प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के तीन सौ पंद्रह सदस्यों पर क्लब का पैसा बकाया है. क्लब की प्रबंधन समिति ने सभी को मेल भेज कर बकाया जमा करने का अनुरोध किया है. कुछ पत्रकारों पर क्लब की सालाना सदस्यता शुल्क बकाया है तो कइयों पर खाने-पीने का पैसा बाकी है.
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के तीन सौ पंद्रह सदस्यों पर क्लब का पैसा बकाया है. क्लब की प्रबंधन समिति ने सभी को मेल भेज कर बकाया जमा करने का अनुरोध किया है. कुछ पत्रकारों पर क्लब की सालाना सदस्यता शुल्क बकाया है तो कइयों पर खाने-पीने का पैसा बाकी है.
प्रेस क्लब आफ इंडिया को अगर काक्रोच क्लब आफ इंडिया भी कह लें तो कोई बुरा न मानेगा क्योंकि एक तो वैसे ही होली नजदीक है और दूजे प्रेस क्लब की टेबल पर सरेआम काक्रोच घूमते टहलते और आपके खाने में मुंह मारते मिल जाएंगे. सबकी दुर्व्यवस्था की खोज खबर रखने वाले पत्रकारों के अपने ही क्लब का क्या हाल है, इसे देखने लिखने वाला कोई नहीं.
अमित भनोट पीआईबी एक्रेडेटेड जर्नलिस्ट हैं. दिल्ली में नौ साल से पत्रकारिता कर रहे हैं. दलाल स्ट्रीट मैग्जीन में डिप्टी एडिटर हैं. बावजूद इसके कई साल से प्रयास करने पर भी उन्हें प्रेस क्लब आफ इंडिया की मेंबरशिप नहीं दी गई. ऐसा इसलिए क्योंकि नदीम अहमद काजमी का जंगलराज प्रेस क्लब आफ इंडिया में चलता है. हाल फिलहाल बनाए गए पांच सौ नए मेंबर्स की डिटेल अगर निकलवा ली जाए तो आपको सैकड़ों ऐसे मेंबर मिलेंगे जिनका बैकग्राउंड पत्रकारिता का नहीं है. लेकिन उन्हें अपने धर्म या जाति का होने के कारण सदस्य बना दिया गया है ताकि प्रेस क्लब में वोटबैंक का राजनीति में पलड़ा भारी रहे.
Vineeta Yadav : प्रेस क्लब में यूँ तो कोई दिलचस्पी नहीं थी लेकिन कुछ लोगों ने कहीं न कहीं ये विश्वास दिला दिया था कि क्लब को हमारे जैसे लोगों की भी शायद ज़रूरत है और शुरुआती दो साल हमने अपनी भागीदारी देने की कोशिश भी की क्लब को बेहतर तस्वीर में लाने के लिए. लेकिन इस साल सारी मेहनत पानी सी हो गयी क्यूँकि तानाशाही का रवैया यूँ दिखा कि एक एक करके हर कोना ईमानदारी का ध्वस्त होता दिखने लगा.
