Sanjaya Kumar Singh : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी केरल की तुलना सोमालिया से कर गए। उसकी निन्दा हुई तो अमित शाह ने केरल सरकार को “नालायक” साबित करने के लिए कुपोषण से बच्चों की मौत का आरोप लगाया और आउटलुक के एक पुराने अंक का सहारा लिया। चुनाव प्रचार के अंतिम दिन पूरे आत्मविश्वास के साथ। इस बारे में Prakash K Ray ने लिखा है, बहुत समय से मेरी यह दृढ़ मान्यता रही है कि मेनस्ट्रीम पत्रकारिता मूर्खता के प्रसार का व्यापार है।
अब इस आउटलुक की कारस्तानी देखिये। अमेरिकी सरकार की श्रीलंका पर रिपोर्ट लगी तस्वीर को केरल की बता कर धंधा कर लिया। भाजपा इस झूठ को चुनाव में भुनाने की कोशिश कर रही है। अमेरिकी सरकार की रिपोर्ट इस लिंक पर देखें- http://www.state.gov/documents/organization/131025.pdf
अब आउटलुक ने ऐसा क्यों किया यह तो आउटलुक जाने। पर केरल में कुपोषण से मौत की चर्चा में आप तीन साल पुरानी पत्रिका का अंक पेश करेंगे तो पूछा जा सकता है कि बाकी मौतें आपको क्यों नहीं दिखीं? भूख से मौत के निम्न मामले गूगल पहले पेज पर दिखा रहा हैं। अमित शाह ने केरल में कुपोषण से हुई मौतों पर सवाल उठाया है। अच्छी बात है। पर ये मौतें भी तो भारत में हुई हैं। भले किसी बड़ी या स्थापित पत्रिका में न छपी हों। पर सरकार के पास तो अपना सूचना तंत्र है, होना चाहिए। वैसे भी, इस तरह की खबरों के लिए सिर्फ मीडिया के भरोसे नहीं रहा जा सकता है। पर अमित शाह ने इनकी चर्चा नहीं की क्योंकि चुनाव केरल में हैं।
अमित शाह साहेब!! देश भर में आपकी सरकार है। प्रधानमंत्री सारे देश के हैं। गलत तुलना कर गए तो उसे सही साबित करने की कोशिश से बेहतर नहीं होता कि बाकी देश का ख्याल रखते? देश के जिन राज्यों में भाजपा की सरकार है वहां मुख्यमंत्रियों को फ्री हैंड और जहां नहीं है वहां जंगलराज साबित करने में लगे रहेंगे तो देश कैसे चलेगा?
दिल्ली के वरिष्ठ पत्रकार संजय कुमार सिंह के फेसबुक वॉल से.
इसी मसले पर अभिषेक और रतीश का लिखा ये भी पढ़ें….
Abhishek Srivastava : साहेब ने केरल की सोमालिया से तुलना की तो उनके सिपाही उनसे बड़े काबिल निकले। अमित शाह ने आउटलुक का तीन साल पुराना कवर रैली में दिखाते हुए कहा कि सोमालिया पर माफी की तो भूल जाओ, पहले इस बच्चे के मरने पर माफी मांगो चांडी। पता चला कि कवर वाला बच्चा केरल नहीं, श्रीलंका का निकल गया। मीडिया का एक फ्रॉड कैसे राजनीति में दूसरे फ्रॉड को जन्म देता है, इसकी ताज़ा मिसाल देखिए और इसे सामने लाने के लिए Prakash K Ray का शुक्रिया अदा कीजिए।
Ratish Kumar Singh साधारण लोग तो पत्रकारों को ‘holier than thou’ मानते हैं। भला हो अमित शाह का नहीं तो आउटलुक जैसी प्रतिष्ठित पत्रिका का फर्जीवाड़ा हम जैसे साधारण मानुष को पता ही नहीं चलता। आउटलुक झूठ छापकर भी अपनी प्रतिष्ठा नहीं खोता, और आप उम्मीद रखते हैं की उसे कोट करके कोई खो देगा।