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जान लेने के लिए हैवान ने रिपोर्टर को खिलाया शीशा और सिंदूर

भले ही मकसद किसी बात के प्रतिशोध का भी क्यों न हो, सोचकर हैरत होती है कि क्या कोई इस हद तक नीच हो सकता है ! मेरठ में ‘इंडिया न्यूज’ के रिपोर्टर रजनीश चौहान के साथ जितनी क्रूरतापूर्ण घिनौनी हरकत हुई है, वह किसी भी जानने-सुनने वाले को झकझोर सकती है। वह इन दिनो किसी नीच व्यक्ति की दी हुई असहनीय पीड़ा से कराह रहे हैं। कुछ समय पहले उसने किसी दिन शातिराना तरीके से चुपचाप खाद्य पदार्थ में पीसा हुआ शीशा और सिंदूर मिलाकर राजेश को खिला दिया था। उन्हें खुद नहीं मालूम कि उनके साथ ये हरकत कब, किसने कर डाली। 

भले ही मकसद किसी बात के प्रतिशोध का भी क्यों न हो, सोचकर हैरत होती है कि क्या कोई इस हद तक नीच हो सकता है ! मेरठ में ‘इंडिया न्यूज’ के रिपोर्टर रजनीश चौहान के साथ जितनी क्रूरतापूर्ण घिनौनी हरकत हुई है, वह किसी भी जानने-सुनने वाले को झकझोर सकती है। वह इन दिनो किसी नीच व्यक्ति की दी हुई असहनीय पीड़ा से कराह रहे हैं। कुछ समय पहले उसने किसी दिन शातिराना तरीके से चुपचाप खाद्य पदार्थ में पीसा हुआ शीशा और सिंदूर मिलाकर राजेश को खिला दिया था। उन्हें खुद नहीं मालूम कि उनके साथ ये हरकत कब, किसने कर डाली। 

हफ्ते-पंद्रह दिन तो राजेश को इस हरकत का आभास तक नहीं हुआ। एक दिन अपने बीमार बच्चे को दिखाने के लिए जब डॉक्टर के पास पहुंचे तो अपनी गले की अनजान दिक्कत से भी डॉक्टर को अवगत कराया। उस समय बच्चे के अलावा राजेश के साथ उनकी पत्नी भी थीं। मामला गंभीर था, इसलिए डॉक्टर ने उनसे कहा कि आप जल्द अकेले में मिलें। वह पत्नी-बच्चे को घर छोड़ कर पुनः डॉक्टर के यहां पहुंचे तो अपने गले के जख्म की वजह जानकर हैरत में पड़ गए। उसके बाद वह दवा के साथ रामदेव की औषधि से गरारे भी करते रहे। 

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इतने के बावजूद उन्होंने काफी हिम्मत से काम लिया। उनके गले से धीमी भी आवाज आनी बंद हो गई थी। संयोग से मिले पूर्वपरिचित कुशल चिकित्सक ने बेहतर इलाज ही नहीं शुरु कर दिया, हिम्मत से काम लेने की दिलासा भी दी। पिछले एक-डेढ़ माह से उनका इलाज जारी है। भड़ास4मीडिया को उन्होंने बताया कि हरकत करने वाले किसी व्यक्ति पर उन्हें संदेह नहीं है, न ही वह उसे जानना चाहते हैं। उनका उद्देश्य तो इतना भर है कि स्वस्थ हो जाएं और अपने मीडिया संस्थान का दायित्व फिर से निभाने लगें। संस्थान ने उन्हें हर तरह की मदद का आश्वासन दिया है, लेकिन वह इस मुश्किल में किसी का भी कृपापात्र नहीं बनना चाहते हैं।  

राजेश बताते हैं कि गले में गंभीर तकलीफ के दौरान कई दिनो तक वह इंडिया न्यूज को किसी तरह खबरें तो भेजते रहे लेकिन फोनो अटेंड न कर पा रहे थे। इस पर संस्थान के सीनियर कर्मियों को अंदेशा हुआ। जानने के लिए उन्होंने पूछा कि आप बोल क्यों नहीं रहे हैं? उन्हें क्या पता था कि राजेश ने तो अपने परिजनों, यहां तक कि पत्नी को भी आपबीती अभी छिपा रखी है। बार बार पूछने पर उन्हें इंडिया न्यूज के संपादकीय प्रमुख को घटना से अवगत कराना पड़ा। 

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आज भी राजेश चौहान चुपचाप पूरी दृढ़ता से अपने स्वास्थ्य-संकट का सामना कर रहे हैं। पुलिस कप्तान ने भी उनसे किसी संदिग्ध आरोपी के संबंध में जानकारी प्राप्त कर कार्रवाई में मदद करनी चाही, लेकिन वह उस दुष्ट आत्मा के बारे में जानें, तब तो कुछ बताएं। वैसे उनका कहना है कि मैंने किसी का बुरा नहीं किया है। घर परिवार चलाने के लिए पढ़ाई लिखाई के बाद मीडिया की राह चुनी लेकिन मुझे क्या पता था कि कोई इस तरह मेरी जान ले लेना चाहेगा। अंदेशा तो यही है कि आरोपी का मकसद राजेश की जान से खेलना रहा होगा। अब वह धीरे धीरे स्वस्थ हो रहे हैं। रुक-रुक कर दो चार शब्द बोल पा रहे हैं। 

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