Priyabhanshu Ranjan : आज Primetime देखते हुए सोच रहा था कि पूरी NDTV और खासकर रवीश कुमार ने जिस तरह न्यूज़ चैनलों, कुछ दोयम दर्जे के पत्रकारों, समाज में रह रही दंगाइयों की भीड़ और मोदी सरकार को expose किया है, क्या इससे उन्हें कोई खतरा नहीं होगा ! मुझे पूरा अंदेशा है कि रवीश और NDTV का कोई भी पत्रकार अब मोदी सरकार और उनके कट्टर समर्थकों को फूटी आंख नहीं सुहा रहा होगा। लिहाज़ा, उन्हें पत्रकारिता तो ऐसी ही जारी रखनी चाहिए…लेकिन अपनी सुरक्षा को लेकर भी चौकसी बरतनी चाहिए….क्योंकि रवीश सुधीर चौधरी जैसे ‘भक्त’ पत्रकार नहीं हैं, जिन्हें मोदी सरकार सरकारी सुरक्षा मुहैया करा दे।
दुर्गाप्रसाद अग्रवाल : दोस्तों, विलक्षण था कल रात का प्राइम टाइम! हमारे समय को, हमारे मीडिया को दर्पण दिखाता हुआ एक ऐसा कार्यक्रम जो हर सोचने समझने वाले, हर संवेदनशील इंसान को हिला गया. हमारी, मतलब हममें से बहुतों की राजनीतिक प्रतिबद्धताएं हो सकती हैं. लेकिन उनके बावज़ूद यह सोचा जाना चाहिए कि हम किस तरफ़ बढ़ रहे हैं? कहां को जाता है यह रास्ता? ग़ौर कीजिए, यह कार्यक्रम किसी राजनीतिक दल को लक्षित नहीं था. यह मुखातिब था रवीश Ravish Kumar की खुद की बिरादरी से. और ऐसा करने का साहस भला कितने लोग दिखा पाते हैं? अगर आप इसे नहीं देख सके, तो थोड़ा वक़्त निकाल कर अब देख लीजिए.
आशीष सागर : ‘उबास है हर दिल में और आदमी बेपर्दा है, जरा देखो तो रिश्तो में कितनी गर्दा है!’ शायद बीती रात इस देश का लोकतंत्र हिल गया हो! इस पहल को उस भीड़ पर मै तमाचा मानता हूँ इस सवाल के साथ कि वास्तव में मीडिया क्या है? इस प्राइम टाइम ने बतला दिया कि सच में हम नंगे हो चुके है! …बस ये आवाज सुनो इसलिए सुनो कि हम सब कहाँ जा रहे है! बधाई रवीश कुमार।
Prem Chand Gandhi : इस घनघोर अन्धकार भरे समय में आखिरकार पत्रकारिता और मीडिया की गिरती हुई साख को रवीश कुमार ने बचा ही लिया। कलम आज उनकी जय बोल।
Hemant Kumar Joshi : Everytime you think journalism is dead…Ravish comes for the rescue…. proud of him…,and proud on you also for timely and appropriate expression.
Subhash Ranade : टीवी पत्रकारिता के इतिहास का अविस्मरणीय शो। इमरजेंसी लगने पर राजेंद्र माथुर द्वारा सम्पादकीय स्तम्भ खाली छोड़ने की घटना याद आई। रवीश को सलाम…।
Rohit Tiwari : कुछ वर्षों पहले सर्वोच्च न्यायलय के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश लाहोटी जी इंदौर प्रेस क्लब के न्यौते पर आये थे। चूंकि पद पर थे इसलिये कह दिया की सवाल नहीं होंगे, सिर्फ अपनी बात कहेंगे। लगभग 10 साल पहले वे कह गए थे की मीडिया ट्रायल बहुत बहुत ज्यादा खतरनाक प्रवृत्ति के रूप में पनप रहा है। इस पर तत्काल लगाम कसने के लिए कदम उठाना होंगे। अफ़सोस सरकारें कुछ नहीं कर पाई। और तो और, वर्तमान सरकार तो बहुत हद तक इसी ट्रायल की premature baby है।
स्रोत : फेसबुक
रवीश कुमार के जिस प्राइम टाइम शो की बात की जा रही है, उसे अभी आनलाइन देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें :
Jitendra Kumar
February 20, 2016 at 4:11 pm
NDTV द्वारा स्क्रीन काला करने का मतलब यह हुआ कि वह मांग कर रहा है जितना भी काला कारनामा है वह होता रहे और देशद्रोही के खिलाफ सरकार अगर करवाई करती हैं तो हम लोग का जीवन ही अंधकार में हो जाता है इसलिए पत्रकार के रुप में जो भेरिया घुस आए हैं उसको जो चाहे करने दिया जाए . गद्दार कहीं के देशद्रोहियों पर कार्रवाई क्या शुरू हुआ पूरा का पूरा बामपंथी जमात इस तरह दिखाने लगा पूरे देश में अंधेरा कायम है , आखिर ndtv को सिर्फ jnu से ही क्यों इतना इंटरेस्ट है ,है इसकी जांच होनी चाहिए क्योंकि इसी तरह के लोग काले कारनामों में संलिप्त पाए गए हैं यह उसी रणनीति का हिस्सा है जो काले कारनामों के असली तह तक नहीं पहुंचने दिया जाए , सरकार को इस तरह गलत माहौल पैदा करने के लिए तुरंत ndtv के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए , बाकी जो लोग भौंक रहे हैं अपने अस्तित्व बचाने के लिए उसे भौंकने दिया जाए क्योंकि इसी तरह के लोग काअस्तित्व खत्म होने के बाद ही देश को लाभ होगा….