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राज्यसभा टीवी के इंटरव्यू में एक महिला प्रतिभागी पर अपना नाम वापस लेने का दबाव डाला गया!

इसी साल सितंबर महीने में राज्यसभी टीवी में हुए Consultant Anchor के वॉक इन इंटरव्यू के लिए मैं पहुंचा राज्यसभी टीवी के दफ्तर। कई दूसरे प्रतिभागी भी वहां पहुंचे। सभी मीडिया जगत के ही साथी थे। एक-एक कर हमारे सीवी को छांटा गया। फिर जो सभी पैमानों पर उनके विज्ञापन पर खरे उतरे, उन्हें रुकने को कहा गया। बाकी सबको धन्यवाद कह दिया गया। मेरी भी सीवी सिलेक्ट हो गई। मैं काफी समय से मेनस्ट्रीम मीडिया में नौकरी करता आया हूं और अभी भी करता हूं।

<p>इसी साल सितंबर महीने में राज्यसभी टीवी में हुए Consultant Anchor के वॉक इन इंटरव्यू के लिए मैं पहुंचा राज्यसभी टीवी के दफ्तर। कई दूसरे प्रतिभागी भी वहां पहुंचे। सभी मीडिया जगत के ही साथी थे। एक-एक कर हमारे सीवी को छांटा गया। फिर जो सभी पैमानों पर उनके विज्ञापन पर खरे उतरे, उन्हें रुकने को कहा गया। बाकी सबको धन्यवाद कह दिया गया। मेरी भी सीवी सिलेक्ट हो गई। मैं काफी समय से मेनस्ट्रीम मीडिया में नौकरी करता आया हूं और अभी भी करता हूं।</p>

इसी साल सितंबर महीने में राज्यसभी टीवी में हुए Consultant Anchor के वॉक इन इंटरव्यू के लिए मैं पहुंचा राज्यसभी टीवी के दफ्तर। कई दूसरे प्रतिभागी भी वहां पहुंचे। सभी मीडिया जगत के ही साथी थे। एक-एक कर हमारे सीवी को छांटा गया। फिर जो सभी पैमानों पर उनके विज्ञापन पर खरे उतरे, उन्हें रुकने को कहा गया। बाकी सबको धन्यवाद कह दिया गया। मेरी भी सीवी सिलेक्ट हो गई। मैं काफी समय से मेनस्ट्रीम मीडिया में नौकरी करता आया हूं और अभी भी करता हूं।

खैर, बारी-बारी हम सबको इंटरव्यू के लिए भेजा गया। 6 मठाधीशों का पैनल बंद कमरे में प्रतिभागियों की योग्यता का फैसला कर रहा था। सभी को इंटरव्यू के दौरान पता चला कि केवल अंग्रेज़ी एंकरों को ही इस पद के लिए योग्य समझा जा रहा है। बड़ी बात है कि इस बात का ज़िक्र विज्ञापन में कहीं भी नहीं किया गया था। मज़ेदार बात है कि अंग्रेज़ी चैनल से कोई एंकर पहुंचा ही नहीं था। शायद वो सभी अपने-अपने संस्थानों में बेहद खुश हैं और इन सरकारी पचड़ों से दूर ही रहना चाहते हैं।

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मेरी बारी आई तो यही बात कहकर मुझे भी टरका दिया गया। लेकिन हद तो तब हो गई जब एक महिला प्रतिभागी को एक मठाधीश जो कि एक सरदार हैं, उसने कहा कि आप अपना नाम इस इंटरव्यू से वापस ले लें। बिना सवाल पूछे ही उनसे कह दिया गया कि उन्हें ज़ीरो नंबर दिए गए हैं और उनकी उम्र को देखते हुए ये अच्छा नहीं लगेगा कि उनके मार्क्स को सार्वजनिक किया जाए। तय था कि किसे इस पद के लिेए रखा जाएगा, इसका चयन पहले ही कर लिया गया था और इंटरव्यू का नाटक केवल आंखों में धूल झोंकने के लिए किया गया था।

अब सवाल उठता है कि हम कब तक ऐसे मठाधीशों को सरकारी दफ्तरों को उनके बाप का जागीर बने रहने दें। क्या हम और आप में इन सरकारी दफ्तरों में नौकरी करने की योग्यता नहीं है और ये कौन तय करेगा कि किसमें कितनी योग्यता है। कब तक सिफारिश के दम पर इन पदों पर नियुक्ति की जाती रहेगी। क्या समय नहीं आ गया कि हम एकजुट होकर इसके खिलाफ आवाज़ उठाएं, अदालत का दरवाज़ा खटखटाएं। चलिए हम सब मिलकर एक मुहिम चलाएं मीडिया साथियों, ताकि इन बाबुओं को दिखा सकें की आम आदमी की ताकत कुर्सी की ताकत से ज्यादा होती है। चलिए एक बेहतर भारत बनाए जहां मुझे कोई पद मिले या ना मिले, जो उसके योग्य हो उसे ज़रूर मिले।

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धन्यवाद।

साभार,
सन्नी सिंह
[email protected]

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0 Comments

  1. Priyanka

    November 3, 2015 at 6:31 am

    Baat o sahi hai..tabhi to rajya sabha ne mahuaa news se nikali gyi amrita chaurasia ko rakh liya..jise sawal puchnna nhi aata tha wo rajya sabha mei anchor bn gyi….isse pta chlta hai ki kya level hai wahan chayan ka or setting ki…..hadd hai bhai amrita in rstv cochkr hasi aati hai…lol typs wali baat hai ye…

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