Ajit Anjum : मैं आमतौर पर प्रेस क्लब जाता नहीं क्योंकि मैं पीता नहीं… साल में दो तीन दिन चाहे अनचाहे चला जाता हूं… कुछ दोस्तों की ज़िद पर या तो वोट देने या किसी के साथ खाने के लिए.. पिछले साल वोट देने तो नहीं जा पाया लेकिन आज अपने मित्र राजीव कुमार और शिल्पा जी के कहने पर ना ना करते हुए कुछ खाने के लिए प्रेस क्लब पहुँच गया और एक एक करके पाँच तरह का स्नैक्स मंगवाकर खाने की नाकाम कोशिश करता रहा…
दिल्ली के दो बड़े पत्रकार क्लब (प्रेस क्लब ऑफ इंडिया P.C.I और इंडियन वूमैन प्रेस कोर I.W.P.C) पिछले दो तीन वर्ष से पूरी तरह सियासी रंग में रंग गए हैं। ये दोनों क्लब दो धड़ों में बंटे हैं- वामपंथ और दक्षिण पंथ। दिल्ली का मीडिया अपने हितों की कम और अपनी अपनी विचारधारा की पार्टियों की ज्यादा चिंता करता है। चाहे फिर वो पत्रकारों की हत्याएं हों या फिर महिला पत्रकारों के शोषण या फिर वेतन का मामला हो या मीडिया संस्थानों से बड़े पैमाने पर छंटनी। लाखों की सैलरी पाने वाले वो सभी दिग्गज चुप्पी साध जाते हैं जो हर छोटे से मुद्दे पर बवाल खड़ा कर देते हैं और धरने प्रदर्शनों का आयोजन करते हैं।
सात अक्टूबर को प्रेस क्लब आफ इंडिया में ‘मीडिया की मारी प्रतिमा बोलेगी’ कार्यक्रम में आगरा की समाज सेविका प्रतिमा भार्गव ने आई-नेक्स्ट अखबार के दुर्व्यवहार, मानहानि, प्रताड़ना की कहानी सुनाते सुनाते रो पड़ीं. घटिया किस्म की पेज थ्री और पेड पत्रकारिता करने वाले इस अखबार ने मसालेदार खबर परोसने के चक्कर में इस समाजसेविका के चाल चलन चरित्र पर ऐसी फर्जी मनगढ़ंत खबर छाप दी कि इनका जीना मुश्किल हो गया. घर परिवार समाज में इनकी इज्जत दाव पर लग गई. प्रतिमा ने इस दौरान क्या क्या झेला, उन्होंने विस्तार से बताया. बताते सुनाते वह रोने लगीं. उनके साथ आए उनके पुत्र की भी आंखों से आंसू बह निकले.
दिल्ली : प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन न्यायमूर्ति सीके प्रसाद ने कहा है कि आंकड़ों के हिसाब से पत्रकारों पर हमले की घटनाएं बढ़ी नहीं हैं। पीसीआई की एक उप समिति ने इस तरह की धममियों से निपटने के लिए कानून संबंधी अपनी सिफारिशें दे दी हैं। पत्रकार पर उसके काम को लेकर किया गया हमला काफी गंभीर मामला है। इसे संज्ञेय अपराध की श्रेणी में लाया जाना चाहिए। हमने इस अपराध के लिए पांच साल की सजा की सिफारिश की है। उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को भी पीसीआई के तहत लाया जाना चाहिए।
: प्रेस क्लब आफ इंडिया के चुनाव में राहुल-नदीम पैनल ने विरोधी पक्ष का सूपड़ा साफ किया : राष्ट्रीय सहारा के संजय सिंह ने लगातार पांच चुनावों में भारी मतों से जीतकर रिकार्ड बनाया :
पहली अपील नदीम-राहुल जलाली पैनल की तरफ से….
प्रिय सदस्यों,
बड़े रोष व दुख के साथ हमें यह ईमेल करना पड़ रहा है कि मुझे (नदीम काजमी और विनीता यादव) को निशाना बनाकर धन की अनियमितताओं सम्बंधी गंभीर आरोप लगाए जा रहे हैं। इन आरोपों के लिए कुछ लोग व्यक्तिगत रुप से फेसबुक तथा सोशल मीडिया का सहारा लेकर छवि खराब कर रहे हैं। प्रेस क्लब के चुनाव के ऐसे मौके पर यह दुखद है कि ये आरोपों की तह में जाने और सच्चाई की पुष्टि किए बिना संदेशों को आगे भेजकर पत्रकार के रुप में अपनी साख तो गिरा ही रहे हैं,समूची पत्रकारिता की बिरादरी पर बट्टा लगा रहे हैं।
बिल्डरों से अपवित्र रिश्ते रखने समेत कई किस्म के गंभीर आरोपों में घिरे प्रेस क्लब आफ इंडिया के महासचिव नदीम अहमद काजमी जो इस बार भी चुनाव में इसी पद के लिए उम्मीदवार हैं, पर एक नया आरोप ये लगा है कि उनके नेतृत्व में प्रेस क्लब आफ इंडिया के भीतर होने वाली सीसीटीवी रिकार्डिंग के चुनिंदा फुटेज अपने विरोधियों को नुकसान पहुंचाने के इरादे से लीक करा दिए गए हैं. इसी तरह का एक फुटेज भड़ास4मीडिया के भी हाथ लगा है जिसमें प्रेस क्लब चुनाव के दो प्रत्याशियों में किसी बात पर कहासुनी हो रही है.
