भंसाली को स्वरा की चिट्ठी… आपकी फिल्म देखकर ख़ुद को मैंने महज एक योनि में सिमटता महसूस किया

प्रिय भंसाली साहब,

सबसे पहले आपको बधाई कि आप आखिरकार अपनी भव्य फिल्म ‘पद्मावत’- बिना ई की मात्रा और दीपिका पादुकोण की खूबसूरत कमर और संभवतः काटे गए 70 शॉटों के बगैर, रिलीज करने में कामयाब हो गए. आप इस बात के लिए भी बधाई के पात्र हैं कि आपकी फिल्म रिलीज भी हो गई और न किसी का सिर उसके धड़ से अलग हुआ, न किसी की नाक कटी. और आज के इस ‘सहिष्णु’ भारत में, जहां मीट को लेकर लोगों की हत्याएं हो जाती हैं और किसी आदिम मर्दाने गर्व की भावना का बदला लेने के लिए स्कूल जाते बच्चों को निशाना बनाया जाता है, उसके बीच आपकी फिल्म रिलीज हो सकी, यह अपने आप में बहुत बड़ी बात है. इसलिए आपको एक बार फिर से बधाई.

एनडीटीवी में भयंकर छंटनी पर प्रेस क्लब आफ इंडिया ने लिखा प्रणय रॉय को पत्र

To

Dr. Prannoy Roy,
Founder-Chairperson, NDTV
NEW DELHI

Dear Dr. Roy,

Warm Greetings from the Press Club of India.

As this year comes to an end, there are disturbing reports emanating from the NDTV which refer to massive reduction and lay-offs of employees connected with the news operations of your organisation.

प्रभात खबर देवघर संपादक के नाम खुला पत्र

संपादक जी!

मैं अपने इस पत्र की शुरुआत जॉन एलिया की इस पंक्ति कि ”बहुत से लोगों को पढ़ना चाहिए मगर वो लिख रहे हैं” के साथ करना चाहता हूँ। आपकी मौजूदगी, जानकारी और सहमति के साथ इन दिनों प्रभात खबर देवघर संस्करण जिस रास्ते की ओर चल रहा है, उस बाबत आपको यह पत्र लिखने के अलावा मेरे पास कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा है। बड़े लोग कहते है सबसे मुश्किल होता है सत्य की रक्षा करना और आज के समय में सबसे आसान होता है अपने आप को दलाल बना लेना।

दैनिक भास्कर ने अपने कर्मियों से कहा- ”10 लाख नए पाठक जोड़ने हैं, प्रति पाठक 150 रुपये मिलेंगे!”

दैनिक भास्कर ग्रुप ने ऑफिशियल लेटर जारी कर अपने कर्मियों को इस साल 10 लाख नये पाठक जोड़ने का टारगेट बताया है और इसके लिए उसने अपने कर्मियों को ऑफर दिया है कि वे नये पाठक जुड़वायें जिसके लिए उन्हें प्रति पाठक 150 रुपये का कमीशन या प्रोत्साहन राशि मिलेगी। बहरहाल इस ऑफर के बाद कुछ कर्मी यह सोच रहे हैं कि क्या अब पत्रकारिता “टारगेट जॉब” तो नहीं बन जायेगी? हो सकता है कस्टमर न लाने वालों का इंक्रीमेंट/प्रमोशन भी कंपनी रोक दे।

आइसा छात्र नेता नितिन राज ने जेल से भेजा पत्र- ‘रिश्वत देकर रिहाई कतई कुबूल नहीं’

सरकारों का कोई भी दमन और उनके भ्रष्टतंत्र की कोई भी बेशर्मी और बेहयाई क्रांतिकारी नौजवानों के मंसूबों को तोड़ नहीं सकती……

साथियों,

आज शायद भारतीय छात्र आन्दोलन अपने इतिहास के सबसे दमनात्मक दौर से गुजर रहा है, जहाँ छात्रों को अपनी लोकतान्त्रिक माँगो को लेकर की गई छात्र आन्दोलन की सामान्य कार्यवाही के लिए भी राजसत्ता के इशारे पर महीनों के लिए जेल में डाल दिया जा रहा है. छात्र आन्दोलन से घबराई योगी सरकार, जो कि इसे किसी भी शर्त पर कुचल देना चाहती है, हमें इतने दिनों तक जेल में रख कर हमारे मनोबल को तोड़ने की कोशिश कर रही है. लेकिन हम क्रान्तिकारी परम्परा के वाहक हैं हमारे आदर्श भगतसिंह और चंदू हैं, सावरकर नहीं, जो जेल के भय से माफ़ीनामा लिखकर छूटे और अंग्रेजों की दलाली में लग गए. हमें अगर और दिनों तक जेल में रहना पड़ा तब भी हम कमजोर पड़ने वाले नहीं हैं.

पत्रकारिता दिवस मनाने प्रेस क्लब जा रहे उत्तराखंड के सीएम को देहरादून के पत्रकारों की एक पाती

सीएम साहब के नाम पत्रकारों की पाती

आदरणीय मुख्यमंत्री जी, सुना है आप पत्रकारिता दिवस मनाने प्रेस क्लब जा रहे हैं। महोदय जाना न जाना आपका विवेकपूर्ण निर्णय होना चाहिए। कुछ तथ्य आपके ध्यानार्थ हैं।

पत्रकार राजीव रंजन नाग की सामंती मानसिकता और घटिया हरकत से नाराज विपिन धूलिया ने लिखा खुला पत्र, पढ़ें

Mr. Rajiv Ranjan Nag

President

Press Association, New Delhi

Lounge, P.I.B., Shastri Bhavan, New Delhi

Dear Friend

Zee News वाले Sudhir को एक पत्र : ये डिज़ाइनर पत्रकार क्या होता है चौधरी साब?

ज़ी न्यूज़ के एक प्रोग्राम डीएनए में सुधीर चौधरी बार बार डिज़ाइनर पत्रकार और सच्ची पत्रकारिता का जिक्र कर रहे थे. मन में उनसे कुछ पूछने की इच्छा जागी है. अगर आपके माध्यम से मेरी बात उन तक पहुँच सके तो आभारी रहूँगा.

Regards,
Karamvir Kamal
Editor
The Asian Chronicle
editor.theasianchronicle@gmail.com

खबर से भड़के डीएम ने जारी किया आदेश : ‘हिंदुस्तान’ अखबार के इस उगाहीबाज रिपोर्टर को आफिस में घुसने न दें!

Dinesh Singh : मैं नहीं जानता कि बाका के जिलाधिकारी के दावे में कितनी सच्चाई है। बिहार में हिन्दुस्तान की स्थापना के समय से जुड़े होने के चलते मैंने देखा है कि रिमोट एरिया में ईमानदारी के साथ काम करने वाले पत्रकार भी भ्रष्ट अधिकारियों के किस तरह भेंट चढ़ जाते हैं। मैं यह नहीं कहता कि सारे पत्रकार ईमानदार हैं मगर मैं यह भी कदापि मानने के लिए तैयार नहीं हूं कि सारे पत्रकार चोर और ब्लैकमेलर ही होते हैं।

टीवी संपादक प्रसून शुक्ला ने कश्मीर मामले पर पीएम को लिखे संतोष भारतीय के पत्र का यूं दिया जवाब

प्रधानमंत्री जी,

जम्मू-कश्मीर की सैर पर गये चंद संपादक और बुद्धिजीवी यह साबित करने पर तुले हैं कि मसला पाकिस्तान नहीं बल्कि कश्मीर है. इतिहास और भूगोल की सलाह देने वाले कथित स्टोरी राइटर्स से आपको इससे ज्यादा उम्मीद भी नहीं करनी चाहिए. भारत का इतिहास साक्षी है कि यह धरती केवल चंद्रगुप्त मौर्य, साम्राट अशोक, पृथ्वीराज चौहान जैसे वीरों की ही जननी नहीं रही बल्कि जयचंद जैसे कंलक भी इसी की कोख से जन्म लेते रहे हैं. मोदी जी, जनता को शुरू से मालूम है कि आप नेहरू नहीं हैं, गांधी भी नहीं हैं. इसीलिए ही जनता ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री चुना है. आपको करोड़ों-करोड़ लोगों ने जाति-धर्म बंधन को तोड़कर जन आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए चुना है. इसीलिए आपकी एक भी गलती की माफी नहीं होगी. आप आकांक्षाओं के पहाड़ के नीचे हैं. लेकिन इससे आप मुकर नहीं सकते.

