Samar Anarya : कल 15 साल की बच्ची के सहारे कन्हैया को घेरने की कोशिश करने वाले भक्त आज इस तस्वीर के सहारे यह कोशिश कर रहे हैं। बावजूद इसके कि मुझे समझ ही नहीं आया कि इस तस्वीर में भक्तों के दिमाग़ में भरी यौन कुंठा के सिवा आपत्तिजनक क्या है- कुछ झूठ साफ़ करने की ज़रूरत है। पहला यह कि तस्वीर में मौजूद लड़की कोई प्रोफ़ेसर नहीं बल्कि एक छात्रा हैं, कन्हैया की बहुत अच्छी दोस्त होने के साथ साथ मेरे एक बहुत प्यारे छोटे भाई Shishir Kumar Yadav की भी अच्छी दोस्त हैं। दूसरा यह कि अगर प्रोफ़ेसर भी होतीं तो भी क्या बदल जाता, आपत्तिजनक हो जाता?
क्या है भक्तों कि हम दोस्तों से भी गले मिलते हैं, मिलते रहे हैं। तुम बहनों तक से नहीं मिल पाते- क्यों यह तो समझ ही गये होगे। तुम्हारा सिर्फ़ दिमाग़ ही कुंठित नहीं है, तुम्हारी पूरी देह कुंठा का साकार रूप है! बहन तक को सिर्फ़ स्त्री होने के परे नहीं देख पाता तो दोस्तों की बात ही क्या। कन्हैया से बहस चाहे जितनी कर ले, काश वह बच्ची तुम भक्तों के हाथ न पड़ जाय, कभी भी! यह तस्वीर साझा करते हुए कोई Chandan Pratihast पूछ रहे हैं ”क्या यही फ्रीडम ऑफ़ एक्सप्रेशन है”. तस्वीर में क्या दिक्कत है यह पता नहीं, अपना फ्रीडम ऑफ़ एक्सप्रेशन इतना जरूर है कि उनके सहित इस तस्वीर को पसंद करने वाले अपने ‘मित्रों’ को मित्रता के भार से मुक्त कर दूं. सो विदा कर दिया कइयों को.
Anjule Elujna : “वात्सल्य”… मुझे अगर इस तस्वीर को देकर कोई टाईटल देने को बोलता तो मेरा पहला जवाब यही होता. ऐसे ही तो हमारी पड़ोस की चाचियाँ, मामियां, दादीयां, बुआ, मोहल्ले की बड़ी दीदी, घर के मेंबर की हैसियत पा गए टीचर लोग प्यार से हमें पुचकारते हैं, और कभी कभी हमारी शैतानी के लिए अपनी हिटलरगिरी दिखाते हुए, पकड़ कर मरम्मत भी कर देती हैं. ये तस्वीर fb पर शेयर करने वाले ‘चंदन’ जी मुझे पता नहीं क्या ढूढ़ रहे हैं इसमें. हालाँकि इस ‘ढूढ़ने के बहाने’ वो क्या कहना चाहते हैं, सबको अंदाज़ा शायद हो ही गया होगा. कंडोम, बीड़ी, सिगरेट, अय्याशी, गांजा सबकी गिनती करने के बाद अब इनके निशाने पर ‘स्टूडेंट्स-प्रोफ़ेसर’ की ‘तस्वीरें’ हैं.
काश इस तस्वीर में मौजूद सहज ‘वात्सल्य और प्यार’ को, चंदन जी अपने नाम की सार्थकता सिद्ध करते हुए सहजता से ग्रहण कर पाये होते. किसी का विरोधी होना, या विचारधारा का ही विरोधी होना कहाँ बुरा है, ये डेमोक्रेसी के लिए तो अच्छा ही है. लेकिन विरोध का लेवल अगर इस लेवल पर गिर जाये की हमें ‘रिश्तों की मर्यादा और एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के मानवीय संबंध’ को कलंकित करने की कोशिश करनी पड़े तो आपका विरोध ‘अपराध’ हो जाता है. समाज को ऐसे अंध विरोध की भी क़ीमत चुकानी पड़ती है. इंटरनेशनल वुमंस डे पर किसी महिला के वात्सल्य पर सवाल करके ‘चंदन’ जी को मिली ‘शीतलता’ से समाज को ‘आज़ादी’ की शख़्त जरुरत है. नोट- जिसे प्रोफ़ेसर की तस्वीर कह कर प्रचारित किया जा रहा है वो भी स्टूडेंट ही हैं. ना कि प्रोफ़ेसर. ये एमफिल की स्टूडेंट हैं, नाम सौम्या है. ‘पंजाब केसरी’ ने जिस तरह से इसे ख़बर के नाम पर सनसनी बना कर परोसा गया है वो बेहद निंदनीय है. (ये इंफॉर्मेशन मुझे अभी मिली है इसलिए इसे अलग से नोट लिखकर लगा रहा हूं)
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KASHINATH MATALE
March 8, 2016 at 1:30 pm
Dears,
Rista chahe koi bhi ho, ek maryadatak thik lagta hai.
Is photo me ek ladki jyo ji bahan ho, friend ho, gale hat dalkar aur ek pair kaha rakha hai aap hi dekho. Kya Dikhta hai. Kya Dikhana chahate ho? Photo to public ke liye aaptijanak dikhta hai.. Aise photo khicha hi nahi chahiye. phot khiche to pubslish nahi karna chahiye. kya message dena chahate ho?
Bura laga to maph karna.
Thanks