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सच्चिदानंद ने दुखी होकर हिंदुस्तान अखबार को अलविदा कहा

झारखंड के सिमडेगा से खबर आ रही है कि दैनिक हिन्दुस्तान के कार्यालय इंचार्ज सच्चिदानंद ने ब्यूरो के पद से इस्तीफा दे दिया है. वे अपने होम टाउन पलामू जाने के लिए कई सालों से गुहार लगा रहे थे. उन्होंने एचआर को नोटिस दिया और समय पूरा होने पर अखबार छोड़ दिया. सच्चिदानंद ने अपने फेसबुक पर इस बारे में कुछ यूं लिखा है: 

<p>झारखंड के सिमडेगा से खबर आ रही है कि दैनिक हिन्दुस्तान के कार्यालय इंचार्ज सच्चिदानंद ने ब्यूरो के पद से इस्तीफा दे दिया है. वे अपने होम टाउन पलामू जाने के लिए कई सालों से गुहार लगा रहे थे. उन्होंने एचआर को नोटिस दिया और समय पूरा होने पर अखबार छोड़ दिया. सच्चिदानंद ने अपने फेसबुक पर इस बारे में कुछ यूं लिखा है: </p>

झारखंड के सिमडेगा से खबर आ रही है कि दैनिक हिन्दुस्तान के कार्यालय इंचार्ज सच्चिदानंद ने ब्यूरो के पद से इस्तीफा दे दिया है. वे अपने होम टाउन पलामू जाने के लिए कई सालों से गुहार लगा रहे थे. उन्होंने एचआर को नोटिस दिया और समय पूरा होने पर अखबार छोड़ दिया. सच्चिदानंद ने अपने फेसबुक पर इस बारे में कुछ यूं लिखा है: 

”आज गैर-सरकारी संस्थानों में निजी स्वार्थों, जाति को तरजीह दी जाती है… मानवीय संवेदना की तो बात ही करना ही बेमानी है… जब तक स्वार्थ की पूर्ति ना हो आपकी समस्या को सुनने वाला कोई नहीं है… ऐसे में समस्या का समाधान संभव नहीं है… अगर आपका बॉस आपकी जाति का हो तो आपकी समस्या ना सिर्फ सुनी जाती है बल्कि उसका समाधान तुरंत होता है… इतना ही नहीं, उसका सात खून भी माफ़ है… ऐसे में योग्यता की कोई पूछ नहीं रहती है…”

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0 Comments

  1. amit ji

    November 8, 2014 at 3:24 am

    कानाफूसी… सिमडेगा के सचिदानंद की जुबानी हिन्दुस्तान की कहानी बिल्कुल सच है। दिल्ली में बैठे प्रधान पंडित के होते दूसरे जाती के लोगों को हिन्दुस्तान में तरजीह नहीं मिल सकती है। तभी तो रांची से लेकर धनबाद तक संपादकीय सिर्फ इसी जाती के लोग संभाल रहे हैं। इधर एक चर्चा यह भी है कि धनबाद मे बडकू मरने से पहले तक धनबाद मे ही बने रहेंगे। इनकी लौबी की लोग अब कसमें खाने लगे हैं। एक दशक से काम कर रहे बडकू का राज लोग अब तक नहीं समझ पाए। ऐसा लगता है उनके जैसा तेज तर्रार दूसरे व्यक्ति की तलाश हिन्दुस्तान प्रबंधन करने में असमर्थ है।

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