युवा महिला पत्रकार रीवा सिंह का एक खुला ख़त, दुनिया के तमाम सिरफिरे आशिकों के नाम…

Riwa Singh : एक खुला ख़त दुनिया के तमाम सिरफिरे आशिकों के नाम… नासमझ आशिकों, तुम मिलते हो हमें हर गली-सड़क-चौराहे पर। मोहल्ले के हर नुक्कड़ पर किसी न किसी की राह तकते हुए। तुम किसी को पसंद करते हो जिसे ‘बेपनाह मुहब्बत’ कहते हो और फिर इस प्रेम की व्याख्या करने को अपने दोस्तों से यह भी कह देते हो कि वो न मिली तो मर जाऊंगा। प्रेम के इस स्तर की जब अति हो जाती है तो यह सुनने को मिलता है कि वो सिर्फ़ मेरी है। मेरी नहीं हुई तो किसी की नहीं होगी।

यूपी में जंगलराज : जेल के चिकित्साधिकारी को क्यों है मौत का अंदेशा, पढ़िए पूरा पत्र

सेवा में
महानिदेशक, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य
महानिदेशालय स्वास्थ्य भवन लखनऊ उ.प्र.
विषय – हत्या से पूर्व का बयान
महोदय

सविनय निवेदन है कि मैं जिला कारागार फिरोजाबाद में चिकित्साधिकारी के पद पर तैनात हूँ। मैं डायबिटीज का मरीज़ हूँ और सुबह-शाम इन्सुलिन लेता हूँ। जनवरी 2016 में जब मैं नवीन प्रा. स्वास्थ्य केंद्र इटौली पर तैनात था, तब मुझे पैनिक एंग्जायटी की समस्या हो गई थी। ढाई महीने तक नियमित दवा लेने और 21 फरवरी से 22 मार्च तक स्वास्थ्य लाभ हेतु अर्जित अवकाश लेने के बाद में पूरी तरह ठीक हो गया।

बेटियों के नाम असीमा भट्ट का खुला ख़त

प्यारी बेटियों

आज तुम सब से कुछ ज़रूरी बात करना चाह रही हूँ. राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में ‘छऊ’ सीखते हुये पैर तोड़कर मेसोनिक क्लिनिक, जनपथ दिल्ली के  आर्थोपेडिक से मिली तो हम दोस्त बन गए. उन्हें नाटक देखना बहुत पसंद था इसलिए अक्सर नाटक देखने आते थे. एक दिन डॉक्टर नरेन ने मुझसे पूछा कि अकेली औरत होते हुए क्या दिक्क़तें आईं?

मैंने कहा- वही जो पूरे युनिवेर्स की औरतों को…..

चीफ रिपोर्टर के नाम पत्र : आपको सिर्फ पुरुषों से प्राब्लम क्यों है?

आदरणीय चीफ रिपोर्टर जी
सन्मार्ग
कोलकाता

आपको प्रणाम।

मुझे तो पहचान ही गये होंगे आप। मैंने 3-4 साल आपके अधीन काम किया था लेकिन आपके रवैये के कारण मुझे सन्मार्ग छोड़कर कम तनख्वाह पर दूसरे अखबार में नौकरी करनी पड़ी। उस वक्त आप चीफ रिपोर्टर ही थे। अभी किस पद पर हैं पता नहीं इसलिए चीफ रिपोर्टर ही संबोधित कर रहा हूँ। मैंने पहले तय किया था कि सन्मार्ग को पत्र लिखूंगा और लिख भी चुका था लेकिन पिछली रात जब अपने पुराने दिन याद कर रहा था तो मुझे खयाल आया कि क्यों न सीधे आपको ही पत्र लिखूं इसलिए सन्मार्ग को लिखे पत्र को अपने लैपटॉप से डिलीट किया और फिर आपको पत्र लिखा।

गुलाब कोठारी जी, इमरजेंसी तो आपने अपने आफिस में लगा रखी है

‘जर्नलिस्ट जयपुर’ नामक एफबी एकाउंट की वॉल पर पोस्ट किया गया पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी के नाम खुला पत्र….

माननीय गुलाब कोठारी जी,

आपका विशेष संपादकीय ‘ये भी इमरजेंसी’ पढ़ा। आपने जिस तरह आपके अखबार ‘राजस्थान पत्रिका’ को दिए जाने वाले सरकारी विज्ञापनों पर रोक लगाने को लेकर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पर हमला बोलते हुए इसे “जनता की सुध ना लेने” से जोड़कर आगामी चुनाव में सत्ता ना मिलने का चेताया है, यह मुझे प्रभावित कर गया!! किसी मुद्दे पर आपकी और मुख्यमंत्री की लड़ाई में सरकारी विज्ञापनों पर अघोषित रोक को आपने जिस तरह इमरजेंसी करार दिया है, यह पढ़कर तो जनता भी भौंचक रह गई होगी!! जनता में भी डर समा गया होगा कि कहीं सोशल मीडिया पर सरकार के खिलाफ कुछ लिखने से उनकी कॉलोनी में अघोषित बिजली कटौती शुरू ना हो जाए!! वगैरह-वगैरह!!

कोलकाता के तीन हिंदी अखबारों के स्थानीय संपादकों के नाम एक पूर्व मीडियाकर्मी का पत्र

आदरणीय
रेजिडेंट एडिटर्स जी

प्रभात खबर,
दैनिक जागरण
राजस्थान पत्रिका
कोलकाता

सबसे पहले तो मैं आप लोगों को प्रणाम करता हूँ। सामने होेते तो दिल पर पत्थर रखकर आपके पैर भी छू लेता। बाकी चीजें छूने में मेरी कोई रुचि नहीं है। मेरी वैसे कोई औकात नहीं है कि आप जैसे धुरंधर, पारखी और पत्रकारिता के क्षेत्र में नये मानदंड तय करने वाले महान लोगों को पत्र लिखूं। मैं एक मसिजीवी हूँ और मेरा परिचय बस इतना है कि भारतमित्र से मैंने अपना करियर शुरू किया था। बाद में सन्मार्ग, कलयुग वार्ता और फिर सलाम दुनिया में कलम घिसने का काम किया। फिलहाल दिल्ली में हूँ।

भूरिया ने ऐसे अखबार के पक्ष में संसद में आवाज उठाई जिसे कर्मचारी शोषण में गोल्ड मेडल मिलना चाहिए

आदरणीय भूरिया जी,

नमस्कार,

सुबह-सुबह राजस्थान पत्रिका के प्रथम पेज पर आपकी मीडिया के दमन को लेकर चिंता के विषय में पढ़ा। अच्छा लगा। मीडिया के अधिकारों की बात होनी चाहिए। पुरजोर तरीके से मीडिया की दबती आवाज, अभिव्यक्ति, आजादी आदि-आदि के लिए लड़ना चाहिए। पर, आश्चर्यजनक तो यह है कि आप संपूर्ण मीडिया के लिए लड़े नहीं। एक विशेष अखबार की आपको चिंता हुई। कोई विशेष कारण। आखिर क्या मजबूरी थी? आपने कहा, अखबार के विज्ञापन रोकना लोकतंत्र विरोधी है। यह बात हजम नहीं हुई।

भास्कर प्रबंधन एक जालसाज-वसूलीबाज को बचाने के लिए ब्रांड इमेज भी दांव पर लगाने को तैयार! (पढ़िए डीएनई आदित्य पांडेय की चिट्ठियां)

मीडिया के साथियों….

मैं आदित्य पांडे इंदौर डीबी स्टार में 3 अगस्त 2008 से कार्यरत हूं और फिलहाल डीएनई की पोस्ट पर हूं. लगभग 3 साल पहले संपादक के तौर पर आए श्री मनोज बिनवाल को मैं कभी भी पसंद नहीं रहा क्योंकि वे कमोबेश हर खबर में पैसा बनाने की राह तलाशने को पत्रकारिता मानते हैं. दिसंबर 2015 में मनोज बिनवाल ने मुझे सूचना दी कि न्यू ईयर टीम के साथ मुझे काम करने के लिए नेशनल एडीटर कल्पेश याग्निक ने चुना है. मैंने इस टीम में काम किया और एक जनवरी 2016 से मैं फिर अपने मूल काम यानी डीबी स्टार में लौट आया.

मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के नाम एक खुला ख़त : आप दोबारा उत्तर प्रदेश के सीएम न बनें

आदरणीय अखिलेश यादव जी,
मुख्यमंत्री
उप्र सरकार

सबसे पहले तो मैं आपको अपने बारे में बता दूं। मैं उसी उत्तर प्रदेश का एक साधारण सा नागरिक हूं, जिसके आप मुख्यमंत्री हैं। काम से ‘जर्नलिस्ट’ हूं, आपका प्रशंसक हूं और आज भी इस मुगालते में जी रहा हूं कि मेरा पेशा लोगों की आवाज़ उठाना है। मैंने कभी आपसे सीधे मिलने की कोशिश नहीं की, न ही इस तरह का कोई पत्र कभी लिखा। हालांकि कई बार मेरा मन कहता था कि आपको लिखूं, कभी आपकी प्रशंसा करूं या कभी जोर से चीखूं कि यह क्या तमाशा लगा रखा है!

राजस्थान हाईकोर्ट के वकील डॉ. विभूति भूषण शर्मा ने भी दिया रोहित सरदाना के पत्र का जवाब

श्री रोहित सरदाना जी,

जिस तरह से आपने रवीश की चिठ्ठी के जवाब में चिठ्ठी लिखी उससे ये प्रतीत होता है कि रवीश कुमार की चिठ्ठी ने आपके मनो मस्तिष्क में बहुत गहरे से प्रहार किया, आपकी चिठ्ठी पढ़कर ऐसा लगा कि रवीश कुमार की कलम ने आपको नंगा कर दिया और आप तिलमिला उठे। रवीश ने चिठ्ठी लिखी अकबर को और चोट लगी आपको, मामला संदिग्ध है, बहुत कुछ स्वतः ही स्पष्ट हो जाता है क्योंकि अकबर को लिखी चिठ्ठी केवल अकबर के लिए नहीं बल्कि अकबर जैसों के लिए थी, यद्दपि अकबर जैसों में आप बरखा दत्त, राजदीप सरदेसाई, पुण्य प्रसून बाजपेई और आशुतोष को रखते हैं लेकिन आपका दर्द बयान करता है कि आपको ऐसा लगा कि जैसे रवीश कुमार ने ये चिठ्ठी आपको लिखी हो।। रवीश जी ने तो पहले विजय माल्या सहित बहुत लोगों को इसी अंदाज में चिट्ठियाँ लिखी है लेकिन तब आपको टीस नहीं हुई। इस चिठ्ठी को पढ़कर आपका दर्द बड़ा बेदर्द निकला।

पत्रकारिता में रोजगार की हालत से दुखी मुंबई के एक पत्रकार ने प्रधानमंत्री मोदी जी को खुला पत्र लिखा

Subject: मोदी जी आप से निवेदन, पत्रकारिता क्षेत्र में रोजगार के लिए कुछ कदम उठाएंगे

To:

Prime minister

pmosb@pmo.nic.in

PresidentofIndia

presidentofindia@rb.nic.in

rti-pmo.applications@gov.in

सेवा में
श्रीमान नरेंद्र मोदी जी
प्रधानमंत्री

नमस्कार,

मैं आज एक विश्वास के साथ यह पत्र आप को लिख रहा हूँ कि अन्य विभागों की तरह लोकशाही के चार स्तंभ में से एक पत्रकारिता में युवाओ के रोजगार पर भी ध्यान देंगे। अंग्रेजों से आजादी की लड़ाई से लेकर आज तक देश के विकास में पत्रकारिता का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। समय के साथ पत्रकारिता में बदलाव आया है। जैसे कि आजादी की लड़ाई में पत्रकारिता का उद्देश्य अंग्रेजों से कलम की लड़ाई थी लेकिन आज समय के अनुसार यह बदलकर व्यापार बन गया है। आज के युवा पत्रकारिता की डिग्री लेकर अपना भविष्य बनाने में लगे हैं। डॉ भीमराव आंबेडकर, लोकमान्य गंगाधर तिलक, अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर आज के वरिष्ठ पत्रकारों को अपने आदर्श के रूप में देखते हुए युवा अपना भविष्य पत्रकारिता में बनाने के उद्देश्य से पत्रकारिता में आ रहे हैं।

अरविंद कुमार सिंह का रोहित सरदाना से सवाल- सुधीर चौधरी को चिट्ठी लिख कभी पूछा कि जिंदल से सौदेबाजी क्यों करनी चाही थी?

Arvind K Singh : रवीश कुमार की चिट्ठी पर चिट्ठी…. रवीश कुमार की चिट्ठी पर एक पत्रकार साथी रोहित सरदाना ( जीन्यूज) ने कुछ सवाल खड़ा किया है। हालांकि ये दोनों पत्रकार साथी ऐसे नहीं है जिनके साथ मैने काम किया हो या कोई गहरा संबंध हो। लेकिन बात मुद्दे की उठी है तो बिना हस्तक्षेप किए रहा नहीं जा रहा है। रवीश कुमार का जहां तक मैने आकलन किया है, उनसे मेरा दूर का संबध है। फिर भी कभी कभार उनको एकाध सलाह दी तो उसे माना और जवाब भी दिया। इसमें कोई संदेह नहीं कि वे ऐसे तमाम मुद्दों को उठाते हैं जिस पर आम तौर पर मुख्यधारा का टीवी शांत रहता है।

एमजे अकबर के नाम रवीश कुमार और रवीश कुमार के नाम रोहित सरदाना के पत्र की सोशल मीडिया पर खूब चर्चा

पहला पत्र रवीश कुमार का एमजे अकबर के नाम…..

आदरणीय अकबर जी,

प्रणाम,

ईद मुबारक़। आप विदेश राज्य मंत्री बने हैं, वो भी ईद से कम नहीं है। हम सब पत्रकारों को बहुत ख़ुश होना चाहिए कि आप भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता बनने के बाद सांसद बने और फिर मंत्री बने हैं। आपने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा। फिर उसके बाद राजनीति से लौट कर सम्पादक भी बने। फिर सम्पादक से प्रवक्ता बने और मंत्री। शायद मैं यह कभी नहीं जान पाऊँगा कि नेता बनकर पत्रकारिता के बारे में क्या सोचते थे और पत्रकार बनकर पेशगत नैतिकता के बारे में क्या सोचते थे? क्या आप कभी इस तरह के नैतिक संकट से गुज़रे हैं? हालाँकि पत्रकारिता में कोई ख़ुदा नहीं होता लेकिन क्या आपको कभी इन संकटों के समय ख़ुदा का ख़ौफ़ होता था?

बिना सहमति इंटरव्यू छापे जाने से नाराज रामबहादुर राय ने आउटलुक को लिखा लेटर, एडिटर्स गिल्ड में मुद्दा उठाएंगे

केंद्र सरकार द्वारा वित्त पोषित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आइजीएनसीए) के अध्‍यक्ष और वरिष्ठ पत्रकार राम बहादुर राय का इंटरव्यू एक साप्ताहिक पत्रिका ‘आउटलुक’ ने छापा है जिसमें राम बहादुर राय को यह कहते हुए दिखाया गया है कि संविधान निर्माण में डॉ बीआर आंबेडकर की कोई भूमिका नहीं थी. आरएसएस से जुड़े छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पूर्व महासचिव राय के ‘आउटलुक’ को दिए साक्षात्कार के अनुसार राय ने कहा कि आंबेडकर ने संविधान नहीं लिखा था. आंबेडकर की भूमिका सीमित थी और तत्कालीन प्रशासनिक अधिकारी बीएन राऊ जो सामग्री आंबेडकर को देते थे, वे उसकी भाषा सुधार देते थे. इसलिए संविधान आंबेडकर ने नहीं लिखा था. अगर संविधान को कभी जलाना पड़ा तो मैं ऐसा करने वाला पहला व्यक्ति होऊंगा. 

पीएमओ को लेटर लिखने पर ‘जनसंदेश टाइम्स’ पत्रकार विनायक राजहंस को पीएफ राशि देने को मजबूर हुआ

Vinayak Rajhans : पिछले करीब दो साल से अपने पीएफ की राशि को पाने के लिए मेरा संघर्ष रंग लाया. मेरे पूर्व नियोक्ता ‘जनसंदेश टाइम्स’ और पीएफ ऑफिस लखनऊ की उदासीनता के चलते इनके खूब चक्कर लगाने पड़े. मेरे पीएफ खाते में पैसे ही नहीं जमा किए गए थे जबकि वेतन से काटा गया था.

