–Zaigham Murtaza–
2018 में ज़ी ग्रुप के संस्थापक सुभाष चंद्रा की कुल हैसियत 4.7 बिलियन डॉलर यानि 470 करोड़ डॉलर (लगभग 32,730 करोड़ रुपये) थी। इतनी संपत्ति के साथ वो देश के बड़े अमीरों में शुमार थे।
ये संपत्ति उन्होंने राष्ट्र विरोधी, भ्रष्ट और निकम्मी सरकारों के दौर में नंबर एक में जुटाई थी…
इसके बाद 2014 में ईमानदार, राष्ट्रवादी सरकार आ गई।
इस सरकार को लाने में सुभाष चंद्रा के चंदे से बनी इंडिया अगेंस्ट करप्शन की अन्ना मुहिम का बड़ा योगदान था। उनकी ईमानदारी मुहिम में सुधीर चौधरी के डीएनए ने भी अहम भूमिका निभाई। उन्हें इस सबके ईनाम में बीजेपी से राज्यसभा का टिकट मिला। उनको जिताने के लिए साफ सुथरी सरकार ने ईमानदारी के साथ हरियाणा में विपक्ष के तमाम बेइमान विधायकों का वोटिंग पेन बदलकर वोट निरस्त करा दिए और मीडिया किंग अब माननीय सांसद बन गए।
बहरहाल ईमानदारी बहुत महंगा सौदा है और कुछ पाने के लिए बहुत कुछ खोना पड़ता है।
माननीय सांसद सुभाष चंद्रा ने जी ने बुधवार को मार्मिक बयान जारी करके कहा है कि उनकी कुल हैसियत अब दस करोड़ रुपये भी नहीं रह गई है। संसद की आचार समिति के समक्ष अपनी वित्तीय हालत का खुलासा करते हुए सुभाष चंद्रा ने बताया है कि 2015 में उनकी निजी संपत्ति क़रीब 40 करोड़ थी जो अब घटकर 9.85 करोड़ रह गई।
ईमानदार चंद्रा जी के हरिशचंद्री चेलों द्वारा सौ सौ करोड़ रुपये की अवैध उगाही करने, अफ्रीका में लूटमार फैलाने, सरकारी विज्ञापन हड़पने और तमाम बैंकों का पैसा बिना डकार निगल जाने के बावजूद चंद्रा जी की तमाम दुकानों पर अब 12 हज़ार करोड़ रुपये से ज़्यादा का बैंक क़र्ज़ बक़ाया है।
उम्मीद है सरकार जल्द उनके पिछले क़र्ज़ों की तरह इसे भी माफ कर देगी। वैसे जिस रफ्तार से सुभाष चंद्रा गिर रहे है उनका हाल विजय माल्या और सुब्रत राय सहारा से भी बुरा होने वाला है।भगवान उनकी ईमानदार आत्मा को शांति दें और उनकी तमाम काली कमाई ख़त्म करके बस ईमानदारी के दो निवाले बचा दें… ताकि सुधीर चौधरी जैसे लोग उनसे सबक़ ले सकें।
आमीन सुम्मामीन, रब्बुल आलमीन
पत्रकार जैगम मुर्तजा की एफबी वॉल से.