टीवी चैनल के मालिकों के लिए खुशखबरी, विज्ञापन रेट बढ़ा

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने लोक संपर्क और संचार ब्यूरो (बीओसी) द्वारा निजी टीवी चैनलों के लिए दी जाने वाली विज्ञापन दरों को संशोधित कर दिया. इस निर्णय से टीवी चैनल मालिकों की बल्ले-बल्ले हो गयी है. अखबार मालिकों को पहले ही विज्ञापन दरों में इजाफा करके खुश किया जा चुका है.

टीवी देखने पर भी लगेगा जीएसटी, एक फरवरी से होगा लागू

मोदी राज में अब टीवी देखना भी टैक्स भरने का कारण बनेगा. एक फरवरी से टीवी देखने के बिल में बदलाव आने वाला है. सभी टीवी चैनल नेटवर्क ने प्रत्येक चैनल और पैकेज के रेट का ऐलान कर दिया है और इन रेट पर जीएसटी भी लागू होगा. टीवी देखने के लिए आपको ऑपरेटर और …

अपनी शामों को मीडिया के खंडहर से निकाल लाइये : रवीश कुमार

Ravish Kumar : अपनी शामों को मीडिया के खंडहर से निकाल लाइये…. 21 नवंबर को कैरवान (carvan) पत्रिका ने जज बीएच लोया की मौत पर सवाल उठाने वाली रिपोर्ट छापी थी। उसके बाद से 14 जनवरी तक इस पत्रिका ने कुल दस रिपोर्ट छापे हैं। हर रिपोर्ट में संदर्भ है, दस्तावेज़ हैं और बयान हैं। जब पहली बार जज लोया की करीबी बहन ने सवाल उठाया था और वीडियो बयान जारी किया था तब सरकार की तरफ से बहादुर बनने वाले गोदी मीडिया चुप रह गया।

संपादक कुछ समझ पाता, उसके पहले ही मालिक के केबिन से बुलावा आ गया…

Abhishek Srivastava : पत्रकारिता की आधुनिक कथा। संपादक ने मीटिंग ली। सबसे कहा आइडिया दो। आजकल आइडिया पर काम होता है, घटना पर नहीं। सबने आइडिया दिया। कोई बोला, सर महंगाई… मने टमाटर ईटीसी। धत्। पागल हो? नेक्‍स्‍ट। सर, इस बार छंटनी पर कर लेते हैं। आइटी कंपनियों में भयंकर संकट है। संपादक अस मुस्‍कराया जस बुद्ध क्‍या मुस्‍कराते। बोले- बच्‍चा, पूरा करियर विशेषांक बंगलोर पर टिका है, आइटी को तो छूना भी मत। राजनीतिक संपादक अब तक चुप थे। जब सारे लौंडों ने आइडिया दे दिया तो उन्‍होंने सिर उठाया- मेरी समझ से हमें आज़ादी के सत्‍तर साल पर एक विशेषांक की तैयारी करनी चाहिए। ओके… संपादक ने कहा… आगे बढि़ए। राजनीतिक संपादक बोलते गए, ”…कि हम क्‍या थे और क्‍या हो गए… जैसा माननीय ने कहा था अभी… कि चीन याद रखे भारत 1962 वाला भारत नहीं है। तो आ‍इडिया ऑफ इंडिया… इस पर कुछ कर लेते हैं।”

कुछ चैनलद्रोही बाथरूम में घण्टों से घुसे बैठे हैं ताकि कहीं कोई पैकेज न पकड़ा दे…

Arvind Mishra : नीतीश के इस्तीफे के बाद टीवी चैनलों का न्यूज़ रूम युद्ध क्षेत्र बन गया… जानिए ग्राउंड जीरो से सूरत-ए-हाल…

”बकवास 7×24” चैनल, चीखू ऐंकर और एक गधे का लाइव इंटरव्यू

विनय श्रीकर देश के सबसे लोकप्रिय खबरिया चैनल ”बकवास 7×24” का चीखू ऐंकर पर्दे पर आता है और इस खास कार्यक्रम के बारे में बताता है। ऐंकर– आज हम अपने दर्शकों को दिखाने जा रहे हैं एक ऐसा लाइव इंटरव्यू, जिसको देख कर वे हमारे चैनल के बारे में बरबस कह उठेंगे कि ऐसा कार्यक्रम …

टीवी यानि वो सर्कस जो बड़े तंबू से निकल कर आपके घर में आ गया है!

Arun Maheshwari : आज के ‘टेलिग्राफ़’ में वरिष्ठ पत्रकार सुनन्दा के दत्ता राय ने अपने लेख ‘टीवी सर्कस ही है, यह गंभीर अख़बार का विकल्प नहीं’ में ब्रिटिश अभिनेता राबर्ट मोर्ले के टीवी के बारे में इस कथन को याद किया है कि यह ‘बिग टेंट’, स्थानीय भाषा में सर्कस है। “अब सर्कस बड़े तंबू में नहीं, आपके घर में आ गया है।”

पंडितों की फतवानुमा बातों पर चैनल वाले हांय हांय क्यों नहीं करते?

Mrinal Vallari : गाजियाबाद के जिस इलाके में मैं रहती हूं वहां बहुत से मंदिर हैं और बहुत से पंडी जी भी हैं। कभी-कभी इन पंडी जी की बातों को सुनने का मौका भी मिलता है। अगर लड़कियों और औरतों के बारे में इनकी बातों पर ध्यान देने लगें तब तो हो गया। जींस पहनीं मम्मियां भी मंदिर आती हैं पंडी जी की बात सुनती हैं, और जो मानना होता है उतना ही मानती हैं।

सूरज ने कई न्यूज चैनलों का प्रसारण रोका (देखें वीडियो)

ऐसा साल में दो बार होता है जब सूरज महाशय कई टीवी चैनलों का प्रसारण रोक देते हैं. असल में जब सैटेलाइट और धरती पर स्थित अर्थ स्टेशन दोनों ही सूरज के एक सीध में आ जाते हैं तो सूरज के जबरदस्त विकिरण और आग के कारण प्रसारण का काम रुक जाता है. उस दौरान …

लगभग सारे चैनल झूठी खबर परोसते रहे, भला हो अखबारों का जिनने ये झूठ नहीं छापा

: इलेक्ट्रानिक मीडिया को शर्म क्यों नहीं आती? :  जल्द खबर देने और ब्रेकिंग न्यूज चलाने की अंधी होड मीडिया को सच से दूर कर रही है। ये बात छोटे और नये चैनलों की नहीं है। देश के प्रमुख टी.वी. चैनल भी झूठी और बेसिर-पैर की खबरें चलाने लगे हैं। इलेक्ट्रानिक मीडिया के सच से दूर होने और झूठी खबरें प्रसारित करने का एक बड़ा प्रमाण 21 अप्रैल को मिला। उत्तराखंड हाई कोर्ट की डिवीजन बैंच के आदेश के हवाले से देश के लगभग सभी न्यूज चैनल बड़े जोर शोर के साथ झूठी खबर चलाते रहे।

संघ के मुताबिक टीवी पर ब्रेन लेश डिसकसन, इसमें शामिल होते हैं अपठित पत्रकार जिन्हें भारतीय संस्कृति का ज्ञान नहीं (देखें वीडियो)