देश में पत्रकारों की सबसे बड़ी संस्था प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया का चुनाव 30 मई को है। इस बार का चुनाव हर साल क्लब की प्रबंध समिति के लिए होने वाले चुनाव से थोड़ा हटकर है। चार साल पहले क्लब में आर्थिक गड़बड़ियों के कारण पुष्पेन्द्र और परवेज अहमद को हटाने के लिए जिस तरह बड़ी तादाद में पत्रकार एकजुट हुए और पुष्पेन्द्र एंड कंपनी का हराकर संदीप दीक्षित व रामचंद्रन के पैनल को भारी जीत दिलाई गई, ठीक उसी तरह इस बार नदीम अहमद काजमी और राहुल जलाली पैनल को हराने के लिए पत्रकार एकजुट हो गए हैं।
Sunil Verma : कई साथी जिक्र कर रहे थे कि प्रेस क्लब के चुनाव में इस बार बिल्डर लॉबी जबरदस्त एक्टिव है… कान लगाकर सुना तो ज्ञान मिला कि बिल्डर लॉबी ने नई बिल्डिंग का ठेका मिलने के लालच में चुनाव लड़ रहे कई पत्रकार भाई लोगों को एक लाख रूपए दिए हैं…. मुझे तो …
प्रेस क्लब आफ इंडिया के सालाना चुनाव कई हफ्तों के लिए टल गए हैं. इसके पीछे कई तरह के कयास लगाए गए. कुछ लोगों ने गंभीर किस्म के आरोप भी लगाए. पर अब प्रेस क्लब आफ इंडिया की मैनेजिंग कमेटी ने स्पष्ट किया है कि आखिर किन वजहों से चुनाव टालने को मजबूर होना पड़ा. इसके पीछे वजह बताया गया कंपनी एक्ट में कई महत्वपूर्ण बदलाव. उन बदलावों के अनुरूप प्रेस क्लब को ढालने के लिए वक्त चाहिए. इसी वजह से चुनाव टालने जैसा बड़ा व मुश्किल फैसला लेना पड़ा. यह वजह कितना पर्याप्त है चुनाव टालने के लिए, ये तो प्रेस क्लब के सदस्य गण बताएंगे लेकिन प्रेस क्लब आफ इंडिया की तरफ से इसके सदस्यों को चुनाव टालने को लेकर जो मेल भेजा गया है, उसकी एक प्रति भड़ास के पास भी है, जिसे यहां प्रकाशित किया जा रहा है.
: Raise a voice against delay in elections and demand immediate elections : New Delhi : On March 23, 2015, the office bearers and managing committee of the PRESS CLUB OF INDIA (PCI) held a meeting in which it was decided to postpone the Club’s elections, which were originally scheduled to take place in March.
प्रेस क्लब आफ इंडिया के कोषाध्यक्ष और राष्ट्रीय सहारा के नेशनल ब्यूरो में वरिष्ठ पद पर कार्यरत पत्रकार संजय सिंह के बारे में सूचना मिली है कि उन्हें मच्छर ने काट लिया है जिसके कारण उन्हें डेंगू हो गया है. उन्हें दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गया है. उन्हें जब भर्ती …
The Report of three-member Committee consisting of Shri Rajeev Ranjan Nag as Convenor and S/Shri Krishna Prasad and K. Amarnath as Members constituted on 12.9.2014 by the Chairman, Press Council of India to probe threats to the media in Telangana following remarks reported to have been made by the Chief Minister of the State, Shri K. Chandrasekhar Rao, in Warangal City on 9th September, 2014 was adopted by the Council in its meeting held on 27.10.2014 at New Delhi.
पाकिस्तान से गरमा-गरमी के इस दौर में पाकिस्तानी हैकरों ने भारतीय मीडिया पर निशाना साधते हुए प्रेस क्लब आफ इंडिया की वेबसाइट को हैक कर लिया है. पाकिस्तानी हैकर्स ने प्रेस क्लब ऑफ इंडिया की वेबसाइट को हैक करने के बाद इस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर नकारात्मक और अश्लील कमेंट किया है. साथ ही हैकर्स ने साइट पर पाकिस्तान का झंडा लगा दिया है. यहां ‘फ्री कश्मीर’ के लिए संदेश भी लिखे हैं. हैकरों ने लिखा है कि उनका अगला निशाना भारत सरकार की वेबसाइट है.