नेशनल शूटर तारा शाहदेव और रंजीत सिंह कोहली उर्फ रकीबुल की शादी और फिर धर्म परिवर्तन से लेकर तारा शाहदेव के साथ उत्पीड़न की मामला सुर्खियों में आया। 40 दिनों तक तारा ने रकीबुल की कैद में रहकर हर तरह के ज़ुल्म को झेला। तारा की रीढ़ की हड्डी डैमेज कर दी गई। लेकिन तारा के बाहर आने के बाद झारखंड की राजनीति, ब्युरोक्रैसी, पुलिस व्यवस्था से लेकर ज्यूडिशियरी में भूचाल आ गया। लंपट राजनीति की कलई खुली तो न्यायिक व्यवस्था से जुड़े लोगों और पुलिसिया भेड़ियों की कहानी ने देश समाज को लज्जीत कर दिया। पैसे और लड़की का व्यापक जाल सामने आया। सीबीआई की जांच की सिफारिश राज्य सरकार ने की लेकिन तारा को कितना न्याय मिलेगा कहना मुश्किल है।
इन तमाम मामलों पर तारा शाहदेव के साथ खास और एक्सक्लूसिव बातचीत:
सवाल: आपने कहा है कि नवबंर महीने में रकीबुल कोई बड़ा धमाका करना चाहता था?
जवाब: जी हां वह ऐसा ही अपने फोन से बोलता था। वह कहता था कि उसके जाल में 15 विधायक, 14 गवर्नर, 4 जज और दर्जनों पुलिस अधिकारी हैं। वह यह भी कहता था कि 14 विधायक इस काम के लिए काफी हैं। लगता है कोई बड़ा राजनीतिक स्कैंडल की बात होगी। नामधारी को भी गवर्नर बनवाने की बात करता था। अब जांच एजेंसी हैं, पता कर सकती हैं।
सवाल: क्या किसी जज को आप जानती हैं?
जवाब: 4 जज इसके टच में थे। एक तो दिल्ली से आते थे, शायद उनका नाम इकबाल था। दो जज यहीं के थे। पूर्व राज्यपाल सैयद सिप्ते रजी भी यहां आते थे। रजी से इसके घनिष्ठ संबंध थे।
सवाल: सुरेश पासवान राज्य के मंत्री हैं उसके बारे में आपकी क्या सोच है।
जवाब: वह काला चेहरा है राजनीति का, सफेद कपड़ा पहनकर काला खेल करता है। पता नहीं राजनीति में वह क्या करता है। ऐसे लोगों पर शर्म आती है।
सवाल: और हाजी हुसैन?
जवाब: सब एक ही थाली के चट्टे-बट्टे हैं। उसके रैकेट में सब शामिल हैं। बड़ा रैकेट, सच, पता नहीं पुलिस कितना जांच करेगी।
सवाल: उसके घर पर और कौन आते थे?
जवाब: एक तो सीजीए देवघर था। एक एडीएम सोनभद्र उत्तर प्रदेश, एसडीएम इलाहाबाद। इसके अलावा दिल्ली से एक आईएएस आता था। कई और बड़े अधिकारी दिल्ली से आते थे। कुछ लोग छत्तीसगढ़ से भी आते थे। एसी काजमी भी था।
सवाल: आपने 14 विधायक की बात कही है और कितनों को आप पहचानती हैं?
जवाब: रकीबुल 14-15 विधायकों को अपने जेब में रखने की बात करता था। वह बात भी करता था। मैं दो को ही पहचानती हूं। बाकी को मैंने नहीं देखी नहीं।
सवाल: किस पार्टी के विधायक थे?
जवाब: इतने बड़े पैमाने पर कोई खेल हो रहा हो तो जाहिर है इसके चंगुल में सभी दलों के विधायक होंगे। चुकि मैंने सबको देखी नहीं लेकिन हमें लगता है कि कर्ई और दलों के विधायक भी इसके नेटवर्क में शामिल थे।
सवाल: आप चुनाव लडऩे जा रही हैं?
जवाब: नहीं। कई लोगों ने इस ओर इशारा किया है। कुछ लोगों ने हमें यह भी कहा कि मैं बीजेपी की हूं। लेकिन मैं राजनीति में नहीं जा रही हूं। राजनीति वाले क्या सोच रहे हैं, मैं नहीं जानती। कई दलों के लोग मिलने आये हैं। लेकिन मेरा मकसद रकीबुल के खेल और तंत्र को ओपन करना है। रकीबुल पूरे देश पर राज करना चाहता था।
सवाल: शादी के पहले से कितने दिनों की पहचान थी?
जवाब: डेढ़ माह की। वह अपने को संस्कारी के रूप में पेश कर रहा था। हम लोग उसे पहचान नहीं पाये। अपना मकसद पूरा होते ही उसने हमें प्रताडि़त करना शुरू कर दिया।
सवाल: रकीबुल हिंदू है या मुसलमान?
जवाब: वह आधा हिंदू और आधा मुसलमान है। उसका जन्म भले ही हिंदू घर में हुआ है लेकिन वह अब मुस्लिम जीवन जीता है।
सवाल: और रकीबुल की मां?
जवाब: वह तो मुस्लिम ही है। भर दिन घर में अल्ला-अल्ला करती रहती थी।
सवाल: धर्म परिवर्तन करने की लड़ाई आप लड़ रही हैं या फिर रकीबुल के गलत खेल के खिलाफ हैं?
