कोरोना आपदा रोकने और प्रबंधन में नाकाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी छवि सुधारने के लिए आज पांच बजे देश के नाम संबोधन में मुफ्त टीकाकरण की घोषणा की. सुप्रीम कोर्ट से लेकर ममता बनर्जी के हमलों को झेल रहे पीएम मोदी इस मुफ्त टीकाकरण को मास्टर स्ट्रोक की तरह पेश कर रहे हैं.
इस बीच दो खास बातें हुईं. योगी और मोदी विवाद को हवा दे रहे लोगों के लिए एक तस्वीर जारी की गई है जिसमें योगीजी पीएम का संबोधन इत्मीनान से सुनते दिखाई पड़ रहे हैं. माना जा रहा है कि मीडिया में तूल पकड़े योगी मोदी विवाद को मैनेज करने की कवायद के तहत ये फोटो रिलीज की गई है.
उधर, केंद्र सरकार जिस कार्टूनिस्ट मंजुल के कार्टून से परेशान होकर ट्विटर से उनके कार्टून हटवाने का अनुरोध किया है, उसी मंजुल ने पीएम मोदी के संबोधन के बाद एक नया कार्टून जारी कर दिया है जो खूब वायरल हो रहा है.
पीएम के संबोधन पर कुछ त्वरित टिप्पणियां देखें-
Prakash K Ray-
देर आयद, दुरुस्त आयद. प्रधानमंत्री ने निशुल्क टीकाकरण पर सही फ़ैसला लिया है. कोविड कुप्रबंधन के कारण हो रही आलोचनाओं और राजनीतिक झटकों का असर पड़ा है. उनके भाषण का पहला हिस्सा इस चिंता से ग्रस्त था कि किसी तरह लोगों को यह भरोसा दिलाया जाए कि सरकार टीकाकरण और दूसरी लहर में काम कर रही है. इस वजह से उस हिस्से में उनमें भरोसे की कमी साफ़ दिख रहा था. दूसरा हिस्सा इस आत्मविश्वास पर आधारित था कि निशुल्क टीकाकरण का मास्टरस्ट्रोक पीछे की ग़लतियों पर परदा डाल देगा और फिर से राजनीतिक पूँजी वापस आ जायेगी. इससे सर्वोच्च न्यायालय में हो रही सुनवाई और राज्यों की आलोचना से भी छुटकारा मिलने की उनकी उम्मीद है. इस हिस्से में उनकी भाव-भंगिमा में बदलाव भी साफ़ देखा जा सकता था. यदि प्रधानमंत्री यूनिवर्सल वैक्सीनेशन की नीति को घोषित तौर पर अपनी नीति में शामिल कर लें, तो अच्छा होगा क्योंकि अब तक ऐसे ही टीकाकरण होता आया है. उन्होंने संबोधन में नीतिगत स्पष्टता की बात कही, यह ठीक नहीं है. उनकी कोई भी नीति न तो सुविचारित है और न ही उसमें स्पष्टता है.
Prashant Singh-
आपको ये स्पष्ठ रूप से मालूम होना चाहिए कि मुफ्त वैक्सीनेशन कोई मास्टरस्ट्रोक नहीं है। सुप्रीम कोर्ट 5 रोज पहले केंद्र सरकार को उसके पेड वैक्सीनेशन पॉलिसी को लेकर फटकार लगा चुका था। उस वक्त भी ये लोग माने नहीं और बेफिजूल की दलीलें देते हुए कहने लगें- “कोर्ट सरकारी नीतियों में दखल नहीं दे सकता”।
आपको मालूम है कोर्ट ने इसके जवाब में क्या कहा? पढ़िए- “संविधान ने हमें जो भूमिका सौंपी है, हम उसका पालन कर रहे हैं। संविधान के मुताबिक, जब कार्यपालिका लोगों के अधिकारों का उल्लंघन करे, तो न्यायपालिका मूकदर्शक नहीं रह सकता” स्पष्ठ है कि कोर्ट की नज़र में ये सरकार नागरिकों के अधिकारों का हनन कर रही थी।
उसी रोज जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एलएन राव और जस्टिस एसआर भट्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए पूछा भी था- “केंद्र ने इस साल वैक्सीनेशन के लिए 35 हजार करोड़ का बजट रखा है। केंद्र यह स्पष्ट करे कि अब तक ये फंड किस तरह से खर्च किया गया है। यह भी बताए कि 18-44 आयु वालों के मुफ्त टीकाकरण के लिए इसका इस्तेमाल क्यों नहीं किया गया?