मऊ : भारत में चाहें जो बड़ी समस्या चल रही हो, सूखा हो, महंगाई हो, भ्रष्टाचार हो लेकिन आरएसएस वालों का हमेशा एक राग बजता है. वह है राग मुसलमान. घुमा फिरा कर कोई ऐसा मुद्दा ले आते हैं जिससे मुसलमानों को चुनौती दी जा सके और पूरे भारत की बहस इसी मसले पर शिफ्ट किया जा सके. दुर्भाग्य से मीडिया का बड़ा हिस्सा भी इसी उलझावों में बह जाता है और भाजपा-संघ का भोंपू बनते हुए मूल मुद्दों से हटते हुए इन्हीं नान इशूज को इशू बना देता है. हालांकि संघ नेता फिर भी टीवी वालों को बख्शते नहीं और कहते हैं कि चैनलों पर ब्रेनलेस डिसकशन चलती है और इसमें अपठित पत्रकार भाग लेते हैं जिन्हें भारतीय संस्कृति का ज्ञान नहीं. मतलब कि अगर संघ का चले तो वो सारे चैनल बंद करा के सिर्फ एक संघ नाम से चैनल चलाएं और उसमें जो कुछ ज्ञान दिया जाएगा, उसे ही प्रसाद के रूप में पाने के लिए देश भर के दर्शक बाध्य होंगे.

मोदी का जादू चुक गया, चैनल अब नहीं दिखा रहे लाइव कवरेज

मोदी के भाषण अब चुक गए हैं. उनका जादू खत्म हो चुका है. इसलिए उनकी अब टीवी चैनलों को जरूरत नहीं. एक दौर था जब मोदी के भाषण को घंटों दिखाने के कारण टीवी चैनलों की टीआरपी आसमान पर थी. तब मोदी खुद को नंबर वन होने का दावा कर रहे थे. लोकसभा चुनाव के दौरान तो प्रधानमंत्री का इंटरव्यू लेने की प्रतिस्पर्धा चल पड़ी थी. मोदी भी अपने अनुसार चैनलों को चुनकर उनको खूब टीआरपी दिलवा रहे थे. शायद इसी का असर रहा कि कुछ टीवी चैनलों को इसका खूब लाभ मिला. मोदी अपने भाषणों से चैनलों को टीआरपी देते चले गए और मोदी चैनलों के मुनाफे के धंधे में तब्दील हो गए.

क्लीवेज दिखाना एंकर को पड़ा महंगा, चैनल ने किया सस्पेंड

अल्‍बीनिया में एक टीवी रिपोर्टर को न्‍यूज प्रजेंट करते समय क्‍लीवेज दिखाना और प्‍लेब्‍वॉय मैग्जीन ज्‍वाइन करना काफी महंगा पड़ गया। चैनल के नाराज अधिकारियों ने उसे तुरंत ही सस्‍पेंड कर दिया। साथ ही उसे अभी अपनी पढा़ई और जर्नलिज्‍म पर ध्‍यान देने की नसीहत दी। टीवी रिपोर्टर ने जिस समय ऐसा हाटॅ शूट दिया उस समय वह अंतरराष्‍ट्रीय खबरें पढ़ रही थी। अल्‍बीनिया में एक समाचार चैनल के लिए 21 साल की एन्‍की ब्रैकाज इंटरनेशनल लेवल की न्‍यूज पढ़ रही थीं, लेकिन अपने इस काम के दौरान उसने कुछ ऐसा कर दिया कि बाकी सभी लोग सन्न रह गए।

प्रबल प्रताप और संजीव पालीवाल ला रहे एक नया नेशनल न्यूज चैनल!

नोएडा के सेक्टर63 में जहां पर न्यूज एक्सप्रेस चैनल का आफिस हुआ करता था, उसके ठीक बगल वाली बिल्डिंग से एक नया चैनल अवतार लेने जा रहा है. चैनल का नाम वैसे तो फाइनली तय नहीं हुआ है लेकिन लोग कह रहे हैं कि यह ‘नेशन्स वायस’ नाम से लांच होगा. चैनल से अभी दो लोग जुड़ चुके हैं. प्रबल प्रताप सिंह और संजीव पालीवाल. प्रबल प्रताप के नेतृत्व में ही चैनल के सारे इक्विपमेंट्स, मशीनों आदि की खरीद-फरोख्त होने से लेकर इंस्टालेशन का काम चल रहा है. संजीव पालीवाल चैनल से सलाहकार की भूमिका में जुड़े हैं. भड़ास4मीडिया ने जब प्रबल से मैसेज कर इस चैनल से जुड़ने के बारे में पूछा तो उन्होंने पूरी तरह से इनकार किया. हालांकि सूत्र कहते हैं कि प्रबल प्रताप सिंह चैनल से न सिर्फ जुड़े हुए हैं बल्कि चैनल इंस्टालेशन का सारा काम उनकी अगुवाई में हो रहा है.

कुछ चैनलों ने इंद्राणी प्रकरण में किसी जासूसी कहानी की तरह रहस्य-रोमांच का ‘रस’ घोल दिया है

Om Thanvi : मेरी पत्नी प्रेमलताजी ने अजीब उलझन में डाल दिया है: कहती हैं समझाओ कि यह इंद्राणी मुखर्जी वाला मामला क्या है? शीना बेटी थी तो बहन क्यों बनी? विधि कौनसी बेटी है? कितने भाई-बहन थे? इंद्राणी का पहला पति कौन था? संजीव कितने नंबर का पति था, दूसरा या तीसरा? शीना का पिता कौन है? पिता की जगह वह नाना का सरनेम बोरा क्यों प्रयोग करती थी? पीटर की पहली और दूसरी बीवी कौन थी? राहुल कौनसी बीवी से है? पीटर के और कितने बच्चे हैं? पीटर की नजर में शीना साली थी तो अपने सास-ससुर या ससुराल में अन्य किसी निकट-पास के शख्स से बातचीत में यह बात पोशीदा कैसे रही, जो शीना को पीटर के सामने उसकी बेटी ही कहेंगे, साली तो नहीं?

भारत का इलेक्ट्रॉनिक मीडिया सरकार की मर्जी पर !

यह बेहद चिंताजनक स्थिति है कि आज भारतीय मीडिया, खासकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया अपने लिए निर्धारित मानदंडों और आचरण संहिता को भूलकर किसी न किसी राजनीतिक दल का अनुयायी या उग्र राष्ट्रवादी संगठनों की तरह व्यवहार करने लगा है। एंकर चीख चीख कर अशोभन लहजे में अपनी परम देश निष्ठा का परिचय दे रहे हैं। अपने अलावा किसी और को बोलने का मौका वे नहीं देना चाहते। खबरों का प्रसारण यहां राजनीतिक मंतव्यों के तहत हो रहा है। 

‘समाचार प्लस’ पर डिबेट में पते की बात कम, भाषण ज्यादा करते हैं पत्रकार अमिताभ अग्निहोत्री

मैं किसी भी पत्रकार के बारे में लिखने से बचता हूँ लेकिन कई पत्रकारों की हरकतों की वजह से आज यह पोस्ट लिखनी पड़ रही है. वरिष्ठ पत्रकार अमिताभ अग्निहोत्री ‘समाचार प्लस’ पर जब डिबेट में बैठते हैं तो खुद ही बोलते रहते हैं, गेस्ट को बोलने का मौका ही नहीं देते हैं. सवाल पूछने की जगह भाषण देते हैं. 

