पर पड़े छापों में बरामद दस्तावेजों की जांच के लिए गैर-सरकारी संगठन कॉमन कॉज ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.
इधर नोटबंदी, उधर 63 कंपनियों का 7000 करोड़ रुपये का कर्ज माफ
Nitin Thakur : भला हो SBI का.. जो आज 63 कंपनियों के कर्ज़ माफ कर दिए. अब इस खबर के बाद आपको समझने में आसानी होगी कि क्यों नोटबंदी की व्यवस्था ही नहीं बल्कि उसके पीछे की नीयत में भी खोट है. बैंकों के पास कर्ज़ डुबो देनेवाले पूंजीपति मालिकों को फिर से देने को पैसा नहीं है. बस इसीलिए आपकी छोटी बचत को इकट्ठा करके उन्हें आसान ब्याज़ पर हजारों करोड़ देने की तैयारी है. जब तक इकट्ठा होते हैं आप कृपया व्रत करके घंटों लाइन में खड़े रहें. इत्मीनान से रहिए.. राष्ट्र निर्माण हो रहा है. और हां.. कर्ज माफी पानेवालों में वो भगौड़ा माल्या भी है.
पीएम मोदी ने सीएम रहते सहारा समूह और बिड़ला ग्रुप से रिश्वत लिया! (देखें दस्तावेज)
सहारा और बिड़ला द्वारा प्रधानमंत्री मोदी को 55 करोड़ रिश्वत देने की संपूर्ण कथा
प्रधानमंत्री मोदी जब 8 नवंबर को 500 और 1000 रुपए के नोट बंद करने की देश को सूचना दे रहे थे, उससे बहुत पहले सु्प्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण देश की प्रमुख आधा दर्जन से अधिक सरकारी जांच एजेंसियों को लिखकर बता चुके थे कि न सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी ने बल्कि देश के अन्य तीन और मुख्यमंत्रियों ने करोड़ों का कैश उद्योगपतियों से वसूला है… प्रशांत भूषण ने जिन एजेंसियों को डाक्यूमेंट्स भेजे हैं, उनमें सुप्रीम कोर्ट द्वारा कालेधन को लेकर बनाई गई दो सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की स्पेशल इंवेस्टीगेशन टीम, निदेशक सीबीआई, निदेशक ईडी, निदेशक सीबीडीटी और निदेशक सीवीसी शामिल हैं…
रवीश जैसे पत्रकार का ये हाल है तो बाकी रिपोर्टर्स और स्थानीय पत्रकारों का क्या होता होगा?
Rakesh Srivastava : रवीश को धमकाने का काम प्रायोजित है ऐसा मुझे नहीं लगता। बैंको के बाहर की हर लाईन में बहुत लोग प्रधानमंत्री के इस कदम की सराहना करने वाले भी मिलते हैं, इस सच्चाई को झुठलाया नहीं जा सकता। लेकिन, यह भी अपने आप में बहुत बड़ा सवाल है कि मोदी जी के समर्थक टाईप अधिकांश लोग बुली करने टाईप ही क्यों होते हैं। दो चार बुली करने वाले दसियों साधारण लोग की आवाज़ को दबा देते हैं। ऐसा सब जगह हो रहा है। इस प्रवृति को एक्सपोज कर रवीश ने अच्छा किया।
किसानों के दुख-दर्द को तुम क्या जानो मोदी बाबू (देखें वीडियो)
पांच सौ तथा एक हज़ार रूपये के नोट बंद करने के सरकार के फैसले से देश का अन्नदाता किसान परेशान है। हाथरस जिले में भी किसानों को अपनी गेहूं-आलू-जौ आदि की फसलों की बुवाई के लिए बीज तथा खाद का इंतजाम करने में मुश्किल हालातों का सामना करना पड़ रहा है। किसानों का कहना है कि फसलों की बुवाई के लिए बीज तथा खाद के लिए उनके पास पैसा नहीं है। पुराने नोटों से उन्हें बाजार में सामान नहीं मिल रहा है। ऐसे में फसलों की बुवाई पंद्रह से बीस दिन लेट हो गयी है। किसानों का ऐसे में कैसे काम चलेगा, अब तो यह भी उनकी समझ में नहीं आ रहा है।