जेएनयू के साथियों को पत्र

प्रिय कामरेड,
लाल सलाम।

सबसे पहले तो मैं यह स्पष्ट कर दूं कि मैं आप लोगों के संघर्ष के साथ हूं। जब आप लोग जेल में थे तो मैं भी उन रैलियों का हिस्सा था जो आप लोगों के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ दिल्ली में निकाली गईं थी। बैनर और पोस्टर के साथ मैं भी मंडी हाउस और अम्बेडकर भवन से जंतर मंतर गया था। यकीनन आप लोग न्याय के पक्ष में खड़े है और हर संवेदनशील व्यक्ति को ऐसा ही करना चाहिए। आज की जरूरत यही है।

एसएमबीसी इनसाइट चैनल का लाइसेंस रद्द करने के लिए मंत्रालय के सचिव को भेजा पत्र

सेवा में,
सचिव
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय
ए विंग, शास्त्री भवन
नई दिल्ली

विषय : एसएमबीसी इनसाइट चैनल द्वारा अपलिंकिंग/डाउनलिंकिंग दिशानिर्देशों के उल्लंघन के संदर्भ में

महाशय,

उपरोक्त विषय के संदर्भ में सूचित करना है कि सी मीडिया सर्विस प्रा. लि. द्वारा संचालित न्यूज चैनल एसएमबीसी इनसाइट लगातार सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार के अपलिंकिंग/ डाउनलिंकिंग के लिए तय दिशा निर्देशों का उल्लंघन कर रहा है। इस संदर्भ में मैं आपका ध्यान निम्न बिन्दुओं की तरफ दिलाना चाहता हूं…

ये एसएमबीसी चैनल में क्या चल रहा है भाई, दनादन गिर रहे हैं नोटिस और लेटर….

सी मीडिया सर्विसेज प्राइवेट लिमिेटेड नामक कंपनी एसएमबीसी नामक एक न्यूज चैनल चलाती है. इस चैनल में अंदरखाने जबरदस्त बवाल चल रहा है. चैनल के सीएमडी श्रीराम तिवारी ने सुशील खरे को एक मेल भेजा है. सुशील खरे का पद इस मेल में आनरेरी सीईओ का दिखाया गया है. यानि सुशील खरे ऐसे सीईओ हैं जो अवैतनिक हैं. पत्र में क्या लिखा गया है, आप खुद पढ़ लीजिए. उधर, सुशील खरे ने सी मीडिया प्राइवेट लिमिटेड जबलपुर मध्य प्रदेश और डा. प्रकाश शर्मा मैनेजिंग डायरेक्टर सी मीडिया सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड को तीन पन्ने का लीगल नोटिस भिजवाया है. सारे लेटर व लीगल नोटिल नीचे है, पढ़िए और बूझिए…

वेतन मांगने पर बाहर कर दिए गए सहाराकर्मी का एक खुला पत्र उपेंद्र राय के नाम

प्रतिष्ठार्थ
श्री उपेंद्र राय,
एडिटर इन चीफ
सहारा मीडिया
नोएडा

विषय- आपकी कथनी और करनी में अंतर के संर्दभ में

महोदय

मैं सहारा राष्ट्रीय सहारा देहरादून से विगत आठ साल से जुड़ा एक कर्मचारी हूं। इस दौर में मैंने देखा जो मौज सहारा के अफसर और उनके चमचे लेते रहे हैं, वह किसी की नहीं है। हम कुछ लोग खच्चर की तरह सहारा के लिए काम करते रहे और बाकी मौज लेते रहे। महोदय, यह सही है कि पहले सहारा में नौकरी को सरकारी माना जाता था और एक तारीख को वेतन एकाउंट में आ जाता था। विगत डेढ़ साल से सहारा में वेतन भुगतान संबंधी समस्या है। तर्क दिया जा रहा है कि कंपनी संकट में है तो कृपया आप हमें बता दें कि जब कंपनी संकट में नहीं थी तो प्रबंधन ने कितनी बार हमारी सेलरी बढ़ाई?

भगत सिंह का अंतिम पत्र

साथियों,

स्वाभाविक है कि जीने की इच्छा मुझमें भी होनी चाहिए, मैं इसे छिपाना नहीं चाहता. लेकिन मैं एक शर्त पर जिंदा रह सकता हूँ, कि मैं क़ैद होकर या पाबंद होकर जीना नहीं चाहता.

भास्कर चंडीगढ़ वालों ने पवन अग्रवाल और सुधीर अग्रवाल को भेजा एक गोपनीय मेल, आप भी पढ़ें

pawan@dbcorp.in

sudhir@dbcorp.in

Dear Sir

This is to bring into your kind notice that there are some very unethical things going on which should not be acceptable in any organization at any level. For you reference, we are the employees of Chandigarh team and we are trying to escalate it, hoping that once day will come when every thing will be fine. We have tried to do it earlier also at our unit level but nothing happened unfortunately.

संगठन पर उपजे सवालों पर राव साहब से जवाब मांगता एक पत्र

कामरेड श्री के. विक्रम राव

साथी कामरान ने अपने पत्र में जो सवाल उठाये उसको भी पढ़ा और उसके बाद उनको जिस तरह से धमकी भरे अंदाज में जवाब दिया गया उसको भी पढ़ा. एक नवनिर्वाचित पार्षद जो युवा भी है उत्साहित भी है और संगठन के लिए समर्पित भी है. कामरान ने क्या गलत किया कामरान ने संविधान माँगा आपने बदले में उसको ढेर सारा ज्ञान दिया मगर संविधान फिर भी नहीं दिया. आखिर जिस संविधान को वेबसाईट लेने की बात की जा रही है उसको उसी मेल से क्यूँ नहीं भेज दिया जा रहा है. आखिर इस गोपनीयता की वजह क्या है?

संपादक जी, सुजीत की खबर डिलीट कराके मृतात्मा को अपने कर्जे से मुक्त करिए

आदरणीय सम्पादक जी,

देश में हलचल हो या न हो, दिल्ली में हलचल है। वैसे तो जब भी दिल्ली में कोई हलचल होती है तो मैं गाँव फोन करता हूँ, ये जानने के लिए कि क्या गाँव में भी कुछ ऐसा है? अक्सर जवाब “न” में ही होता है। अभी डेढ़ महीना पहले गाँव गया था तो दादा जी ने पूछ दिया कि ये ‘सहिष्णुता’ क्या होती है? मैने बता दिया और वो हंस कर रह गये। खैर, यह लेख कम, सम्पादक जी लोगों के नाम पत्र ज्यादा है।

आईबी के रिटायर अफसर ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस को लेकर मोदी को लिखा खुला पत्र

OPEN LETTER To,
Hon’bles
The Prime Minister
and The C.M. W.B. Govt.

The Hon’bles have already been apprised of the details leading to confirm that the founder of Shaulmari Ashram Sardanand Ji was Netaji Subhash Chandra Bose. But even after a period of about two months no cognizance of the submission has been taken. And hence this open matter.

उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति के अध्यक्ष प्रांशु मिश्र के नाम नवेद शिकोह का खुला पत्र

…. आँखों से आँखें मिलाकर कैसे शरमाओगे तुम

भाई प्रांशु मिश्र

आपको पत्र लिखते वक्त मुझे अपनी एक गजल की कुछ पंक्तियाँ याद आ गयी :-

चाँद-तारों को जमी पर कैसे ला पाओगे तुम,
जुगनुओ को रौशनी में कैसे चमकाओगे तुम।
या हया अपनाओ या फिय बेहया हो जाओ तुम,
आँखों से आँखें मिलाकर कैसे शरमाओगे तुम?

पत्रिका समूह, प्रधान संपादक, खुला खत, 22 दिसंबर की लंबी रात और कोहिनूर कंडोम!

माननीय प्रधान संपादक,

पत्रिका समूह

दिनांक 22 दिसंबर 2015 को आपके अखबार के पेज 7 पर कोहिनूर कॉन्डोम के विज्ञापन जिसकी हैडिंग ’22 दिसम्बर है साल की सबसे लम्बी रात, इसे दें कुछ एकस्ट्रा टाईम’ तथा सब हैडिंग ‘इस रात की सुबह नहीं’ सहित एक युगल का फोटो भी है…. देखा और पढ़ा। एक बार तो सोचा उसी समय आपको यह पत्र लिखूं, लेकिन फिर सोचा 22 दिसंबर के बाद लिखूं, जिससे आपकी और आपके जैसी सोच वालों की रात खराब ना हो! बहुत ही शर्मनाक बात है कि आए दिन आप अपनी लेखनी द्वारा ज्ञान झाड़ते रहते हैं, कई बार व्याख्यानों में भी ज्ञान ढोल आते हैं और अपने अखबार में क्या छप रहा है, उसका पता ही नहीं।

कोहिनूर कॉन्डोम के विज्ञापन पर हिन्दुस्तान के संपादक को पत्र

आदरणीय यशवंत भाई, हिन्दुस्तान के संपादक के नाम एक पाठक ने फेसबुक पर यह पत्र लिखा है कंडोम के विज्ञापन को लेकर. उम्मीद है इसे जरूर भड़ास फोर मीडिया में स्थान देंगे। पोस्ट की पड़ताल करने के लिये आप फेसबुक पर राजेंद्र गुप्ता हितैषीदूत पर जा सकते हैं। यह बहुत जबरदस्त तंज है। चिट्ठी का मजमून मैं नीचे दे रहा हूं।
शुक्रिया

आपका
xyz
कानपुर

जिसने भड़ास पढ़ने के कारण पत्रकार को नौकरी नहीं दी वह खुद ही छिप-छिप कर भड़ास पढ़ता है!

