श्रीगंगानगर। समझ से परे है कि मीडिया/मीडिया कर्मियों को हुआ क्या है! ऐसी-ऐसी खबरें जिनका कोई वजूद नहीं! इसमें कोई शक नहीं कि कुछ खबरें होती हैं और कुछ वक्त की मांग के अनुसार गढ़ी भी जाती हैं, यूं कहिये की गढ़नी भी पढ़ती हैं, लेकिन गढ़ाई गढ़ाई जैसी तो हो! ये क्या कि सिर कहीं और पैर कहीं। बाबा गुरमीत सिंह राम रहीम और मंत्री परिषद के पुनर्गठन विषय पर मीडिया ने जो कुछ कहा, उसमें कब कितना सच था, सब सामने आ गया। झूठ, कोरे कयास और गढ़ाई सच की तरह परोसी जाती रही। आम जन के पास ऐसा कोई जरिया होता नहीं जो सच को जान सके। उसके लिए तो मीडिया और मीडिया कर्मी ही भगवान होते हैं, ऐसे गरमा गरम विषयों पर।