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पत्रकारों की लड़ाई लड़ने वाले परमानंद पांडेय को अपमानित करना शुरू किया के. विक्रम राव ने!

देश के जाने माने पत्रकार नेता परमानंद पांडेय को अपमानित करने की मुहिम खुद उनके ही संगठन के वरिष्ठों ने शुरू कर दी है. वरिष्ठ पत्रकार और सुप्रीम कोर्ट के वकील परमानंद पांडेय ने मजीठिया वेज बोर्ड की लंबी व मुश्किल लड़ाई लड़ते हुए पूरे देश में आम पत्रकारों के बीच सम्मान और प्रशंसा हासिल की है. लेकिन वे जिस पत्रकार संगठन IFWJ में महासचिव हैं, उसी संगठन के वरिष्ठ लोग उन्हें अपमानित करने की मुहिम चलाने लगे हैं.

<p>देश के जाने माने पत्रकार नेता परमानंद पांडेय को अपमानित करने की मुहिम खुद उनके ही संगठन के वरिष्ठों ने शुरू कर दी है. वरिष्ठ पत्रकार और सुप्रीम कोर्ट के वकील परमानंद पांडेय ने मजीठिया वेज बोर्ड की लंबी व मुश्किल लड़ाई लड़ते हुए पूरे देश में आम पत्रकारों के बीच सम्मान और प्रशंसा हासिल की है. लेकिन वे जिस पत्रकार संगठन IFWJ में महासचिव हैं, उसी संगठन के वरिष्ठ लोग उन्हें अपमानित करने की मुहिम चलाने लगे हैं.</p>

देश के जाने माने पत्रकार नेता परमानंद पांडेय को अपमानित करने की मुहिम खुद उनके ही संगठन के वरिष्ठों ने शुरू कर दी है. वरिष्ठ पत्रकार और सुप्रीम कोर्ट के वकील परमानंद पांडेय ने मजीठिया वेज बोर्ड की लंबी व मुश्किल लड़ाई लड़ते हुए पूरे देश में आम पत्रकारों के बीच सम्मान और प्रशंसा हासिल की है. लेकिन वे जिस पत्रकार संगठन IFWJ में महासचिव हैं, उसी संगठन के वरिष्ठ लोग उन्हें अपमानित करने की मुहिम चलाने लगे हैं.

ताजी खबर ये है कि आईएफडब्ल्यूजे के सम्मेलन में जब कार्यकारिणी के कई सदस्यों को के. विक्रम राव ने भाग लेने से रोकने की कोशिश की तो परमानंद पांडेय ने बतौर महासचिव इस कृत्य का विरोध किया और सम्मेलन का वाकआउट कर गए. सूत्रों का कहना है कि असल में पूरी लड़ाई सरोकार बनाम दलाली की है. एक तरफ परमानंद पांडेय पत्रकार हितों को लेकर संघर्षरत हैं और सत्ता व मीडिया प्रतिष्ठानों से टकरा रहे हैं तो दूसरी तरफ सत्ता के चारण किस्म के पदाधिकारी हैं जो संगठन को अपने कब्जे में रखकर हर हाल में दलाली संस्कृति को मुख्यधारा बनाए रखना चाहते हैं.

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परमानंद पांडे पर के. विक्रम राव खेमे ने आरोप लगाया है कि मजीठिया वेज बोर्ड का केस लड़ने के लिए उन्होंने आईएफडब्लूजे के आफिस का इस्तेमाल किया. यह बड़ा ही हास्यास्पद आरोप है कि अगर कोई पत्रकार संगठन का पदाधिकारी है तो वह पत्रकारों के हित के लिए लड़ता है तो इसमें क्या गलत है. मोदी और मुलायम के हाथों सम्मानित होकर खुद को महान पत्रकार बताने दिखाने वाले के. विक्रम राव नहीं चाहते कि संगठन के बैनर तले पत्रकारों के हित की लड़ाई लड़ी जाए. वे संगठन को सिर्फ नेताओं मंत्रियों अफसरों के आगे समर्पित करके इससे लाभ हासिल करना चाहते हैं. मकान, दुकान, सम्मान, रुपया, पैसा, एवार्ड हासिल करने के चक्कर में ही आज देश के ढेर सारे पत्रकार संगठनों महज हवा हवाई व भाषणबाजी तक सिमट गए हैं.

सूत्रों के मुताबिक आईएफडब्लूजे कार्य समिति की बैठक में विक्रम राव ने दो दर्जन बाउंसर बुला लिए. चर्चा है कि प्रधान महासचिव परमानंद सहित सात सदस्यों को शामिल होने से रोका. परमानंद पांडेय को महासचिव पद से हटाने की भी तैयारी है ताकि संगठन का दलाली के लिए पूर्ण रुपेण इस्तेमाल किया जा सके और कोई सवाल उठाने वाला न रहे. सम्मेलन में गैर सदस्यों को शामिल कर बैठक की औपचारिकता पूरी की जा रही है. उद्घाटन समारोह से मुलायम सिंह यादव ने किया किनारा. डीएम को बनाया मुख्य अतिथि. मथुरा में हुए सम्मेलन को लेकर आरोप लगाया जा रहा है कि मुलायम सिंह यादव के कार्यक्रम के नाम पर जम कर वसूली की गई. सायकिल स्टैंड चलाने वाले और कचौड़ी बेचने वालों को सम्मेलन का आयोजक बनाकर यह दिखा दिया गया कि संगठन पूरी तरह जेबी हो चुका है.

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ज्ञात हो कि परमानंद पांडेय एक जमाने में जनसत्ता अखबार में चीफ सब एडिटर हुआ करते थे. उन्होंने पत्रकारों के हित के लिए तीन माह की लंबी स्ट्राइक कराई. बाद में प्रबंधन ने उनका तबादला गोरखपुर कर दिया. उन्हें जब प्रबंधन ने किनारे करने की कोशिश की तो वे वकालत पढ़े होने के कारण सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करने लगे और मीडिया वालों की लड़ाई को अपने हाथ में लेकर अंजाम तक पहुंचाने लगे. उन्हें IFWJ का महासचिव बनाया गया लेकिन उन्हें काम करने यानि पत्रकारों की लड़ाई लड़ने से रोकने की भरसक कोशिश की गई लेकिन वो अपने पथ पर डटे रहे. ताजा विवाद के बाद माना जा रहा है कि के. विक्रम राव व उनकी लाबी परमानंद पांडेय को संगठन से बाहर करके संगठन को अपने मनमुताबिक संचालित करेगी.

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