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साहित्य

‘साहित्य आज तक’ के मंच पर सुधीर चौधरी अपने हर स्टार गेस्ट से एक सवाल ज़रूर पूछते हैं!

वीरेंद्र यादव-

‘साहित्य आज तक’ के मंच पर कुख्यात सुधीर चौधरी अपने हर स्टार गेस्ट से एक सवाल जरुर उछालता है कि ‘इन दिनों लिबरल होना फैशन हो गया है’। इसके बाद स्टारगेस्ट लेफ्ट लिबरल के खिलाफ अपने सुभाषित उच्चरित करता है। सर्वाधिक कौतुकपूर्ण दृश्य पीयूष मिश्रा ने वामपंथियों के लिए इन अपशब्दों का इस्तेमाल करते हुए प्रस्तुत किया “बदमाश हैं साले, खून पी लिया मेरा… आदि आदि ” ।

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इस पर दर्शकों के बीच खूब करतल ध्वनि हुई। सुधीर चौधरी ने इसके पूर्व अमीष त्रिपाठी से बात करते हुए लेफ्ट लिबरल की घेराबंदी करते हुए कहा कि लिबरल होना फैशन हो गया है, लोग मूर्ति पूजा का विरोध करते हैं। अपने धर्मग्रंथों और ईश्वर को काल्पनिक मानते हैं।

अमीष त्रिपाठी ने कहा कि ‘मूर्ति पूजक सर्वाधिक सहिष्णु होता है। दूसरे सारे धर्मों के लोग अपने ईश्वर को ऐतिहासिक मानते हैं, एक हिंदू धर्म ही ऐसा है जिसमें कुछ लोग अपने ईष्ट देव को काल्पनिक कहते हैं। इतिहास में मूर्ति पूजकों ने कभी हिंसा नहीं की। पाठ्यक्रम में रामायण और गीता को अनिवार्य कर देना चाहिए, संस्कार तो वहीं से बनते हैं।’ तो यह सब चल रहा है, साहित्य के नाम पर। वैसे उनका मंच है वे अपनी भेड़ को मेवा खिलाएं , किसी को क्यों गिला होना चाहिए। मुझे भी नहीं है।

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