Connect with us

Hi, what are you looking for?

उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति के अध्यक्ष प्रांशु मिश्र के नाम नवेद शिकोह का खुला पत्र

…. आँखों से आँखें मिलाकर कैसे शरमाओगे तुम

भाई प्रांशु मिश्र

आपको पत्र लिखते वक्त मुझे अपनी एक गजल की कुछ पंक्तियाँ याद आ गयी :-

चाँद-तारों को जमी पर कैसे ला पाओगे तुम,
जुगनुओ को रौशनी में कैसे चमकाओगे तुम।
या हया अपनाओ या फिय बेहया हो जाओ तुम,
आँखों से आँखें मिलाकर कैसे शरमाओगे तुम?

<p>.... आँखों से आँखें मिलाकर कैसे शरमाओगे तुम</p> <p>भाई प्रांशु मिश्र</p> <p>आपको पत्र लिखते वक्त मुझे अपनी एक गजल की कुछ पंक्तियाँ याद आ गयी :-</p> <p><strong>चाँद-तारों को जमी पर कैसे ला पाओगे तुम,</strong><br /><strong>जुगनुओ को रौशनी में कैसे चमकाओगे तुम।</strong><br /><strong>या हया अपनाओ या फिय बेहया हो जाओ तुम,</strong><br /><strong>आँखों से आँखें मिलाकर कैसे शरमाओगे तुम?</strong> </p>

…. आँखों से आँखें मिलाकर कैसे शरमाओगे तुम

भाई प्रांशु मिश्र

Advertisement. Scroll to continue reading.

आपको पत्र लिखते वक्त मुझे अपनी एक गजल की कुछ पंक्तियाँ याद आ गयी :-

चाँद-तारों को जमी पर कैसे ला पाओगे तुम,
जुगनुओ को रौशनी में कैसे चमकाओगे तुम।
या हया अपनाओ या फिय बेहया हो जाओ तुम,
आँखों से आँखें मिलाकर कैसे शरमाओगे तुम?

Advertisement. Scroll to continue reading.

इसका आशय ये है कि आप सच या झूठ, सही या गलत, दोस्ती या दुश्मनी, बेईमानी या ईमानदारी, विरोध या समर्थन, दो में से किसी एक को ही अपना सकते हैं। यदि आप तानाशाही और भ्रष्टाचार की व्यवस्था का हिस्सा बन जाते है तो फिर आपको इसका विरोध करने का हक कहा रह जायेगा। फिर तो आप ऐसी व्यवस्था के समर्थक ही कहे जाओगे।

आमतौर से जब कोई चुनाव जीतता है तो उसके चाहने वालों को खुशी होती है। पर आपको ifwj में निर्विरोध राष्ट्रीय पार्षद चुने जाने से आपके चाहने वाले दुखी हैं।

Advertisement. Scroll to continue reading.

बच्चा-बच्चा जानता है कि ये चुनाव पूरी तरह से अवैध था। असंवैधानिक, अलोकतांत्रिक और लोकतांत्रिक व्यवस्था का मजाक था। क्या आप IFWJ की काजल की कोठरी मे रहकर अपनी बेदाग छवि बचा पायेगे ? या फिर इस पद को अस्वीकार कर यहाँ की अनियमितताओ के खिलाफ जंग छेड़कर पत्रकारों के बीच बने भरोसे को कायम रखेंगे ? बीच का कोई रास्ता नहीं है। आपको कोई एक रुख अपनाना होगा।

उतर प्रदेश मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति के चुनाव में बहुत उम्मीद के साथ सैकड़ों पत्रकारों ने आपको अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी दी थी। पत्रकार संगठनो और उसके नेताओ की तानाशाही आपका चुनावी मुद्दा था । आप साफ-सुथरी छवि वाले नयी पीढ़ी के जिन्दा पत्रकार है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

( जिन्दा पत्रकार का आशय है-ऐसा वर्किग जर्नलिस्टस जिसकी मीडिया में एक ग्राउंड हो, जिसके बैनर को लोग जानते हो,, देखते हो/ पढते हो। जो अपनी खबरों के जरिये हजारो- लाखो या करोड़ों लोगों से जुड़ा हो। जबकि पत्रकारों की राजनीति/ संगठनों में ऐसे 90% मुर्दा पत्रकार शामिल होते है जिनकी पत्रकारिता की कोई बैक ग्राउंड ही नहीं। न वो लिखते हैं और न ही पढ़ते है और उनका फर्जी मीङिया बैनर महज कागजो की खानापूर्ति और भ्रष्टाचार पर आधारित होते है। या फिर वो जिन्होंने तीस- पैतीस साल पहले भले ही तीन-चार साल ही पत्रकारिता की हो, पर तीस-बत्तीस साल से अति सीनियर पत्रकार के तौर पर सिर्फ पत्रकारों की राजनीतिक ही से ही अपनी रोजी-रोटी चलाते है। ऐसे पत्रकारो को भी मै मुर्दा पत्रकार कहता हूँ। )

Advertisement. Scroll to continue reading.