ग्रामीणों के दर्द को तुम क्या जानो मोदी बाबू (देखें वीडियो)
हाथरस : पांच सौ तथा एक हज़ार रुपये के नोट बंद करने के मोदी सरकार के फैसले से यूपी के हाथरस जिले में ग्रामीणों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीण अपने पुराने नोट बदलने के लिए और उन्हें जमा करने के लिए छः-सात किलोमीटर चलकर बैंकों पर आ रहे है जहां पहले से ही लंबी लाइनें लगी है। इन लाइनों में धक्का मुक्की के बाद भी ग्रामीणों को अपने नोट बदलने तथा जमा करने में सफलता नहीं मिल पा रही है।
टीवी टुडे ग्रुप के पत्रकार संजय सिन्हा ने भी नोटबंदी के तौर-तरीके को कठघरे में खड़ा किया
Sanjay Sinha : मैं अगर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का सलाहकार होता तो जिस दिन पांच सौ और हज़ार रूपए के नोट बंद हुए उस दिन उन्हें सलाह देता कि आप भाषण में यह मत बोलिएगा कि रात बारह बजे के बाद पांच सौ और हज़ार के नोट रद्दी के टुकड़े हो जाएंगे। मैं उनसे कहता कि आप सिर्फ नोट बंद करने का ऐलान कीजिए और जनता को भरोसा दीजिए कि उनके पास जो नोट हैं, उन्हें आप इतने दिनों के भीतर बैंक में जमा करा दें। ये नोट रात 12 बजे के बाद बेशक आम प्रचलन में नहीं रहेंगे पर आप बिल्कुल परेशान न हों, इस नोट पर रिजर्व बैंक की ओर से धारक को इतने रूपए देने का वचन दिया गया है, उस वचन का पालन होगा। हां, इतना ध्यान रहे कि आपसे आयकर वाले जरूर पूछ सकते हैं कि आपके पास ये नकदी आई कहां से। इतना कहने भर से स्थिति काफी आसान हो जाती।
जानिए, नोटबंदी को लेकर ओशो ने कई साल पहले एक प्रवचन में क्या कहा था!
तुम जिसको पैसा समझते हो वह एक मान्यता है अगर किसी दिन सरकार बदल जाए और रातोंरात यह एलान किया जाए कि फलाँ-फलाँ नोट नहीं चलेगा तो तुम क्या करोगे ?
मान्यता को बदलने में देर कितनी लगती है?
यह उत्सवी देश परम पीड़ा से गुजर रहा है : यशवंत सिंह
मैंने कई कारपोरेट घरानों के बड़े लोगों से निजी तौर पर बात की. सबको छह माह पहले से पता था कि हजार और पांच सौ के नोट खत्म किए जाने हैं. मुझसे किसी एक ने संपर्क नहीं किया कि उसके यहां करोड़ दो करोड़ काला धन सड़ रहा है, उसे ह्वाइट कर दे. मैंने तमाम संभावित काले धनियों को फोन किया कि अगर कुछ हो तो बताओ, अपन लोगों के पास बहुते एकाउंट है खपाने के लिए, सबने कहा- सब सेटल हो गया.
मोदी राज में पत्रकारिता करना मना है! सुनिए कारवां पत्रिका के पत्रकार की आपबीती
नोटबंदी से जनता को हो रही परेशानी छुपाने के लिए पुलिस ने पत्रकारों को धमकाना शुरू कर दिया है. घटना दिल्ली के सफ़दरजंग एनक्लेव की है जहां आइसीआइसीआइ बैंक के कर्मचारियों ने अंग्रेज़ी पत्रिका कारवां के पत्रकार सागर के साथ बदसलूकी की. फिर दिल्ली पुलिस ने आईकार्ड देखने के बाद भी उन्हें पत्रकार मानने से इनकार कर दिया. धमकाया यूं- ‘सरकार बदल गई है. ऐसे कहीं वीडियो मत बनाया कर.’
