विजय शंकर सिंह-
नवीन जिंदल और नूपुर शर्मा ने अलग अलग ट्वीट में एक ही बात कही है। ये दोनों ट्वीट में कह रहे हैं कि उनके घर के पते सार्वजनिक न करें। उन्हे धमकियां मिल रही हैं।
ऐसी स्थिति क्यों आई कि इन्हे गुमनामी में रहने के लिए बाध्य होना पड़ रहा है ?
भाजपा और गोदी मीडिया के चैनल पिछले 8 साल से जो मानसिक अनुकूलन कर रहे हैं, सांप्रदायिक उन्माद फैलाने वाले डिबेट करा रहे हैं, एक हिंदुत्ववादी और एक मौलाना को पकड़ कर, जो तमाशा फैला रहे हैं, उससे देश, समाज, धर्म और संस्कृति का क्या भला हो रहा है, यह तो वही जानें, पर उनके आचरण, और अनर्गल भड़काऊ बयानबाजी से देशभर में जो विभाजनकारी माहौल बनाया जा रहा है वह खतरनाक है।
अब नूपुर शर्मा अपने खिलाफ दर्ज मुकदमे में गिरफ्तार भी होंगी और आगे जो होगा यह तो वह भी अनुमान लगा रही होंगी। दंगाई अक्सर उन्माद का लाभ उठाते हैं और सामान्य युवा उस उन्माद के पागलपन में जो कर गुजरते हैं, उसकी पीड़ा वे ही जानते हैं। बहरहाल इन दोनो के पते सार्वजनिक नहीं किए जाने चाहिए, और इन्हे जीवन भय है तो सरकार को इसका भी समाधान करना चाहिए।
मैं बार बार कहता हूं, धार्मिक बनिए, धर्मांध और कट्टरपंथी नहीं। धार्मिक होने और धर्मांध होने में अंतर है। धर्मांधता खुद ही अधर्म है।
अजीत शाही-
बीजेपी ने जिस नवीन जिंदल को निकाला है उस के बारे में एक मित्र ने अभी मैसेज किया है —
“नवीन कुमरवा एक नंबर का लफंडर था सर। ज़ी में हमारे साथ था। अपने घर पर पटाखे फेंकवाए और खबर फैलाया कि उसको जान का खतरा है…बाद में दिल्ली पुलिस की सुरक्षा ली। फिर प्रवीण तोगड़िया की धोती पकड़कर लक्ष्मीनगर से चुनाव लड़ा था। बाद ने इसने अपना नाम नवीन जिंदल कर लिया।”