जवाब: जबरन धर्म परिवर्तन का मामला तो है ही और प्रताड़ित करने का मामला भी। लेकिन इस आदमी का बड़ा संसार है। ऐसा कोई काम नहीं जिसमें यह शामिल नहीं है। लड़की सप्लाई करने से लेकर तमाम तरह के खेलों में यह शामिल है। इसकी जांच हो।
सवाल: रकीबुल का आरोप है कि आप पैसे के लिए ऐसा कर रही हैं?
जवाब: मेरी शादी में मेरी मौसी ने खर्च किये हैं। करीब 15 लाख रुपये खर्च हुए। सब मेरी मौसी ने किया। हम लोग जमीन वाले हैं। खेती बाड़ी है। उसी से घर चलता है। मुझे भी जीने के लिए निशानेबाजी से पैसे मिल जाते हैं। वह जो भी कह रहा है झूठ बोलता है। रेडिशन ब्लू में शादी हुई। शादी से पहले उसने एक अंगूठी गिफ्ट की थी।
सवाल: किन किन नेताओं ने आपको चुनाव लड़ने को कहा?
जवाब: मैं राजनीति को नहीं देख रही हूं। यह राजनीति वाले सभी मुद्दों को दबाना चाहते थे। मैं शूटर हूं वही रहूंगी।
सवाल: वामदेव ने 10 हजार लड़कियों को बेचा, रकीबुल और वामदेव में क्या अंतर है?
जवाब: यह एक रैकेट है उनके पास राजनीतिक पावर है ये लड़कियों को टार्चर करते हैं हमने चार पांच लड़कियों का ग्रुप यहां भी आते देखा। एक रिचा नाम की थी।
सवाल: क्या आप कैद में थी?
जवाब: हां, फोन से भी बात सामने में करवाते थे। हमें बंद करके रखा गया था।
सवाल: इस राज्य को क्या कहेंगे?
जवाब: आम आदमी को बहुत परेशानी है। टार्चर किया जाता है। लूटने का खेल है। बड़ा खेल है सर।
सवाल: मीडिया की भूमिका कैसी है?
जवाब: मीडिया की भूमिका अच्छी है। सच्चाई के साथ है। मीडिया ने ही हमें बचाया है।
सवाल: शादी से पहले उसकी मां को नहीं पहचान सकीं?
जवाब: पता ही नहीं चला। वह मुस्लिम थी फिर हिंदू बनी फिर मुस्लिम।
सवाल: आपकी जन्म तिथि और घर परिवार?
जवाब: फरवरी 1992। एक भाई है जुवेद नाथ शाहदेव, मां गुजर गयी इसी साल और पिताजी हैं। 12 वीं की है अभी प्रथम श्रेणी से। पढ़ाई करूंगी और खेलूंगी। हमने कई गोल्ड मेडल जीते हैं।
सवाल: क्या आपको नहीं लगता है कि झारखंड में ऊपर से लेकर नीचे तक भ्रष्टाचार है?
जवाब: इसे कौन नहीं मानेगा सब दिखाई पड़ रहा है। पैसे के लिए कुछ भी करने को तैयार है। लेकिन जांच करने वाला ही जब खेल करता हो तो क्या कहेंगे।
अखिलेश अखिल वरिष्ठ पत्रकार हैं।
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सिकंदर हयात
September 1, 2014 at 6:24 pm
कुछ सत्यानाशी कठमुल्ला हमारे लिए शर्मिंदगी का सबब ही बनते हे बचपन से देखता भापता आ रहा हु इन कटरपन्तियो को इस्लाम की एक भी खूबी इनमे नहीं होती बस बिना सोचे समझे हर किसी को इस्लाम का पाठ पढ़ाने की कोशिश करते हे कन्वर्ट के लिए बेहद उत्सुक रहते हे बहुत से सुना हे की इसके लिए पैसा भी अरब देशो से खींचते हे खुद के क्या अमाल हे सामने वाला केसा हे केसा नहीं हे इन बातो से कठमुल्लाओं को कोई लेना देना नहीं होता अधिकांश मुस्लिम लेखक पत्रकार भी इनका कोई अध्ध्य्यन नहीं करते और संघ परिवार के खिलाफ बोलकर अपने फ़र्ज़ की इतिश्री समझ लेते हे इस सबके बीच कोई सबसे अधिक पीस रहा हे तो वो हे आम शरीफ और सीधा साधा मुस्लिम जिसकी हिन्दू कटटरपन्ति और मुस्लिम कटटरपन्ति दोनों जान खा रहे हे इस दोहरे दबाव का में भी खूब अनुभव कर चूका हु
सिकंदर हयात
September 2, 2014 at 3:51 am
तारा जी ने भी अपने और अपने परिवार की खता नहीं बताई हे इसमें कोई शक नहीं की पेसो की चमक में य लोग भी अंधे से ही हो गए थे और शादी से पहले ठीक से लड़के की जांच पड़ताल का फ़र्ज़ नहीं निभाया गया हमेशा याद रखिये की अगर आपके घर आपकी आर्थिक हैसियत से काफी ऊपर का रिश्ता आता हे तो सावधानी से जांच पड़ताल जरूर कीजिये इनमे कोई न कोई राज़ अवशय ही होगा