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उत्तर प्रदेश

समाजवादी नवरात्र शुरू : एमएलए के भतीजे ने सरेआम नंगा किया अनाथ किशोरी को

: विन्‍ध्‍य-क्षेत्र में देवी उपासना, विधायक पूजा में और भतीजा चीर-हरण में : भदोही में सीए की पढाई करती युवती को दी भद्दी गालियां, कपडे फाड़ डाले : नवनीत सिकेरा की कम्पनी 1090 ने शिकायत पर कार्रवाई करने के बजाय पल्‍लू थाने पर झाड़ा : सपा के सांसद अबू आजमी के करीबी और एमएलए जाहिद बेग का भतीजा है सादाब : सिर्फ बेशर्म गिरोहबन्दी करते हैं भदोही के टुच्चे पत्रकार : अमर उजाला और आज ने तीन लाइनों में छापा:- सिर्फ छेड़खानी हुई : नियमित पैकेट हासिल करते हैं जाहिद बेग और विजय मिश्र से पत्रकार : बिटिया को न्याय पर चील मंडराये, पत्रकारों ने क्‍या इस मसले पर वाकई छोड़ दी अपनी कमीनगी : पुलिस अब तक नहीं गिरफ्तार कर सकी : पुलिस अधीक्षक का दावा- कोर्ट के पहले ही दबोचेंगे सादाब को : सपा विधायक के खेमे ने प्रशासन-पत्रकारों से की प्रभावी रणनीतियों की पेशकश : जनदबाव बढ़ा तो बिकाऊ पत्रकारों ने फिर थाम ली अपनी-अपनी कलम : दल्ला-भांड़ पत्रकार जो होता है वह वाकई दल्ला ही रहता है हमेशा : पत्रकार बनने का मकसद रौब ऐंठना-दलाली, खबरों से वास्ता नहीं : बेबस जनता, दबंग नेता, बेईमान पुलिस और तलवाचाटू पत्रकार :

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: विन्‍ध्‍य-क्षेत्र में देवी उपासना, विधायक पूजा में और भतीजा चीर-हरण में : भदोही में सीए की पढाई करती युवती को दी भद्दी गालियां, कपडे फाड़ डाले : नवनीत सिकेरा की कम्पनी 1090 ने शिकायत पर कार्रवाई करने के बजाय पल्‍लू थाने पर झाड़ा : सपा के सांसद अबू आजमी के करीबी और एमएलए जाहिद बेग का भतीजा है सादाब : सिर्फ बेशर्म गिरोहबन्दी करते हैं भदोही के टुच्चे पत्रकार : अमर उजाला और आज ने तीन लाइनों में छापा:- सिर्फ छेड़खानी हुई : नियमित पैकेट हासिल करते हैं जाहिद बेग और विजय मिश्र से पत्रकार : बिटिया को न्याय पर चील मंडराये, पत्रकारों ने क्‍या इस मसले पर वाकई छोड़ दी अपनी कमीनगी : पुलिस अब तक नहीं गिरफ्तार कर सकी : पुलिस अधीक्षक का दावा- कोर्ट के पहले ही दबोचेंगे सादाब को : सपा विधायक के खेमे ने प्रशासन-पत्रकारों से की प्रभावी रणनीतियों की पेशकश : जनदबाव बढ़ा तो बिकाऊ पत्रकारों ने फिर थाम ली अपनी-अपनी कलम : दल्ला-भांड़ पत्रकार जो होता है वह वाकई दल्ला ही रहता है हमेशा : पत्रकार बनने का मकसद रौब ऐंठना-दलाली, खबरों से वास्ता नहीं : बेबस जनता, दबंग नेता, बेईमान पुलिस और तलवाचाटू पत्रकार :