Lok Sabha TV को किसने बना दिया ‘जोक सभा’ टीवी?

लोकसभा टीवी अब पूरी तरह से ‘जोकसभा’ टीवी का रूप ले चुका है। ये चैनल अब काम के लिए कम और विवादों के लिए ज्यादा जाना जाता है। चाहे लोकसभा टीवी के पत्रकारों का शिकायती पत्र लोकसभा के महासचिव तक पहुँचने का मामला हो, या फिर पूर्व राष्ट्रपति कलाम के असामयिक निधन पर लोकसभा टीवी के सोये रहने का मामला हो। इन दिनों सोशल मीडिया और वेब मीडिया पर आलोचकों की टीआरपी में ये चैनल नंबर वन बना हुआ है।

हर ख़बर को दूसरी ख़बर से जोड़कर बुलेटिन बनाने के आदती हैं पुण्य प्रसून बाजपेयी

टीवी चैनलों में लिंक न्‍यूज़ का प्रयोग Punya Prasun Bajpai ने किया था। उनकी आदत है कि हर ख़बर को दूसरी ख़बर के साथ जोड़कर बुलेटिन बनाते हैं ताकि एक परिप्रेक्ष्‍य निर्मित हो सके। इसीलिए आज सुबह जब वे रामेश्‍वरम और मुंबई को अलग-अलग दिखा रहे थे, तब मैंने उन्‍हें एक एसएमएस किया कि क्‍यों न दो विंडो में रामेश्‍वरम और मुंबई को एक साथ दिखाया जाए और याकूब व कलाम की मौत को लिंक कर के बात की जाए।

कभी रवीश कुमार मत बनना

अपने आप को नौजवानों की आंखों में चमकते देखना किसे नहीं अच्छा लगता होगा। कोई आप से मिलकर इतना हैरान हो जाए कि उसे सबकुछ सपने जैसा लगने लगे तो आप भी मान लेंगे कि मुझे भी अच्छा लगता होगा। कोई सेल्फी खींचा रहा है कोई आटोग्राफ ले रहा है। लेकिन जैसे जैसे मैं इन  हैरत भरी निगाहों की हक़ीक़त से वाक़िफ़ होता जा रहा हूं, वैसे वैसे मेरी खुशी कम होती जा रही है। मैं सून्न हो जाता हूं। चुपचाप आपके बीच खड़ा रहता हूं और दुल्हन की तरह हर निगाह से देखे जाने की बेबसी को झेलता रहता हूं। एक डर सा लगता है। चूंकि आप इसे अतिविनम्रता न समझ लें इसलिए एक मिनट के लिए मान लेता हूं कि मुझे बहुत अच्छा लगता है। मेरे लिए यह भी मानना आसान नहीं है लेकिन यह इसलिए ज़रूरी हो जाता है कि आप फिर मानने लगते हैं कि हर कोई इसी दिन के लिए तो जीता है। उसका नाम हो जाए। अगर सामान्य लोग ऐसा बर्ताव करें तो मुझे ख़ास फ़र्क नहीं पड़ता। मैं उनकी इनायत समझ कर स्वीकार कर लेता हूं लेकिन पत्रकारिता का कोई छात्र इस हैरत से लबालब होकर मुझस मिलने आए तो मुझे लगता है कि उनसे साफ़ साफ़ बात करनी चाहिए।

जनवरी तक एक दूसरे से अलग हो जाएंगे सीएनएन और टीवी 18 ब्राडकास्ट

मीडिया कंपनी टीवी 18 ब्राडकास्ट लि. और केबल न्यूज नेटवर्क इंक (सीएनएन) अगले साल जनवरी में अपना गठजोड़ समाप्त कर देंगे। अंग्रेजी समाचार चैनल सीएनएन आईबीएन के लिये 10 साल पुराना ब्रांड लाइसेंसिंग समझौता अगले साल जनवरी में समाप्त हो रहा है। दोनों कंपनियों ने संयुक्त बयान में कहा, ‘‘समझौता खत्म होने के बाद दोनों कंपनी दुनिया के सबसे गतिशील, जटिल और तेजी से बढ़ने वाले बाजारों में से एक बाजार में स्वतंत्र रूप से वृद्धि की रूपरेखा तैयार करेंगी.’’ बंबई शेयर बाजार को दी गई सूचना में अंग्रेजी समाचार चैनल सीएनएन-आईबीएन चलाने वाली टीवी 18 ब्रॉडकास्ट ने कहा कि सीएनएन और वह ‘‘सीएनएन ब्रांड और सीएनएन समाचार सामग्री के इस्तेमाल के लिये दस साल पुराने ब्रांड लाइसेंसिंग और समाचार सेवा व्यवस्था के समझौते को जनवरी 2016 में सफलतापूर्वक पूरा कर रहे हैं.’’

पीएम साहब, टी वी चैनलों पर बैठा आपका ‘चतुर गैंग’ काम न आएगा

सार्वजनिक जीवन में आप सवालों से मुँह चुराकर भाग नहीं सकते । सवाल अपने लिये माध्यम खोज लेते हैं अपने प्रियतम तक पहुँचने का , उसकी नींद चैन उड़ाने का ! फ़िलहाल हमारे प्रधानमंत्री जी यह सोच रहे हैं कि वे मीडिया की जद से बाहर रहकर इन सवालों को समय की गाद के नीचे दबाने में कामयाब हो जायेंगे जिन्होंने देश के आसमान में डेरा डाल दिया है ! ..और आप सोच रहे होंगे कि टी वी चैनलों पर बैठा आपका “चतुर गैंग” आदमी के मल से बैठक में लेप लगायेगा और परफ़्यूम छिड़क कर बदबू रोक लेगा ? पी एम साहेब ऐसा हो नहीं पाता !

रिलायंस जिओ मीडिया को टीवी कंटेंट डिस्‍ट्रीब्‍यूशन के लिए मिली प्रोवीजनल मंजूरी

रिलायंस इंडस्‍ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) ने सोमवार को कहा कि उसकी सब्सिडियरी रिलायंस जिओ मीडिया को संपूर्ण भारत में डिजीटल केबल टीवी क्षेत्र में मल्‍टी सर्विस ऑपरेटर के तौर पर काम करने के लिए सरकार से प्रोवीजनल रजिस्‍ट्रेशन हासिल हो चुका है।

सन टीवी के शेयर एक ही दिन में 30 फीसदी तक गिर गए

केंद्रीय गृह मंत्रालय से सिक्युरिटी क्लियरेंस न मिलने की खबरों के बाद सोमवार को सन टीवी नेटवर्क के शेयरों के दाम 30 फीसदी तक गिर गए। इस समूह के मालिक कलानिधि मारन हैं। शेयर गिरने के बाद कंपनी ने एक स्टेटमेंट जारी कर कहा कि उसके चैनल ऑन एयर ही हैं। दोपहर 2.45 पर सन टीवी के शेयर 277.15 रुपए से 79.20 रुपए नीचे आ गए। यह गिरावट पिछली क्लोजिंग से करीब 22.23 फीसदी कम रही। सोमवार सुबह शेयर करीब तीस फीसदी तक गिर गए थे।

