मध्य प्रदेश में वरिष्ठ पत्रकार ने पत्रकारिता की शुचिता के लिए धरना शुरू किया. उत्तर प्रदेश में एक मीडियाकर्मी के मारे जाने के बाद समाजवादी सरकार के जंगलराज में न्याय न मिल पाने के खिलाफ मीडियाकर्मी के परिजनों ने धरना शुरू किया है. मध्य प्रदेश की पत्रकारिता की शुचिता की रक्षा के लिए ग्वालियर के वरिष्ठ पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता जयंत सिंह तोमर ने बुधवार से ‘सत्याग्रह’ (आमरण अनशन) शुरू कर दिया. उनका आरोप है कि राज्य की पत्रकारिता में कारोबारियों व नेताओं की घुसपैठ बढ़ रही है.
तोमर ने बीते बुधवार से ग्वालियर के फूलबाग में गांधी प्रतिमा के समक्ष आमरण अनशन शुरू कर दिया। इस अनशन के दौरान वह पत्रकार संगठनों के नेताओं, समाचारपत्र समूह से जुड़े लोगों से लेकर सरकार के जनसंपर्क विभाग के अधिकारियों से सीधे संवाद करने की कोशिश करेंगे। वह उनसे अनुरोध करेंगे कि उन पत्रकारों को संरक्षण दिया जाए, जो समाजहित में आवाज उठाते हैं। उन्होंने आज कहा कि राज्य की पत्रकारिता में कारोबारियों और नेताओं की घुसपैठ बढ़ गई है। इसका प्रमाण पिछले दिनों एक शराब कारोबारी के यहां आयकर के छापों के दौरान जनसंपर्क विभाग द्वारा जारी किए गए अधिमान्यता के कार्ड का मिलना है। उन्होंने कहा कि बात एकदम साफ है कि शराब कारोबारी भी राज्य में अधिमान्यता प्राप्त पत्रकार हैं। इतना ही नहीं कई नेता भी अधिमान्यता प्राप्त पत्रकार हैं, इसलिए जरूरी हो गया है कि पत्रकारिता की शुचिता की रक्षा की जाए।
इलाहाबाद में एक दैनिक अखबार के कर्मचारी रहे अभिषेक मिश्र के कत्ल के दो हफ्ते बीतने के बावजूद पुलिस अब तक किसी भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर सकी है। पुलिस के ढुलमुल रवैये से नाराज अभिषेक के परिवार वालों ने इंसाफ की गुहार लगाते हुए बुधवार से इलाहाबाद के डीएम ऑफिस के सामने बेमियादी अनशन शुरू कर दिया है। परिवार वालों का कहना है कि आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं होने तक उनका अनशन जारी रहेगा। दरअसल, इलाहाबाद में एक दैनिक अखबार के ग्राफिक्स डिजाइनर रहे अभिषेक मिश्र की टुकड़ों में फेंकी गई लाश पहली मार्च को शहर के इंडस्ट्रियल एरिये में मिली थी। परिवार वालों ने इस मामले में कई लोगों पर शक जताते हुए पुलिस में केस दर्ज कराया था। अभिषेक के पिता भी इलाहाबाद के वरिष्ठ पत्रकार हैं।
परिवार वालों के मुताबिक़ इलाहाबाद पुलिस इस मामले में शुरू से ही ढुलमुल रवैया अपनाए हुए है और मामले के खुलासे को लेकर कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रही है। आरोप है कि पुलिस ने मीडियाकर्मी के परिवार वालों को चौदह दिनों बाद एफआईआर की कॉंपी दी। परिवार और पड़ोस के लोगों ने पुलिस के रवैये के खिलाफ बुधवार से डीएम ऑफिस पर बेमियादी अनशन शुरू कर दिया है। परिवार के साथ कई सामजिक व राजनैतिक संगठनों के लोग भी अनशन पर बैठे हुए हैं। परिवार के लोगों का कहना है कि आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं होने तक वह लोग इसी तरह अनशन पर बैठे रहेंगे। इलाहाबाद में मीडियाकर्मी अभिषेक मिश्र की हत्या किसने और क्यों की, फिलहाल यह रहस्य बना हुआ है। पुलिस अब तक इस रहस्य से पर्दा नहीं उठा सकी है। वहीं, परिवार के लोग भी दावे के साथ कुछ नहीं कह पा रहे हैं।