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-कुमार सौवीर-

भदोही : हालांकि उप्र में समाजवादी पार्टी की सरकार बनते ही हर दिन समाजवादी-उत्सव शुरू हो जाता है। लेकिन भदोही में समाजवादी देवी उपासना का एक अनोखा नजारा दिखा। विन्‍ध्‍याचल क्षेत्र में नवरात्र के पहले ही दिन समाजवादी पार्टी के एक मनबढ़ दबंग और उसके एक दोस्त ने भरे-बाजार अपने आफिस से लौट रही एक युवती पर न केवल नंगी गालियों की बौछार कर दी, बल्कि जब उस युवती ने उस पर ऐतराज किया तो सैकड़ों लोगों की मौजूदगी में उन युवकों ने उस लड़की के कपड़े फाड़ दे दिये, और मौके से फरार हो गया। खास बात यह है कि यह युवक समाजवादी पार्टी के एक स्थाकनीय विधायक जाहिद बेग का सगा भतीजा है। जाहिद इस वक्‍त मुम्बई में देवी-उपासना के लिए मशहूर गुड़ी पड़वा उत्सव में व्यस्त हैं।

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बहरहाल, इस हादसे ने पूरे भदोही को हिला दिया है। खबर है कि देर से ही सही, लेकिन पुलिस ने मामला दर्ज कर दिया है और दोषी अभियुक्तो की गिरफ्तारी के लिए टीमें लगा कर कई स्थानों पर छापामारी की गयी है। पुलिस अधीक्षक पीके मिश्र ने मुझे फोन पर माना कि यह बेहद शर्मनाक हादसा है, और पुलिस इस मामले में बहुत सक्रिय और संवेनदनशील है। उन्हों ने दावा किया कि आज किसी  भी वक्त किसी भी कीमत पर इन दोनों अभियुक्तों को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया जाएगा।

कहने की जरूरत नहीं कि यहां के पड़ोसी जिले जौनपुर के भ्रष्ट, बेईमान और बेशर्म जिला प्रशासन की करतूतों के ठीक विपरीत भदोही के एसपी पीके मिश्र ने इस हादसे की खबर पाते ही तत्काल कार्रवाई की, रिपोर्ट दर्ज करायी और छापामारी शुरू कर दी। जबकि महिलाओं के प्रति जघन्य अपराधों पर भी जौनपुर की पुलिस और जुल्फी-प्रशासन लगातार न केवल संवेदनहीन बना रहा, बल्कि एक सामूहिक बलात्कार की पीडि़त किशोरी का मामला दर्ज करने के बजाय उसे पागलखाने तक भेजने की साजिश कर दी। बहरहाल, खबर यह है कि 19 बरस की एक बच्ची ईशा जायसवाल इंटर पास होने के बाद सीए की पढ़ाई कर रही है। उसके पिता रमेश की मृत्यु पहले ही हो चुकी है। घर में मां हैं, जो अपने एक बेटे और ईशा के साथ जीवन-निर्वाह कर रही है।

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कल शाम सवा पांच बजे जब वह औराई रोड से लौट रही थी, बाईक पर सवार एक अन्य युवक के साथ सादाब ने भरे-बाजार उस लडकी को अश्लील गालियां देना शुरू कर दिया। इस हमले से भौंचक्की बच्‍ची ने जब उसे जवाब देने की कोशिश की, तो सादाब ने दौड़ कर उसे कई तमाचे जड़ दिये और उसके कपड़े बुरी तरह फाड़ डाले। उस वक्त बाजार में सैकड़ों लोगों की भीड़ जुट गयी थी। इतना ही नहीं, इस हमले से अर्धनग्ऩ हो चुकी इस लड़की के सीने पर सादाब ने एक जोरदार घूंसा मारा, कि वह सड़क पर ही कई गुलाटियां खाकर गिर पड़ी। इसके फौरन बाद सादाब और उसका दोस्ते मौके से भाग गये। इस बच्ची की आप-बीती आप सुनना चाहते हों तो इस लिंक को क्लिक कीजिएगा। यह बातचीत मैंने फोन पर ईशा से आज सुबह की थी।

