कल्पेश के लिए जी का जंजाल बनी सलोनी… अब बढ़ा रही है पुलिस का भी तनाव
पत्रकार कल्पेश की जी का जंजाल बनी मुख्य आरोपी सलोनी अरोरा को गिरफ्तार करने वाली इंदौर पुलिस को रविवार को ही समझ आ गया कि उसकी पूरे वक्त कड़ी निगरानी जरूरी है।पहले पुलिस की चिंता थी कि कैसे गिरफ्तार करें।अब जब वह हिरासत में है तो रिमांड के ये पांच दिन पुलिस के लिए भी तनाव वाले हैं। जिस तरह रविवार की रात उसने दम फूलने, घबराहट होने की शिकायत की तो पुलिस अधिकारी मान रहे हैं कि वह हर दिन बीमार होने के नए नए तरीके अपना सकती है।
उसके शातिर दिमाग का लोहा मान रहे एक अधिकारी का कहना था चिंता यह भी है कि हवालात में वह कोई ऐसा कदम ना उठा ले जिससे विभाग की छवि पर असर पड़े। यही कारण है कि उसे हवालात से हटा कर महिला थाना (पलासिया) के बैरक नंबर तीन में शिफ्ट कर दिया है। यही नहीं चौबीस घंटे उस पर नजर रखने के लिए महिला पुलिसकर्मी की ड्यूटी लगाई गई है।अब पुलिस उन लोगों की तलाश में लगेगी जो इस कांड में सलोनी का दिमाग या सलाहकार हैं।
महिला थाना स्टॉफ तो रविवार को ही उसके तेवर देख कर उस वक्त घबरा गया था जब मीडियाकर्मी उसके फोटो लेने गए थे और वह कैमरे की तरफ पीठ कर के खड़ी हो गई थी।मीडिया के अनुरोध पर महिला पुलिसकर्मी ने उसे मुड़ने के लिए कहते हुए मुंह से दुपट्टा हटाना चाहा था तो गुर्राते हुए कहने लगी थी तुम जो ये कर रही हो ना, एक एक को देख लूंगी, तुम सब की नौकरी खा जाऊंगी।बाहर खड़े एक जवान ने तभी बड़े भद्दे तरीके से कहा था…..रस्सी जल गई लेकिन बल नहीं गए अभी तक!
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कल्पेश के दुखांत के बाद जिस तरह उनकी बेटियों के आंसू नहीं थम रहे थे। कुछ ऐसा ही हाल उस 15 वर्षीय बेटे का भी था जो अपनी मां को हवालात की सलाखों के पीछे देख अपने आंसू नहीं रोक पा रहा था।उधर एक बाप का तो इधर एक मां का उनकी संतानों के सामने ऐसा चेहरा सामने आया जिसकी कल्पना भी नहीं कर सकते थे।एक ने इज्जत जाने के भय और हद पार गई हताशा के कारण खुद को खत्म कर लिया तो एक के चेहरे पर उस सारे दुखांत का कोई मलाल नहीं था लेकिन बेटे की आंखों से टपकते आंसू उससे भी नहीं देखे जा रहे थे। संभवत: यही कारण रहा कि रतलाम से मुलाकात के लिए आई बहन संजना से बेटे को अपने साथ ले जाने का एकाधिक बार अनुरोध करती रही।हालांकि गिरफ्तारी के बाद खुद सलोनी ने ही पुलिस दल से अनुरोध किया था कि उसके बेटे को भी इंदौर साथ लेकर चलें।
वही वकील लड़ सकते हैं यह केस भी
मूल रूप से नीमच निवासी सलोनी का विवाह ग्वालियर निवासी भोला नामक युवक से हुआ था लेकिन बाद में दोनों के बीच मतभेद बढ़ते गए और विवाह विच्छेद की स्थिति बनने लगी।तलाक का आवेदन लगाए जाने पर सलोनी का केस नीमच निवासी वकील लड़ रहे हैं।अब वही अभिभाषक सलोनी का यह केस भी लड़ सकते हैं। पुलिस ने उसके खिलाफ भादवि की धारा 386,503,306 और आईटी एक्ट 67,68 में प्रकरण दर्ज किया है। प्रताड़ित करने, आत्महत्या के लिए प्रेरित करने, ब्लेकमेल करने और कॉल रिकार्डिग, छेड़छाड़ कर उसका दुरुपयोग करने के आशय वाली इन धाराओं में केस प्रमाणित होने पर अधिकतम 7 से 10 वर्ष की सजा का प्रावधान है।अपनी बहन से उसने इन्हीं वकील से संपर्क करने और केस लड़ने की तैयारी करने का मैसेज भिजवाया है।
किसी और का भी दिमाग है उसके पीछे
इस केस को हेंडल कर रहे एएसपी शैलेंद्र सिंह चौहान, टीआई तहजीब काजी, एसआई प्रियंका शर्मा से लेकर खुद डीआयजी एचएन मिश्रा उससे टुकड़ों टुकड़ों में पूछताछ कर चुके हैं लेकिन अब तक उसने ऐसी कोई जानकारी नहीं दी है कि पांच करोड़ की मांग करने के पीछे कोई और भी लोग उसके साथ हैं। दूसरी तरफ वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों का मानना है कि जिस तरह 25 लाख के प्रस्ताव को ठुकरा कर 1 और अंत में ₹ 5 करोड़ देने के लिंए वह धमकाती रही उससे लगता है कि उसके साथ किसी अन्य और उसके अति विश्वस्त का भी दिमाग काम कर रहा है। 