मोदी अगर एनडीटीवी को ठिकाने लगाने पर आ जाएंगे तो एक दिन का नहीं, पूरा ही ब्लैक आउट करा देंगे
Rajat Amarnath : NDTV जहाँ नौकरी पाने का पैमाना होता था कि आपके परिवार में कौन कौन ब्यूरोक्रेसी में हैं ताकि ख़बर के साथ साथ आड़े वक्त पर चैनल का काम निकाल सकें सरकार बदली तो काम निकालने वाले ब्यूरोक्रेट्स भी बदल गए डॉक्टर राय खुद कांग्रेसी हैं इसलिए उन्हीं के समय मे पनपे हैं उनकी पत्नी राधिका राय की बहन हैं वृंदा करात और बहनोई हैं प्रकाश करात जो वामपंथी हैं ये जगजाहिर है ऐसे में ये चैनल सरकारी पक्ष की तो बात करने से रहा और अब जब सरकार ने बाकी चैनलों को बख्श दिया लेकिन NDTV को एक दिन के लिए ब्लैक आउट करने का आदेश दिया तो छटपटाहट शुरू हो गई. अब इसे अघोषित आपातकाल बताया जा रहा है.
प्रश्नों पर जब प्रतिबंध लगे तब दुगुने वेग से दागने चाहिये सवाल (कविता)
प्रश्नकाल
-भंवर मेघवंशी-
प्रश्नों पर जब प्रतिबंध लगे
तब दुगुने वेग से
दागने चाहिये सवाल
सवाल,सवाल और सवाल
अनगिनत ,अनवरत
प्रश्न ही प्रश्न पूछे जाने चाहिये
तभी यह अघोषित आपातकाल
प्रश्नकाल में बदल सकता है.
छप्पन इंच के सीने पर छेद तमाम हैं… अगर छेद दिखाए गए तो बैन कर दिया जाता है…
सच को सच कह दिया था इसी पर मेरे पीछे ज़माना पड़ा है… इस ज़माने में सिर्फ वो सरकार है जिसे सवाल पसंद नहीं, और कुछ भक्तों की संख्या है जिनकी आंखें फूट चुकी हैं.. छप्पन इंच के सीने पर छेद तमाम हैं… और अगर छेद दिखाए गए… तो बैन कर दिया जाता है… 2014 से 2019 तक के बीच के लोगों को खुद को महान समझना चाहिए… क्योंकि उन्हें दोबारा हिटलर को देखने का मौक़ा मिल रहा है… हमें कोरिया जाने की ज़रूरत नहीं है… क्योंकि एक ‘किम जोंग’ हमारे देश में भी फल-फूल रहा है… उसे सवाल पसंद नहीं है, उसे मन की करनी है, उसे किसी की नहीं सुननी है… रावण जैसा अहंकार, बकासुर जैसी सोच, कंस जैसी क्रूरता उसके भीतर कूट-कूट कर भरी है…
ये तीन तरह के लोग एनडीटीवी पर बैन के खतरनाक फैसले को नहीं समझ पाएंगे
Nitin Thakur : एनडीटीवी इंडिया पर बंदिश का फैसला कितना खतरनाक है, ये बात तीन तरह के लोगों की समझ में नहीं आएगी। 1. वो जिन्होंने मजबूरी में पत्रकारिता के पेशे को अपनाया है। 2. किसी और एजेंडे को पूरा करने के लिए इस पेशे में घुस आए लोग। 3. ग्लैमर से अंधे होकर पत्रकारिता की गलियों में आवारगर्दी कर रहे पत्रकार जैसे दिखनेवाले लोग। इनके लिए रिपोर्टिंग करते किसी पत्रकार का पिटना हास्य का विषय है। किसी पत्रकार या पत्रकारिता संस्थान पर चलनेवाले सरकारी डंडे को ये इज़्ज़त देते हैं। दरअसल इन्हें अपने पेशे पर शर्म है लेकिन ये लोग इस पेशे के लिए खुद शर्म का विषय हैं।
मोदी के हाथों पुरस्कार लेने से मना करने वाले पत्रकार अक्षय मुकुल से सेल्फी पत्रकारों को शायद कुछ शर्म आए
