बंटवारे की ओर बढ़ती सपा में बगावत

संजय सक्सेना, लखनऊ

उत्तर प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के तेवर हल्के होने का नाम नहीं ले रहे हैं। बाप-चचा की तमाम ‘घुड़कियों’ और ‘अपनों’ के खिलाफ कार्रवाई से तिलमिलाए अखिलेश ‘जख्मी शेर’ बनते जा रहे हैं। विकास और स्वच्छता की राजनीति के कायल अखिलेश से जब उनके बुजुर्गो ने यही दोंनो ‘हथियार’ उनसे छीन लिये तो अखिलेश के पास कहने-सुनने को कुछ नहीं बचा। दागी अमनमणि को टिकट दिये जाने पर तो उन्होंने यहां कह दिया,‘मैंने सारे अधिकरी छोड़ दिये हैं।’

सपा में हाई वोल्टेज ड्रामा, आजम के लिये मुश्किल होगा आगे का सफर

अजय कुमार, लखनऊ

समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता और मंत्री आजम खान की शख्सियत की व्याख्या करना हो तो यह कहा जा सकता है कि वह स्वभाव से अखड़ ,जुबान के कड़क,लेकिन ईमानदार और स्वाभिमानी नेता हैं। आजम पर अक्सर आरोप लगाते रहते हैं कि वह सियासी दुनिया में किसी की भावनाओं की कद्र नहीं करते है। दिल की जगह दिमाग से काम लेते हैं,इसी लिये उन्होंने  दोस्त से अधिक दुश्मन पाल रखे हैं। वह जिसके पीछे पड़ जाते हैं उसे किसी भी दशा में छोड़ते नहीं हैं और जिससे दोस्ती निभाते हैं उसके लिये सब कुछ दांव पर लगा देते हैं। आजम खान का कोई बड़ा सियासी दुश्मन नहीं है, अगर है तो वह स्वयं अपने दुश्मन हैं।

पीलीभीत के पुलिस कप्तान ने अमर उजाला के क्राइम रिपोर्टर को दीं गालियां

पीलीभीत (उ.प्र.) : खबर पीलीभीत से है, जहां पुलिस अधीक्षक जितेंद्र कुमार शाही ने अमर उजाला के क्राइम रिपोर्टर टीएन अवस्थी को अपने दफ्तर में गालियां दीं और ऑफिस से भाग जाने के लिए कहा। 

एसपी बिजनौर ने पहले तो विकलांग को थप्पड़ मारा, फिर रात के अंधेरे में हाथ जोड़कर माफी मांगी

बिजनौर :  जिले के एसपी गुंडा-माफिया तत्वों और राजनेताओं से तो डरते हैं, विकलांगों को बहादुरी दिखाते हैं, जो खुद ही मुकद्दर के मारे हुए हैं। एसपी ने वर्दी के जुनून में एक विकलांग को थप्पड़ तो जड़ दिया मगर जब पेंशन और राशन कार्ड मांगने पहुंच सभी विकलांग आमरण अनशन पर बैठक गए तो देर रात डीएम के साथ वहां पहुंचकर रात के अंधेरे में हाथ जोड़कर माफी मांग ली। 

आईएएस सूर्य प्रताप को पता ही नहीं, हिंदुस्तान लखनऊ में छप गई चार्जशीट की खबर

सुनो सर जी, मार डालो पर.. डराओ मत,सर जी….! आज एक समाचार छपा …”आईएएस सूर्य प्रताप सिंह को चार्जशीट दी गयी ” बड़ा सामायिक है ..पर भैया है कहाँ ये सब ….क्या डरा डरा कर मार डालोगे, सर जी | कोई भी विभागीय कार्रवाई गोपनीय होती है, यही जारी होने वाली नोटिस/चार्जशीट को जारी करने से पहले ही सम्बंधित विभाग द्वारा ‘लीक’ कर दिया जाता है, तो सम्पूर्ण कार्यवाही पूर्वाग्रह से ग्रसित मानी जाएगी| वह भी, किसी एक अखबार को exclusive खबर क्यों? प्रेस कांफ्रेंस या प्रेस नोट क्यों नहीं जारी कर देते, क्या अन्य अख़बारों से डर लगता है कि वे दोनों पक्ष का मत लेकर सच्चाई लिख देंगें? मैं ये सब सरल मन से पूछ रहा हूँ…कोई अहंकारवश नहीं |

सपा बन चुकी है गुंडों का गिरोह, मुलायम हैं सरगना – रिहाई मंच

लखनऊ : रिहाई मंच ने सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव द्वारा आईजी नागरिक सुरक्षा अमिताभ ठाकुर को धमकी देने के बाद, सपा मुखिया पर एफआईआर दर्ज न कर उल्टा अमिताभ ठाकुर को ही निलंबित करने की कड़ी भर्त्सना की है। मंच ने अखिलेश यादव द्वारा अपने पिता मुलायम सिंह यादव का बचाव करने वाले बयान पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि सूबे में अराजकता फैलाने वाले तत्वों का संरक्षण करने का ही नतीजा है सूबे में ध्वस्त कानून व्यवस्था। इस घटना ने साबित कर दिया कि खनन भ्रष्टाचार समेत सूबे में व्याप्त माफिया राज के सरगना मुलायम सिंह यादव हैं।