यौन हमले की पीड़ित टीवी पत्रकार को इंसाफ नहीं, आरोपी बेखौफ

मुंबई : एक चैनल में काम करने वाली पत्रकार इन दिनों खुद ही एक विचित्र परेशानी से जूझ रही है। उसने कस्तूरबा मार्ग पुलिस थाने में कुछ लोगों के खिलाफ उस पर यौन हमले की शिकायत दर्ज करवाई लेकिन एक महीना होने के बावजूद पुलिस अधिकारी कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। अभी तक न तो पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार किया है, न ही उनका पता-ठिकाना लगाने की कोई कोशिश की है।

पढ़ाई-लिखाई से टीवी पत्रकारों का कोई वास्ता नहीं

ना जाने क्यों टीवी एंकर्स के चेहरों पर दो किस्म के भाव रहते हैं। अव्वल तो यह मान कर टीवी एंकर्स चलते हैं, सामने वाला शख्स मूर्ख है और मैं यह भी तय करूंगा कि सामने वाले को क्या बोलना है। दूसरे, कुछेक एंकर्स ऐसी अदा से कैमरे को ताकते हुए मेहमान पर मुस्कराते हैं मानो कह रहे हों, जरा इस लल्लू को देखो तो..या फिर इस कदर आक्रामक हो उठते हैं..लगता है कि दर्शक मेहमान को नहीं, एंकर को सुनने टीवी खोल के बैठा है। 

टीवी मीडिया तो विकसित होने से पहले ही पसर गया, बस सेठजी की रखैल टाइप खबर आना रहा बाकी

व्यावहारिक पत्रकारिता में कई आयाम एक साथ काम करते हैं। उसमें संपादकीय टीम की दृष्टि, ध्येय, प्रस्तुतिकरण और प्रतिबद्धता के साथ भाषा का मुहावरा भी शामिल है। इनसे मिलकर ही एक मुकम्मल सूचना उत्पाद बनता है, जिसे आप प्रारंभिक तौर पर अखबार या मैगजीन के रूप में पहचानते हैं। हमारी पत्रकारिता की शुरुआत के समय हर अखबार और मैगजीन का कलेवर, विषयों का चयन, प्रस्तुतिकरण और भाषा का व्याकरण अलग-अलग था। यहां तक कि फॉन्ट और ले आउट भी, जैसे धर्मयुग और साप्ताहिक हिंदुस्तान या दिनमान और रविवार। आज भी इंडियन एक्सप्रेस और द हिंदू या इकोनॉमिक्स टाइम्स और बिजिनेस स्टेण्डर्ड देख कर इसे समझा जा सकता है ।

‘घी न्यूज़’ पर दलाल न्यूज़ एजेंट (डीएनए ) नामक भांड टाइप कार्यक्रम

कल रात ‘घी न्यूज़’ पर दलाल न्यूज़ एजेंट (डीएनए ) नामक भांड टाइप कार्यक्रम देख रहा था… घी टीवी का नामकरण संस्कार हमारे ज्येष्ठ भ्राता श्री Sheetal P Singh जी ने किया है… कार्यक्रम का एक सूत्रीय एजेंडा था दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं मिलना चाहिए । इसके लिए घी टीवी पर दिए जा रहे तर्क निम्नलिखित हैं ।

‘गांव कनेक्शन’ टीवी शो और अख़बार के लिए पत्रकारों की जरूरत

देश के उभरते ग्रामीण अख़बार ‘गांव कनेक्शन’ की लोकप्रियता का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है। आम आदमी की आवाज उठाने और गांव की बदलती कहानियों को लोगों के सामने लाने के लिए अख़बार ने अपने ढाई वर्ष के छोटे के कार्यकाल में पत्रकारिता के सर्वोच्च पुरस्कार रामनाथ गोयनका और दो लाडली मीडिया ऑवार्ड जीते हैं। हाल ही में जर्मन मीडिया हाउस ‘डायचे विले’ ने दुनियाभर से 4800 नामांकनों में से ‘गांव कनेक्शन’ की वेबसाइट (www.gaonconnection.com) को 14 अंतराष्ट्रीय प्रविष्टियों में चुना है। यह भारत से इस कैटेगरी में एक मात्र नामांकन है।

केक पर लिख भेजा बॉस को इस्तीफा

एक युवा पत्रकार ने अपने बॉस को त्यागपत्र देने का सबसे मीठा तरीका अपनाया. अमेरिका के एरिजोना में स्थित कोल्ड टीवी के न्यूजकास्ट डायरेक्टर मार्क हरमन ने केक पर लिखे गए अपने इस मीठे से इस्तीफे की फोटो सोशल न्यूजसाइट रेडिट पर शेयर की.

टेलीविजन से मुक्ति का मेरा एक दशक : पत्रकार के लिए भी नियमित टीवी देखना जरूरी नहीं!

वक्त के गुजरने की गति हैरान करती है! टीवी को घर से निकाले एक दशक पूरा हो गया! लेकिन लगता है कल की ही बात है। उस वक्त मैं अमर उजाला नोएडा में था, रात की ड्यूटी करके ढाई बजे रूम पर पहुँचता और बस फिर क्या, बिना कपड़े बदले कुर्सी पर पसर जाता और पौ फटने तक न्यूज़ चैनलों को अदालत बदलता रहता। वही एक जैसी बासी ख़बरें सब चैनलों पर देखता रहता। मेरी इस आदत के चलते पढ़ना लिखना एकदम रुक ही गया था। पूरा रूटीन डिस्टर्ब रहता। सुबह छह सात बजे सोता। 11-12 बजे उठता। नींद आधी अधूरी। शरीर की लय ताल बिगड़ी रहती। फिर सोने की कोशिश। लेकिन कोई फायदा नहीं। तब तक फिर ऑफिस जाने की तैयारी। सब कुछ गड़बड़। ऑफिस के अलावा मेरा अच्छा खासा वक्त टीवी देखने में जा रहा था। मेडिटेशन सिट्टिंग्स बंद हो चुकी थी। अब टीवी ध्यान दर्शन चल रहा था। एनएसडी की विजिट्स अब कम हो गई थी। वीकेंड मूवीज और आउटिंग भी बंद क्योंकि टीवी है ना! एलजी का यह नया गोल्डन आई अब मेरी आँखों में खटकने लगा था।

‘जनता टीवी’ ठेके पर लिया लेकिन तय समय पर पैसा न देने के कारण हो गए आउट!

हाल ही में एनसीआर के रीजनल चैनल जनता टीवी से नई टीम की छुट्टी। 2 महीने पहले ही बिका था चैनल लेकिन चैनल के पुराने मालिक को पैसे न देने और नए खरीददारों द्वारा पुराने स्टाफ को प्रताड़ित करने के चलते दिखाया बाहर का रास्ता। आज से लगभग 7 साल पहले टोटल टीवी से गुड़गांव शहर से अपनी पत्रकारिता की शुरुआत करने वाले एक शख्स को अब चैनल हेड बनने का शौक चढ़ा है। इन जनाब ने टोटल टीवी की पत्रकारिता छोड़ कर गुड़गांव में खबरें अभी तक न्यूज़ चैनल में मार्किटिंग हेड बन गए। लेकिन वहाँ इन जनाब की दाल ज्यादा दिन तक नहीं गली और इनके कारनामों का मनेजमेंट को पता चल गया तो इनको चलता कर दिया गया। फिर ये p7 न्यूज़ के रीजनल चैनल पर्ल हरियाणा को इन शर्तों पर सम्भालने लगे कि प्रदेश में चुनाव है, जिसमें ये मोटी विज्ञापन राशि लायेंगे। लेकिन चुनाव के बाद यहाँ पर भी हालात ठीक नहीं रहे और p7 बंद हो गया और जनाब घर आ गए।

नेपाल भूकंप कवरेज : फुटेज दूसरों की और दावा एक्सक्लूसिव का

 

Sushil Upadhyay : नेपाल के भूकंप से दक्षिण एशिया अैर हिमालयी क्षेत्र में एक बार फिर गहरी चिंता का भाव पैदा हुआ है। भूकंप के बाद से मीडिया, खासतौर हिंदी टीवी चैनल जो कुछ और जिस अंदाज में परोस रहे हैं, उससे आम लोगों की चिंता में लगातार इजाफा हुआ है। तमाम बड़े, नामी और प्रसिद्ध चैनलों पर खबरों और भूकंप-विश्लेषण का एक खास पैटर्न नजर आ रहा है। इस पैटर्न की तुलना बड़ी आसानी से किसी फिल्म के साथ की जा सकती है। हरेक बुलेटिन या विश्लेषण में एक्टिंग, बैकब्राउंड म्यूजिक, प्रायोजक, स्टेज, ड्रामा और वर्चुअल एक्शन तक नजर आ रहा है। इन दिनों बुलेटिनों के साथ जो पार्श्व-संगीत सुनाई पड़ रहा है, वह पश्चिम की दुखांत फिल्मों से उठाया गया है।

घर में फांसी पर झूलीं बंगाली टीवी अभिनेत्री दिशा गांगुली

कोलकाता : बंगाली टीवी धारावाहिक की अभिनेत्री दिशा गांगुली को दक्षिण कोलकाता स्थित उनके आवास पर गुरूवार सुबह फंदे से झूलता पाया गया। पुलिस को संदेह है कि उन्होंने आत्महत्या की है। पुलिस ने बताया कि 23 वर्षीय अभिनेत्री ने महानगर के दक्षिणी इलाके के पर्नश्री स्थित अपने आवास पर कथित रूप से फांसी लगाकर जान दे दी। 

आतंकियों ने हैक किया टीवी चैनल

फ्रांस : आतंकवादी संघठन इस्लामिक स्टेट ने फ्रांस के अतंर्राष्ट्रीय चैनल टीवी5मोंड को  हैक कर लिया है। यह जानकारी चैनल ने बुधवार को दी। सार्वजनिक प्रसारणकर्ता टीवी5मोंड ने बुधवार देर रात अपने ट्विटर अकाउंट पर बताया कि टीवी5मोंड के एंटीना और उसकी वेबसाइट शक्तिशाली साइबर अटैक से जूझ रहे हैं। हमारी टीम इस पर काम कर रही है, स्पेन की समाचार एजेंसी एफे के मुताबिक, चैनल के निदेशक वाइवेस बिगोत ने कहा कि उन्होंने प्रसारण रोक दिया है और सभी सामान्य कार्यो को निलंबित कर दिया है। 

Paid news in India and underpaid media employees

Whenever India runs an electoral battle, the ‘paid news’ syndrome in radio and television continues to haunt the general populace, as well as the election authority. A number of cases are already registered against various political parties for allegedly bribing some selected media houses of the largest democracy in the world or for facilitating campaign related favourable coverage in expenses of cash (or kind).

आठ रुपये में टीवी देखें! टाटा स्काई का नया रीचार्ज कूपन

चाय, शैंपू, टबैको ब्रैंड्स और टेलिकॉम कंपनियों के बाद अब डायरेक्ट टू होम यानि (DTH) कंपनी टाटा स्काई ने 8 रुपये का रीचार्ज कूपन लॉन्च किया है. इससे आप एक दिन तक टाटा स्काई की सर्विस ले सकेंगे. यह डीटीएच रिचार्ज का सबसे छोटा कूपन मार्केट में उपलब्ध है. डिश टीवी के ऐक्टिव यूजर्स कम से कम 10 रुपये का रिचार्ज कर सकते हैं जबकि एयरटेल डिजिटल टीवी में मिनिमम 35 रुपये का विकल्प है.

फोकस टीवी से शैलेष कुमार का इस्तीफा

फोकस टीवी के मैनेजिंग एडिटर वरिष्ठ पत्रकार शैलेश कुमार ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। वह वह नवभारत टाइम्स, रविवार, अमृत प्रभात जैसे अखबारों में महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं।  कई वर्षों तक ‘टीवी टुडे’ ग्रुप के हिंदी चैनल ‘आजतक’  में काम कर चुके वरिष्ठ पत्रकार शैलेष कुमार भारतीय मीडिया में एक …

भारत का मीडिया TRP के लिए दंगा, फसाद, हत्या, बलात्कार, धरना-प्रदर्शन, आगजनी और लूट के कार्यक्रम प्रायोजित करेगा!

Ajit Singh : पकिस्तान जब भारत से हारा तो पाकिस्तानियों ने अपने TV फोड़ दिए। ऐसा हमको मीडिया ने बताया। हम लोगों ने भी खूब चटखारे लिए। पाकिस्तानियों को इसी बहाने certified चूतिया घोषित कर दिया। बड़ा मज़ा आया। अब मीडिया ने दिखाया कि हिन्दुस्तान में भी लोगों ने TV फोड़ दिए। मैंने इस खबर को बड़े गौर से देखा। मीडिया ने ये भी बताया कि लोग आंसू बहा रहे हैं। उनके आंसू भी देखे । लोग tv सड़कों पे पटक रहे हैं। प्रश्न ये है कि लोग news channel के कैमरा को दिखाने के लिए टीवी फोड़ रहे हैं क्या ? लोगों ने tv खुद फोड़े या मीडिया ने स्टोरी बनाने के लिए फुड़वाये? पुराने टंडीरा TV हैं। साफ़ दिखाई दे रहा है। क्या ये नहीं खोजा जाना चाहिए कि ये नाटक किसने कराया? क्यों कराया? टीवी फोड़ने की घटना किसने शूट की? टीवी कहाँ से आये? कौन लोग थे जिनने अपना TV फोड़ा। जिन लोगों ने TV फोड़ा उन ने अपने घर से कभी संडास का mug भी फेंका है? रोने वालों में कुछ लोग तो स्टेडियम में बैठे हैं। बाकी जो बाहरी लोग दिल्ली मुम्बई में दिखाए जा रहे है वो बहुत घटिया acting कर रहे हैं। मीडिया वाले अपनी दुकानदारी चमकाने के चक्कर में सारी दुनिया को ये बताना चाहते है की सिर्फ पाकिस्तानी ही नहीं हम हिन्दुस्तानी भी certified चूतिया हैं ……ISO मार्का ….. हम भी किरकिट जैसे फर्जीवाड़े पे अपना TV फोड़ सकते हैं।

टीवी पत्रकारों को जोकर किसने बनाया !

