अमिताभ श्रीवास्तव-
हज़ारों करोड़ की कंपनी का कारपोरेट सम्राट खुद को बेहद ताकतवर और सुपरस्टार समझने वाले एंकर- संपादक से कहता है-पब्लिक तुमसे ज्यादा कुत्ते-बिल्लियों के वीडियो देखती है ऑनलाइन। अपने आपको ओवर एस्टीमेट मत करो।
चैनल का मालिक उसी एंकर-संपादक से अपने व्यापारिक हितों के बारे मे बहुत साफ-साफ निर्देश देते हुए कहता है- धंधा बढ़ाना है तो सवाल पूछना बंद करना होगा।
ये जी5 पर शुरू हुई नयी वेब सीरीज़ द ब्रोकेन न्यूज़ के दो संवाद हैं जो खुद को बहुत लोकप्रिय समझने वाले पत्रकारों-एंकरों-संपादकों की दुनिया की ज़मीनी हक़ीक़त के बहुत नज़दीक हैं और सत्ता के गलियारों में उनकी वास्तविक औक़ात दिखाते हैं। यह सीरीज़ हिंदी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की मौजूदा पत्रकारिता पर केंद्रित है जहाँ भ्रष्ट राजनेताओं, भ्रष्ट कारपोरेट और भ्रष्ट पत्रकारिता के गठजोड़ के चलते सच की जगह सनसनी, टीआरपी की लड़ाई, उसकी पैंतरेबाज़ी, चैनल मालिकों का मुनाफ़ा , ग्लैमर, पीआर, सरकार के समर्थन और राष्ट्रवाद, देशभक्ति, देशद्रोह के नैरेटिव का बोलबाला है।
एक चैनल जोश 24/7 का एंकर-संपादक है दीपांकर सान्याल और दूसरे चैनल आवाज़ भारती की एंकर-संपादक है अमीना क़ुरैशी । दोनों प्राइम टाइम एंकर हैं। दोनों चैनल एक ही बिल्डिंग से चलते हैं। दोनों की पत्रकारिता में टकराव है। जोश का एडिटर दीपांकर बिना झिझक कहता है न्यूज़ बोरिंग होती है, मैं कहानियाँ दिखाता हूँ। दीपांकर को टीआरपी के लिए किसी भी पैंतरे से परहेज़ नहीं है। किसी ज़माने में वह एक धाकड़ रिपोर्टर था, अच्छी पत्रकारिता की मिसाल लेकिन अब पूरी तरह भ्रष्ट हो चुका है। पत्रकार वह अब भी तेज़तर्रार है लेकिन निहायत मौक़ापरस्त, समझौतापरस्त, ऐशोआराम की जिंदगी जीता हुआ। पत्नी से अलग एक महिला के साथ रहता है जिसे पैसे देता है। लेदेके एक बेटी है जिससे वह प्यार करता है। आवाज़ भारती की खोजी पत्रकार राधा भार्गव से उसका तक़रार-मनुहार वाला रिश्ता है। राधा मेहनती, संवेदनशील और उसूलों वाली पत्रकार है। उसकी संपादक अमीना भी ईमानदार, सच्ची पत्रकारिता करना चाहती है लेकिन चैनल की गिरती टीआरपी और घटते मुनाफ़े की वजह से समझौते करने पड़ते हैं। राधा और अमीना में पत्रकारिता के बुनियादी मूल्यों को लेकर टकराव और बहस होती है, राधा दीपांकर का चैनल ज्वाइन कर लेती है लेकिन वहाँ जल्द ही उसे समझ आ जाता है यह उसकी जगह नहीं। वह लौट आती है आवाज़ भारती और एक बहुत बडे घोटाले को बेनक़ाब करने के लिए जेल चली जाती है। सीरीज़ का पहला सीज़न यहाँ ख़त्म हो जाता है। अंतिम दृश्य में राधा की संपादक अमीना उसके साथ खड़ी दिखती है।
तीन मुख्य पात्र हैं-दीपांकर, अमीना और राधा। दीपांकर के किरदार में जयदीप अहलावत, राधा की भूमिका में श्रेया पिलगांवकर और अमीना के रोल में सोनाली बेंद्रे जिन्होंने कैंसर से लड़ाई जीतकर एक लंबे समय बाद अभिनय की दुनिया में वापसी की है। तीनों ने अपनी अपनी भूमिका अच्छी तरह निभाई है। जयदीप के किरदार में अच्छे बुरे का आंतरिक और बाहरी द्वंद्व है जो उन्होंने बहुत अच्छी तरह दिखाया है। तीनों प्रमुख किरदारों की निजी जिंदगी चौपट है। जोश 24/7 चैनल के मालिक की भूमिका में आकाश खुराना का काम बहुत शानदार है।
चैनलों के मालिक किस तरह संपादकों पर ख़बरें चलाने और गिराने के लिए दबाव डालते हैं इसकी बढ़िया तस्वीर पेश की गयी है। एक दृश्य में खुराना जयदीप से कहते हैं मैं तुम्हारे रूम में नॉक करके आता हूँ तो इसका मतलब यह नहीं कि तुम मेरे बॉस हो। चैनल का मालिक मैं हूँ और यहाँ जितने लोग काम करते हैं उन सबका मालिक भी मैं हूँ और उनमें तुम भी शामिल हो। प्रतिद्वंद्वी चैनल के मालिक बंसल की भूमिका में अभिनेता किरन कुमार हैं और वह सारी ईमानदारी और नैतिकता के बावजूद अपनी संपादक अमीना से कहते हैं कि मी टू के आरोपी फिल्म स्टार की स्टोरी ड्रॉप करनी पड़ेगी।
कहानी में मी टू है, फिल्म स्टार का पीआर है, छवि निर्माण के लिए किये जाने वाले इंटरव्यू हैं, पेगासस से मिलताजुलता ऑपरेशन अंब्रेला का किस्सा है, आदिवासियों का मसला है, देशभक्त, देशद्रोह की बात है, टीआरपी स्कैम भी है।
मीडिया फ़िलहाल हमारे देश में अपनी भूमिका को लेकर बहुत चर्चा में है । ऐसे में एक बहुत सामयिक विषय चुनने और ईमानदार पत्रकारिता के प्रति सकारात्मक रुख और आशावादी नज़रिये के बावजूद यह सीरीज़ समग्रता में उतना असर नहीं छोड़ पाती जितनी उम्मीद बंधाती है। कमजोरी पटकथा और निर्देशन में है। संवाद अच्छे हैं। मसलन- न्यूज़ हमेशा से इंपार्टेंट थी लेकिन सोशल मीडिया आने के बाद सही न्यूज़ बहुत इंपार्टेंट हो गयी है। अच्छे पत्रकार के माध्यम से निर्देंशक ने कहना चाहा है- सरकार का विरोध देश का विरोध नहीं है।