5 करोड़ की मांग वाला जो आडियो वायरल हुआ है उसमें सलोनी के तेवर और कल्पेश की बेहद डरी-सहमी आवाज वाली बातचीत को लेकर भी जांच दल अचरज में है कि कोई एक मातहत कर्मचारी महिला ने इस लहजे और तेवर में बात करने का साहस कैसे प्राप्त कर लिया। जबकि पुलिस ने भास्कर संस्थान के जिन छह से अधिक कर्मचारियों के बयान लिए हैं वे सब कल्पेश जी, कल्पेश सर जैसे संबोधन से उन्हें पुकार रहे थे। यही नहीं शीर्ष प्रबंधन भी कल्पेश का नाम लेते वक्त आदर दिखा रहा था। सलोनी उन्हें सीधे कल्पेश कह कर क्यों शेरनी की तरह गुर्राती रही गुत्थी शायद ही सुलझ पाए।
डीआईजी मिश्रा इस प्रतिनिधि के एक सवाल के जवाब में कह भी चुके हैं कि अभी तक जो दो-तीन आडियो वॉयरल हुए हैं उसके अलावा और भी कई आडियो बना रखे हैं। यही नहीं इन दोनों के बीच टेलिफोनिक बातचीत की रिकार्डिंग के साथ उसने कई जगह अपनी सुविधानुसार एडिटिंग भी की है।सलोनी का लेपटॉप होटल से जब्त किया जाना है, संभवत: उसके पास इस तरह का सॉफ्टवेयर भी होगा।उसके वो मोबाइल भी तलाशे जा रहे हैं जिनसे वह कल्पेश से बार बार कहती थी भास्कर से इस्तीफा दो नहीं तो बम फोड़ दूंगी या उनके परिजनों को आडियो क्लिपिंग भेजती रहती थी।जिस फिल्म वितरक आदित्य चौकसे के संबंध में कल्पेश ने अपने पत्र (सुसाइड नोट) में लिखा है कि वह सलोनी की परेशानी को लेकर दो-तीन बार उनसे मिला था, उससे भी कई मुद्दों पर पूछताछ के साथ उसकी भूमिका पता कर रहे हैं।
सिर्फ आडियो-ब्लेकमेलिंग जैसे कारण पर ही जांच
पुलिस को दोनों के लेपटॉप से सबूत मिल जाए इसका भरोसा कम ही है क्योंकि दोनों महंगे और ऐसे मोबाइल का इस्तेमाल करते रहे हैं जिससे लेपटॉप आधारित सारे काम निपटाए जा सकते हैं।जिस तरह बातचीत के कुछ आडियो सलोनी ने डाले हैं, उसके बाद पुलिस अब यह दावा कर रही है कि कम से कम साठ घंटे की बातचीत की ऑडियो क्लिपिंग हैं। अधिकांश में लंबी बातचीत है।जो पहला आडियो जारी हुआ था उसमें कल्पेश पूरे समय समझाइश और अनुनय-विनय वाले लहजे में बात कर रहे हैं और उनके लंबे संवाद के जवाब में वह सिर्फ हां-हूं से ज्यादा नहीं बोल रही है। इसे लेकर पुलिस का मानना है कि या तो उसने जानबूझकर कल्पेश को खूब बोलने का मौका दिया है या जहां जहां उसने जवाब में कुछ कहा है वहां एडिट कर दिया है।इन आडियो में दोनों के बीच बॉस और मातहत वाला रिश्ता कम ही झलक रहा है।इस तरह के आडियो को सुन चुके एक वरिष्ठ अधिकारी ने बहुत सधे हुए शब्दों में कहा हम सिर्फ और सिर्फ आडियो-ब्लेकमेलिंग के कारण आत्महत्या के लिए बाध्य होने जैसे कारण वाले आधार पर ही जांच को फोकस किए हुए हैं।देश का एक प्रमुख पत्रकार इन कारणों से आत्महत्सा को बाध्य हुआ यही जांच कर रहे हैं, वैसे भी पूरा परिवार-रिश्तेदार तनाव में है।अपने काम के प्रति वे कितने समर्पित थे यह सब हमें स्टॉफ के लोगों से चर्चा और सोशल साइट आदि से पता चल रहा है।
वो निरंतर हावी होती रही, भेज दिया पेनड्राइव
करीब सात-आठ महीने से वह कल्पेश को निरंतर धमकाने वाली भाषा में परेशान करती थी, जिसे काफी समय वह अपने परिजनों-पतनी आदि से भी छुपाते रहे।अपनी साख पर बट्टा लगने की चिंता सताए जा रही थी, हद उस दिन हो गई जब कोई एक अंजान आदमी 66 साकेत नगर वाले निवास पर एक पेनड्राइव दे गया कि इसमें उनकी पसंद के भजन है। जब वह पेनड्राइव चलाई गई तो सुन कर सबके पैरों तले जमीन धंस गई।घर में तनाव, संस्थान में तनाव….अंत आत्महत्या और परिजनों को ताउम्र ना भरने वाले घाव!
लेखक कीर्ति राणा इंदौर के वरिष्ठ पत्रकार हैं. वे दैनिक भास्कर समूह में भी वरिष्ठ पद पर चुके हैं. फिलहाल उज्जैन-इंइौर से प्रकाशित दैनिक अवंतिका इंदौर में संपादक के रूप में कार्यरत हैं. उनसे संपर्क 8989789896 या [email protected] के जरिए किया जा सकता है. सलोनी-कल्पेश प्रकरण पर दैनिक अवंतिका अखबार ही लगातार लिख रहा है.
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