अरनब गोस्वामी ने अगर इंग्लिश TV न्यूज की हत्या की, जैसा कि Outlook वाले कहते हैं, तो हिंदी TV न्यूज चैनलों की उससे भी बुरी मौत के लिए कौन जिम्मेदार है? या फिर यह आत्महत्या का मामला है, जिसके लिए कोई दोषी नहीं है. आखिर किन की लीडरशिप में हिंदी TV न्यूज चैनलों ने मसखरा-युग में प्रवेश किया?

टीवी विज्ञापन ‘समय सीमा’ पर हाईकोर्ट में मामला टला

नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने एक बार फिर से विज्ञापन समय सीमा मामले में सुनवाई 23 जुलाई तक स्थगित कर दी है। हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई करने से ट्राई को रोककर अंतरिम राहत तो दी है पर तेलुगू प्रसारक मा टीवी को राहत प्रदान करते हुए विज्ञापन समय सीमा को ‘उचित कदम’ बताया है। स्टार इंडिया, ज़ी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड, मल्टी स्क्रीन मीडिया, और टीवी18 ग्रुप ये चार प्रमुख प्रसारण नेटवर्क विनियमन का पालन कर रहे हैं।

बिजनेस टेलिविजन इंटरनेशनल की संपत्ति कुर्क करने का आदेश

दिल्ली : एडीशनल डिस्ट्रिक्ट जज जी. के. गौर ने बिजनेस टेलिविजन इंटरनेशनल लिमिटेड की दक्षिण दिल्ली के उदय पार्क स्थित संपत्ति कुर्क करने का आदेश दिया है।  कंपनी सन 2000 में बंद हो गई थी। बाद में उसने कर्मचारियों को वेतन देने के आदेश का ठुकरा दिया था।

टीवी चैनलों की ‘सुरक्षा मंज़ूरी’ को सरकार ने सुगम बनाया

मुंबई: सरकार ने केबल टीवी कंपनियों, टेलिविज़न चैनलों और सामुदायिक रेडियो स्टेशनों से जुड़ी सुरक्षा मंजूरी की प्रकिया को सुगम कर दिया है। सुरक्षा मंजूरी तीन साल के बजाय अब 10 साल तक के लिए वैध होगी। 

टीडीसैट ने ताज टीवी पर एक लाख रुपए प्रतिदिन जुर्माना ठोका

मुंबई: दूरसंचार विवाद निपटान व अपीलीय ट्राइब्यूनल (टीडीसैट) ने टीवी डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी ताज टेलिविज़न पर एक लाख रुपए प्रतिदिन का जुर्माना लगा दिया है। जुर्माने की गिनती 3 फरवरी से शुरू होकर तब तक चलेगी, जब तक ताज अपने सिग्नल फास्टवे को देना नहीं शुरू कर देता। 

एक न्यूज चैनल जहां महिला पत्रकारों को प्रमोशन के लिए मालिक के साथ अकेले में ‘गोल्डन काफी’ पीनी पड़ती है!

चौथा स्तंभ आज खुद को अपने बल पर खड़ा रख पाने में नाक़ाम साबित हो रहा है…. आज ये स्तंभ अपना अस्तित्व बचाने के लिए सिसक रहा है… खासकर छोटे न्यूज चैनलों ने जो दलाली, उगाही, धंधे को ही असली पत्रकारिता मानते हैं, गंध मचा रखा है. ये चैनल राजनेताओं का सहारा लेने पर, ख़बरों को ब्रांड घोषित कर उसके जरिये पत्रकारिता की खुले बाज़ार में नीलामी करने को रोजाना का काम मानते हैं… इन चैनलों में हर चीज का दाम तय है… किस खबर को कितना समय देना है… किस अंदाज और किस एंगल से ख़बर उठानी है… सब कुछ तय है… मैंने अपने एक साल के पत्रकारिता के अनुभव में जो देखा, जो सुना और जो सीखा वो किताबी बातों से कही ज्यादा अलग था…. दिक्कत होती थी अंतर आंकने में…. जो पढ़ा वो सही था या जो इन आँखों से देखा वो सही है…

सूचना-प्रसारण मंत्रालय टीवी न्यूज़ को प्रेस काउंसिल के दायरे में लाने पर विचार करेगा : राठौड़

नई दिल्ली: सूचना व प्रसारण राज्य मंत्री राज्यवर्धन राठौड़ ने कहा है कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को भारतीय प्रेस परिषद (पीसीआई) के अधिकार क्षेत्र में लाने के प्रस्ताव पर परिषद के अध्यक्ष की राय मिलने के बाद विचार किया जा सकता है।

दोनो सदनों में गूंजा टीवी चैनल पर हमले का मामला

नयी दिल्ली  : ‘मंगल सूत्र’ की जरूरत पर सवाल उठाती एक बहस के प्रोमो दिखाने के लिए चेन्नई में एक तमिल टीवी चैनल के कार्यालय पर हमले का मामला शुक्रवार को संसद में उठा। लोकसभा में शून्यकाल के दौरान कांग्रेस के केसी वेणुगोपाल ने यह मुद्दा उठाते हुए इस पर चिंता जाहिर की और आरोप लगाया कि इस हमले के पीछे किसी कट्टरपंथी हिंदू संगठन का हाथ है। 

टीवी चैनल के दफ्तर पर हिंदूवादी समूह का बमों से हमला, एक न्यायिक हिरासत में

चेन्नई : एक दक्षिणपंथी संगठन के संदिग्ध सदस्यों ने गुरुवार को ‘थाली’ (मंगल सूत्र) पर एक प्रस्तावित शो को लेकर एक लोकप्रिय तमिल टीवी समाचार चैनल के स्थानीय कार्यालय पर देसी बमों से हमला बोल दिया। मीडिया संगठनों और राजनीतिक दलों ने इस हमले को अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला करार देते हुए इसकी निंदा की है। पुलिस ने कहा कि मोटरसाइकिल पर सवार होकर आए चार लोगों ने आज सुबह टिफिन में बंद दो देसी बम फेंके लेकिन इस हमले में कोई घायल नहीं हुआ। यह घटना सीसीटीवी कैमरों में कैद हो गई है।

चेन्नई के पुथिया थलैमुरई चैनल पर हिंदूवादी समूह के अटैक का विरोध करते स्थानीय पत्रकार

KBC : Expert Advisor की जगह Triguni फार्मेट

Though I am not a permenent viewer of Kaun Banega Crorepati. This programme fetches money to the contestant while the viewers receive a lot of information & knowledge. Two superstars of the Indian film industry Amitabh Bachchan & Shahrukh Khan have hosted the programme. The KBC has later introduced the Expert Advice to the contestant. The best brains in Indian Medan industry & in their own field besides media also participated as the expert advisor with the KBC.