https://www.youtube.com/watch?v=2VrhKh0RNxw

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फिलहाल, इस घटना के बाद भदोही के पुलिस कप्तान पीके मिश्र खुद ही इस मामले की निगरानी कर रहे हैं। ईशा जायसवाल, 19 साल उम्र, चाटर्ड एकाउंटेंसी की पढ़ाई कर रही है, पिता मर चुके हैं, मां जस-तस अपने बच्चे को पढ़ा रही है। शुक्रवार की शाम उसे भदोही के भरे बाजार में दो युवकों ने उसे बुरी तरह पीटा, उसके कपड़े फाड़ कर नंगा कर दिया। पूरे शहर में हंगामा हो गया। पुलिस ने संज्ञेय धाराओं में हमलावरों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की, लेकिन इस खबर को भदोही में अपना चेहरा काला पोत रहे पराड़कर-पुत्रों ने बेच डाला। ज्यादातर ने तो इसे खबर माना ही नहीं। हिन्दुस्तान और आज ने केवल तीन-तीन लाइनों में केवल हल्की छेड़खानी का मामला दिखा कर छापा, जबकि दैनिक जागरण और अमर उजाला के रिपोर्टर तो उस खबर को घोंट कर पी गये।

जानते हैं क्यों? क्यों कि अपराधी का सगा चाचा जाहिद बेग समाजवादी पार्टी का स्थानीय विधायक है। खबर तो यहां तक है कि भदोही में रहने वाले अधिकांश पत्रकारों को जाहिद बेग और विजय मिश्र जैसे नेताओं की ओर से हर हफ्ते नजराना दिया जाता है। इतना ही नहीं, अधिकांश पत्रकार कालीन व्यवसाइयों से नियमित बंधी हुई रकम पाते हैं। और ऐसे कालीन व्यावसाइयों का करीबी रिश्ता सपा जाहिद बेग और विजय मिश्र से है। इनकी छींक भी इन अखबारों-चैनलों में मोटी हर्फ में छापी-दिखायी जाती है।

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बहरहाल, मेरी बिटिया डॉट कॉम के हस्तक्षेप के बाद अब माहौल में हड़बड़ाहट का माहौल है। आज दोपहर भदोही के इस दर्दनाक और दारूण काण्ड पर मेरी बिटिया डॉट कॉम ने जब पूरी तरह खोल दिया, तो उसके बाद से ही लखनऊ और दिल्ली में प्रिण्ट और न्यूज चैनलों की नींद टूटी। पता चला है कि कल सारे यह पत्रकार अब अपनी दलाली के बजाय अपनी नौकरी बचाने की जुगत में जुट गये हैं।

अब तक मिली खबर के मुताबिक यहां के पत्रकार किसी कुख्यात गिरोह की तरह काम करते हैं। खबरों को रोटी देने वाले अपने मालिकों के इशारों पर ही तय किया जाता है कि किस खबर को छापना है अथवा नहीं। यह साजिश पिछले एक दशक से ज्यादा पनपी है। हालांकि इसके बावजूद यहां के कुछ पत्रकार ऐसे भी हैं जो ऐसी गिरोहबंदी से दूर रहते हैं। लेकिन उन्हें हमेशा खतरा रहता है कि न जाने कब उनके खिलाफ साजिश बुन ली जाए। मेरी बिटिया डॉट कॉम ने भदोही में अमर उजाला के साजिद अंसारी और दैनिक जागरण के कैसर परवेज आदि से बातचीत करने की कोशिश की, लेकिन उन लोगों ने मेरा फोन नहीं रिसीव किया।

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कालीन-सिटी के तौर पर मशहूर भदोही बाजार में कालीन की ही तरह मासूम बच्चियों की इज्जत नीलाम करने की नापाक कोशिशों पर माहौल गरम हो गया है। कालीन व्यवसायियों और समाजवादी पार्टी के विधायक की खुली शह पर पूरे शहर में तहलका मचाने वाले विधायक जाहिद बेग के घरवालों ने तीन दिन पहले एक छात्रा को तो सरेबाजार कपड़े फाड़ कर नंगा करने की शर्मनाक हरकत कर दी, लेकिन अब आम आदमी विधायक-रिश्तेदारों की ऐसी हरकत पर खासा नाराज है और आम आदमी उसका खुले तौर पर विरोध करने पर आमादा है। आपको बता दें कि भदोही में हुए इस हादसे पर आम आदमी में भड़के गुस्‍से का श्रेय www.meribitiya.com का है, जिसने अपने जुझारू कार्यकर्ताओं को भदोही से लेकर वाराणसी तक और फिर लखनउ और दिल्‍ली में सक्रियता का संचार किया।