पत्रकार संगठनों के नाम पर पत्रकारिता की छवि धूमिल करने वालों को बेनकाब करने करने की चुनौती आपके चुनावी मुद्दों में शामिल थी। चुनाव के समय GBM में पत्रकारों ने बरसो से चली आ रही upwju/ प्रेस क्लब की अनियमितताओ और इसमें सुधार लाने का मुद्दा उठाया था। upwju/ प्रेस क्लब से आहत पत्रकारों को भरोसा था कि आप उनी उम्मीदो पर खरे उतरेगे । चुनाव जीतने के बाद upwju की अनियमितताओ को लेकर यहाँ के अध्यक्ष हसीब सिद्दीकी साहब को आपने खुला पत्र भी लिखा। ये पत्र खूब चर्चा मे रहा। हर पत्रकार तक पहुँचा। लोग खुश थे- चलो अब बरसों-बरस की – पीढियो पुरानी इस समस्या/ तानाशाही/ कब्जा/ भ्रष्टाचार के खिलाफ पहली बार किसी युवा पत्रकार नेता ने शंखनाद कर दिया। पत्रकारों की इस उम्मीद की रौशनी का ये चिराग ठीक से रौशन भी नही हुआ था कि आपकी किसी ख्वाहिश की हवा से बुझता हुआ दिखाई देने लगा। पीढ़ियों की कुव्यवस्था, तानाशाही, झूठ-फरेब और लोकतांत्रिक व्यवस्था का खुलेआम मजाक बनाने वाले चुनाव में आप निर्विरोध चुन लिये गये। आप जाने-पहचाने पत्रकार और राज्य मुख्यालय से मान्यता प्राप्त पत्रकारों के नेता है। upwju के अध्यक्ष हसीब सिद्दीकी साहब को लिखे गये पत्र से ज्ञात हुआ था कि आप upwju और प्रेस क्लब के कारनामो से भी भलीभाँति अवगत है। फिर भी आपको ये तक नहीं पता चला कि जिस चुनाव में आपको निर्विरोध चुना गया है वो चुनाव असंवैधानिक है, अलोकतांत्रिक हैं, लोकतांत्रिक व्यवस्था का मजाक है। झूठ है, छल है, धोखाधड़ी है, फरेब है, आँखों में धूल झोकना जैसा है। ये कैसे हो सकता है कि आपको ये सब पता न हो। और अगर मालुम था तो ऐसे चुनावो का विरोध करने के बजाय सत्य की लड़ायी लड़ने वाला, ईमानदार और साफसुथरी छवि वाला कोई पत्रकार कथित तौर पर किसी निर्विरोध पद को क्यों और कैसे स्वीकार कर सकता है।

क्या दुनिया का कोई ऐसा चुनाव हो सकता है जिसमे वोटरो/ नामांकन करने की इच्छा रखने वालों ( upwju के सदस्यों ) को चुनाव की कोई खबर ही नही दी गयी।

Advertisement. Scroll to continue reading.

जायज और संवैधानिक चुनाव के लिये अति आवश्यक नियमो के तहत क्या चुनाव से पहले कोई अधिसूचना चस्पा की गयी ? क्या ये अवगत कराया गया कि ifwj का कौन सदस्य चुनाव मे सम्मिलित हो सकता है और कौन नही। देर से फीस जमा करने वाले वोट नही दे सकते थे। चुनाव नही लड़ सकते थे। किसी प्रत्याशी के प्रस्तावक भी नही बन सकते थे। ये अति आवश्यक बाते आम सदस्यो से क्यो छिपायी गयी ? क्या आप बता सकते है कि ifwj के चुनाव के लिये upwju के सदस्यो को किस माध्यम से ( ई मेल, वाट्सअप, फोन, एस एम एस, चिट्ठी, मौखिक, डू टू डोर या डुगडुगी के माध्यम से ) चुनाव होने की सूचना दी गयी थी। मेरी जानकारी मे तो किसी को किसी रूप से भी कोई भी जानकारी नही दी गयी। अपने गोल के लोगो ने ही मिलजुल कर फर्जी चुनाव का नतीजा घोषित कर दिया।

चंद लोग ही जो इनके गोल के नही है इन्हे अन्दर से किसी तरह चुनाव की खबर मिल गयी तो वे पर्चा भर पाये।

Advertisement. Scroll to continue reading.