यशवंत भाई

सादर प्रणाम,

एक खबर bhadas4media.com पर पढ़ने को मिला कि एक पत्रकार साथी को सिर्फ इसलिए नौकरी नहीं दी गई क्योंकि वह भड़ास का रीडर है. सबसे बड़ी बात यह है कि वह जिसने पत्रकार साथी को नौकरी नहीं दी, वह अभी तक अपने पद पर कैसे बना है? उसे भी तो संस्थान को निकाल देना चाहिए था. क्योंकि हकीकत तो यह है वह भी भड़ास पढ़ता है, भले ही छुप छुप कर पढ़ता हो. यह सच्चाई है कि मीडिया से जुड़ा हर आदमी.. चाहे कैमरामैन हो, पत्रकार हो यहां तक सफाई कर्मचारी भी भड़ास के रीडर हैं.

धंधेबाज और चरित्रहीन जी न्यूज (एमपी-सीजी) वालों ने एक इमानदार रिपोर्टर को यूं बेइज्जत कर निकाला

घटना छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर सरगुजा की है. यहां मनीष सोनी नामक पत्रकार कई वर्षों से जी न्यूज एमपी-सीजी से जुड़े हुए हैं. आज उन्होंने अचानक देखा कि चैनल स्क्रीन पर उनका नाम लिखकर यह चलाया जा रहा है कि मनीष सोनी को चैनल से निकाल दिया गया है, उनसे कोई किसी प्रकार का संबंध अपने जोखिम पर रखे. ऐसी ही कुछ लाइनें बदल बदल कर लगातार चल रही थी. मनीष सोनी को यकीन न हुआ कि आखिर उनके साथ ऐसा क्यों किया जा रहा है. उन्होंने न तो दलाली की है, न बेइमानी की है, न चोरी की है, न अपराधी हैं, तो चैनल वाले ये सलूक क्यों कर रहे हैं.

शराब विरोधी गीत लिखने पर तमिल लोक गायक की गिरफ्तारी के खिलाफ जस्टिस काटजू ने लिखा राष्ट्रपति को पत्र

My letter to the President of India regarding arrest of Tamil singer Kovan… This is the email I have sent just now to the Secretary and Press Secretary of the President of India in connection with the blatantly unconstitutional arrest of Tamil writer and singer Kovan evidently on instructions from the Chief Minister Jayalalitha.

– Justice Katju

यशवंत जी, आपका ब्लाग कुछ समय से अरविन्द केजरीवाल, ABP न्यूज़ और ND टीवी का मुखपत्र बन गया है!

प्रिय यशवंत जी।

मैं लंबे समय से आपका भड़ास4मीडिया ब्लॉग पढ़ रहा हूँ। पहले मुझे ये अच्छा लगता था क्यों की आप मीडिया में फैली बुराइयों को सामने लाते थे। लेकिन कुछ समय से देख रहा हूँ की आपका ये ब्लॉग अरविन्द केजरीवाल, ABP न्यूज़ और ND टीवी का मुखपत्र बन गया है।

बदतमीज और क्रूर जागरण प्रबंधन के खिलाफ जाने-माने वकील परमानंद पांडेय ने पीएम मोदी को पत्र भेजा

Shri Narendra Modi
Hon’ble Prime Minister of India
New Delhi

Sub.: Exploitation, victimization and harassment of the Dainik Jagran employees

Hon’ble Pradhan Mantri ji,

We write to you with pain and anguish over the exploitation and victimization of newspaper employees by their proprietors that has crossed all limits. The saddest part of it is that the Governments- Central as well as the States- have become the mute spectators to this sordid state-of-affairs.

मजीठिया वेज बोर्ड : श्रम आयुक्त उत्तर प्रदेश की चिट्ठी से समाचारपत्र प्रबंधनों में हड़कम्प

मित्रों,

समाचारपत्र कर्मचारियों को मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों के अनुरूप वेतनमान न देना पड़े, इसके लिए पिछले चार वर्षों से अधिसंख्य अखबार प्रबंधनों द्वारा की जा रही चोट्टई से सभी भलीभांति परिचित हैं। सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट आदेश के बावजूद समाचारपत्र प्रबंधनों की केंद्र व राज्य सरकारों से नूरा कुश्ती जारी है। वैसे भी केंद्र सरकार को इस मामले में दिलचस्पी क्यों रहेगी, जब ज्यादातर अखबार मालिक पहले से ही उसके सामने दुम हिलाये घूम रहे हैं।

रवीश कुमार के नाम एक युवा पत्रकार का पत्र

सर नमस्कार

मैं दिल्ली पत्रकार बनाने नहीं आया था। मैं भोजपुरी के एक इटरंटेनमेंट चैनल में एक स्क्रिप्ट राईटर की नौकरी करता था। आप को सुनाने के बाद मैंने पत्रकारिता के मुख्य धारा में आने का फैसला लिया। लेकिन मुझे बहुत दुख है कि कुछ बेहूदा किस्म के लोगों के चलते आप को सोशल मीडिया से दूर होना पड़ा है। मेरे जैसे लाखों युवा पत्रकारों के दिल में धड़कने वाले व्यक्तित्व का नाम रविश कुमार है।

उम्रदराजी की छूट अगर नीलाभ को मिली तो वागीश सिंह को क्यों नहीं?

Amitesh Kumar : हिंदी का लेखक रचना में सवाल पूछता है, क्रांति करता है, प्रतिरोध करता है..वगैरह वगैरह..रचना के बाहर इस तरह की हर पहल की उम्मीद वह दूसरे से करता है. लेखक यदि एक जटिल कीमिया वाला जीव है तो उसका एक विस्तृत और प्रश्नवाचक आत्म भी होगा. होता होगा, लेकिन हिंदी के लेखक की नहीं इसलिये वह अपनी पर चुप्पी लगा जाता है. लेकिन सवाल फिर भी मौजूद रहते हैं.

मजीठिया वेज बोर्ड और इंडिया एक्सप्रेस मुंबई : यूनियन के पदाधिकारी कंपनी के हाथों बिक गए!

मुंबई से मीडिया के एक साथी ने इंडियन एक्सप्रेस मुंबई की अंतरकथा लिख भेजी है. इस कहानी को पढ़ने से पता चलता है कि किस तरह आम मीडियाकर्मियों के भले के लिए बनी यूनियनें आजकल मालिकों के हित साधन का काम कर रही हैं. यही कारण है कि मीडिया के एक बड़े मसले मजीठिया वेज बोर्ड को लागू कराने को लेकर यूनियनों का रवैया बेहद नपुंसक है.

अखिलेश ने रोका न होता तो आजम खान ने ‘आजतक’ के कई वर्तमान-पूर्व पत्रकारों को जेल भेजने की व्यवस्था कर दी थी

राहुल कंवल, पुण्य प्रसून, गौरव सावंत, दीपक शर्मा सहित कई पत्रकारों पर दंगा भड़काने की धाराएं लगाने की सिफारिश

यूपी सरकार के सबसे ताकतवर मंत्री आजम खान बुधवार को इतिहास बनाते बनाते रह गये. अगर उनका बस चला होता तो देश के 10 से ज्यादा पत्रकार दंगे कराने के जुर्म में आज जेल में होते. इनमें राहुल कंवल, गौरव सावंत, पुण्य प्रसून बाजपेई, मनीष, दीपक शर्मा, हरीश शर्मा और अरुण सिंह प्रमुख हैं. आज़म खान नगर विकास के साथ साथ संसदीय कार्य मंत्री भी हैं. मुज़फ्फरनगर दंगों पर दिखाय गये एक स्टिंग ऑपरेशन में जब उनका नाम उछला था तो संसदीय कार्य मंत्री ने बीएसपी नेता स्वामी प्रसाद मौर्या से मिलकर एक जांच समिति बना दी थी.

