Dilip C Mandal : एनडीटीवी बाक़ी समय सेकुलरिज्म का नाटक करता है, ताकि चुनाव के समय जब वह BJP का समर्थन करे तो लोग उस पर भरोसा करें। 2004, 2009, 2015….NDTV ने हर बार ग़लती की। हर बार BJP के पक्ष में ग़लती की। यूपी चुनाव में NDTV क्या करेगा? यह ट्विट आज भी बरखा दत्त के ट्विटर हैंडल पर मौजूद है। बिहार में BJP को दो तिहाई बहुमत दिला रही थीं मोहतरमा।
नज़र रखिए। फ़िल्म की पूरी स्क्रिप्ट कुछ इस तरह नज़र आ रही है। यूपी चुनाव तक NDTV पूरी आक्रामकता के साथ मुस्लिम पक्षधरता दिखाएगा। दूसरी तरफ़ उतनी ही आक्रामकता से ZEE न्यूज एंड कंपनी हिंदू पक्षधरता से चैनल चलाएगी। दोनों पक्ष मिलकर माहौल को हिंदू-मुसलमान बनाने की कोशिश करेंगे। दोनों ही पक्ष जाति के प्रश्न को इग्नोर करेंगे। जाति ही वो जगह है जहाँ RSS का दम फूलता है। इसलिए दोनों तरह के चैनल वहाँ नहीं जाएँगे। जाति जनगणना या आरक्षण पर कोई बातचीत चैनलों में नहीं होगी। हिंदू और मुसलमान की हर बहस RSS के पक्ष में होती है। वही कराई जाएगी। NDTV मुस्लिम उत्पीड़न के सवाल उठाएगा। जो वाजिब सवाल होंगे। इसी दौरान कभी NDTV का ओपिनियन पोल आएगा जिसमें बीजेपी की सरकार बनती दिखेगी।
एनडीटीवी के मालिक प्रणय रॉय और किंगफिशर के मालिक विजय माल्या ने अपने जाम टकरा कर एक TV चैनल खोला था। NDTV Good Times. लगभग 200 करोड़ रुपए माल्या ने लगाए थे। चैनल के लोगों पर किंगफिशर की चिड़िया को याद कीजिए। यह 200 करोड़ उन्हीं 9,000 करोड़ रुपए में से हैं, जिसे दबाकर माल्या देश छोड़कर भाग गया। अब प्रणय रॉय को इस बात से क्यों दिक़्क़त हो कि विजय माल्या बीजेपी के समर्थन से राज्य सभा पहुँचा था? 513 करोड़ रुपए की कंपनी NDTV के लिए 200 करोड़ रुपए बड़ी रक़म है। एंकर्स और बाक़ी स्टाफ की सैलरी शायद इसी से आई होगी।
वरिष्ठ पत्रकार और मीडिया विश्लेषक दिलीप मंडल की एफबी वॉल से.
भारत
November 8, 2016 at 4:18 pm
अरे मंडल जी , क्या कोई आपके डर से कोई सच्चाई नहीं दिखायेगा. आपको बिहार के राज्बल्ल्व यादव और रॉकी यादव के कुकृत्य के बारे कुछ दिखाई नहीं देता. आपकी नजर में आपकी जाती के अपराधी और भ्रष्ट सभी साधू दिखाई देते है. आखिर आपकी कलम बलात्कारी और मर्डर करने वालों के खिलाफ क्यों नहीं उठती है. केवल आपको अपने फूफा मनुवादी दिखाई देते है. देश में गिद्रों की संख्या चाहे जितनी बढ़ जाये राज शेर ही करेंगे.