…तब हमारा ब्रह्माण्ड लिंग नुमा सुरंग में धंसते हुए निकटवर्ती ब्रह्माण्ड में समाहित हो जाएगा!

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(विजय सिंह ठकुराय)


अब बात ब्रह्माण्ड के अंत से लेकर आरम्भ तक की. THE BEGINNING OF EVERYTHING. लगभग 13.7 अरब वर्ष पूर्व ब्रह्माण्ड में समय और काल की अवधारणा शून्य थी. भौतिकी के नियम अस्तित्व में नहीं थे. दृश्य ब्रह्माण्ड का समस्त पदार्थ अपने फंडामेंटल स्वरुप (क्वार्क-ग्लुआन प्लाज़्मा) के रूप में एक पिन पॉइंट के आकार के द्रव्यमान (10^-26 मीटर) में सिमटा हुआ था. और एक विस्फोट हुआ.

ब्रह्माण्ड फैलने लगा विस्फोट के 0.00000000000000000000000000000000000000000001 (10^-43) सेकंड के बाद ये ब्रह्माण्ड एक क्षण के खरबवे हिस्से में अरबो खरबो गुणा फ़ैल चुका था. क्वार्क ग्लुआन प्लाज़्मा ने मिल कर प्रोटान न्युट्रान बनाने शुरू किये… अगले कुछ लाख वर्ष में ब्रह्माण्ड धीरे धीरे इतना शीतल होता गया कि ब्रह्माण्ड का “सुपर फ़ोर्स फील्ड” इलेक्ट्रो फ़ोर्स और स्ट्रांग तथा वीक फ़ोर्स में विभक्त होता गया. धीरे धीरे प्रोटान न्यूट्रान ने इधर उधर मंडराते लेप्टान कणों (इलेक्ट्रोन) को कैप्चर कर के परमाणुओ का निर्माण किया. फिर हाइड्रोजन बनी. फिर हीलियम, सितारे, सौरमंडल, पृथ्वी, प्रथम कोशिका… All the way through evolution… us Humans!.

जो लोग फंडामेंटल पार्टिकल्स के व्यवहार की सबसे सफल व्याख्या करने वाले “स्टैण्डर्ड मॉडल” को समझते है, उनके लिए इस “एटॉमिक एवोल्युशन” को समझना ज्यादा मुश्किल नहीं. देखा जाए तो पिछली एक शताब्दी में हमें ऐसे अनगिनत सबूत मिले है जो “बिगबैंग थ्योरी” को सही साबित करते हैं. बिगबैंग थ्योरी निर्विवाद रूप से सत्य है. आज मेरा सवाल ये है कि चूँकि हमारे द्वारा नापी जा सकने वाली समय की सबसे छोटी इकाई (10^-43 सेकंड) है. इस कारण आज से 13.7 अरब वर्ष पूर्व शुरू हुए ब्रह्माण्ड के निर्माण के क्षण के 10^-43 सेकंड के बाद हमें मालुम है कि क्या हुआ था लेकिन…उस विस्फोट से पहले क्या था? विस्फोट हुआ ही क्यों? विस्फोट के आस पास क्या था? मै जानता हूँ कि ये सवाल अक्सर आपको परेशान करते होंगे.

हम समय के चक्र में पीछे जा कर उस विस्फोट को नहीं देख सकते. चूंकि हमें कुछ भी देखने के लिए “फोटान” की जरूरत होती है और चूंकि बिगबैंग के 380000 साल तक पदार्थ इतनी dense अवस्था में था कि फोटान का उस “उच्चतम घनत्व की बाल” को चीर कर निकल पाना संभव नहीं था. टेलिस्कोप की सहायता से भूतकाल में झाँक सकते हैं So all we have… is a faint picture of microwave radiation 380000 years afterwards “Big Bang”…. and few wild guesses!!! ब्रह्माण्ड निर्माण के 380000 साल बाद कैसा दिखता था, जानने के लिए ये फोटो देखें.