रोहन जगदाले हाजिर हों…

जिया नामक चैनल और मैग्जीन लांच करने वाले रोहन जगदाले लापता हैं. तभी तो वो मीडियाकर्मियों के बकाये को लेकर लेबर आफिस में चल रही लड़ाई में उपस्थित नहीं हो पा रहे हैं. मीडियाकर्मियों ने उदारता दिखाते हुए उन्हें खुद मेल और पत्र के जरिए सूचित किया है कि वे अगली तारीख पर नोएडा लेबर …

पत्रकारिता के दौरान यह दिन देखना पड़ेगा, सोचा न था

एक सहाराकर्मी ने लगातार सेलरी न मिलने के कारण पत्र लिखकर बिना वेतन अवकाश की मांग की है ताकि वह बाहर किसी दूसरी जगह कुछ कामधाम करके पैसे कमा सके और अपने परिजनों का पेट पाल सके. सहारा मीडिया में काम करने वाले रवि कुमार (इंप्लाई कोड 054004) लखनऊ में राष्ट्रीय सहारा अखबार में वरिष्ठ उप संपादक के बतौर कार्यरत हैं. पढ़िए उनकी चिट्ठी और जानिए मीडिया के भीतर का एक खौफनाक सच.

लखनऊ के कपटी पत्रकार अब्दुल मुईज खान की मान्यता क्यों हो गई निरस्त, पढ़ें लेटर

लखनऊ के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग की तरफ से एक लेटर जारी किया गया है जिस पर लिखा है कार्यालय आदेश. इस लेटर में लखनऊ के एक पत्रकार अब्दुल मुईज खान की मान्यता निरस्त करने का आदेश है और इस आदेश को पारित करने के पीछे के कारणों का उल्लेख है. आप भी पढ़िए लेटर… …

complaint to NBA against Zee News for spreading communal hatred

Date: 2nd august 2015

To

News Broadcaster Association    
Reg. Off.: Juris House Ground Floor
22, Inder Enclave, Paschim Vihar
New Delhi 110087          
New Delhi                                                                                                                                                                            

Sir,       

Subject  :  Complaint against zee news who is spreading communalism and hatred though news channel

सहारा मीडिया के एचआर ने हड़ताली कर्मियों के लिए जारी किया धमकी भरा पत्र, पढ़ें

सहारा मीडिया के एचआर डिपार्टमेंट की तरफ से अपने हड़ताली कर्मियों के लिए एक धमकी भरा पत्र जारी किया गया है. यह पत्र दिन में आज बारह बजे जारी किया गया और दिन में दो बजे तक हड़ताल वापस लेकर काम पर लौटने की चेतावनी दी गई है.

सैलरी न मिलने से दुखी एक इंप्लाई का पत्र नेशनल दुनिया के मालिक के नाम

अखबारों के मालिक किस तरह से अपने कर्मचारियों का शोषण कर रहे हैं, उनके स्वाभिमान को चोट पहुंचा रहे हैं, इसकी ताजा मिसाल है नेशनल दुनिया के पत्रकार अनिरुद्ध चौहान की आपबीती, जिसका उन्होंने भड़ास4मीडिया को प्रेषित एक पत्र में ब्योरेवार खुलासा किया है। सैलरी न देना, जब मन करे, जहां तबादला कर देना, ऐसा इन दिनो बड़े मीडिया हाउसों में धड़ल्ले से चल रहा है। खबर बेचने का तामझाम फैलाकर ‘चौथा खंभा’ के ये धंधेबाज कितने फितरती हो चले हैं, उस सच्चाई का भी भेद खोलता है ये पत्र –   

विदेश दौरों में खोए प्रधानमंत्री मोदी के नाम एक भारत वासी की चिट्ठी

सेवा में आदरणीय नरेंद्र मोदी जी,

प्रधान सेवक / चौकीदार / चीफ ट्रस्टी

भारत सरकार, नई दिल्ली,

विषय :- भारत के नागरिकों की समस्याओं के समाधान के बावत ।

महोदय,  

आप दुनिया के जिस भी देश में जाते हैं वहां कुछ न कुछ भारत के खजाने से देते हैं जो कि हम भारतीयों की खून पसीने की कमाई से इकठ्ठा  किया गया धन है, आप उसे इस तरह बाँट रहे हैं जैसे आपको ये धन पारिवारिक बंटवारे में मिला हो । आपने चुनाव के समय कहा था मुझे एक मौका दीजिये मैं भारत की संपत्ति दुनिया के लुटने नहीं दूंगा और उसकी चौकीदारी करूँगा,पर ये क्या आपको मौका मिलते ही अरबों खरबों डालर ऐसे बाँट डाले जैसे भारत को अब इस धन की जरूरत ही नहीं है। आपने तो सत्ता मिलते ही कहा था कि पूर्ववर्ती सरकार ने देश का खज़ाना खाली कर दिया है फिर इतना पैसा जो आपने भूटान नेपाल श्रीलंका मंगोलिया सहित दर्जन भर देशों को दिया है ये कहाँ से आया या आपने रातों रात कमा लिए।

केजरीवाल को खुला खत : ‘आप की टोपी रखी मेरे पास, जरा सुन लो अरज हमारी’

दिल्ली : प्रदेश सरकार के काम काज से असंतुष्ट आम आदमी देवेश वशिष्ठ ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को रोष भरा पत्र लिखते हुए उन्हें अवगत कराया है कि अब आपसे और आपके मंत्रियों से मिलना बहुत मुश्किल हो गया है और हमारे विधायक कभी न घर मिलते हैं, न फोन उठाते हैं। इसलिए आपको ये खुला खत लिखना पड़ रहा है।

Letter To Indian Media : Sunita Shakya

To Indian media,

I would like to thank from the bottom of my heart for the help your country has provided at this time of crisis in my country, Nepal. All the Nepalese in and outside of the country are thankful to your country. However, me being a Nepali outside from my motherland, when saw your news and news reports, my heart cried and hurt more than those destruction caused by 7.9 Richter magnitude of earthquake. Like all the medical personnel are taught and trained for potential disasters in future, as a reporter, I hope there is some kind of training on how to report different events. Your media and media personnel are acting like they are shooting some kind of family serials. If your media person can reach to the places where the relief supplies have not reached, at this time of crisis can’t they take a first-aid kit or some food supplies with them as well?

मोदी जी, आम आदमी के साथ इत्ता बड़ा “ब्लंडर” तो AAP वालों ने भी नही किया था जैसे आप कर रहे हो..

परम आदरणीय मोदी जी..

प्रणाम

ये आपको क्या हो गया है…

चुनाव के पहले और चुनाव के बाद आपकी स्थिति तो सस्ते अखबार में आने वाले
“शादी के पहले और शादी के बाद”
वाले विज्ञापन जैसी हो गयी है..

पुलिस विभाग में “लीडरशिप” को कुत्सित प्रयास बताने पर आईपीएस का विरोध

लखनऊ पुलिस लाइन्स के मुख्य आरक्षी बिशन स्वरुप शर्मा ने अपने सेवा-सम्बन्धी मामले में एक शासनादेश की प्रति लगा कर अनुरोध किया कि उन्हें इस बात का अपार दुःख और कष्ट है कि शासनादेश जारी होने के 33 साल बाद भी इसका पूर्ण लाभ पुलिस कर्मचारियों को नहीं दिया गया. पुलिस विभाग के सीनियर अफसरों को श्री शर्मा की यह बात बहुत नागवार लगी कि “उसने विभाग के पुलिस कर्मचारियों की सहानुभूति प्राप्त करने का एक प्रयास किया है” और पुलिस विभाग के कर्मचारियों को लाभ दिलाने की सामूहिक बात लिखित रूप से प्रकट की है.

केजरीवाल की तानाशाही के खिलाफ मयंक गांधी ने किया विद्रोह, पढ़िए कार्यकर्ताओं के नाम लिखी उनकी खुली चिट्ठी

प्रिय कार्यकर्ताओं,

मैं माफी चाहता हूं कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में कल जो कुछ हुआ उसे बाहर किसी को न बताने के निर्देशों को तोड़ रहा हूं। वैसे मैं पार्टी का एक अनुशासित सिपाही हूं। 2011 में जब अरविंद केजरीवाल लोकपाल के लिए बनी ज्वाइंट ड्राफ्ट कमेटी की बैठक से बाहर आते थे तो कहते थे कि कपिल सिब्बल ने उनसे कहा है कि बैठक में जो कुछ हुआ उसे वो बाहर न बताएं। लेकिन अरविंद कहते थे कि ये उनका कर्तव्य है कि वे देश को बैठक की कार्यवाही के बारे में बताएं क्योंकि वो कोई नेता नहीं थे बल्कि लोगों के प्रतिनिधि थे। अरविंद ने जो कुछ किया वो वास्तव में सत्य और पारदर्शिता थी।

‘टाइम्स नाऊ’ चैनल का बॉयकाट होगा, सोशल एक्टिविस्टस की तरफ से अरनब गोस्वामी को खुला पत्र

Dear Mr Arnab Goswami,

We, the undersigned, who have on many occasions participated in the 9:00 p.m. News Hour programme on Times Now, anchored by you, wish to raise concerns about the shrinking space in this programme for reasoned debate and the manner in which it has been used to demonize people’s movements and civil liberties activists.

