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उत्तर प्रदेश

जर्नलिस्ट प्रेस क्लब के भौकाली अध्यक्ष के खिलाफ कैंट थाने में दर्ज हुई दूसरी FIR

र्नलिस्ट प्रेस क्लब गोरखपुर के अध्यक्ष मारकण्डेय मणि त्रिपाठी पर तीन दिनों में दो मुकदमे कैंट थाने में दर्ज किए गए हैं. गोरखपुर जर्नलिस्ट प्रेस क्लब कार्यकारिणी सदस्य दुर्गेश यादव, पत्रकार अमित ओझा की आवाज दबाने वाले भौकाली अध्यक्ष पर पहला मुकदमा 6 मार्च को दुर्गेश यादव की तरफ से दर्ज कराया गया था.

जिसके बाद कल शुक्रवार 8 मार्च को पत्रकार अमित ओझा ने कैंट थाने में FIR संख्या- 139/2024, धारा- 323 और 506 के तहत मार्कण्डेय मणि त्रिपाठी, सतीश शुक्ला व अन्य अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है. विवादित अध्यक्ष मार्कंडेय मणि त्रिपाठी के खिलाफ कैंट थाने में अब तक 3 दिनों में 2 मुकदमें दर्ज हो चुके हैं.

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यहां गौर करने वाली बात ये है कि दोनों ही मामलों में भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वालों को विवादित अध्यक्ष द्वारा प्रेस क्लब में मार पीट करने के साथ ही भविष्य में आवाज न उठाने की भी सख्त हिदायत दी गई थी. एक तरफ जहां अमित ओझा को अवैध अस्पतालों की न्यूज़ चलाने के संबंध में अपने चैंबर में बुलाकर मेडिकल माफिया के साथ मिलकर मारा पीटा गया.

वहीं गोरखपुर जर्नलिस्ट प्रेस क्लब के कार्यकारिणी सदस्य दुर्गेश यादव का आरोप था कि वार्षिक सदस्यों की आवाज बुलंद करने के लिए अध्यक्ष द्वारा लिए गए नवीनीकरण के नाम पर पैसे से अभी तक नवीनीकरण न कराए जाने और इससे संबंधित ग्रुप में सवाल करने को लेकर उनके साथ मारपीट की गई थी. मार्कण्डेय चंदे के आय-व्यय का हिसाब नहीं दे रहे थे, इस पर सवाल उठाया गया तो मारपीट शुरू कर दी. दुर्गेश यादव का आरोप था कि अध्यक्ष ने अपने सहयोगी जगदंबा त्रिपाठी सहित अन्य पांच छ लोगों के साथ मिलकर जानलेवा हमला कर दिया था. उन्होंने अध्यक्ष के खिलाफ इसे लेकर कैंट थाने में एफआईआर लिखाई थी.

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आरोप यह भी है कि विवादित अध्यक्ष मारकण्डेय मणि त्रिपाठी अपना एक छत्र राज कायम रखना चाहते हैं और कोई पत्रकार उनके खिलाफ बोलने की हिकामत नहीं करता है. अगर कोई बोलता था तो उसकी आवाज अपने भौंकाल से दबा देते थे. अब जब दुर्गेश यादव ने आवाज बुलंद की तो मार्कण्डेय के सभी गुनाह निकलकर सामने आ रहे हैं. उसी का नतीजा है कि आज अमित ओझा ने हिम्मत जुटाकर कैंट थाने में मुकदमा दर्ज कराया है.

देखें एफआईआर की कॉपी…

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