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सुख-दुख

प्रेस क्लब आफ इंडिया : किसी ज़माने में यहां का खाना अच्छा होता था, आज लगा ये मयखाना ही अच्छा…

Ajit Anjum : मैं आमतौर पर प्रेस क्लब जाता नहीं क्योंकि मैं पीता नहीं… साल में दो तीन दिन चाहे अनचाहे चला जाता हूं… कुछ दोस्तों की ज़िद पर या तो वोट देने या किसी के साथ खाने के लिए.. पिछले साल वोट देने तो नहीं जा पाया लेकिन आज अपने मित्र राजीव कुमार और शिल्पा जी के कहने पर ना ना करते हुए कुछ खाने के लिए प्रेस क्लब पहुँच गया और एक एक करके पाँच तरह का स्नैक्स मंगवाकर खाने की नाकाम कोशिश करता रहा…

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Ajit Anjum : मैं आमतौर पर प्रेस क्लब जाता नहीं क्योंकि मैं पीता नहीं… साल में दो तीन दिन चाहे अनचाहे चला जाता हूं… कुछ दोस्तों की ज़िद पर या तो वोट देने या किसी के साथ खाने के लिए.. पिछले साल वोट देने तो नहीं जा पाया लेकिन आज अपने मित्र राजीव कुमार और शिल्पा जी के कहने पर ना ना करते हुए कुछ खाने के लिए प्रेस क्लब पहुँच गया और एक एक करके पाँच तरह का स्नैक्स मंगवाकर खाने की नाकाम कोशिश करता रहा…

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मोमो, चिली पनीर, तंदूरी चिकन, फ़िश फ्राई और चिकन चिली.. एक भी आइटम ऐसा नहीं था, जो मुँह का ज़ायक़ा ख़राब करने में सक्षम न हो.. शिल्पा-राजीव को कोसता भी रहा और तय किया कि भूख से निजात का कोई दूसरा विकल्प जब तक होगा, यहाँ खाने तो नहीं आऊँगा… हाँ, पीने वालों को ये मयखाना मुबारक… किसी ज़माने में यहाँ का खाना अच्छा होता था आज लगा कि ये मयखाना ही अच्छा.. प्रेस क्लब के आसपास फुटपाथ पर या जंतर मंतर के ढाबे पर इससे लाख गुना बेहतर खाना आपको मिल जाएगा..

इंडिया टीवी के मैनेजिंग एडिटर अजीत अंजुम की एफबी वॉल से.

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0 Comments

  1. Ravi Gautam

    July 13, 2016 at 11:47 am

    शराबियों की पसंद का खाना बगैर शराब पीये….तो भला खाना कैसे अच्छा लगता:):)

  2. अंजुम का यार

    July 13, 2016 at 11:59 am

    लग रहा है…जल्द ही प्रैस क्लव की कमान अजीत अंजुम संभालेंगे…। या ये भी हो सकता है…इस खबर के साथ ही एक माहौल क्रियेट किया जा रहा है…ताकि चुनावी मुद्दा मिले….वाह जी वाह…मुर्गा शहीद कर इतनी बड़ी साजिश….। बहुत ही सस्ते में रास्ता चुन लिया…। क्योंकि खाना तो यहां ठीक ही मिलता है…लेकिन, जुबान अगर बिगड़ जाए तो उसका क्या कीजिएगा…।

  3. pushpendra kumar arya

    July 14, 2016 at 11:36 am

    sahi kaha aapne sir

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