Nadeem : आदरणीय शिवपाल यादव जी, यौम ए आज़ादी पर बहुत बहुत मुबारकबाद। आज जश्न का दिन है, कोई शिकवा शिकायत नहीं होनी चाहिए आज के दिन, इसलिए पशोपेश में था कि यह खत आपको लिखूं या नही? लेकिन अख़बारों में पढ़ा आपका बयान हमें मजबूर कर गया आपको खत लिखने के लिये।
– आपने कहा है कि सपा के ही लोग कमजोर लोगों पर दमन कर रहे हैं। जमीनों पर कब्जे कर रहे हैं और थाने-तहसीलों में दलाली कर रहे हैँ। आपके बयान के बाद आपके कुछ नज़दीकी लोगों से बात हुई। वे अभिभूत हैं कि आप जनता की आवाज़ बनकर उभरे हैं जो अपनी सरकार के गलत कार्यों पर भी ऊँगली उठा रहे हैं।
– लेकिन हमारा सवाल कुछ और है। अगर कमजोर लोगों का दबाया जा रहा है या थाने-तहसील में दलाली चल रही है तो इसे रोकने की जिममेदारी किसकी है? मायावती की? बीजपी वालों की? कांग्रेस की? कतई नही। हम जनता ने इन पार्टियों को नकारा मान लिया था तभी तो 2012 के चुनाव में आपको इतने बड़े बहुमत से सरकार में पहुचाया था। आप तो सरकार है। दलाली और दबंगई रोकना तो आपकी जिम्मेदारी है फिर आपसे किससे रोना रो रहे हैं?
– आपने कहा है कि दलाली और दबंगई नही रुकी तो आप इस्तीफ़ा दे देंगे।नहीं मंत्री जी नही, यह तो पलायन हुआ। आपने तो हमसे स्वच्छ प्रशाशन देने के नाम पर वोट लिया था। अब जब इलेक्शन के सिर्फ छह महीने रह गए हैं तब आप इस्तीफ़ा देकर भागने की बात कर रहे हैं? यह तो हमारे वोट का अपमान होगा।
– मंत्री जी, कुछ लोग हमारे कान में कुछ और बता रहे हैं। मुझे लगता है कि आपका शुभ चिंतक होने के नाते उसे शेयर करना चाहिए। कहा जा रहा की आप अपने भतीजे से खुश नही चल रहे हैं। आपका यह बयान उसे राजनितिक रूप से मुश्किल में डालने के लिए दिया है। मंत्री जी अगर ऐसा भी है तो आपका दामन भी पाक साफ़ नही रह पायेगा। किसी सरकार की नाकामी का ठीकरा किसी एक पर नहीं फूटता। सब के सब उसके लिए जिम्मेदार होते हैं।
– मुझे यकीन है आप मेरी बातों से नाराज नहीं होंगेऔर न ही यह शंका पालेंगे कि यह खत मैंने आपके विरोधियों की शह पर लिखा है। अगर मैं आपका अहित चाहता होता तो आपके इस बयान से बहुत आनन्दित होता और सोचता कि ऐसे दो चार बयान आप और दें क्योंकि आपको अंदाज़ा नही होगा कि इस एक बयान से आपको कितना नुक्सान हुआ है।
– शिवपाल जी, आज इतना ही। नेता जी को मेरा प्रणआम बोलियेगा।
आपका शुभ चिंतक
नदीम
नवभारत टाइम्स दिल्ली में वरिष्ठ पद पर कार्यरत पत्रकार नदीम की एफबी वॉल से.