ताजा खबर यह है कि उस शर्मनाक के हादसे के घिनौने शख्स को सोमवार को कोर्ट में आत्म समर्पण करने की साजिशें चल रही हैं। हालांकि उस बच्ची के घर के आसपास पुलिस की निगरानी कर दी गयी है। पुलिस अधीक्षक का दावा  है कि चाहे कुछ भी हो, अभियुक्त सादाब को हर कीमत पर कोर्ट में जाने नहीं दिया जाएगा और उसे पहले ही पुलिस दबोच करके पुलिस, प्रशासन और सरकार की नाक-साख बचायेगी। खबर तो यहां तक है कि भदोही के कई संगठनों ने इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए सादाब के मामले में अपनी कमर कस ली है।

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उधर जनदबाव ने अपराधियों और उनके आकाओं के हाथों तोते उड़ा दिये  हैं। विधायक जाहिद के लोग अब प्रशासन से लेकर प्रशासन और पत्रकारों के बीच संतुलन बनाने की साजिशों में जुटे हैं। पता चला है कि वाराणसी, लखनऊ और दिल्‍ली तक में बैठे मीडिया संस्थानों ने अपने भदोही में बैठे अपने दलालों के पेंच कसने शुरू कर दिया है। नतीजा यह हुआ है कि वही पत्रकार जो अब तक उस बच्ची के साथ हुए उस शर्मनाक हादसे को केवल सामान्य छेड़खानी के तौर पर पेश कर रहे थे, वे अब खुलेआम अब साफ लिख रहे हैं कि इस मामले में विधायक जाहिद बेग के घरवालों की हरकत हैं।

हालांकि यह भी हकीकत यह है कि ऐसे ऊपरी दबावों के बावजूद कई पत्रकारों ने उस मामले में खुद खबर लिखने के बजाय उसे दबाने की साजिशें कीं। लेकिन कुछ संस्थानों और उनके ज्ञानपुर ब्यूरो आफिसों ने इस मामले को बेहद संज्ञेय मानते हुए उसे भदोही के पत्रकारों को दरकिनार करके खुद ही हस्तक्षेप किया और ज्ञानपुर डेटलाइन से खबर छापना शुरू कर दिया है। आज हिन्दुस्तान और दैनिक जागरण ने इस मामले पर बड़ी-बड़ी खबरें छापीं और सीधे सपा विधायक जाहिद बेग का नाम लिया। लेकिन अन्ये अखबार आज भी विधायक और अपनी दलाली के चलते खबरों से परहेज करते रहे। हालांकि अभी खबर मिली है कि दिल्ली मुख्यालय के हस्तक्षेप के बाद अमर उजाला ने फैसला किया है आज यानी सोमवार को इस पर बड़ी खबर छापी जाएगी।

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अब तो सोमवार को ही तय होगा कि एक मासूम बच्ची को सरेआम बेईज्जत करने वाले सादाब को बचाने वालों की साजिशें सफल होंगी या फिर पुलिस अधीक्षक पीके मिश्र के दावे कि सादाब के घिनौनी की हरकत के सामने पुलिस नहीं झुकेगी। यह भी देख्ना होगा कि अब पूरी तरह बिक चुकी भदोही की मीडिया की साजिशें अब समाजवादी पार्टी के विधायक जाहिद बेग और उनके लग्गू-भग्गू की उंगलियों पर नाचेगी या फिर उस मासूम बच्ची के पक्ष में होगी। यह तो यह भी देखना होगा कि समाजवादी पार्टी का नारा इस काण्ड  के बाद कुचल जाएगा या फिर यह काण्ड की चिंदी-चिंदी बिखेर जाएंगी। सादाब को कोर्ट से पहले दबोचने के पुलिस के दावे केवल नौटंकी है, या फिर उनमें कोई दम है। और सबसे बडी बात यह कि क्याए पूरे यूपी में केवल समाजवादी न्याय के तौर पर केवल जुल्फी-प्रशासन जैसे निकृष्ट और निकम्मे-नराधम-अकर्मण्य अफसर ही बिकते हैं या फिर भदोही में सीना ठोंक कर रहे पुलिस अधीक्षक पीके मिश्र जैसी नयी न्यायिक बयार चल रही है।

अब मेरा संशय पुख्ता हो गया है। वह यह कि जो वाकई दल्ला पत्रकार होता है, वह हमेशा दल्लागिरी ही करता रहेगा। चूंकि वह अपनी दलाली और अपने आकाओं के तलवे चाटने के अपने सर्वाधिक बिकाऊ धंधे से जुड़ा होता है, इसलिए उसके लिए पैसा सर्वाधिक महत्वपूर्ण होता है। पैसा चाहे कैसे भी आये, चाहे खबर तोड़-मरोड़ कर, खबर दबा कर, उलटी खबर चेंप करके या फिर इनके साथ ही साथ उन पत्रकारों को दलाल करार देना, जो उसके आकाओं का अहित कर रहे हों।

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लखनऊ के बड़े दलालों जैसे दिग्गज दलालों से लेकर मेरे खिलाफ जो अभियान दलाल पत्रकारों ने छेड़ रखा है, वह बेहद दिलचस्प है। लखनऊ से लेकर भदोही तक मेरे खिलाफ डंका बजा हुआ है। कोई मुझे दलाल बताता है, तो कोई मुझे भड़वा। कोई मुझे वेश्यालय का संचालक करार देता है तो कोई मुझे खुला बिकाऊ पत्रकार कहलाता है। जिस भी जिले में मैं पत्रकारों की निकृष्ट हरकतों का खुलासा करता हूं, तो वहीं के दलाल पत्रकार मुझे तेल-पानी लेकर चढ़ जाते हैं। इतना ही नहीं, कई ऐसे तथाकथित पत्रकार नेता भी सामने आ जाते हैं, जो ऐसे बडे दिग्गज पत्रकारों की पत्तलें चाटते हैं। गालियां तो मेरे खिलाफ इतनी दी जाती हैं, कि सुन-पढ़ कर लोगों के कानों की लवें तक सुलग जाएं।

आपको याद होगा कि जब मैंने लखनऊ के दलाल पत्रकारों पर हमला किया तो न जाने किस-किस जेल में बंद पत्रकारों ने जेल तोड़ कर मुझ पर हमला छेड़ दिया। और अब जब मैंने जौनपुर में लावारिस मिली सामूहिक बलात्कार पीडि़त बच्ची के हक में लिखना शुरू किया तो प्रशासन से लेकर पूरी पत्रकार बिरादरी ही हमलावर अंदाज में आ गयी। मुझ पर चरित्र-हनन का अभियान छेड़ दिया इन बेनामी पत्रकारों ने।

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ताजा मामला भदोही का देखिये। जब एक अनाथ बच्ची को मुख्य बाजार में शाम सवा पांच बजे सपा विधायक जाहिद बेग के प्यारे-लाड़ले भतीजे शादाब बेग ने गालियां देकर उसके कपड़े फाड कर उसे नंगा कर दिया, तो एक पत्रकार नेता डॉक्टर जीपी सिंह उचक कर कूदते हुए सामने आ गये। खुद को उप्र जर्नलिस्ट् एसोसियेशन के जौनपुर अध्यक्ष बताते हैं जीपी सिंह। दीगर बात है कि लिखने की तमीज तनिक भी नहीं है इन अध्यक्ष को। हिन्दी लिख ही नहीं सकते और अंग्रेजी में बकवादी करते रहते हैं। नाम के आगे डॉक्‍टर लिखते हैं। भदोही में बच्ची के मामले में जब मैंने पत्रकारों को आड़े हाथों लिया तो वह उपजा अध्यक्ष ने कई समूहों में लिखा:- “जिस ग्रुप में पत्रकारो के खिलाफ लिखा जाएगा अभद्र टिप्पणी की जायेगी उस ग्रुप में मै नहीं रह सकता। धन्यवाद ।डा0 ज्ञान प्रकाश सिंह जिलाध्यक्ष उपजा जौनपुर”