Sanjay Kumar Singh : सुधीर चौधरी को रामनाथ गोयनका पुरस्कार देकर एक्सप्रेस के कर्ता-धर्ताओं ने रामनाथ गोयनका, उनके नाम पर दिए जाने वाले पुरस्कार और पत्रकारिता का जो अपमान किया था उसकी भरपाई पत्रकार और लेखक अक्षय मुकुल को उनकी किताब ‘गीता प्रेस एंड मेकिंग ऑफ हिंदू इंडिया’ को गोयनका देकर पूरी कर दी। रही-सही कसर अक्षय मुकुल ने नरेंद्र मोदी के हाथों पुरस्कार लेने से मना करके पूरी कर दी।
जेटली के लौंडे को कार पार्किंग का तरीका समझाने वाले दिल्ली पुलिस के दो सिपाही सस्पेंड
Anand Sharma : जेटली साहब पूरे देश पर कड़ा टैक्स शिकंजा थोपना चाहते हो पहले अपने गोबर औलाद के पुत्र मोह से निकलो. उस कांस्टेबल से मुआफी मांगो और लौंडे को चौराहे पर जूतों से पीटों ताकि तुम बाप बेटों का अहंकार तुम्हारे सड़े दिमाग से निकले…..साले औलाद को पार्किंग की तमीज सीखा नहीं पाए पूरे देश को ईमानदारी सिखाएंगे….ब्लडी इम्पोस्टर….loser…. लीच
केजरीवाल से डरी भाजपा यूपी के साथ गुजरात में भी विस चुनाव कराने के पक्ष में!
Sheetal P Singh : ब्रेकिंग न्यूज़… डेटलाइन गुजरात… गुजरात में एक साल पहले पाँच राज्यों में होने वाले चुनावों के साथ हो सकते हैं विधानसभा चुनाव। TV चैनलों के “ब्लैक आउट” और राष्ट्रीय प्रिंट मीडिया की घबराई रिपोर्ट्स के बावजूद केजरीवाल की सूरत के योगी चौक पर पहली रैली लगभग पूरी शांति से कामयाब हो गई। कुछ युवकों ने काले झंडे लहराये पर उन्हे बिलकुल भी स्थानीय समर्थन नहीं मिला। इसके पहले आप विधायक और गुजरात प्रभारी गुलाब यादव को मंच पर गिरफ्तार करके टीवी की ख़बर बनाने का अमित शाह का प्लान (आप नेता अंकित लाल के ट्वीट के अनुसार) भी धरा रह गया।
भाजपा राज में विमान अपहरण और ‘संपोलों’ को छोड़ा जाना… सुनिए पत्रकार संजय सिन्हा को
Sanjay Sinha : तारीख़ थी 24 दिसंबर। सर्दियों की शाम थी, मैं ज़ी न्यूज़ के दफ्तर से निकल कर घर जाने की सोच रहा था कि ब्यूरो चीफ दौड़ते हुए सीढ़ियों से नीचे उतरे और सीधे संपादक के कमरे में घुसे। सबकी निगाहें उन पर थीं कि आख़िर ये इतनी जल्दी में क्यों हैं? मैं उनके पीछे-पीछे भागा। वो हांफते हुए बस इतना ही कह पा रहे थे कि काठमांडू से दिल्ली के लिए जो विमान उड़ा था, उसका अपहरण हो गया। पूरे न्यूज़ रूम में अफरा-तफरी मच गई।
क्या वाकई पीएम कभी छुट्टी नहीं लेते? आइए जानें असलियत
Satyanand Nirupam : पार्टी का काम करना और अपने कार्यालय का काम करना एक कैसे हो सकता है? नियम क्या कहता है? जानकार मार्गदर्शन करें। पीएमओ के मुताबिक पीएम कभी छुट्टी नहीं लेते। रविवार को भी काम करते हैं। प्रेरणादायी खबर है यह तो देशवासियों के लिए। कितनी अच्छी बात है! गाँधी जी ने कहा था- इस देश में हर व्यक्ति को कम से कम आठ घंटे काम करना ही चाहिए। यह और भी अच्छी बात है कि छुट्टी के रोज भी काम करना चाहिए, ऊपर से कोई छुट्टी भी नहीं लेनी चाहिए।
जाने-अनजाने मोदी सरकार भी अटल बिहारी वाजपेयी वाली सरकार की राह पर जा रही!
