रामा शंकर सिंह-
कल एक मंत्री के अशुद्ध ग़लत अंग्रेज़ी भाषा के ट्वीट को सामने लाया गया तो कई “ जबर बुद्धिवादी” आकर बचाव करने लग गये कि अशुद्ध ग़लत अंग्रेज़ी लिखने से कोई मूर्ख साबित नहीं होता और सही लिखने से कोई पंडित नहीं माना जा सकता। मान लिया।
अब यह नई विदेश राज्य मंत्री श्रीमती मीनाक्षी लेखी द्वारा हिंदी की भी ऐसी तैसी करने का पुराना मामला प्रस्तुत है। मंत्री जी भारत देश में ही पढ़ी हैं , मॉं बाप / सास ससुर भी हिंदी / पंजाबी भाषी थे । वकील के नाते अंग्रेज़ी और हिंदी में जिरह कर लेती हैं। भाजपा के प्रवक्ता के नाते खूब धाराप्रवाह हिंदी में बोलती है।
पर अपनी मातृभाषा / राष्ट्र भाषा में मामूली शब्दों को लिखना नहीं आता ! दोशब्द भी ठीक से नहीं लिख पायी एक स्कूल में।
आइये इसका भी बचाव करिये और हमला बोलिये कि सही भाषा का आग्रह फासीवाद है। चार किताब पढ़ कर ज्ञान बघारने वालो चालू हो जाओ।