मैंने फौरन जवाब दे दिया डॉ जीपी सिंह को:- ” आपने मेरी पोस्ट पर शायद अपना कॉमेंट किया है। मैं यह जानना चाहता हूँ कि आपका यह कॉमेंट मेरे लिए धमकी है या सलाह? अगर सलाह है तो यह सिरे से बेहूदापन है और आपकी विद्रूप व घटिया एकांगी मानसिकता का प्रतीक भी है। इसलिए मैं उसको कूड़ेदान में फेंक दे रहा हूँ।और अगर धमकी है तो मैं आपकी ऐसी बंदर-गीदड़ धमकियों से नहीं डरता। यह नहीं हो सकता कि पत्रकार दलाली करने के लिए किसी बच्ची पर हुए हमले की खबर ही दबा दें, और मैं खामोश बैठा रहूँ।

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और जो लोग ऐसे दलाल पत्रकारों का पक्ष ले रहे हैं, वो भी दलाल हैं। चाहे वे उपजा के हों या फिर बिना-उपजा के हों। मैं हमेशा खबरों के हत्यारों को दबोचे ही रहूंगा।”

जवाब फिर उसी डॉ जीपी सिंह ने दिया:- “जिस ग्रुप में पत्रकारो के खिलाफ लिखा जाएगा अभद्र टिप्पणी की जायेगी उस ग्रुप में मै नहीं रह सकता। धन्यवाद। डा0 ज्ञान प्रकाश सिंह जिलाध्यक्ष उपजा जौनपुर”

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और उसके बाद वह शख्स उन सभी समूहों से लेफ्ट हो गये। लेकिन इसी बीच लखनऊ के एक चौ-पतिया पत्रकार रेहान अहमद सिद्दीकी ने भदोही काण्ड में एक ग्रुप में मुझे घेरा। बोले: ‪+91 98394 13786‬: “Yah pagal ho gaya hai jo patkaro ko kiya kiya bak rah hai,  yah is ko left karo, yah hum ko  ghurp se,  jab dhekho patkaro ko kuch na kuch bak rah hai”

मैंने तत्काल उस रेहान को जवाब दे दिया:- “तुम वाकई मुसलमान हो ? मुझे तो बताया गया था कि जो असली मुसलमान होता है वो इन्साफ का साथ देता है। एक बच्ची पर भदोही के दलाल पत्रकार घेराबंदी कर रहे हैं, मैं उनका विरोध कर रहा हूँ और तुम उलटे मुझे पागल करार दे रहे हो ? तनिक भी शर्म नहीं आती है तुमको खुद को मुसलमान कहते? या फिर तुम्हारी निगाह में मुसलमान का मतलब ही अलहदा होता है? अभी भी वक्त है। तनिक शर्म करो। खुद को इन्साफ की राह पर ले जाओ। मुसलमान बनो। आमीन।”

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इस पर भड़क गये वह रेहान। लिखा:- +91 98394 13786‬: “Bath patkaro ki ho rahi hai aur yaha hindo aur musalmaan kah se aa gaya aur ladki ki madad karna hai tho wah chal kar karo patkaro ko ghaliya kiyu bak rahe ho aur thumari such samj gay hai thumare jaise log hi insanity khatam kar rahe hai Hindu aur musalmaan kah kar mai tho hindustani ho pahle jai barat jai hindustan baki thumare bare mai kuch nhai jaantha thum kon ho

Dalal kah nhai hai bhadhoi ho yah koi bhi jagah himaat hai tho ladki ki madad karne bhadhoi chalo tab insanity patah Chale gi ham bhadhoi chal kar uas ladki madad karne ko taiyaar hai hamare log bhi madad karegay jaisee madad ho ok”

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उधर भदोही में एक सज्जन ने उस अपराधी शादाब और उसके सपा विधायक जाहिद बेग को अपना खैर-ख्वाह बना लिया। नाम है हरीनाथ यादव। हालांकि वे भदोही में दैनिक जागरण के कर्मचारी नहीं हैं, लेकिन विज्ञापन के सेक्शन में कमीशन-एजेंट हैं। आज उन्होंने मुझे दलाल बताया दिया और जब मैंने उनका प्रतिवाद किया तो वे साले और माधर— पर उतर आये। अब हरीनाथ को कौन बताये कि कोई भी पत्रकार शब्दा का उच्चालरण तो सही करता होगा। मसलन, माधर नहीं बल्कि सही शब्द- होता है मादर। कुछ भी हो, उन्होंने मुझे साला और माधरचोद की गाली दी है। लेकिन उन गालियों का मैं क्या करूंगा हरीनाथ यादव जी? ऐसा करो कि यह गालियां तुम खुद अपने लिए इस्तेमाल कर लो। तुम्हें और तुम्हारे आकाओं को इसकी ज्यादा जरूरत होगी। है न?

मामला बहुत बड़े संकट का था। बच्चों से गलती हो गयी तो भदोही वाले चच्चा ने लखनऊ वाले चच्चा से बातचीत की। और फिर भदोही वाले चच्चा ने अपने भतीजे को पुचकाते हुए कहा: जा बेटा। यह पकड़ दारू की बोतल, प्ले‍ट में बिरयानी और जरा कुछ दिन घूम जा जेल। बताना कि क्या-क्या हालचाल है वहां, क्या दिक्कतें हो रही हैं। हमारे सैकड़ों लोग वहीं रह कर अपना पुण्य-लाभ कर रहे हैं। अररररररर्रे नहीं मेरे लाल। जेल नहीं है वह। वहां तुम्हारे खाने-पीने का पूरा इन्तजाम करा दिया है। तुम्हारे लिए वहां जन्नत की सारी खासियतें-सुविधाएं मौजूद होंगी। घबराना मत मेरे लाल। वहां मस्त-मस्त मौज न मिले, तो कुत्ते की थाली में थूक कर चटवा लेना मुझसे।

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तो भइया, यह किस्सा है भदोही का। यह शहर मर्दों, बहादुरों, साहसी, न्यायप्रिय, जुझारू, जाबांज, पड़ोसी-प्रिय, मेलजोल-प्रिय, शान्त, सरल और महिलाओं के सम्मान की सुरक्षा में अपनी आन-बान-शान तक न्यौ‍छावर करने वाले श्री-वीर्य पुरूषों की जन्म-स्थ्ली है। ऐसे पुरूषों को भदोही और भदोही ऐसे पुरूषों को सर्वाधिक स्‍नेह लेते-देते हैं। इस स्वर्णिम-भूमि के सजग प्रहरी हैं एक निर्वाचित पदाधिकारी जी। बेहद धार्मिक और जनप्रिय। नवरात्र होते ही बम्बई की ओर भाग जाते हैं, क्योंकि उन्हें नवरात्र में केवल मुम्बई ही ऐसा माकूल उचित स्थान लगता है जहां देवी-पूजन और अराधना, अर्चना, पूजा, वेदी, आदि-इत्यादि में कभी कोई भी दोष नहीं दीखता। चहुंओर पुण्य ही पुण्य। सिर्फ और सिर्फ सबाब और सबाब के अलावा कुछ भी नहीं। क्या हिन्दू् और क्याल मुसलमान।

बस, इसी भदोही में 19 साल की एक लड़की एक दिन एक घने बाजार से गुजर रही थी। वक्त था कोई सवा पांच बजे शाम। एक निहायत सज्जन लड़के की नजर उस लड़की पर पड़ी। उसे लगा कि शायद उस लड़की के कपड़े गंदे हैं। इसलिए उसे इंगित करने के लिए उसे पहले पुकारा, फिर सरेबाजार उस लड़के ने उस लड़की के सामने साष्टांग प्रणाम किया। बोला:- आदरणीय बहन जी, लगता है कि आपके वस्त्र गंदे हो गये हैं, इसलिए उन्हें बदलना जरूरी है।

