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ब्रेन हैमरेज के बाद मेरठ के फोटोग्राफर राजन को नौकरी से निकाल दिया ‘हिंदुस्तान’ ने

दैनिक हिंदुस्तान मेरठ से खबर है कि यहां कार्यरत एक फोटोग्राफर को प्रबंधन ने इसलिए नौकरी से निकाल दिया क्योंकि उसे ब्रेन हैमरेज हो गया था. कारपोरेट मीडिया प्रबंधन अपने कर्मियों के प्रति कितना संवेदनहीन है, इसकी बानगी यह घटनाक्रम है. राजेंद्र सक्सेना उर्फ राजन दैनिक हिंदुस्तान, मेरठ में दस वर्षों से कार्यरत थे. फील्ड में घूम घूम कर वह फोटोग्राफी समेत अखबार के समस्त कार्य करते थे. सारे निर्देशों आदेशों का यस सर यस सर करते हुए पालन करते थे. एक दिन अचानक उन्हें ब्रेन हैमरेज हो गया. लंबा इलाज चला. जब वो ठीक होकर काम पर लौटे तो उन्हें एक लेटर थमा दिया गया कि आपकी नौकरी खत्म.

दैनिक हिंदुस्तान मेरठ से खबर है कि यहां कार्यरत एक फोटोग्राफर को प्रबंधन ने इसलिए नौकरी से निकाल दिया क्योंकि उसे ब्रेन हैमरेज हो गया था. कारपोरेट मीडिया प्रबंधन अपने कर्मियों के प्रति कितना संवेदनहीन है, इसकी बानगी यह घटनाक्रम है. राजेंद्र सक्सेना उर्फ राजन दैनिक हिंदुस्तान, मेरठ में दस वर्षों से कार्यरत थे. फील्ड में घूम घूम कर वह फोटोग्राफी समेत अखबार के समस्त कार्य करते थे. सारे निर्देशों आदेशों का यस सर यस सर करते हुए पालन करते थे. एक दिन अचानक उन्हें ब्रेन हैमरेज हो गया. लंबा इलाज चला. जब वो ठीक होकर काम पर लौटे तो उन्हें एक लेटर थमा दिया गया कि आपकी नौकरी खत्म.

लेटर में एक महीने का नोटिस प्रबंधन की तरफ से दिया गया था कि आपकी सेवा खत्म की जाती है. पहले तो राजन ने कई तरह से मिन्नतें की, 31 जुलाई तक इंतजार किया क्योंकि नोटिस के मुताबिक 31 जुलाई के बाद सेवा खत्म. जब कोई संपादक मैनेजर नहीं पसीजा तो राजन ने सारी उम्मीद छोड़ दी. हिंदुस्तान मेरठ में दो दो संपादक बैठते हैं. छोटे संपादक यानि रेजीडेंट एडिटर सूर्यकांत द्विवेदी और बड़े संपादक यानि वेस्ट यूपी हेड अनिल भास्कर. राजन ने सबसे हाथ जोड़कर अनुरोध किया, लेकिन किसी की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ा. 48 साल की उम्र में राजन बेरोजगार हो गया है. उसके पास तीन बिटिया हैं. एक बेटा है. बड़ी बिटिया दस साल की है. राजन का कहना है कि उसकी सारी उम्र अखबार लाइन में निकल गई, अब वह इस उम्र में नया काम कौन सा करे. जिस वक्त राजन को पैसों, संस्थान की सबसे ज्यादा जरूरत थी, उसी वक्त संस्थान ने उसे बाहर का रास्ता दिखा दिया.

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