अरुण पुरी को पत्रकारिता से प्रेम होता तो इंडिया टुडे के दक्षिण भारत के तीन एडिशन्स क्यों बंद करते!

एक बुरी खबर इंडिया टुडे ग्रुप से है. इंडिया टुडे पत्रिका के दक्षिण भारत के तीन एडिशन्स बंद कर दिए गए हैं. अब इंडिया टुडे को तमिल, तेलगु और मलायलम भाषी लोग नहीं पढ़ सकेंगे. इन तीन एडिशन्स के बंद होने के बाद इंडिया टुडे सिर्फ अंग्रेजी और हिंदी में बची है. लोग कहने लगे हैं कि अगर अरुण पुरी को सच में पत्रकारिता से प्रेम होता या मीडिया के सरोकार से कोई लेना-देना होता तो वह दक्षिण भारत के तीन एडिशन्स बंद नहीं करता.

दैनिक जागरण नोएडा हड़ताल : देखिए और पढ़िए जीत के इस निशान को, सलाम करिए मीडियाकर्मियों की एकजुटता को

जो मालिक, जो प्रबंधन, जो प्रबंधक, जो संपादक आपको प्रताड़ित करता है, काम पर आने से रोकता है, तनख्वाह नहीं बढ़ाता है, बिना कारण ट्रांसफर करने से लेकर इस्तीफा लिखवा लेता है, वही मालिक प्रबंधन प्रबंधक संपादक जब आप एकजुट हो जाते हैं तो हारे हुए कुक्कुर की तरह पूंछ अपने पीछे घुसा लेता है और पराजित फौज की तरह कान पकड़कर गल्ती मानते हुए थूक कर चाटता है. जी हां. दैनिक जागरण नोएडा में पिछले दिनों हुई हड़ताल इसका प्रमाण है. कर्मचारियों की जबरदस्त एकजुटता, काम का बहिष्कार कर आफिस से बाहर निकल कर नारेबाजी करना और मैनेजरों के लालीपॉप को ठुकरा देना दैनिक जागरण के परम शोषक किस्म के मालिक संजय गुप्ता को मजबूर कर गया कि वह कर्मचारियों की हर मांग को मानें.

राजस्थान पत्रिका में मजीठिया वेज बोर्ड के साइड इफेक्ट : डीए सालाना कर दिया, सेलरी स्लिप देना बंद

कोठारी साहब जी, मन तो करता है पूरे परिवार को लेकर केसरगढ़ के सामने आकर आत्‍महत्‍या कर लूं

जब से मजीठिया वेज बोर्ड ने कर्मचारियों की तनख्‍वाह बढ़ाने का कहा व सुप्रीम कोर्ट ने उस पर मोहर लगा दी तब से मीडिया में कार्य रहे कर्मचा‍रियों की मुश्किलें बढ रही हैं. इसी कड़ी में राजस्‍थान पत्रिका की बात बताता हूं। पहले हर तीन माह में डीए के प्‍वाइंट जोड़ता था लेकिन लगभग दो तीन वर्षों से इसे सालाना कर दिया गया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश को ठेंगा दिखाते हुए तनख्‍वा बढ़ी तो जहां 100 प्रतिशत की बढ़ोतरी होनी थी तो मजीठिया लगने के बाद कर्मचारियों की तनख्‍वाह में मात्र 1000 रुपए का ही फर्क आया। किसी किसी के 200 से 300 रुपये की बढ़ोतरी।

कृष्ण मुरारी किशन के नाम पर ‘फोटो जर्नलिस्ट एवार्ड’ शुरू करने के लिए मुख्यमंत्री मांझी को पत्र लिखा

सेवा में, श्री जीतन राम मांझी, माननीय मुख्यमंत्री,

बिहार सरकार, पटना

विषय- राज्य सरकार की ओर से पटना निवासी प्रख्यात छायाकार स्व.कृष्ण मुरारी किशन जी के नाम पर प्रति वर्ष ‘के एम किशन पत्रकारिता/छायाकार सम्मान एवार्ड’ देने के आग्रह के संदर्भ में,

मान्यवर,

चैनल वन से बकाया सेलरी के लिए लड़ रहे एक मीडियाकर्मी का खुला पत्र

संपादक, भड़ास4मीडिया, सादर प्रणाम, मैं भड़ास4 मीडिया का एक नियमित पाठक हूं. आप लोगों ने ना जाने कितनी बार हम पत्रकार लोगों के साथ जो अन्याय कभी हुआ है उसके खिलाफ कदम से कदम मिला कर साथ दिया है, उसके लिए तहे दिल से शुक्रिया अदा करना चाहूंगा. मैं आपको अपने साथ जो अन्याय हुआ है उसके बारे में अवगत कराना चाहूंगा. आशा करता हूं कि आप इसे प्रमुखता से छापकर मेरे जैसे ना जाने कितने लोगों को फर्जी स्टिंग, ब्लैकमेलिंग और कर्मचारियों का शोषण करने वाले इस बदनाम प्रवृति के न्यूज चैनल ‘चैनल वन’ से सावधान कर उनका सही दिशा में मार्ग दर्शन कर सकते हैं. 

पांच माह का वेतन दिए बगैर ‘जानो दुनिया’ चैनल बंद, मीडियाकर्मी आंदोलन के मूड में

गुजरात के अहमदाबाद से संचालित ‘जानो दुनिया’ नामक न्यूज चैनल बंद हो गया है. इस चैनल के प्रबंधन ने अपने कर्मियों को पांच महीने की सेलरी नहीं दी है. पांच महीना बिना सेलरी लिए काम करने वाले सैकड़ों कर्मचारी चैनल के अचानक बंद कर दिए जाने से सदमे में हैं. अब ये एकजुट होकर चैनल मालिक के गुड़गांव स्थित होटल के सामने आमरण अनशन करने की तैयारी कर रहे हैं.

नेशनल दुनिया जयपुर के पूर्व चीफ रिपोर्टर राकेश कुमार शर्मा ने मालिक शलभ भदौरिया को लिखा लंबा-चौड़ा पत्र

नेशनल दुनिया, जयपुर के पूर्व चीफ रिपोर्टर राकेश कुमार शर्मा ने अखबार के मालिक और प्रधान संपादक शैलेन्द्र भदौरिया को लंबा चौड़ा पत्र लिखकर अखबार के अंदरखाने चल रहे करप्शन और गड़बड़ियों का खुलासा किया है. साथ ही उन्होंने संस्थान से इस्तीफा देने की घोषणा करते हुए बकाया दिलाने की मांग की है. उन्होंने पत्र में सब्जेक्ट के रूप में लिखा है- ”नेशनल दुनिया जयपुर संस्करण के संपादक के संरक्षण में डरा-धमकाकर हो रही उगाही और भ्रष्ट कार्यशैली के संबंध में विस्तृत रिपोर्ट, साथ ही एक महीने के नोटिस पूरा होने के बाद संस्थान को छोडऩे एवं मेरे देय वेतन-भत्ते दिलवाने के बाबत।”

पी7 के 450 में से सिर्फ 153 कर्मियों को ही फुल एंड फाइनल पेमेंट मिलेगा

पिछले दिनों ये खबर आई थी कि आन्दोलनकारी पत्रकारों के जिद और जुनून के आगे पी7 प्रबंधन झुक गया और उन्हें नवम्बर तक की सैलरी दे दी गयी. साथ ही 15 जनवरी तक तीन महीने का कम्पनसेशन भी दे दिया जाएगा. इस खबर को सुनकर पी7 के सभी कर्मचारी/श्रमिक ख़ुशी से झूम उठे, लेकिन इनकी ख़ुशी में तब विराम लग गया जब इन्हें पता चला कि पी7 के सभी कर्मचारियों को नहीं बल्कि केवल 450 में से केवल 153 (लगभग) लोगों को ही ये सुविधा मिलेगी. इसके बाद, दूसरे ही दिन अन्य कर्मचारियों ने तत्काल बैठक बुलाई और सब एकत्रित हो कर दुबारा बड़ी संख्या में लेबर कमिश्नर के पास नयी कंप्लेन दायर कर आये.

