लखनऊ : रिहाई मंच ने सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव द्वारा आईजी नागरिक सुरक्षा अमिताभ ठाकुर को धमकी देने के बाद, सपा मुखिया पर एफआईआर दर्ज न कर उल्टा अमिताभ ठाकुर को ही निलंबित करने की कड़ी भर्त्सना की है। मंच ने अखिलेश यादव द्वारा अपने पिता मुलायम सिंह यादव का बचाव करने वाले बयान पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि सूबे में अराजकता फैलाने वाले तत्वों का संरक्षण करने का ही नतीजा है सूबे में ध्वस्त कानून व्यवस्था। इस घटना ने साबित कर दिया कि खनन भ्रष्टाचार समेत सूबे में व्याप्त माफिया राज के सरगना मुलायम सिंह यादव हैं।
रिहाई मंच के अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने सवाल करते हुए कहा कि जिस तरीके से अमिताभ ठाकुर को निलंबित किया गया है, ठीक इसी तरह 2013 में खालिद मुजाहिद हत्या प्रकरण में पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह, पूर्व एडीजी लॉ एंड आर्डर बृजलाल, मनोज कुमार झा जैसे पुलिस अधिकारियों व आईबी के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज होने के बावजूद उन्हें क्यों नहीं निलंबित किया गया? उन्होंने कहा कि इंसाफ, इंसाफ होता है, न कि अपनी सुविधानुसार वक्त पड़ने पर सत्ता को बचाने का हथकंडा। अमिताभ ठाकुर पर जो मुकदमा मुलायम सिंह यादव द्वारा धमकी दिए जाने के बाद मुलायम सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने की ठाकुर की कोशिश के बाद किया गया, आखिर अमिताभ अगर दोषी थे तो अखिलेश यादव बताएं कि उन पर पहले क्यों मुकदमा दर्ज नहीं किया गया?
एक दोषी को बचाने वाली सरकार उस दोषी से ज्यादा दोषी होगी। मुहम्मद शुऐब ने कहा कि अखिलेश यादव द्वारा अपने पिता मुलायम सिंह खिलाफ न सिर्फ मुकदमा दर्ज होने दिया गया, उल्टे अमिताभ को जिस तरह से दंडित करने का प्रयास किया गया, ऐसे में अखिलेश को बताना होगा कि न्ययाधीश निमेष कमीशन द्वारा विक्रम सिंह और बृजलाल पर कारवाई की सिफारिश के बावजूद कार्रवाई क्यों नहीं की गई? क्या मुलायम सिंह यादव किसी न्यायिक आयोग के न्यायाधीश से ऊंची हैसियत रखते हैं?
रिहाई मंच के नेता लक्ष्मण प्रसाद ने कहा है कि समाजवादी पार्टी में कई नेताओं पर हत्या, बलात्कार और अपहरण, फिरौती के सैकड़ों मामले दर्ज हैं। अखिलेश यादव ने जिस तरीके से अमिताभ ठाकुर पर मुकदमा दर्ज करते हुए निलंबित कर दिया, ठीक उसी तरह सपा के दोषी नेताओं पर कार्रवाई क्यों नहीं करते? उन्होंने कहा कि सपा नेता विश्वंभर प्रसाद निषाद के खिलाफ बांदा की एक दलित महिला ने अप्रैल 2015 में ही मुकदमा दर्ज कराया था लेकिन आज तक विश्वंभर प्रसाद निषाद की गिरफ्तारी तो दूर, फर्जी तरीके से आरोपी सपा नेता का नाम ही एफआईआर से हटा दिया गया। उन्होंने कहा कि होना तो यह चाहिए कि अखिलेश यादव द्वारा दोषी सपा नेताओं को उनके पदों से बर्खास्त करते हुए मुकदमा दर्ज किया जाए पर उल्टे सरकार ऐसे दोषियों को बचाने के लिए मुकदमा दर्ज नहीं होने देती बल्कि साक्ष्यों को मिटाने और पीडि़तों को धमकाने व पीडि़त के खिलाफ फर्जी मुकदमा दर्ज करने तक का कार्य करती है। प्रसाद ने पूरे प्रदेश में व्याप्त नाइंसाफी के खिलाफ इंसाफ के लिए एकजुट होकर लड़ने की अपील की।
रिहाई मंच के नेता हरे राम मिश्र ने जिला शामली में शिक्षा के सवाल पर कार्य कर रहे सामाजिक और आरटीआई कार्यकर्ता अकरम अख्तर चैधरी व उनके साथियों को धमकी दी गई, ऐसे में शासन और प्रशासन उनके सुरक्षा की गारंटी करे। उन्होंने कहा कि जिस तरीके से बहराइच समेत पूरे सूबे में आरटीआई कार्यकर्ताओं की हत्याएं और हमले हुए हैं, ऐसे में सांप्रदायिक हिंसा से प्रभावित मुजफ्फरनगर व शामली के पीडि़तों के स्कूलों में दाखिले को लेकर अकरम चैधरी व उनके साथियों को दी गई धमकियों को शासन और प्रशासन को गंभीरता से लेना होगा। मिश्र ने सरकार से यह भी मांग की कि राज्य सरकार शामली और मुजफ्फरनगर सांप्रदायिक हिंसा के पीडि़तों की शिक्षा की समुचित व्यवस्था की गारंटी करे।
रिहाई मंच ने लखनऊ के सिटी मांटेसरी स्कूल द्वारा शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत 31 गरीब बच्चों के नामांकन न करने पर मैग्सेसे पुरस्कार सम्मानित सामाजिक कार्यकर्ता संदीप पाण्डे के धरने का समर्थन करते हुए मांग की है कि सरकार शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत निजी विद्यालयों में 25 प्रतिशत गरीब बच्चों के दाखिले की गारंटी करे। रिहाई मंच के वरिष्ठ नेता राघवेन्द्र प्रताप सिंह के छोटे भाई के आकस्मिक निधन पर शोक संवेदना प्रकट करते हुए रिहाई मंच ने श्रद्धांजलि दी।