हुजूर, इस कदर भी न इतरा के चलिए!
सन् 2004 में इस कदर इंडिया शाइन करने लगा था कि जनता ने केंद्र की अटलबिहारी वाजपेयी सरकार से छुट्टी ले ली थी। दरअसल यह भूखी-नंगी औऱ समस्याओँ से ग्रस्त जनता के जले पर नमक छिड़कने जैसा था। अब इंडिया शाइनिंग की जगह सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) को लेकर नए-नए जुमले गढ़े जा रहे हैं। सत्ता के शीर्ष पर जिसके मुंह से सुनो वही जीडीपी ग्रोथ पर इतराता मिल जाएगा। दिल्ली के सत्ता के गलियारो में जीडीपी ग्रोथ को लेकर हर कोई 56 इंच का सीना किए घूम रहा है। उधर जमीनी हकीकत अपनी जगह है। झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले में भूख से तड़पते एक आदिवासी ने महज 1000 रुपये में अपने बेटे को बेच दिया। यह महज एक उदाहरण है।
मोदी के ‘जय श्री राम’ कहने का रवीश वैसे ही मज़ाक उड़ाएंगे जैसे वरुण गांधी का मज़ाक बनाया था?
Abhishek Srivastava : हां जी, तो दशहरा बीत गया। एक झंझट खत्म हुआ। आइए अब मुहर्रम मनाते हैं, कि दुनिया के सबसे बड़े संसदीय लोकतंत्र के सबसे ऊंचे संवैधानिक पद पर बैठे शख्स ने त्योहार के बहाने पांच बार ”जय श्रीराम” का नारा लगाया और यह कह कर कि आवाज़ दूर तक पहुंचनी चाहिए, जनता को भी ललकार दिया। ‘अपने’ रवीश कुमार कहां हैं भाई? जब प्रधानजी नारा लगा रहे थे, तब मैं सोच रहा था कि क्या रवीश कुमार अपने प्राइम टाइम में वैसे ही उनका मज़ाक उड़ाएंगे जैसे 2009 में पीलीभीत में वरुण गांधी द्वारा चुनावी रैली में यह नारा लगाने पर उन्होंने उनका मज़ाक बनाया था?