राजस्थान पत्रिका के इंप्लाई रहे सुमित ने मालिकों-संपादकों को पत्र लिखकर मजीठिया वेजबोर्ड के हिसाब से भुगतान मांगा

नैतिकता और नीतियों की दुहाई दे देकर खुद का घर भरने वाले अखबारों के मालिकों की चमड़ी इतनी मोटी हो गई है कि इन्हें अब किसी से भय नहीं लगता. राजनीति, नौकरशाही और न्यायपालिका को अपनी मुट्ठी में कर चुके ये लोग अब सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को भी रद्दी की टोकरी में डाल देते हैं. पर इनकी अकूत ताकत से हार न मानते हुए कुछ ऐसे वीर सामने आ जाते हैं जो इन्हें खुली चुनौती दे डालते हैं. ऐसे ही एक वीर का नाम सुमित कुमार शर्मा (मोबाइल- 07568886000) है.

 

रमेशचंद्र अग्रवाल के नाम दैनिक भास्कर के एक पाठक का पत्र

मान्यवर, दैनिक भास्कर पत्र समूह के संपादक श्री रमेशचंद्र अग्रवाल का एक पत्र 26 दिेसंबर के अंक मे पूरे पहले पेज पर प्रकाशित हुआ है। इसमें टाइम्स आफ इंडिया को पछाड़ कर भास्कर के सर्वाधिक प्रसार संख्या वाला अखबार बनने का दावा किया गया है। पाठक का दर्द बयान करने वाला अपना पत्र आपको प्रेषित कर रहा हूं, भड़ास पर प्रकाशनार्थ।
सादर।                     
श्रीप्रकाश दीक्षित
एचआईजी-108,गोल्डन वैली हाईटस                                       
आशीर्वाद कालोनी के पीछे ,कोलार रोड,        
भोपाल-462042       

मुझे मेरे पक्षपाती संपादक से बचाओ और इन सवालों के जवाब दिलवाओ….

है तो यह किसी फिल्मी धुन पर आधारित गाने का रूपांतरण लेकिन अखबारों पर पूरी तरह से लागू है। अखबार में काम करने वाला कोई कर्मचारी नहीं होगा जो अपने सम्पादक या मैनेजर से पीड़ित न हो। पीड़ित तो अन्य विभाग मसलन विज्ञापन, सर्कुलेशन एकाउंट, एचआर और प्रिंटिंग विभाग में कार्यरत कर्मचारी भी होंगे लेकिन मुद्दा सम्पादक पर इसलिए केन्द्रित है कि यह अखबार की रीढ़ कहलाता है। जिस तरह मरीज के बिना अस्पताल का, छात्र के बिना शिक्षक का, अपराध के बिना पुलिस विभाग का मुवक्किल के बिना वकील या यात्री के बिना बस या ट्रेन का कोई महत्व नहीं है उसी तरह अखबार का सम्पादक के बिना कोई महत्व नहीं है। लेकिन सम्पादक नामक यह संस्था धीरे-धीरे अपना महत्व खोती जा रही है।

मनोरंजन टीवी के फर्जीवाड़ा ‘चेहरा पहचानो इनाम जीतो’ का एक शिकार मैं भी हूं

विषय : Fraud of Manoranjan TV

निदेशक
मनोरंजन टीवी
आदरणीय सर

आपके चैनल Manoranjan TV पर आने वाले ‘चेहरा पहचानो इनाम जीतो’ विज्ञापन के जरिए लोगों को पागल बनाने का काम किया जाता है. इसका एक शिकार मैं भी हुआ हूं. मेरे पास आज दिनांक 09 दिसंबर को फोन आया कि आपको 12 लाख 50 हजार रुपए इनाम में मिलने वाला है. इसे पाने के लिए मेरे से अभी तक इनाम देने वालों ने 86 हजार रुपए तक वसूल लिए हैं.

हरियाणा न्यूज की मैनेजिंग एडिटर नवजोत सिद्धू को मिला धमकी भरा पत्र

हरियाणा के रीजनल न्यूज चैनल “हरियाणा न्यूज” की मैनेजिंग एडिटर नवजोत सिद्धू को किसी अझात शख्स ने एक धमकी भरा पत्र लिखा है. पत्र में उन्हें जान से मारने की धमकी दी गई है. साथ ही पत्र में लिखा गया है कि सच का आईना कार्यक्रम दिखाना बंद करो. इस कार्यक्रम के कारण हमारे आकाओं को होने लगी है तकलीफ. ये पत्र डाक के जरिए आया है. पत्र मिलने के बाद दिल्ली के हौज खास थाने में मामला दर्ज करवा दिया गया है.

गांधी जी की अपने बेटे को चिट्ठी : ”मनु ने बताया कि तुमने उससे आठ साल पहले दुष्कर्म किया था”

लंदन। महात्मा गांधी बड़े बेटे हरिलाल के चाल-चलन को लेकर खासे आहत थे। उन्होंने हरि को तीन विस्फोटक पत्र लिखे। जिनकी नीलामी अगले सप्ताह इंग्लैंड में की जाएगी। इन पत्रों में गांधी ने बेटे के व्यवहार पर गहरी चिंता जताई थी। नीलामीकर्ता ‘मुलोक’ को इन तीन पत्रों की नीलामी से 50 हजार पौंड (करीब 49 लाख रुपये) से 60 हजार पौंड (करीब 59 लाख रुपये) प्राप्त होने की उम्मीद है। ये पत्र राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने जून, 1935 में लिखे थे।

पड़ोसी से विवाद में पद का दुरुपयोग करने वाले व्यक्ति को प्रेस कौंसिल का अध्यक्ष बनाना ठीक नहीं

जस्टिस सी के प्रसाद को प्रेस कौंसिल का नया अध्यक्ष बनाया गया है पर सामाजिक कार्यकर्ता डॉ नूतन ठाकुर ने उनकी नियुक्ति पर गहरी आपत्ति जाहिर की है. उन्होंने भारत के राष्ट्रपति को पत्र भेज कर 01 जनवरी 2014 को उनके कृष्णा नगर, पटना स्थित शुभाशीष सेन गुप्ता नामक पड़ोसी के साथ विवाद में अपने पद का खुलेआम दुरुपयोग करने सम्बंधित अपनी शिकायत की प्रति संलग्न किया है.

Suspected money laundering by the Adani Group!

Yogendra Yadav : Here is a letter written by former IAS officer (former secretary to government of India) and noted anti-corruption crusader Mr EAS Sarma to various central investigating agencies about the suspected money laundering by the Adani Group. Mr Sarma has pointed out that the Supreme Court appointed Special Investigation Team on black money is investigating the matter and the State Bank of India should not have signed the MoU with the group under investigation for money laundering. Read the letter for yourself and please give a thought on what our Modi Sarkar is up to.

राजस्थान पत्रिका, जोधपुर में भ्रष्टाचार और जातिवाद चरम पर, गुलाब और नीहार कोठारी को भेजा गया गोपनीय पत्र

यशवंत जी, यह पत्र दो सप्ताह पहले राजस्थान पत्रिका के प्रमुख गुलाब कोठारी और नीहार कोठोरी को भेजा गया था… इस आशा के साथ कि यह पत्र मिलने के बाद कोई ठोस कार्यवाही होगी… लेकिन जैसे खबरें दबाई जाती हैं, वैसे ही इस पत्र को दबा दिया गया… आखिर में यह पत्र आपको भेजा जा रहा है… व्हिसल ब्लोअर का नाम उजागर नहीं करना पत्रकारिता का धर्म है और बात रही सत्यता की एक भी बात असत्य नहीं है… हर कर्मचारी पीड़ित है…

कुमार विश्वास के खिलाफ झूठ का ज़हर उगलते अमर उजाला के पत्रकार!

Dr Kumar Vishwas Passport Issue Wrongly reported by Amar Ujala

पत्रकारिता की गिरती साख के कई भागीदार हैं। लेकिन इस पेशे से जुड़े कई ऐसे लोग हैं, जो पत्रकारिता की अर्थी को कन्धा देने के लिए बहुत जल्दी में नज़र आते हैं। पिछले दिनों ‘अमर उजाला’ ने खबर छापी, कि कवि और आप नेता डा कुमार विश्वास का पासपोर्ट किसी विवाद के कारण गाज़ियाबाद स्थित क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय द्वारा जमा करवा लिया गया है। अगले ही दिन पासपोर्ट अधिकारी श्री यादव के हवाले से निर्देश आया, कि पूरा मामला साफ़ है। इसलिए पासपोर्ट वापस निर्गत कर दिया जाएगा। दिनांक 14 नवम्बर को डा कुमार विश्वास को पासपोर्ट निर्गत कर दिया गया।