Dayanand Pandey : कभी थीं नीरा यादव भी ईमानदार जब वह नीरा त्यागी हुआ करती थीं। उन की ईमानदारी के नाम पर चनाजोर गरम बिका करता था। उन दिनों जौनपुर में डी एम थीं। उन के पति त्यागी जी सेना में थे। 1971 के युद्ध में खबर आई कि वह वीरगति को प्राप्त हुए। नीरा यादव ने महेंद्र सिंह यादव से विवाह कर लिया। तब यादव जी डी आई जी थे। लेकिन बाद में त्यागी जी के वीरगति प्राप्त करने की खबर झूठी निकली। पता चला वह युद्ध बंदी थे। बाद के दिनों में वह शिमला समझौते के तहत छूट कर पाकिस्तान से भारत आ गए। नीरा यादव से मिलने गए तो वह उन से मिली ही नहीं। उन्हें पति मानने से भी इंकार कर दिया। त्यागी जी भी हार मानने वालों में से नहीं थे। डी एम आवास के सामने धरना दे दिया। कहां तो नीरा यादव के नाम से ईमानदारी का चनाजोर गरम बिकता था, अब उन के छिनरपन के किस्से आम हो गए। खबरें छपने लगीं। किसी तरह समझा बुझा कर त्यागी जी को धरने से उठाया गया। जाने अब वह त्यागी जी कहां हैं, कोई नहीं जानता।
पर महेंद्र सिंह यादव ने नीरा यादव को अपनी ही तरह भ्रष्ट अफसर बना दिया। बाद के दिनों में मुलायम सिंह यादव की भी वह ख़ास बन गईं। मुलायम ने उन के भ्रष्ट होने में पूरा निखार ला दिया। अब नीरा यादव को आई ए एस अफसर ही महाभ्रष्ट कहने लगे। दुनिया भर की जांच पड़ताल होने लगी। मेरी जानकारी में नीरा यादव अकेली ऐसी आईएएस अफसर हैं जिन के भ्र्रष्टाचार की जांच के लिए बाकायदा एक न्यायिक आयोग बना। जस्टिस मुर्तुजा हुसैन आयोग। मुर्तुजा साहब ने नीरा यादव को दोषी पाया। शासन को रिपोर्ट सौंप दी। लेकिन किसी भी सरकार ने उस जांच रिपोर्ट पर पड़ी धूल को झाड़ने की नहीं सोची। हर सरकार में नीरा यादव की सेटिंग थी। बाद के दिनों में तो मुलायम सिंह यादव ने उन्हें अपना मुख्य सचिव भी बना लिया था। अदालती हस्तक्षेप के बाद उन्हें हटाना पड़ा। अब वह बाकायदा सज़ायाफ्ता हैं। और सब कुछ सब के सामने है।
लेकिन दो बात लोग नहीं जानते। या बहुत कम लोग जानते हैं। एक यह कि नीरा यादव की दो बेटियां हैं। दोनों विदेश में हैं। नीरा यादव सारी काली कमाई बेटियों को भेज चुकी हैं । बेटियों की पढ़ाई लिखाई भी विदेश में हुई और दोनों बेटियां वहां की नागरिकता ले कर मौज से हैं। दूसरे , डासना जेल में वह वी आई पी ट्रीटमेंट के तहत हैं। बैरक में वह नहीं रहतीं, स्पेशल कमरा मिला हुआ है, उन्हें। तीसरे डासना जेल ट्रायल कैदियों के लिए है, सज़ायाफ्ता के लिए नहीं। बाकी सरकार जाने और नीरा यादव। वैसे नीरा यादव भजन सुनने की खासी शौक़ीन हैं, खास कर अनूप जलोटा की तो वह बहुत बड़ी फैन हैं। हां, व्यवहार में वह अतिशय विनम्र भी हैं। कम से कम मुझ से तो वह भाई साहब, प्रणाम कह कर ही बात करती रही हैं। मेरा स्पष्ट मानना है कि अगर नीरा यादव के जीवन में महेंद्र सिंह यादव और मुलायम सिंह यादव नहीं आए होते तो शायद हम नीरा यादव को एक ईमानदार आई ए एस अफसर के रूप में आज जान रहे होते। कह सकता हूं कि नीरा यादव अपने को चंदन बना कर नहीं रख पाईं, भुजंगों के प्रभाव में आ कर विषैली और भ्रष्ट बन कर रह गईं। अफ़सोस!
लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार और साहित्यकार दयानंद पांडेय की एफबी वॉल से.