-अपूर्व भारद्वाज-
मैं रिया को नही जानता हूँ, मैं मोनिका लेविंस्की को भी नही जानता था मैं उन्हें तभी जान पाया जब मीडिया ने उनके बारे मैं बताया । मीडिया मोनिका का भी रिया के जैसे चरित्रहरण कर रहा था औऱ अमेरिका का कानून भी भारत के कानून की तरह धृतराष्ट्र बना सब देख रहा था
मैं नही जानता कि रिया दोषी है कि नही, मैं यह भी नही जानता था कि मोनिका दोषी थी कि नही लेकिन मैं यह जानता हूँ कि मोनिका के साथ जो मीडिया और ऑनलाइन व्यभिचार हुआ वो पिछली सदी का सबसे बड़ा ऑनलाइन व्यभिचार था 1998 में, डेमोक्रेटिक पार्टी के समर्थकों और मीडिया ने राष्ट्रपति क्लिंगटन को बचाने के लिए जो ऑनलाइन कैंपन चलाया था वो बहुत ही घटिया और शर्मनाक था
मैं उन दिनों कालेज में था यार लोग चटखारे ले-लेकर मोनिका लेविंस्की पर फब्तियां कसते थे एक 20 साल की लड़की जो अपनी इंटर्नशिप कर रही थी उसका शारिरिक शोषण राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है लेकीन मीडिया और इंटरनेट पर उसे बार बार दोहराया जाता है मीडिया के लिए मोनिका एक प्रोडक्ट थी जिसे उन्होंने खूब बेचा वो हाड़ मांस की इंसान नही थी वो ऐसा टेबलॉयड थी जिसकी प्रतियां आते ही बिक जाती थी मीडिया समाज की नब्ज जान चुका था वो वही परोस रहा था जो समाज देखना और सुनना चाह रहा था
राजकुमारी डायना के साथ भी यही हुआ था मीडिया से बचते बचते उनकी जान चली गई, मोनिका बहादुर थी वो खूब लड़ी और आज ऑनलाइन उत्पीड़न के खिलाफ संघर्ष कर रही है मुझे नही पता रिया कितनी बहादुर है लेकिन एक बात तो तय है कि वो लड़ेगी और उन्होंने लड़ना ही होगा क्योंकि उनका सामना एक ऐसे शिकारी से है जो अपने शिकार के मरने के बाद भी उसकी सरेआम बेशर्मी से नुमाइश करके बेचता है दुनिया मे न्यायालय इसलिए बनाए गए है ताकि वँहा सबको इंसाफ़ मिले लेकिन जब न्यायालय से पहले ही समाज न्याय करने लग जाये तो समझ जॉइये की सभ्य समाज के खत्म होने की उल्टी गिनती शुरू हो गई है।
डाटावाणी के संस्थापक अपूर्व भारद्वाज की एफबी वॉल से।