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विवाद के बाद बंद हुए ‘उर्दू टाइम्स मुंबई’ अखबार को ‘मुम्बई उर्दू न्यूज़’ नाम से लाने की तैयारी!

मुम्बई । उर्दू टाइम्स मुंबई का पिछले 3 महीने से प्रकाशन बन्द हो गया है। इसकी वजह चाचा भतीजे के बीच पारिवारिक सम्पत्ति का बटवारा बताया जा रहा है। सईद अहमद और इम्तेयाज के बीच चल रहे विवाद में मुम्बई का एक पुराना उर्दू अखबार लगभग 3 महीना पहले से पूरी तरह बन्द हो गया है। अभी तक दोनों फरीक किसी नतीजे पर नही पहुँचे है। अब उर्दू टाइम्स के पार्टनर सईद अहमद के भतीजे इम्तेयाज मुम्बई उर्दू न्यूज़ नामक अखबार लाने की जुगत में हैं।

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मुम्बई । उर्दू टाइम्स मुंबई का पिछले 3 महीने से प्रकाशन बन्द हो गया है। इसकी वजह चाचा भतीजे के बीच पारिवारिक सम्पत्ति का बटवारा बताया जा रहा है। सईद अहमद और इम्तेयाज के बीच चल रहे विवाद में मुम्बई का एक पुराना उर्दू अखबार लगभग 3 महीना पहले से पूरी तरह बन्द हो गया है। अभी तक दोनों फरीक किसी नतीजे पर नही पहुँचे है। अब उर्दू टाइम्स के पार्टनर सईद अहमद के भतीजे इम्तेयाज मुम्बई उर्दू न्यूज़ नामक अखबार लाने की जुगत में हैं।

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कहा तो यह भी जा रहा है कि इम्तेयाज ने उर्दू टाइम्स के नाम से मिलता जुलता नाम रजिस्टर्ड कराने की पूरी कोशिश किया मगर नाकामी हाथ लगी जिसके बाद वह 2010 में साप्ताहिक के तौर पर रजिस्टर्ड मुम्बई उर्दू न्यूज़ नामक अखबार को दैनिक कर उर्दू टाइम्स की मार्किट पर अपना कब्ज़ा जमाना चाहते है। मगर अभी तक रजिस्ट्रार आफ न्यूज़ पेपर आफ इण्डिया की वेबसाइट पर मुम्बई उर्दू न्यूज़ साप्ताहिक के तौर पर ही दर्ज है।

सूत्रों की मानें तो उर्दू टाइम्स के पुराना स्टाफ इम्तेयाज अहमद के साथ है इसी बल पर इम्तेयाज उर्दू टाइम्स की मार्केट पर कब्ज़ा ज़माने का सपना देख रहे हैं। लगभग 3 महीने से मुम्बई की मार्किट से गायब अखबार को पाठक पचा पाएंगे, यह अब भी एक बड़ा सवाल है। जहां तक उर्दू पाठकों की बात है तो उर्दू टाइम्स विवाद का सबसे बड़ा फायदा जागरण समूह के रोज़नामा इंक़लाब को मिला है और उसके ज़्यादातर पाठको ने इंक़लाब को अपना लिया, इसलिए इम्तेयाज के लिए आज के समय में यह नया तजरबा कितना कारगर साबित होगा, वह अखबार के मार्केट में आने के बाद साफ़ हो पायेगा मगर इतना तो है मुंबई उर्दू न्यूज़ का जो नाम है उसको उर्दू टाइम्स की तरह हूबहू नकल किया गया है।

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सूत्रों के अनुसार इस अखबार का विमोचन देश के किसी बड़े मुस्लिम राजनेता से कराने की तैयारी चल रही है। मगर उर्दू टाइम्स का इतिहास और अतीत मुम्बई के पाठक वर्ग से लेकर हर किसी की ज़ुबान पर है। ऐसे में इस अखबार के लिए मुम्बई में पैठ बनाना आसान नहीं होगा। वैसे इस पारवारिक झड़गे की मुख्य वजह पेड न्यूज़ से मिले माल और एक पेज पर दो दलों को हराना जिताना बताया जा रहा है। इम्तेयाज अहमद इन सब मुद्दों पर महज़ यह कहकर निकल गए कि जल्द ही सब कुछ साफ़ हो जाएगा। फिलहाल मुम्बई उर्दू न्यूज़ का प्रचार पम्पलेट के ज़रिये तेज़ी से किया जा रहा है। वैसे उर्दू टाइम्स ने भी मुम्बई विश्व प्रहरी टाइम्स के नाम से एक तजरबा 12 साल पहले किया था मगर नाकामी हाथ लगी। अब देखना यह होगा कि उर्दू नाम से यह प्रयोग कितना सफल होता है।

मुंबई से दानिश आजमी की रिपोर्ट. संपर्क: [email protected]

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