बैसाखी पर किसान टीवी लांच करेगी सरकार

नई दिल्ली। किसानों को समर्पित टेलीविजन चैनल ‘किसान टीवी’ को हिन्दी पंचांग के नववर्ष बैसाखी के अवसर पर लांच किया जाएगा। पंजाब सहित देश के कई हिस्सों में इस दौरान फसल की कटाई एवं अन्न संग्रह का समय होता है। सरकार ने संसद में रखे गये अपने 2015-16 के बजट पेपर में इस चैनल के लांच की तिथि की घोषणा की है।

आइए आप और हम मिलकर इस बेलगाम मीडिया पर नकेल कसें, आप मीडिया संबंधी अपनी जानकारी-सूचनाएं साझा करें

: अखबारों-टीवी की विज्ञापन नीति और नैतिक मापदंडों के लिए मदद करें : बड़े नाम के किसी भी अखबार और पत्रिका को उठा लीजिए, मजीठिया वेतन बोर्ड आयोग की सिफारिशों के अनुरूप पत्रकारों को वेतन देने में बहानेबाजी कर रहे अखबार मालिकों की माली हैसियत सामने आ जाएगी। लेकिन इनके अखबारों में विज्ञापनों की इतनी भरमार रहती है कि कभी तो उनमें खबरों को ढूंढना पड़ता है। लेखकों को दिए जा रहे पारिश्रमिकों की हालत यह है कि सिर्फ लेख लिखने के दम पर गुजारा करने की बात सोची नहीं जा सकती। हमारे देश में सिर्फ एक अखबार या पत्रिका में लेख या स्थायी स्तंभ लेखन के जरिए गुजारे की कल्पना करना, उसमें भी हिन्दी भाषा में, असंभव है।

दिल्ली की मीडिया इंडस्ट्री में हर रोज पत्रकार होने का दर्द भोग रहे हैं ढेर सारे नौजवान

: इंतजार का सिलसिला कब तक….  : दूर दराज के इलाकों से पत्रकार बनने का सपना लिए दिल्ली पहुंचने वाले नौजवान अपने दिल में बड़े अरमान लेकर आते हैं। उन्हे लगता है कि जैसे ही किसी न्यूज चैनल में एन्ट्री मिली तो उनका स्टार बनने का ख्वाब पूरा हो जाएगा. लेकिन जैसे ही पाला हकीकत की कठोर जमीन पर होता है वैसे ही सारे सपने धराशायी होते नजर आते हैं. अभी चंद रोज पहले मेरे पत्रकार मित्र से बात हुई तो पता चला कि उनके संस्थान में पिछले चार महीने से तनख्वाह नहीं दी गई है। हैरानी की बात ये है कि फिर भी लोग बिना किसी परेशानी के न केवल रोज दफ्तर आते हैं बल्कि अपने हिस्से का काम करते हैं।  जब बात सैलरी की होती है तो मिलता है केवल आश्वासन या फिर अगली तारीख.

इंटरव्यू के लिए ‘पहले मैं पहले मैं’ के चक्कर में नीतीश कुमार के सामने आपस में ही भिड़ गए न्यूज चैनल वाले

मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार के आवास सात सर्कुलर रोड इलेक्‍ट्रानिक मीडिया के लिए आपसी युद्ध का अखाड़ा बन गया। मीडिया वालों की आपसी तू-तू मैं-मैं इतनी तेज थी कि दर्शकों की भीड़ जमा हो गयी। यह सब हंगामा प्रदेश अध्‍यक्ष वशिष्‍ठ नारायण सिंह और नीतीश के पिछले कार्यकाल के सुपर सीएम माने जाने वाले सांसद आरसीपी सिंह के समक्ष हो रहा था। शपथ ग्रहण के बाद नीतीश कुमार का पहला प्रेस कॉन्‍फ्रेंस करीब सात बजे आयोजित था।

टीवी कार्यक्रम और विज्ञापन के बीच चलो चलें जुमले बनाएं

Sanjaya Kumar Singh : दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए मतदान का दिन था। मैं दिन भर घर पर ही था लेकिन जिससे भी बात हुई सबका यही कहना था कि आम आदमी पार्टी की स्थिति मजबूत दिख रही है। शाम में सोचा एक्जिट पॉल देख लिया जाए। शाम 6:00 बजे टीवी ऑन किया और चैनल सर्फ करते हुए देखा कि इंडिया टीवी पर अजीत अंजुम Ajit Anjum एंकरिंग कर रहे थे। इसी पर रुक गया। 6:20 होने तक लगने लगा कि मैं खबरें देख रहा हूं या विज्ञापन। पुराना अनुभव यह रहा है कि एक चैनल पर विज्ञापन आता है तो दूसरे पर भी विज्ञापन ही आ रहा होता है और चैनल बदलने का कोई लाभ नहीं मिलता।

दीपक सरीखे पत्रकारों को सोशल मीडिया की गलियों में खोना नहीं है : पुण्य प्रसून बाजपेयी

: “पंडित जी, बीपीएल या बीएमडब्ल्यू… चुनना तो एक को ही पड़ेगा” : धारदार पत्रकारिता से मात तो मीडिया को ही देनी है दीपक शर्मा! : बीपीएल या बीएमडब्ल्यू। रास्ता तो एक ही है। फिर यह सवाल पहले नहीं था। था लेकिन पहले मीडिया की धार न तो इतनी पैनी थी और न ही इतनी भोथरी। पैनी और भोथरी। दोनों एक साथ कैसे। पहले सोशल मीडिया नहीं था। पहले प्रतिक्रिया का विस्तार इतना नहीं था। पहले बेलगाम विचार नहीं थे। पहले सिर्फ मीडिया था। जो अपने कंचुल में ही खुद को सर्वव्यापी माने बैठा था। वही मुख्यधारा थी और वही नैतिकता के पैमाने तय करने वाला माध्यम। पहले सूचना का माध्यम भी वही था और सूचना से समाज को प्रभावित करने वाला माध्यम भी वही था। तो ईमानदारी के पैमाने में चौथा खम्भा पक़ड़े लोग ही खुद को ईमानदार कह सकते थे और किसी को भी बेईमानी का तमगा देकर खुद को बचाने के लिये अपने माध्यम का उपयोग खुले तौर पर करते ही रहते थे।

टीवी चैनलों को विज्ञापनों व कार्यक्रमों को लेकर ज्यादा सतर्क होने की जरूरत, अश्लीलता से सख्ती से निपटने के निर्देश

टेलीविजन चैनलों को विज्ञापनों और कार्यक्रमों को लेकर अब ज्यादा सतर्क होने की जरूरत है. माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को निर्देश दिया है कि अश्लील और अवांछित कार्यक्रम दिखाने वाले चैनलों पर कोई नरमी नहीं बरती जानी चाहिए. सूत्रों के मुताबिक सूचना एवं प्रसारण मंत्री अरूण जेटली ने भी संबंधित अधिकारियों को ऐसे ही निर्देश दिए हैं. हालांकि अश्लील और अवांछित कार्यक्रमों से निपटने के लिए दिशानिर्देश मौजूद हैं और कार्रवाई की जाती है लेकिन अब भी इन दिशानिर्देशों का उल्लंघन हो रहा है. हालांकि कई स्वनियामक व्यवस्थाओं के कारण इनमें कमी आई है लेकिन प्रधानमंत्री ने दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने वाले चैनलों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की वकालत की है.

