भारत की सत्ता के साउथ ब्लाक में कानाफूसी है कि मोदी अपनी विदेश मंत्री सुषमा से नाराज़ है. उनकी नाराजगी नये विदेश सचिव की नियुक्ति पर उठे सवालों को मीडिया तक पहुंचाने पर है. मोदी और उनके सलाहकार चाहते हैं कि विदेश सचिव के पद पर सुब्रहमण्यम जयशंकर को नियुक्त किया जाये.
सुब्रहमण्यम जय शंकर फिल्हाल अमरीका में भारतीय राजदूत हैं. पीएमओ ने जैसे ही मौजूदा विदेश सचिव सुजाता सिंह को हटाय जाने के संकेत दिये तो विदेश मंत्री सुषमा स्वराज सुजाता सिंह के पाले में खड़ी दिखायी दीं. उन्होंने अपने विभाग के कुछ अधिकारियों के सामने यह कहा कि सुजाता सिंह बेहतर काम कर रहीं हैं और अभी उनके कार्यकाल में आठ महीने भी बाकी हैं. सुषमा ने डिप्लोमेटिक चैनल से अपनी मंशा पीएमओ तक पहुंचा दी. सुषमा को उसी चैनल से वापस जवाब मिला कि सुब्रहमण्यम जयशंकर अमरीका से पहले सिंगापुर और चीन में भारत के राजदूत रह चुके हैं. उनका अनुभव प्रधानमंत्री की ‘लुक ईस्ट’ पॉलिसी को क्रियान्वित करने में जादा काम आएगा.
यह भी कहा जा रहा है कि सुब्रहमण्यम जयशंकर अपने अनुभव से ईस्ट-वेस्ट में बेहतर संतुलन बना सकेंगे. सुषमा स्वराज ने इसके बावजूद विदेशों में अब तक भारत की छवि और अपनी प्रतिष्ठा का हवाला दिया. इस पर उनको बताया गया कि पूर्ववर्ती यूपीए सरकार भी सुब्रहमण्यम जयशंकर को विदेश सचिव बनाना चाहती थी लेकिन तत्कालीन दो वरिष्ठ कांग्रेसियों के दबाव के चलते सुजाता सिंह को विदेश सचिव बनाया गया था. अब समय और हालात को देखते हुए सुब्रहमण्यम जयशंकर को विदेश सचिव नियुक्त करना उचित होगा. गौरतलब है कि सुजाता सिंह उसी पूर्व आईबी निदेशक टीवी राजेश्वर की बेटी हैं. जिन पर कांग्रेस हमेशा रहती थी. मोदी की पूर्ववर्ती यूपीए सरकार भारतीय विदेश सेवा के वरिष्ठ अधिकारी सुब्रहमण्यम जयशंकर को भी दो साल का सेवा विस्तार दे चुकी है. बहरहाल, नये विदेश सचिव की नियुक्ति पर पीएमओ और विदेश मंत्रालय के बीच कहासुनी और कानाफूसी का दौर जारी है.