मैने करीब 90% upwju के सदस्यो ( वोटरो ) से बात की।सबका कहना था कि उनको किसी प्रकार से भी किसी चुनाव की कोई भी सूचना नही दी गयी। यहाँ तक कि प्रेस क्लब मे ऐसी कोई सूचना चस्पा तक नही की गयी।

अब आप ही बताइये। क्या बिना-दूल्हा दुल्हन को बताये हम उनकी शादी रचा सकते है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

क्या ऐसा संभव है कि पिता को पता न हो और संतान पैदा हो जाये?

क्या किसी मारुफ अखबार ने आईएफडब्लूजे के कथित चुनाव की खबर छापी ? इतने बड़े संगठन का यूपी के बड़े शहरों आगरा कानपुर इलाहाबाद गोरखपुर मेरठ में नामलेवा तक क्यो नहीं?

Advertisement. Scroll to continue reading.

चुनाव न हो इसलिए लखनऊ में ९ का कोटा था मगर १८ पार्षद चुन डाले। यूपी के तमाम जिले से एक भी नहीं।

यह कैसे हो सकता है कि बीते २६ साल से अध्यक्ष पद के लिए कोई नामांकन ही नही करता है?

Advertisement. Scroll to continue reading.

क्या ३० सालों में यूपी के आधे से भी कम यानी ३० जिलों में इतने सदस्य भी न बना पाए कि हर जिले से दो दो राष्ट्रीय पार्षद चुन कर आ सकें। क्या यही नेतृत्व की काबिलियत है।

सबसे अहम बात यह कि क्या हसीब साहेब के नेतृत्व वाली यूपीडब्लूजे कानपुर ट्रेड यूनियन कार्यालय से पंजीकृत हैं। अगर है तो उसके कागज सार्वजनिक किए जाएं। वरना दुकान बंद की जाए।

Advertisement. Scroll to continue reading.

कभी पता किया कि कितने सदस्यों को श्रमजीवी पत्रिका मिलती है?

चुनाव के ये नियम कब और किसकी सहमति से बनाए गए। क्या इन नियमों को वर्किंग कमेटी ने पारित किया था। कौन चुनाव अधिकारी है और क्या वर्किंग कमेटी ने उसे बहुमत से नियुक्त किया था।अगर किया था तो वह मिनट सार्वजनिक किए जाएं। चुनाव अधिकारी कब संगठन का सदस्य बना और उसे किस आधार पर किसकी मरज़ी से इतना बड़ा काम सौपा गया।

Advertisement. Scroll to continue reading.

प्रांशु भाई आप अक्सर दिखाई देते है। आपसे मुलाकात भी होती है। आप मिलनसार हैं, व्यवहारिक है। पत्रकारों के दुख- दर्द और समस्याओं पर नजर आते है आप। ये तमाम बातें और सवाल आप से मिलकर भी कर सकता था। लेकिन ये शिकायतें/सवाल/जिज्ञासाये/ फरियादे सिर्फ मेरी नही सैकड़ों पत्रकारों की हैं। ये सिर्फ मेरा पत्र नही पूरे पत्रकार बिरादरी के मन की बाते है। इसलिये इन बातो को पत्रकारों के वाट्सअप ग्रुपस और फेसबुक के माध्यम से आपको प्रेषित कर रहा हूं। ताकि पत्रकारों के बीच पारदर्शिता बनी रहे। और तमाम पत्रकार इस गुफ्तुगु के गवाह बने।

जवाब जरूर दीजियेगा। सैकड़ों पत्रकार आपके जवाब और आपके फैसले का इन्तजार करेंगे।

Advertisement. Scroll to continue reading.

धन्यवाद आपका
नवेद शिकोह
(सिर्फ एक साधारण पत्रकार)
लखनऊ

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

0 Comments

  1. Vivek sharma

    February 15, 2016 at 9:35 pm

    Never in a span of 42 years born and brought in a journalism environment had ever thought of such a political views.Seems any election in press is a arena of politics.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement