समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन का पहला दिन अपने पीछे कई खट्टे-मीठे अनुभव छोड़ गया। उम्मीद के अनुसार मुलायम सिंह यादव को नौंवी बार अध्यक्ष चुने जाने की औपचारिकता पूरी करने के अलावा अगर कुछ खास देखने और समझने को मिला तो वह यही था कि समाजवादी नेताओं ने यह मान लिया है कि अब उनकी लड़ाई भारतीय जनता पार्टी के साथ ही होगी। यही वजह थी वक्ताओं ने भाजपा और खासकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर खूब तंज कसे। इसके साथ ही समाजवादी मंच से एक बार फिर तीसरे मोर्चे की सुगबुगाहट भी सुनाई दी। जनता दल युनाइटेड(जेडीयू) के अध्यक्ष शरद यादव की उपिस्थति ने इस सुगबुगाहट को बल दिया। मुलायम के अध्यक्षीय भाषण के बाद शरद यादव बोलने के लिये खड़े हुए तो उनके तेवर यह अहसास करा रहे थे कि दोनों यादवों को एक-दूसरे की काफी जरूरत है।
बात मुलायम के भाषण की कि जाये तो उन्होंने अखिलेश सरकार के कामों के खूब कसीदे पढ़े। इसके साथ उन्होंने यह भी जोड़ दिया कि हम अपने कामों का प्रचार नहीं कर पाये। सपा प्रमुख ने डॉ. लोहिया के विचारों, लखनऊ की हिन्दू-मुस्लिम एकता, अल्पसंख्यकों का समाजवादी पार्टी के प्रति विश्वास, मोदी सरकार की नाकामी सहित तमाम मुद्दों को उठाया। गुजरात दंगों की याद ताजा करके और गुजरात के मुस्लिमों के दर्द से अपने आप को जोड़ने की कोशिश लोकसभा चुनाव की तरह नेताजी यहां भी करते नजर आये। उन्होंने यह भी बताया कि दंगों के बाद उन्होंने गुजरात जाकर मुस्लिमों के हालात का जायजा लिया था। मोदी पर तंज करते हुए सपा प्रमुख ने कहा कि मोदी को मुझसे बात करने के लिये छप्पन इंच का सीना चाहिए।
मुलायम अपने पुराने साथी शरद यादव की उपस्थिति से गद्गद नजर आये और पुराने साथियों के साथ आने पर मुलायम खुशी का इजहार करने से नहीं चूके। मुलायम के अध्यक्ष चुनने के बाद उम्मीद है कि समाजवादी पार्टी की राष्ट्रीय और उत्तर प्रदेश कार्यकारिणी का जल्द पुर्नगठन किया जायेगा। समाजवादी नेताओं का पूरा फोकस 2017 के चुनावों के इर्दगिर्द घूमता रहा।
बात शरद यादव की कि जाये तो उन्होंने मंहगाई, कालाधन, बेरोजगारी जैसी तमाम समस्याओं पर मोदी सरकार की घेराबंदी करने का भरपूर प्रयास किया। सपा को शरद यादव ने गरीबों की पार्टी बताया। बाबा साहब अम्बेडकर के कामों की चर्चा की। मंच पर सपा के सभी बड़े नेता अखिलेश यादव, शिवपाल यादव,आजम खां, राम गोपाल यादव मौजूद थे। सांसद और अभिनेत्री जया बच्चन भी अधिवेशन में मंच पर नजर आईं।
मुलायम के अध्यक्ष चुने जाने के बाद यह तय हो गया है कि 2017 का चुनाव उन्हीं के नेतृत्व में लड़ा जायेगा। मुलायम के बाद अधिवेशन में जिसकी सबसे अधिक चर्चा हो रही थी वह युवा नेता और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव थे। बसपा को लेकर समाजवादी पार्टी की चुप्पी का मतलब किसी को समझ में नहीं आया।
खैर, इन सब बातों के बीच यह अनदेखा नहीं किया जा सकता है कि सपा ने अधिवेशन के प्रचार-प्रचार के लिये पानी की तरह पैसा बहाया। पूरा शहर बडे़-बड़े होल्डिंग से पाट दिया गया। गरीबों की पार्टी का दम भरने वाले समाजवादी लग्जरी गाडि़यों में घूमते नजर आये।
लेखक अजय कुमार लखनऊ में पदस्थ हैं और यूपी के वरिष्ठ पत्रकार हैं। कई अखबारों और पत्रिकाओं में वरिष्ठ पदों पर रह चुके हैं। अजय कुमार वर्तमान में ‘चौथी दुनिया’ और ‘प्रभा साक्षी’ से संबद्ध हैं।