पत्रकारिता का मौजूदा दौर और एक्सक्लूसिव खबरों का खेल
एक्सप्रेस ने छापे इस सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत तो हिन्दू ने छापे पिछले सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत
Sanjaya Kumar Singh : खोजी पत्रकारिता भी दरअसल पौधा रोपण या प्लांटेशन की पत्रकारिता ही है। जब इसकी शुरुआत हुई थी तो ढूंढ़-ढांढ़ कर जनहित की खबरें लाई जाती थीं जो आमतौर पर सरकार और शासकों के खिलाफ होती थीं। मीडिया को नियंत्रित करने की सरकार की कोशिशों का नतीजा यह हुआ कि ऐसी खबरों की जगह कम होती गई और फिर पेड न्यूज शुरू हुआ। अब तो ज्यादातर अखबार के लगभग सारे पन्ने पेड न्यूज होते हैं या यूं कहिए कि चाटुकारिता वाले होते हैं। बदले में विज्ञापन मिलता है। नहीं तो विज्ञापन बंद कर देने की धमकी। अब जब खोजी पत्रकारिता मुख्यधारा की पत्रकारिता से गायब हो चली है तो आइए खोजी पत्रकारिता को याद करें। श्रद्धांजलि दें। वैसे यह भी सच है कि ज्यादातर मामलों में खोजी खबरें भी आखिर कोई नाराज ही “लीक” करता है। उद्देश्य उस गड़बड़ी को ठीक करना होता है।
सेना को राजनीति में खींचने के ख़तरे… सर्जिकल स्ट्राइक्स को पब्लिक करने के खतरे…
Mahendra Mishra : सेना को लेकर मोदी सरकार बहुत खतरनाक खेल खेल रही है। यह कितना खतरनाक हो सकता है। शायद उसके नेताओं को भी इसका अहसास नहीं है। सेना सरहद के लिए बनी है। और उसका वहीं रहना उचित है। सेना एक पवित्र गाय है उसको उसी रूप में रखना ठीक होगा। घर के आंगन में लाकर बांधने से उसके उल्टे नतीजे निकल सकते हैं। क्योंकि आप अगर सेना का राजनीतिक इस्तेमाल करते हैं। तो इसके जरिये वह भी राजनीति के करीब आती है। और इस कड़ी में कल उसको भी राजनीतिक चस्का लग सकता है। और एकबारगी अगर राजनीति का खून उसके मुंह में लग गया। तो फिर देश की राजनीति को उसके चंगुल में जाने से बचा पाना मुश्किल होगा।
ओम थानवी ने पूछा- ‘ऑपरेशन जिंजर’ की विस्फोटक खबर को हमारा मीडिया इतना दबकर क्यों दिखा रहा?
Om Thanvi : भाषणबाज़ी, नारों और पोस्टरबाज़ी में कुछ ऐसा संदेश देने की कोशिश हुई मानो सैनिक कार्रवाई देश ने नहीं, भाजपा ने की हो! लेकिन ‘पहली बार सर्जिकल स्ट्राइक’, ‘पहली बार पाकिस्तान को घर में घुस कर मारा’ वाले बड़बोलेपन की पोल “ऑपरेशन जिंजर” के दस्तावेज़ी सबूतों ने खोलकर रख दी है। मनमोहन सिंह शासन में सेना ने 2011 में बदले की वह सनसनीखेज़ कार्रवाई अंजाम दी थी। हाँ, उस पर शासन का बड़बोलापन नहीं दिखा; न सबूत माँगे गए न दिए गए। जबकि हाल की ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ का इतना हल्ला ख़ुद सरकार ने मचा दिया कि लोग (देश में भी, विदेश में भी) दावों की पुष्टि की माँग करने लगे।
द हिंदू अखबार का खुलासा, मोदी का बड़बोलापन और शांत मनमोहन का हासिल…
Sheetal P Singh : Surgical strike पर चली बहस ने सेना के स्वर्णिम इतिहास के तमाम अब तक ज़मींदोज़ रहे घटनाक्रम सतह पर ला दिये । नित नई नई सूचनायें / कथायें प्रकाश में आ रही हैं । द हिन्दू ने ऐसी ही २०११ की एक शौर्यगाथा छापी है । प्रशान्त टंडन की पोस्ट पढ़ें…
पत्रकार दोस्त इफ्तिख़ार गिलानी बोले- आजकल शहर में जितना डर लगता है, उतना जि़ंदगी में कभी नहीं लगा!
