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अमर उजाला चंडीगढ़ दफ्तर के कर्मचारियों का पानी पीना हुआ मुहाल

चंडीगढ़। अमर उजाला चंडीगढ़ दफ्तर में कर्मचारियों को पीने का पानी भी नहीं नसीब हो रहा। कहने को अमर उजाला देश में एक जानी-मानी मीडिया कंपनी है, लेकिन इसका एक सच यह है कि अमर उजाला चंडीगढ़ के कार्यालय में कर्मचारियों को पीने का पानी भी नहीं मिल रहा। अमर उजाला का खर्चा कम करने के चक्कर में कार्यालय में आने वाले पानी के कैन को बंद करवा दिया गया। नतीजा यह हुआ कि वहां काम करने वाले कर्मचारियों को पीने को पानी नहीं मिल पा रहा। मजबूरन उन्हें कर्यालय में लगा नल का पानी पीने पर विवश हाना पड़ रहा है जो बेहद गंदा है।

<p>चंडीगढ़। अमर उजाला चंडीगढ़ दफ्तर में कर्मचारियों को पीने का पानी भी नहीं नसीब हो रहा। कहने को अमर उजाला देश में एक जानी-मानी मीडिया कंपनी है, लेकिन इसका एक सच यह है कि अमर उजाला चंडीगढ़ के कार्यालय में कर्मचारियों को पीने का पानी भी नहीं मिल रहा। अमर उजाला का खर्चा कम करने के चक्कर में कार्यालय में आने वाले पानी के कैन को बंद करवा दिया गया। नतीजा यह हुआ कि वहां काम करने वाले कर्मचारियों को पीने को पानी नहीं मिल पा रहा। मजबूरन उन्हें कर्यालय में लगा नल का पानी पीने पर विवश हाना पड़ रहा है जो बेहद गंदा है।</p>

चंडीगढ़। अमर उजाला चंडीगढ़ दफ्तर में कर्मचारियों को पीने का पानी भी नहीं नसीब हो रहा। कहने को अमर उजाला देश में एक जानी-मानी मीडिया कंपनी है, लेकिन इसका एक सच यह है कि अमर उजाला चंडीगढ़ के कार्यालय में कर्मचारियों को पीने का पानी भी नहीं मिल रहा। अमर उजाला का खर्चा कम करने के चक्कर में कार्यालय में आने वाले पानी के कैन को बंद करवा दिया गया। नतीजा यह हुआ कि वहां काम करने वाले कर्मचारियों को पीने को पानी नहीं मिल पा रहा। मजबूरन उन्हें कर्यालय में लगा नल का पानी पीने पर विवश हाना पड़ रहा है जो बेहद गंदा है।

कार्यालय के छत पर लगी टंकी जिसकी सालों से सफाई तक नहीं करवाई गई, उसी का पानी पीने के लिय कहा जा रहा है। इस बाबत कुछ कर्मचारियों ने अपने सीनियर से शिकायत भी की और सीनियर एचआर से जा कर भी मिले। एचआर डिपार्टमेंट ने भरोसा दिलाया कि एक से दो दिन में पानी की व्यवस्‍था करवा दिया जाएगा लेकिन करीब एक हफ्ते से ना तो पीने के पानी की व्यवस्‍था हो पाई ना, ही इस समस्या का समाधान। इससे कुछ कर्मचारी अब घर से पानी की बोतल लाने को मजबूर हो रहे हैं।

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अमर उजाला कार्यालय 10 बजे सुबह ही खुल जाता है और रात के 3 बजे तक काम होता है। जो कर्मचारी सुबह 10 बजे दफ्तर आते हैं वह शाम को 6 बजे अपने-अपने घर चले जाते हैं और जो कर्मचारी शाम 6 बजे दफ्तर आते हैं वह रात को 2 से 3 बजे तक कार्यालय से घर जाते हैं। चंडीगढ़ कार्यालय में करीब 70 से 80 कर्मचारी हैं लेकिन यहां एक हफ्ते से पीने की पानी की व्यवस्‍था नहीं करवाई जा सकी। अगर शहर में पीने के पानी की मारामारी हो तो अमर उजाला में लीड खबर छपती है लेकिन अगर अमर उजाला कार्यालय में ही पीने के पानी की मारामारी हो तो यह बड़ी शर्म की बात है अमर उजाला के लिए।

अमर उजाला के एक कर्मी द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.

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0 Comments

  1. Purushottam Asnora

    November 14, 2015 at 5:12 am

    wah achchhi bachat hai, malik k kam aayegi.

  2. arvind

    November 15, 2015 at 1:06 pm

    जिस कंपनी मे चूतिया संपादक बैठा हो, वह कर्मचारियों का भला कैसे हो सकता है. पहले भी उदय कुमार सिन्हा चुतिआ ने राज किया.अब अपने बाप को बैठा दिया यहाँ . जो शोरूम मे बंद बैठा रहता है. कई बार सम्पादकीय से रात की शिफ्ट वालो ने पानी की shikayat की लेकिन उसे लोगो का ख़याल नहीं रहा. उदय की रह पर चल रहे है संपादक महोदय भी

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