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लखनऊ सहारा में तुगलकी फरमान पर मचा बवाल, हालात विस्फोटक

लखनऊ : राष्ट्रीय सहारा की लखनऊ यूनिट में इन दिनो एक तुगलकी फरमान को लेकर माहौल काफी तनावपूर्ण है। स्थिति विस्फोटक होने का अंदेशा जताया गया है। सारा बवाल यूनिट हेड मुनीश सक्सेना के उस नोटिस पर मचा हुआ है, जिसमें उन्होंने समस्त स्टॉफ को आदेश दिया है कि अब एक बार इंटर करने के बाद कोई भी व्यक्ति चाय पीने अथवा अन्य किसी काम से बाहर निकला तो उसे रजिस्टर में उल्लेख करने के साथ ही आदेश की स्लिप लेनी होगी और लौटने के बाद वह स्लिप विभागाध्यक्ष को देकर अवगत कराना पड़ेगा कि वह ड्यूटी पर आ गया है। 

लखनऊ : राष्ट्रीय सहारा की लखनऊ यूनिट में इन दिनो एक तुगलकी फरमान को लेकर माहौल काफी तनावपूर्ण है। स्थिति विस्फोटक होने का अंदेशा जताया गया है। सारा बवाल यूनिट हेड मुनीश सक्सेना के उस नोटिस पर मचा हुआ है, जिसमें उन्होंने समस्त स्टॉफ को आदेश दिया है कि अब एक बार इंटर करने के बाद कोई भी व्यक्ति चाय पीने अथवा अन्य किसी काम से बाहर निकला तो उसे रजिस्टर में उल्लेख करने के साथ ही आदेश की स्लिप लेनी होगी और लौटने के बाद वह स्लिप विभागाध्यक्ष को देकर अवगत कराना पड़ेगा कि वह ड्यूटी पर आ गया है। 

बताते हैं कि इसे पूरे वाकये के पीछे देवकीनंदन मिश्रा को नीचा दिखाने की रणनीति है। गौरतलब है कि वह हाल ही में बनारस सहारा के संपादक पद से यहां स्थानांतरित किए गए हैं। मिश्रा बनारस से पहले पटना यूनिट के भी हेड रह चुके हैं। योग्यता और अनुभव में वह सक्सेना से काफी सीनियर हैं। सक्सेना उन्हें नीचा दिखाने के अंदाज में पेश आ रहे हैं, वह विज्ञापन हेड से प्रमोटी प्रभारी बने हैं। पहले वह सहारा का विज्ञापन प्रभार देखते थे। अपने तबादले से पूर्व देवकी नंदन मिश्रा का प्रबंधन से अनुरोध रहा था कि बनारस सहारा में संपादक और प्रबंधक एक ही व्यक्ति रहे। इससे कंपनी का अनावश्यक खर्चा बचेगा। ऐसी ही अन्य दैनिक जागरण आदि में भी व्यवस्था है। मिश्रा अब अपने चैंबर में दो एक घंटे बैठ रहे हैं। काम कोई है नहीं। उनको लेकर खामख्वाह मुनीश सक्सेना कुंठाग्रस्त हैं। वरीयता क्लैस है।

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पूरा घटनाक्रम कुछ इस तरह का पता चला है। गुरुवार की शाम स्थानीय संपादक मनोज तोमर, प्रबंधक आदि की सहमति से लखनऊ सहारा यूनिट प्रभारी मुनीश सक्सेना द्वारा एक नोटिस जारी किया गया। तुगलकी नोटिस का फरमान रहा कि लखनऊ सहारा कार्यालय में अब जो भी कर्मी एक बार कार्ड पंच कर अंदर आ जाएगा, फिर काम की समयावधि में वह चाय पीने भी बाहर जाना चाहे तो संपादक या प्रबंधक से स्लिप पर अनुमति लेकर ही जाना होगा। लौटने पर फिर वह स्लिप संबंधित विभागाध्यक्ष के पास जमा करना अनिवार्य होगा। आदेश शुक्रवार से लागू हो गाय। इसके पीछे चाल ये बताई गई है कि आदेश के अनुपालन में अब देवकीनंदन मिश्रा को भी पूरे समय ड्यूटी पर उपस्थित रहना होगा। उनके जाने पर रोक लगेगी। यदि जाते भी हैं तो रिकार्ड बनेगा। अन्य मीडियाकर्मी भी इससे दबाव में रहेंगे।

शुक्रवार को इस तुगलकी आदेश से क्षुब्ध डिप्टी ब्यूरो चीफ मनमोहन सहकर्मियों कमल दुबे, कमल तिवारी, किशोर निगम, के. बख्श सिंह आदि के साथ मुनीश सक्सेना से मिले। उन्होंने ताजा फरमान पर गंभीर ऐतराज जताया। पूछा कि क्या चाय पीने के लिए भी स्लिप पर आदेश लेना पड़ेगा? बार बार रजिस्टर भरना पड़ेगा। एसी शाम छह बजे के बाद बंद रहता है तो क्या अब सफोकेशन से बचने के लिए बाहर जाने पर भी स्टॉफ के लोगों को स्लिप लेनी पड़ेगी। उन्होंने चेतावनी दी कि इस फरमान को तुरंत वापस लिया जाए वरना वह सहाराश्री सुव्रत राय से इसकी शिकायत करेंगे। इस पर मुनीश सक्सेना से उनकी काफी गर्मागर्मी हुई। काफी देर तक दफ्तर में हंगामा हुआ। 

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मनमोहन ने कहा कि यदि फरमान जारी हुआ है तो संपादक-प्रबंधक पर भी ये नियम लागू होना चाहिए। इतना ही नहीं, समान रूप से ये आदेश लखनऊ यूनिट ही क्यों, सभी यूनिटों में लागू किया जाए। संपादक खुद कभी समय से आते नहीं हैं। काम के समय एसी नहीं चलता और पंखे हैं नहीं, वॉटर कूलर खराब। ऑफिस प्रबंधन को ये सब जरूरी व्यवस्थाएं ठीक करनी चाहिए या ऊलजुलूस फरमान जारी कर ऑफिस में काम का माहौल बिगाड़ने के लिए वह प्रबंधक और संपादक बनाए गए हैं। 

मुनीश सक्सेना ने फरमान लौटाने से असमर्थता जताते हुए कहा कि ये आदेश ग्रुप हेड ओपी श्रीवास्तव के स्तर से जारी हुआ है। संपादक मनोज तोमर की भी आपत्ति है कि पीक ऑवर में लोग चाय पीने निकल जाते हैं। मैंने तो फरमान पर केवल हस्ताक्षर किया है। इसे वापस नहीं किया जा सकता है। इससे पिछले तीन दिन से ऑफिस का माहौल तनावपूर्ण बना हुआ है। हालात नहीं सुधरे तो अंदेशा है कि आने वाले दिनों में स्थिति विस्फोटक हो सकती है। 

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एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित

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0 Comments

  1. कुमार कल्पित

    May 10, 2015 at 9:18 pm

    यह बात हजम नही हो रही है कि सहारा के रिपोर्टरो ने मैनेजर से इस तरह बात की । चींटी के पर तो निकले । क्या अच्छा होता यही साहस वेतन और मजीठिया के लिए दिखाते ।

  2. karan Singh Azad

    May 15, 2015 at 10:45 am

    😀 😀 😀 😀 😀 😀 😀 😀 😀 😀 😀 😀 😀 😀 😀 😀 😀 😀 😀 😀 😀 😀 😀 😀 😀 😀 😀 😀 😀 😀 :

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