Abhishek Srivastava : परसों प्रेस क्लब में दोपहर के खाने के दौरान पत्रकार दोस्त इफ्तिख़ार गिलानी मिले थे। किसी प्रेस कॉन्फ्रेंस से लौटे थे। कह रहे थे कि आजकल शहर में जितना डर लगता है, उतना जि़ंदगी में कभी नहीं लगा। तब भी नहीं, जब 2002 में इसी एनडीए की सरकार में उनके साथ वह हुआ था जो किसी के साथ कभी नहीं होना चाहिए। गिलानी का सदा मुस्कराता हुआ चेहरा देखकर एनडीटीवी की नीता शर्मा (तब एचटी में) का तल्ख़ चेहरा बरबस याद हो आता है, जिन्हें अपने धतकर्म की सज़ा कभी नहीं मिली। इसी दिल्ली में एक कश्मीरी पत्रकार का इंसाफ़ आज तक अधूरा पड़ा है, लेकिन विडंबना देखिए कि उसका अपराधी पुरस्कार पर पुरस्कार बटोरे जा रहा है जबकि कश्मीर के हितैशी पत्रकार सेमिनार किए जा रहे हैं।
क्या एनडीटीवी ने मोदी सरकार के दबाव में चिदंबरम का इंटरव्यू नहीं दिखाया?
Sanjaya Kumar Singh : एनडीटीवी पर कार्रवाई हो, इसकी आड़ में ब्लैकमेल गलत है… एनडीटीवी के खिलाफ कोई वित्तीय मामला है। यह हमेशा से कहा जाता रहा है। एनडीटीवी का स्पष्टीकरण भी आता रहा है। सरकार के खिलाफ मीडिया संस्थानों पर आरोप कोई नई बात नहीं है और सरकार समर्थक माने जाने वाले मीडिया संस्थान पर विपक्षी दल आरोप लगाएं इसमें भी कुछ नया नहीं है। पर भड़ास 4 मीडिया की आठवीं सालगिरह के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में भारतीय राजस्व सेवा के अधिकारी संजय कुमार श्रीवास्तव ने बिना नाम लिए एनडीटीवी का जिक्र किया था और श्रोताओं को यह यकीन दिलाया था कि दाल में कुछ तो काला है। परोक्ष रूप से उनका कहना यही था कि संस्थान में पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम का बेनामी निवेश है जिसकी जांच करने से उन्हें रोका गया।
कारगिल जीतने वाले रक्षा मंत्री जार्ज फर्नांडीस ने तो कभी अपना अभिनंदन नहीं कराया
Arvind K Singh : पिछले तीन दशक में कारगिल से बड़ी जंग तो कोई और हुई नहीं..उसमें बड़ी संख्या में जवानों की शहादत हुई। मैने भी उसे कवर किया था। लेकिन मुझे याद नहीं आता कि उस दौर के रक्षा मंत्री जार्ज फर्नांडीस ने इस मुद्दे पर अपना अभिनंदन समारोह कराया हो….अगर गलत हूं तो बताइएगा। फिर रक्षामंत्री जी आपने ऐसा क्या कर दिया। न फैसला आपका, न उसे लागू कराने गए आप…जो काम जिसने किया है उसको देश की जनता दिल से शुक्रिया कर रही है। आप तो इसे राजनीतिक रंग देने में लग गए हैं वह भी उत्तर प्रदेश में जहां चुनाव हो रहा है। सर्जिकल स्ट्राइक के मसलेपर कड़ा फैसला लेने का श्रेय प्रधानमंत्री श्री मोदी को ही मिलेगा किसी और को नहीं।
भाजपा ने सर्जिकल स्ट्राइक को कैश कराना शुरू किया, यूपी में रक्षा मंत्री जगह-जगह अभिनंदन करा रहे
Mahendra Mishra : जिस बात की आशंका थी आखिरकार वही हुआ। रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर अपना अभिनंदन कराने आगरा और लखनऊ पहुंच गए। उन्होंने न दिल्ली को चुना। न जयपुर। न हैदराबाद। और न ही देश का कोई दूसरा इलाका। चुनाव वाला उत्तर प्रदेश ही इसके लिए उन्हें सबसे ज्यादा मुफीद दिखा। सर्जिकल स्ट्राइक को अब कैश कराने का वक्त आ गया है। क्योंकि सरहदी एटीएम में वोट भरे पड़े हैं। लिहाजा बीजेपी अब उसे भुनाने निकल पड़ी है।