एसपी बोला – मृत्‍युपूर्व बयान का क्‍या मतलब, डीआईजी बोला- मुझे क्‍या पता

बाराबंकी : कोठी थाने परिसर में एक महिला को जिन्‍दा फूंक डाला गया। बुरी तरह जल चुकी महिला ने मरने के पहले बयान दिया था कि पुलिसवालों ने पहले तो उसके साथ बलात्‍कार की कोशिश की, और जब उसने विरोध किया तो पुलिसवालों ने उसे जिन्‍दा फूंक दिया। कल लखनऊ में इस महिला ने दम तोड़ दिया लेकिन अब तो कमाल हो गया है साहब, कमाल…

वाह रे चाटुकारिता, कप्तान की दावत में छलके जाम, पत्रकार हुए मदहोश

मऊ (उत्तरप्रदेश) : प्रदेश में पुलिस द्वारा पत्रकारों पर जुल्म ढाए जा रहे हैं, कही पत्रकार की माँ को पेट्रोल डालकर फूंका जा रहा है तो कही पत्रकार को जिन्दा जलाया गया। चारो तरफ पत्रकारों में प्रशासन को लेकर गुस्सा है, कही प्रोटेस्ट मार्च किया जा रहा तो कही पत्रकार सुरक्षा अधिनयम बनाने की मांग हो रही। पत्रकारो का एकजुट होना तो दूर, यहां के पत्रकार सोमवार को सभी मर्यादाओं को लांघकर पहुंच गए कप्तान की दावत में। जमकर जाम छलकाए गए। 

कप्तान के बयान से पत्रकारों में रोष, मनमानी बर्दाश्त नहीं

गाजीपुर : गाजीपुर पत्रकार एसोसिएशन की एक आपात बैठक कचहरी स्थित कैम्प कार्यालय पर हुई। 25 मई 2015 को प्रेसवार्ता में एक हिन्दी दैनिक समाचार पत्र के ब्यूरो प्रमुख अविनाश प्रधान के प्रश्न से तिलमिला कर पुलिस अधीक्षक द्वारा उन्हें आगे से किसी कांफ्रेंस में न आने के फरमान पर पत्रकारों में काफी रोष है। 

यूपी में सपा को बाहर से कम, पार्टी के अंदर से ज्यादा चुनौती

उत्तर प्रदेश का सियासी पारा धीरे-धीरे चढ़ता जा रहा है। 2017 फतह करने के लिये तमाम सियासतदां एयरकंडिशन ड्राइंग रूम से निकल कर सड़क पर पसीना बहा रहे हैं। डिजिटल इंडिया और नये दौर की राजनीति में भले ही धरने-प्रदर्शनों का रंग फीका पड़ चुका हो, लेकिन आज भी इसकी बानगी दिख जाती है। पुराने, जिन्हें घाघ नेता की संज्ञा दी जाती है, आज भी अपनी सियासत चमकाने के लिये धरना-प्रदर्शन को अपना अचूक हथियार मानते हैं। 

बसपा काल के भ्रष्टाचार पर सपा राज में चुप्पी

सपा-बसपा नेता भले ही जनता के बीच अपने आप को एक-दूसरे का कट्टर दुश्मन दिखाते रहते हों लेकिन लगता तो यही है कि अंदर खाने दोनों मिले हुए हैं,जिस तरह से बसपा शासनकाल के तमाम भ्रष्ट मंत्रियों और अधिकारियों के प्रति अखिलेश सरकार लचीला रवैया अख्तियार किये हुए है।वह संदेह पैदा करता है।सपा कोे  सत्ता हासिल किये तीन वर्ष से अधिक का समय बीत चुका है लेकिन उसने अभी तक पूर्ववर्ती बसपा सरकार के भ्रष्ट मंत्रियों के खिलाफ जांच की इजाजत लोकायुक्त को नहीं दी है। आधा दर्जन से ज्यादा पूर्व मंत्रियों और लगभग दो दर्जन लोकसेवकों के खिलाफ लोकायुक्त की विशेष जांच रिपोर्टों पर कार्रवाई न होने से सीएम अखिलेश पर उंगली उठने लगी हैं।

लूट प्रदेश कह लीजिए या आतंक प्रदेश, चहुंओर मातम का नाम है उत्तर प्रदेश…. (सुनें आडियो टेप)

Yashwant Singh : गजब है उत्तर प्रदेश. भ्रष्टाचार और अराजकता का चरम है इस सूबे में. मीडिया वाले सूबे के युवा मुखिया अखिलेश यादव का चरण दबाने में लगे हैं. ज्यादातर समाजवाद का कोरस गा रहे हैं. कुछ एक जो बोल सकते थे, वे चुप्पी साधे हैं. मीडिया मालिक यूपी सरकार के भारी भरकम विज्ञापन तले दबकर एहसानमंद हैं. इन मालिकों के नौकर किस्म के पत्रकार सरकार से अघोषित रूप से मिले कैश या आवास या दलाली या अन्य सुविधाओं के कारण सरकार के खुलेआम या छिपे प्रशंसक बने हुए हैं. ऐसे में सच्चाई सामने नहीं आ रही.

