Mukesh Aseem : महाराष्ट्र-गुजरात में सभी दलों के नेता बहुत सारे कोआपरेटिव बैंक चलाते हैं जिनके बारे में रिजर्व बैंक का मत रहा है कि ये भ्रष्टाचार, काला धन, मनी लॉन्डरिंग, आदि तमाम किस्म की चोरी-स्कैम के केंद्र हैं| नोटबंदी में भी ऐसी शिकायतें खूब आईं| गुजरात में तो ये बीजेपी के नियंत्रण में ज्यादा हैं, खुद अमित शाह से लेकर सब बड़े नेता इनके डायरेक्टर हैं| इसलिए वहाँ तो रिजर्व बैंक कुछ नहीं बोला लेकिन महाराष्ट्र में इनमें से ज़्यादा कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना के कण्ट्रोल में हैं, बीजेपी के कम हैं| यहाँ भी इनके पास 2770 करोड़ के पुराने नोट जमा हुए थे| रिजर्व बैंक ने इन्हें लेने से मना कर दिया था क्योंकि इनके जमाकर्ताओं का कोई रिकॉर्ड नहीं था|
अब किसानों को खुश करने के लिए बीजेपी सरकार ने घोषणा की कि वह कर्ज माफ़ी की प्रक्रिया चलने के पहले प्रति किसान 10 हजार का अग्रिम भुगतान करेगी जिसे बाद में एडजस्ट कर लिया जायेगा| अब इन बैंकों को मौका मिल गया क्योंकि किसानों के अधिकाँश खाते इनके पास ही हैं| इन्होंने कहा कि हमारे नोट नहीं बदले गए तो हमारे पास किसानों को देने के लिए नकदी नहीं है| बस आज ही ऐलान हो गया कि इनके नोट भी रिजर्व बैंक ले लेगा! अभी भी पुराने नोटों का धंधा बंद क्यों नहीं हुआ है और रिजर्व बैंक हिसाब-किताब क्यों नहीं बता रहा है उसके पीछे ऐसे बहुत सारे झोल हैं जो परदे के पीछे चल रहे हैं!
पत्रकार मुकेश असीम की एफबी वॉल से.
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