अब देखिए, जो कुछ रोज़ पहले कोर्ट को ये कहते घूम रहे थे ‘सरकार की नीतियों में कोर्ट दखल न दे’। आज उसी कोर्ट और संवैधानिक ताकत के डर से ये मुफ्त वैक्सीनेशन की घोषणा करने आ गए।
बाकी जो जानकारी एक पत्र जारी करके देश को बताई जा सकती थी, उसके लिए इन्होंने 35 मिनट से ज्यादा का वक्त केवल हेडलाइन चमकाने के लिए ले लिया। ऐसे ही इनको आत्ममुग्ध नहीं कहा जाता!
Anil Sinha-
प्रधान जी सुधरने वाले नहीं हैं. एक से एक झूठ बोले जा रहा हैं और राज्य बनाम केंद्र करने पर आमादा हैं. सुप्रीम कोर्ट की फटकार के कारण उन्हें मुफ्त टीकाकरण की घोषणा करनी पड़ी है और अब इसका राजनितिक लाभ उठाने की कोशिश कर रहे हैं. मुफ्त टीकाकरण अभियान के कारण भारत 1979 में चेचक और 1997 में पोलियो से मुक्त हो गया. बच्चों को मुफ्त टीके लगाने का अभियान भारत में सालों से चला आ रहा है. फिर भी वह कह रहे हैं कि 2014 के बाद उन्होंने इस अभियान को सफल बनाया.. प्रधान जी ने एक और झूठ बोला कि कोरोना का टीका बनाने में सरकार ने मदद की. एक तो कोविशील्ड का शोध विदेश में हुआ है और सरकारी कंपनियों को शोध के लिए केंद्र ने कोई सहायता नहीं दी. इतने लोग मर गए , लेकिन ये अपनी पीठ थपथपा रहे हैं. यह दुखद है.
Deepankar Patel-
पूरे देश में ब्लैक फंगस से जूझ रहे लोगों के लिए दवाई की भारी कमी है,
प्रधानमंत्री बोल रहे हैं कि हमने विदेशों से जरूरी दवाई मंगवाई, प्रोडक्शन बढ़ाया.
क्या ब्लैक फंगस की दवाई परिधान मंत्री की जरूरी दवाओं की सूची में नहीं है?
ऐसा झूठा आदमी नहीं देखा.
अभी भी लोग मर रहे हैं,अभी भी ये झूठ बोल रहे हैं.
अब जब इस वक्त दुनिया भर से दवाएं मंगवाई जा सकती है, पूरे देश में दवाई की कमी है.
जैसे जैसे महामारी कमजोर पड़ रही है भाषणों का टाइम और फ्रीक्वेंसी बढ़ रही.
पांच-पांच दिन इस सरकार ने जरूरी दवाओं वेंटीलेटर और आक्सीजन कंसेंट्रेटर को एयरपोर्ट पर सड़ाया है, क्लीयरेंस ही नहीं दिया, विदेश से मदद आ गयी कोई एयरपोर्ट से ले जाने वाला नहीं.
लेकिन आज बोल रहे मदद आयी उसे प्राप्त किया गया.
ये नहीं बताएंगे प्राप्त करके एयरपोर्ट पर सड़ाया गया.
Anu Shakti Singh-
ओके जनता जनार्दन, अब तो प्रभु ने भी कह दिया है वैक्सीन ज़रूरी है। वे ख़ुद लगवा भी चुके हैं। आप भी लगवाइए और जितनी हो सके जागरूकता फैलाइए। आगे के किसी वेव को रोकने का सबसे कारगर तरीक़ा अधिक से अधिक लोगों तक वैक्सीन लगवाने को लेकर जागरूकता फ़ैलाना है। प्लीज़ मदद के लिए आगे आइए। यह हमारी, हमारे समाज की सुरक्षा का प्रश्न है।