तो सवाल ये है कि ब्रह्माण्ड के आरंभ से पहले क्या था?” और जवाब है कि सही जवाब के लिए शायद हमें ब्रह्माण्ड की शुरुआत नहीं, बल्कि अंत को जानने की जरूरत है क्योंकि ब्रह्माण्ड का अंत ही हमें समझा सकता है The Beginning Of Universe. आगे के कंटेंट बहुत जटिल होने के कारण सरल भाषा में लिखने की कोशिश करूँगा. हम और आप तथा ब्रह्माण्ड की हर चीज फंडामेंटल लेवल पर ऊर्जा के तंतुओ (स्ट्रिंग्स) के वाइब्रेशन मात्र हैं. ऊर्जा का एक ख़ास गुण होता है कि ये उच्च स्थिति से निम्न स्थिति की ओर बहती है अर्थात अगर एक कमरे में आपने आइसक्रीम का एक कप रखा है तो आइस क्रीम पिघल के रूम टेम्परेचर पर आ ही जायेगी. हवा में छोड़े गए गुब्बारे पिचक के जमीन पर आ ही गिरेंगे. सितारे अपना ईंधन जला के एक ना एक दिन ठन्डे हो ही जायेंगे. ऊर्जा के वितरण को “एन्ट्रापी” में नापते हैं और ऊर्जा के समान वितरण साधने की इस प्रक्रिया में ब्रह्माण्ड एक ना एक दिन “परम संतुलन” अर्थात मैक्सिमम एन्ट्रापी की स्थिति प्राप्त कर लेगा अर्थात हर जगह ऊर्जा का समान लेवल होगा. हर जगह एक समान तापमान होगा और तब कुछ भी होना संभव नहीं होगा क्योंकि कुछ होने के लिए असंतुलन आवश्यक है. ऊर्जा का आदान प्रदान आवश्यक है. लहरों का लहरों से टकराना आवश्यक है.

इस परम संतुलन की स्थिति में ब्रहमाण्ड एक लहरों से विहीन सागर की शांत सतह के समान होगा. Universe Will Be Dead! ना दिन होगा ना रात. ना सत होगा ना असत. ना मृत्यु होगी ना अमरता. पर तभी इस लहरों से विहीन ब्रह्माण्ड में एक लहर उठती है अर्थात ‘इच्छा’ होती है जिसे हमारे पूर्वजों ने अपनी सीमित शब्दावली में “प्रथम विक्षोभ” अथवा “इच्छा” की संज्ञा दी. तो ये ऊर्जा की लहर उठी कहां से? Well…Fortunately Science has an answer. ये इच्छा और कुछ नहीं, Quantum Fluctuations कहलाती है अर्थात पूर्ण रूप से निर्वात/Vacuum में भी “हाईजेनबर्ग के अनिश्चिन्ता सिद्धांत” के कारण ऊर्जा की लहरें उठती हैं और गायब होती हैं जिन्हें “वर्चुअल पार्टिकल्स” कहते हैं. ये प्रायोगिक सत्य है. दूसरे शब्दों में “शून्य” अर्थात ऊर्जा का पूर्ण रूपेण लोप हो जाना हमारे ब्रह्माण्ड में संभव नहीं है और वो शायद इसलिए क्योंकि हम और हमारा ब्रह्माण्ड शून्य आयाम से बहुत दूर है. शून्य आयाम… जहां से ये ब्रह्माण्ड संचलित है.

अब चलते हैं सर्न में मौजूद “लार्ज हेड्रान कोलाइडर” की तरफ. वही जहां पिछले दिनों “ईश्वरीय कण” हिग्स बोसान की खोज चल रही थी और गुड न्यूज़ ये है कि “हिग्स बोसान”,  जो कणों को उनका द्रव्यमान प्रदान करता है, मिल गया है और बुरी खबर है “हिग्स बोसान का खुद का द्रव्यमान” जो साफ़ साफ़ कहता है कि हम जिस ब्रह्माण्ड के टुकड़े में रहते हैं वो वास्तविक शून्य आयाम नहीं” बल्कि क्षद्म आयाम है अर्थात False Vacuum.

इसे आप इस तरह समझ सकते हैं. मान लीजिये आप अपने कमरे में फर्श से थोड़ी ऊंचाई पर एक कपड़े के चारों कोनों को दीवार में कील की सहायता से बाँध देते हैं. अब कमरे का फर्श तो हुआ “शून्य आयाम” अर्थात Zero Energy Ground State और कपड़े के ऊपर हमारा ब्रह्माण्ड तैर रहा है. ये ब्रह्माण्ड स्टेबल नहीं है. कभी ना कभी कील उखड़ के वो ब्रह्माण्ड नीचे जरूर गिरेगा जिसे “False Vacuum Decay” कहते हैं. अब चूंकि थ्योरी ऑफ़ रिलेटिविटी के कारण हम जानते हैं कि कमरे में मौजूद उस कपड़े के ऊपर “जितने द्रव्यमान का पिंड होगा” वो ब्रह्मांड के फैब्रिक को उतना ही bent करेगा और अक्सर कपड़े का ये झुकाव निचले आयाम में मौजूद ब्रह्माण्ड को touch कर जाता है और निचले ऊर्जा स्तर के ब्रह्माण्ड से हमारे ब्रह्माण्ड में “lower energy” के बुलबुले आते रहते हैं जो कि हमारे ब्रह्माण्ड के उच्च ऊर्जा स्तर होने के कारण कोई असर नहीं दिखा पाते पर अब वापस आते हैं.

