प्रभात खबर अखबार की इन दिनों थू थू हो रही है. कभी सरोकार और ईमानदारी का दावा करने वाला ये अखबार आजकल धूर्तता और बेइमानी पर आमादा है. तभी तो अपने रिपोर्टर की मौत के बाद यह अखबार अब उसे अपना पत्रकार ही नहीं मान रहा है.
संजीत उपाध्याय प्रभात खबर, आरा में रेल बीट के रिपोर्टर थे. उनकी एक रोज रेल पटरी पर लाश मिली. कुछ लोग इसे हत्या बता रहे हैं जबकि कुछ का कहना है कि दुर्घटना में मौत हुई. जांच जारी है. लेकिन शर्मनाक रवैया प्रभात खबर ने दिखाया. इस अखबार ने अपने यहां छपी खबर में कहीं भी यह उल्लेख नहीं किया कि संजीत प्रभात खबर के रिपोर्टर थे.
प्रभात खबर की खबर में संजीत को ‘एक अखबार का रिपोर्टर’ कहा गया है. दूसरे अन्य अखबारों ने अपने यहां छापा है कि संजीत प्रभात खबर के रिपोर्टर थे. इस प्रकरण पर बक्सर के शुभ नारायण पाठक फेसबुक पर कुछ यूं लिखते हैं-
Shubh Narayan Pathak : पारदर्शिता, ईमानदारी और जुनून… एक पत्रकार की संदिग्ध परिस्थितियों में उस वक्त मौत होती है, जब वह अपने अखबार के दफ्तर से देर रात को घर लौट रहा होता है। अखबार इसे खबर बनाते हैं। अखबार A, B और C बताते हैं कि अखबार D के पत्रकार की ट्रेन से गिर कर मौत हो गई। जबकि अखबार D के मुताबिक वह एक प्रतिष्ठित अखबार का पत्रकार था।
इस पर आए कुछ प्रमुख कमेंट…
Dinesh Rai जबकि इस खबर को पढ़ने वाले पाठको के अनुसार अखबार D को जो अपने रिपोर्टर को अपना नहीं कह सका, निहायत ही घटिया अखबार माना जाना चाहिए
Kapindra Kishor Bhardwaj इस खबर के बाद बड़ा अजीब महसूस कर रहा हूँ..कुछ समझ नही आ रहा भईया…
Arun Bhole बडे पैमाने पर इस अखबार का विरोध करना चाहिऐ और अभियान चलाकर पाठको को इस अखबार को लेने से वंचित करने का सशक्त मुहिम चलाना होगा। ऐसा अभियान कि दोनो जिले मे इसकी एक प्रति भी कोई न खरीदे। निर्लजता की हदे पार कर दिया अखबार। दुखद।
देखिए प्रभात खबर, आरा में छपी संजीत उपाध्याय की बाइलाइन खबर… इससे साबित हो जाता है कि संजीत प्रभात खबर के ही रिपोर्टर थे लेकिन प्रभात खबर का हरामखोर प्रबंधन मौत के बाद अपने ही रिपोर्टर से मुंह फेरने पर आमादा है…
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