नई दिल्ली: सूचना व प्रसारण राज्य मंत्री राज्यवर्धन राठौड़ ने कहा है कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को भारतीय प्रेस परिषद (पीसीआई) के अधिकार क्षेत्र में लाने के प्रस्ताव पर परिषद के अध्यक्ष की राय मिलने के बाद विचार किया जा सकता है।
राठौड़ ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में जानकारी दी कि पीसीआई अपने क्षेत्राधिकार के अंतर्गत इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को लाने के लिए फिलहाल प्रेस परिषद अधिनियम, 1978 में संशोधन करने के लिए अपने पहले के प्रस्ताव पर विचार करने की प्रक्रिया में है। राठौड़ ने बताया कि भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने भी क्रॉस-मीडिया स्वामित्व पर अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की है कि प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए एक एकल नियामक संस्था बनाई जानी चाहिए। विधायी समिति ने अपनी मई 2013 की रिपोर्ट में सिफारिश की थी कि या तो प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, दोनों के लिए एक ही नियामक संस्था बना दी जाए या पीसीआई की दंडात्मक शक्तियां बढ़ा दी जाएं और इसी तरह का सांविधिक निकाय इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए बना दिया जाए।
ऐसे नियामक/नियामकों के पास नियम तोड़नेवालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का अधिकार होना चाहिए और नियामक संस्था के सदस्यों में मीडिया मालिकों / स्वार्थी पक्षों को शामिल नहीं किया जाना चाहिए। वहीं ट्राई ने क्रॉस-मीडिया स्वामित्व पर अगस्त 2014 में जारी अपनी सिफारिशों में कहा था कि प्रिंट व टेलिविज़न के लिए एकल ‘मीडिया नियामक’ की ज़रूरत है जो पेज न्यूज़ की शिकायतों, निजी संधियों व शिकायतों की पड़ताल जैसे संपादकीय स्वतंत्रता से संबंधित मुद्दों को सुलझा सके और उसके पास वाजिब दंड देने की शक्तियां हों। ट्राई ने यह भी अनुशंसा की थी कि मीडिया नियामक में मीडिया समेत विभिन्न पेशों के प्रतिष्ठित व्यक्तियों को शामिल किया जाना चाहिए और इसे मुख्यतः मीडिया के बाहर के प्रतिष्ठित व्यक्तियों द्वारा चलाया जाना चाहिए। इस नियामक निकाय में नियुक्तियां निष्पक्ष व पारदर्शी प्रक्रिया के जरिए की जानी चाहिए।