जिंदगी की जंग लड़ रहे पत्रकार की भाजपा विधायक ने की मदद, सपा सरकार बेखबर

लखनऊ : भारतीय जनता पार्टी के विधायक सत्यदेव पचौरी ने गत दिनो संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) में अपना इलाज करा रहे वरिष्ठ पत्रकार उदय यादव से भेंट कर उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी प्राप्त की। उदय को दोनों किडनियां खराब होने के बाद इलाज के लिए भर्ती किया गया है। वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और उनके दूसरे मंत्रियों ने उदय की ओर ध्यान तक नहीं दिया है। 

इस ‘समाजवादी’ मंत्री अवधेश प्रसाद का सामंतवाद तो देखिए!

सेवा में, सम्पादक महोदय, सादर प्रणाम, फैजाबाद से एक खबर है। खबर इस तस्वीर पर आधारित है। तस्वीर में दिख रहे हैं उत्तर प्रदेश की समाजवादी सरकार के समाज कल्याण मंत्री अवधेश प्रसाद।  इन्हें उनका सरकारी अर्दली मकर संक्रांति के दिन बुधवार को खिचड़ी भोज से निकलने के बाद जूते पहना रहा है।

2017 का विधानसभा चुनाव जातिवादी राजनीति के सहारे नहीं जीता जा सकेगा, अखिलेश यादव को अहसास हो गया

अजय कुमार, लखनऊ

एक वर्ष और बीत गया। समाजवादी सरकार ने करीब पौने तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा कर लिया है। 2014 सपा को काफी गहरे जख्म दे गया। लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार ने धरती पुत्र मुलायम को हिला कर रख दिया। पार्टी पर अस्तित्व का संकट मंडराने लगा है। अगर जल्द अखिलेश सरकार ने अपना खोया हुआ विश्वास हासिल नहीं किया तो 2017 की लड़ाई उसके लिये मुश्किल हो सकती है। अखिलेश के पास समय काफी कम है। भले ही लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के पश्चात समाजवादी सरकार ने अपनी नीति बदली ली है, लेकिन संगठन वाले उन्हें अभी भी पूरी आजादी के साथ काम नहीं करने दे रहे हैं। सीएम अखिलेश यादव अब मोदी की तरह विकास की बात करने लगे हैं लेकिन पार्टी में यह बदलाव देखने को नहीं मिल रहा है। मुलायम अभी भी पुराने ढर्रे पर ही चल रहे हैं। निश्चित ही 2015 खत्म होते ही तमाम दलों के नेता चुनावी मोड में आ जायेंगे। भाजपा तो वैसे ही 2017 के विधान सभा चुनावों को लेकर काफी अधीर है, बसपा और कांग्रेस भी उम्मीद है कि समय के साफ रफ्तार पकड़ लेगी। फिलहाल तो यही कहा जा सकता है कि कांग्रेस ही नहीं सपा-बसपा भी 2014 में अर्श से फर्श पर आ गये।

एसपी की पोस्टिंग के लिए 15 लाख देने वाले आईपीएस अधिकारी की जांच हो

सामाजिक कार्यकर्ता डॉ नूतन ठाकुर ने मलाईदार तैनाती की चाहत रखने वाले एक आईपीएस अफसर को ठगों द्वारा 15 लाख रुपये का चूना लगाने पर पैसा वापस कराने के लिए हजरतगंज पुलिस द्वारा किये जा रहे प्रयासों की जांच कराये जाने की मांग की है. उन्होंने कहा कि एक समाचारपत्र में प्रकाशित खबर के अनुसार कुछ महीने पहले इस अफसर की मुलाकात एक कद्दावर नेता के बंगले में एक बिचौलिए से हुई जिनसे उनकी मनचाहे जिले में तैनाती दिलवाने के लिए 25 लाख रुपये में सौदा हुआ और अफसर ने 15 लाख रुपये एडवांस दे दिए.

यूपी की सपा सरकार की धोखाधड़ी से खिन्न हैं वरिष्ठ पत्रकार शंभूनाथ शुक्ला

Shambhu Nath Shukla : फेसबुक पर आजकल समाजवादी पार्टी के प्रवक्तागण आँधी की तरह टूट पड़े हैं। हो सकता है कि मुख्यमंत्री का निर्देश हो पर अगर वे इस सोशल साइट के माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री को यह अवगत कराएं कि उनके सूबे में किस कदर कानून व्यवस्था की धज्जियां उड़ रही हैं और कैसे जमीन माफिया गाजियाबाद व नोएडा की जमीनों पर कब्जा कर रहा है तो ज्यादा समीचीन होगा।