मैक्सिमम एन्ट्रापी की अवस्था में जब ब्रह्माण्ड लहर विहीन, शांत और lower energy state में है तो एक छोटी सी लहर One small fluctuation can do A LOT. ब्रह्माण्ड की ऊर्जा का स्तर नगण्य होने के कारण उस लहर से हमारे ब्रह्माण्ड का फैब्रिक नीचे झुकेगा और समानांतर ब्रह्माण्ड से एक निम्न ऊर्जा का हिग्स वैक्यूम का बुलबुला निकल कर हमारे ब्रह्माण्ड से आएगा और हमारे ब्रह्माण्ड से निकटवर्ती ब्रह्माण्ड में बीच एक “लिंग नुमा सुरंग” बन जायेगी (इसीलिए सीमित शब्दावली के कारण हमारे पूर्वजों द्वारा लिखित ब्रह्माण्ड विज्ञान में ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति “लिंग नुमा आकृति” से मिलती है).

हमारे ब्रह्माण्ड की ऊर्जा तब निम्न होने के कारण प्रतिरोध के अभाव में बाजू वाले ब्रह्माण्ड से आया वो बुलबुला प्रकाश गति से हर तरफ फैलता चला जाएगा और हमारा ब्रह्माण्ड उस सुरंग में धंसता हुआ नीचे मौजूद ब्रह्माण्ड के आयाम में जा कर एक जगह पर इकट्ठा होना शुरू हो जाएगा. अति उच्च घनत्व पर ग्रेविटी प्रतिकर्षण (Repulsion) उत्पन्न करती है इसलिए एक सीमा के पश्चात विस्फोट होगा. And That’s Called BIG BANG !!!

निचले आयाम में निम्न ऊर्जास्तर पर फिजिक्स के नए नियमों के साथ ब्रह्माण्ड खुद को दोहराता है. नयी कहानियों की नयी इबारतें लिखी जाती हैं जिनमें से किसी कहानी का हिस्सा शायद हम हैं. मेरे लास्ट टॉपिक में मेंशन ब्रह्माण्ड के अंत में बचे “ब्लैक होल्स” के द्वारा भी ये प्रक्रिया संपन्न हो सकती है. लास्ट मोमेंट जब वे ब्लैक होल अपनी आयु पूरी कर रेडिएट होने के अंतिम चरण में होते हैं उस वक़्त ब्रह्माण्ड के “फैब्रिक” पर उनके द्वारा उत्पन्न झोल अथवा curve सबसे ज्यादा होता है. तो संभव है कि अंतिम क्षणों में वे ब्लैक होल्स उस कमरे में मौजूद कपड़े पर इतना दबाब डाल दें कि कपड़ा कील सहित नीचे आ गिरे और ऊपर लिखी प्रक्रिया दोहराई जाए But… However… Through Black holes or Fluctuation ऐसा होगा जरूर… और नए ब्रह्माण्ड में कहानी उसी पन्ने पर ख़त्म होगी जो हमारे लिए वर्तमान में हमारी कहानी का पहला पन्ना है. और ये कहानी युगों युगों से अनवरत चलती आ रही है. हमारा ब्रह्माण्ड हमारा “बबल यूनिवर्स” इस कहानी का एक अकेला पन्ना है. उस शून्य आयाम से हर क्षण ना जाने कितने ब्रह्माण्ड रुपी बुलबुले जन्म लेते हैं और ना जाने कितने ब्रह्मांड हर पल एक नयी कहानी का साक्षात्कार करते हैं. So…. That’s All It Is !!! “Programming Of Nature”. ब्रह्माण्ड के अंत और आरम्भ की प्रक्रिया को समझ लीजिये, जल्द आपको “शून्य आयाम” जहा से ये प्रक्रिया संचलित है, वहां भी ले चलेंगे.

So Coming To The End, इस सब में हिग्स बोसान कहां है? Well… हमारा ब्रह्माण्ड हिग्स फील्ड से निर्मित है और हिग्स बोसाेन की “प्रॉपर्टीज” में बदलाव के कारण ही ब्रह्माण्ड “वैक्यूम फेज ट्रांजीशन” की प्रक्रिया से गुजर कर एक नयी शुरुआत करता है. तो इसे “ईश्वरीय कण” कहना उचित है?? शायद नहीं… Indeed Its A Match… Spark… Fuse Which Caused The Big Bang. IT IS THE BANG… IN BIG BANG! Call It.. TRIGGER OF BIG BANG!!!

लेखक विजय सिंह ठकुराय दिल्ली में रहते हैं. उनका खुद का अपना बिजनेस है. फिजिक्स का शौक है. ब्रह्मांड और विज्ञान के पढ़ाकू हैं. इन सबके बारे में लिखते रहते हैं. फेसबुक पर सक्रिय विजय एक लोकप्रिय साइंस राइटर हैं जिनके हजारों फालोअर हैं. विजय से फेसबुक के जरिए संपर्क कर सकते हैं, उनका पता Facebook.com/vijay.singh.thakurai है.


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