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चूंकि वह लड़की उस महान लड़के को नहीं पहचानती थी, इसलिए उसने उसने उस लड़के के अनुरोध को ठुकरा दिया। लेकिन वह लड़का चूंकि धार्मिक भावनाओं से ओतप्रोत था, साथ ही नवरात्र का पहला ही दिन था, इसलिए उस युवक ने उसे पुन: टोका कि देवी-जागरण के मौके पर अपवित्र वस्त्रों का नहीं धारण करना चाहिए। लेकिन लड़की ने उस धार्मिक युवक की बात नहीं मानी।

अब चूंकि शास्त्रों में लिखा है कि सत्य और शुचिता के लिए यदि युद्ध भी करना पड़े तो वह धार्मिक कृत्य ही माना जाएगा। इसलिए उस युवक ने उस लड़की के कपड़े जबरन उतारना शुरू कर दिया। लड़की ने मना किया तो भी उस धार्मिक युवक ने यह धर्म-अनुष्ठान जारी रखा। ताकि बाजार और पूरी भदोही में स्वच्छता का संदेश फेल सके। लेकिन उस अधार्मिक लड़की ने इस पर ऐतराज किया, सीधे पहुंच गयी पुलिस के पास। एसपी साहब बोले कि उस धार्मिक को पकडूंगा। लेकिन पकड़ा नहीं। कल सोमवार को उस लड़की ने अदालत में अपना बयान दिया कि उस धार्मिक ने यह कृत्य किया है। उस दौरान वहां के कोतवाल मौजूद थे। लग्जरी कारों से वह महान और सज्जनता का प्रतीक लड़का और उसके दोस्त भी पहुंच गये। कोतवाल और पुलिस का काम होता है कि सज्ज नों को संरक्षण देना। इसलिए उस धार्मिक युवक और उसके करीब दो दर्जन मित्रों को कोल्डं-ड्रिंक की बोतलों का ढक्कान खोलने में बिजी थे, दे दनादन, पोक्क पोक्क।

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दो-एक दिन में ही तुम्हारी जमानत की बात फाइनल कर दिया है। ऐश से जाओ जेल। गांधी जी भी जेल चुके हैं। जेल जाने से नेतागिरी मिलेगी, ओर नेतागिरी की रफ्तार तुम्हें तक खासी ऊंचाई तक ले जाएगी। आज जो यह पत्रकार हैं, इन्‍हें लगातार और नियमित तौर पर मैं प्रसाद देता रहता हूं। नहीं बेटा, चिन्‍ता मत करो। तुम खुद सोचा कि इतना बड़ा पुण्‍य-कर्म कर लिया तुमने, जबकि मेरे विरोधी मेरा भट्ठा बैठाने पर आमादा थे। लेकिन इन्‍ही मेरे पालतू ईमानदार पत्रकारों ने तुम्‍हारी ओर उंगली तक नहीं उठायी। सब जानते थे कि तुम मेरे घर में छिपे हो, लेकिन लिखा किसी पत्रकार ने कि तुम मेरे घर में छिपे हो।

छोड़ो बेटा, जेल जाओ। भदोही जेल नहीं है, जन्नत है। पुलिसवालों वहां भी तुम्‍हारे जूते चमकायेंगे। इतिहास देख लो कि कितने नेताओं ने जेल में शाहंशाह की है बरसों-बरस। तुमने तो किया है मर्दानगी का काम मेरे लाल। जो चाहोगे, मिल जाएगा जेल में। कोई कमी नहीं रहेगी घर-जेल के माहौल में। दो-चार दिन में जमानत करा दूंगा, फिर गंगाजल स्टाइल में लड़की के घर जाना। देवगन की फिल्‍म गंगाजल तो तुमने देखी ही होगी न, बिलकुल वैसे ही रंगबाजी में उसके घर जाना। अबे, कहां बच के जाएगी वह लौंडिया, जेल से निकलते ही हर कीमत वसूल लेना।

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“ऐ देश के लफंगों, नेता तुम्हीं हो कल के
यह देश है तुम्हारा, खा जाओ इसको तल के।”

लेखक कुमार सौवीर यूपी के बेबाक और आजाद पत्रकार हैं. उनका यह लिखा उनके वेब पोर्टल मेरी बिटिया डाट काम से साभार लेकर भड़ास पर प्रकाशित किया गया है.

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