भास्कर गुहा नियोगी-
वाराणसी। रविवार की रात एक बार फिर पुलिसिया लाठी स्कूल की मांग कर रहे नेत्रहीनों पर चली। पिछले 27 दिनों से बंद कर दिये गए हनुमान प्रसाद पोद्दार अंध विद्यालय के दृष्टिहीन छात्र स्कूल को खोलने और शिक्षा की मांग को लेकर दुर्गाकुंड स्थित स्कूल के सामने धरना दे रहे थे।
रविवार को ही छात्रों का एक प्रतिनिधिमंडल राज्य मंत्री अनिल राजभर से मिला। मंत्रीजी ने समाधान के लिए पांच दिन का समय मांगा था। इसके बावजूद रविवार की रात सत्ता की वादाखिलाफी खाकी की शक्ल में नेत्रहीन छात्रों पर कहर बनकर टूटी। धरना स्थल पर पहुंची पुलिस ने पहले सो रहे नेत्रहीन छात्रों का मोबाइल कब्जे में लिया। इसके बाद छात्रों को जबरन घसीटते और लठियाते हुए गाड़ी में भरकर ले गयी। इन छात्रों को पुलिस कहां लेकर गयी है, इस बारे में सही जानकारी नहीं हो पा रही है।
जिन छात्रों को पुलिस बर्बरता पूर्वक उठा ले गयी है उनमें विकास यादव, गणेश, विद्या आदि हैं। कुछ लोगों का कहना है कि छात्रों को चंदौली बार्डर पर ले ज़ाया गया है। वहीं दूसरी तरफ तानाशाही प्रशासनिक, पुलिसिया कार्रवाई और राज्य मंत्री के वादाखिलाफी के विरोध में रात में ही इन छात्रों के समर्थन में बीएचयू कैंपस में नेत्रहीन छात्रों ने विरोध मार्च निकालकर प्रदर्शन किया। दुर्गा कुंड स्थित धरना स्थल की तरफ बढ़ रहे छात्रों को सिंहद्वार पर ही भारी पुलिस बल ने रोक लिया।
इन छात्रों का कहना था कि पुलिस प्रशासन और सत्ता ने नेत्रहीनों के साथ छल किया है। धरना स्थल से पुलिस वाले बैग, गद्दा ढपली, हारमोनियम भी उठा ले गये हैं। छात्रों के समर्थन में निकले नेत्रहीन छात्रों का कहना है कि स्कूल के लिए लड़ाई दमन से नहीं रूकेगा, आंदोलन जारी रहेगा।
स्कूल खोलने को लेकर नेत्रहीनों का आयोजन लम्बे समय से चल रहा था। पीएम, सीएम को पत्र लिखकर इस आंदोलन की शुरुआत हुई थी। जब बात कहीं से नहीं बनी तो मजबूरन छात्रों को धरने पर बैठना पड़ा।
बुलंद हौसले के साथ स्कूल खोलने की पहली और आखिरी मांग के साथ ये धरना पिछले 27 दिनों से जारी था लेकिन प्रशासन से लेकर सत्ता पक्ष इस मसले पर मौन बना रहा। अंततः प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में नेत्रहीनों पर भी लाठी चलवाया गया।