पत्रकारिता के लिए साल का आखिरी दिन चेतावनी भरा रहा, आप लोगों के मरने पर अखबारों में एक लाइन की भी खबर न छपे

: मीडिया को पुनर्जीवित करने का अभियान : मीडिया में अब मामला पेड न्यूज भर का नहीं रहा है। कई अखबार तो खबरें भी उन्हीं की छापते हैं, जो पैसा देते हैं। पूरे के पूरे अख़बार, सप्लीमेंट्स ही पेड हो गए हैं। छोटे- बड़े , कई – कई यही काम कर रहे हैं। चैनलों के ब्यूरो के ब्यूरो खुले आम नीलाम हो रहे हैं। पैसा लाओ , जो छापना है छापो; जो दिखाना है दिखाओ। राजनीतिक दल और सरकारें भी मीडिया को गुलाम बनाने पर तुली हैं। नाहक नहीं है कि प्रेस कौंसिल के चेयरमैन कह रहे हैं कि मीडिया आम अवाम की आवाज दबाने की साज़िश का हिस्सा हो गया है। इस सन्दर्भ में एक रपट…

मीडिया में एक बड़े आंदोलन की जरूरत : अब न्यूज ही पेड नहीं हैं, अखबार और चैनल भी पेड हैं

ओम प्रकाश सिंह


मीडिया जिस मुकाम पर है, उसमें अब धमचक भी है, और आंतरिक विस्फोट भी जल्द होने वाले हैं। एक बड़े आंदोलन की जरूरत उठ खड़ी हुई है। जनसत्ता में पत्रकार रहे और अब एक बड़े लेखक श्री दयानंद पांडेय कहते हैं – मीडिया को कारपोरेट स्वार्थों, और भांड़ों और भड़ैतों ने घेर लिया है। जी हां, केवल भांड़ों और भड़ैतों ने ही नहीं, मिरासियों और बाई जी लोगों ने भी। जैसे नृत्य, संगीत आदि एक निश्चित किस्म के लोगों से घिर गये थे, वैसी ही हालत मीडिया की भी हो रही है।

टीवी विज्ञापन का गिरता स्तर : क्या संपादकों के पास आंख दिमाग नहीं है?

आप टीवी खोल कर देखिए. टीवी का पत्रकार (एंकर) लोकत्रंत का रक्षक बन कर सामने खड़ा होगा. जो नैतिकता और इमानदारी का पुतला होगा. वह हर किसी से सवाल करेगा. उसे शर्मिंदा करेगा. कहेगा देश जानना चाहता है. आप जवाब दो. जवाब दो. अगर आपको उससे कोई सवाल पूछना हो या शिकायत करनी हो तो टी वी ब्रोडकास्टर एशोसिएशन को पत्र लिखें. जिस का पता नीचे पट्टी पर कभी कभी दिखलाया जाता है. अब उससे सवाल कौन पूछे?

टीवी पर ज्योतिष दिखाने से दिल्ली हाई कोर्ट नाराज

ज्योतिष आधारित कार्यक्रमों का विभिन्न टीवी चैनलों पर प्रसारण रोकने की मांग को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है. मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी व न्यायमूर्ति आरएस एंडलॉ की खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए नाराजगी जाहिर की और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की खिंचाई की है.

निजी टीवी चैनल ‘न्यूज चैनल’ की बजाय ‘न्वायज चैनल’ हो गए हैं : प्रसार भारती चेयरमैन

बेंगलूरू। प्रसार भारती के नव नियुक्त चेयरमैन ए. सूर्य प्रकाश ने कहा कि दूरदर्शन एवं आकाशवाणी को स्वायत्तता हासिल करने के लिए अभी लंबा रास्ता तय करना है। “प्रेस से मिलिए” कार्यक्रम में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि प्रसार भारती एक स्वायत्त निगम है और इसके गठन के बाद पीछे हटने का सवाल ही पैदा नहीं होता। सूर्यप्रकाश ने कहा कि प्रसार भारती के 90 फीसदी कर्मचारी केंद्र सरकार के हैं, जबकि शेष विभिन्न मीडिया हाउस से हैं जिन्हें करार पर रखा गया है। जब तक यह स्थिति रहेगी तब तक प्रसार भारती की स्वायत्तता की राह नहीं खुलेगी। इस दिशा में कदम उठाए जाने की जरूरत है मगर यह एक प्रक्रिया है। गुणवत्ता के लिए पेशेवर होना पड़ेगा। यह संभव है और इसे अवश्य करेंगे।

भारत के न्यूज चैनल पैसा कमाने और दलगत निष्ठा दिखाने के चक्कर में सही-गलत का पैमाना भूल चुके हैं : अजय कुमार

: इलेक्ट्रानिक न्यूज चैनलों का ‘शोर’ : टेलीविजन रेटिंग प्वांइट(टीआरपी) बढ़ाने की चाहत में निजी इलेक्ट्रानिक न्यूज चैनल अपनी साख खोते जा रहे हैं। समाचार सुनने के लिये जब आम आदमी इन चैंनलों का बटन दबा है तो उसे यह अहसास होने में देरी नहीं लगती कि यह चैनल समाचार प्रेषण की बजाये ध्वनि प्रदूषण यंत्र और विज्ञापन बटोरने का माध्यम बन कर रह गये हैं। इन चैनलों पर समाचार या फिर बहस के नाम पर जो कुछ दिखाया सुनाया जाता है, उससे तो यही लगता है कि यह चैनल न्यूज से अधिक  सनसनी फैलाने में विश्वास रखते हैं।

हां हम अयोग्य हैं, इसीलिए पत्रकार हैं क्योंकि….

”अयोग्य लोग ही इस पेशे में आते हैं, वे ही पत्रकार बनते हैं जो और कुछ बनने के योग्य नहीं होते..” आज स्थापित हो चुके एक बड़े पत्रकार से कभी किसी योग्य अधिकारी ने ऐसा ही कहा था… कहां से शुरू करूं… मुझे नहीं आता रोटी मांगने का सलीका… मुझे नहीं आता रोटी छीनने का …

आने वाले हैं कुछ नए न्यूज चैनल… बिड़ला टाइम, लाइव लूट, वोटशॉप18, चोरी ओके… (देखें पूरी लिस्ट)

दो कारणों से न्यूज़ चैनलों के नाम बदलने की ज़रूरत है : 1. चैनलों के मालिक नियमित रूप से बदलने लगे हैं और 2. न्यूज़ चैनलों पर न्यूज़ के नाम पर जो तमाशा दिखाया जा रहा है, उस कारण भी नाम बदल दिए जाने चाहिए. अगर आप नियमित न्यूज़ चैनल देखते हों तो यह बताने और समझाने की कोई ज़रूरत नहीं है कि किस तरह की खबरों को कौन सा चैनल किस तरह से दिखाएगा. पुरानी फिल्मों में जैसे जगदीश राज और ए के हंगल इंस्पेक्टर के रोल में ‘टाइप्ड’ हो गये थे, वैसे ही हमारे पत्रकार और मीडिया के पंच लोग भी ‘टाइप्ड’ हो गये हैं, और उनके मुँह खोलने से पहले ही बताया जा सकता है कि किस मुद्दे पर कौन सा व्यक्ति क्या बोलेगा।

बंगलूरू के टीवी पत्रकार ने फांसी लगा कर जान दी

बंगलूरू। एक चैनल के पत्रकार संजय, 29 वर्ष, ने शुक्रवार की रात घर में पंखे से लटककर आत्महत्या कर ली। वे चैनल में कापी एडिटर थे।

वह दिन दूर नहीं जब डीटीएच की भी हो सकेगी पोर्टेबिलिटी

टीवी चैनल देखने के लिए एक ही डीटीएच कंपनी से ऊब चुके हैं तो पोर्टेबिलिटी की तैयारी कर लें. सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय डीटीएच में भी पोर्टेबिलिटी का इंतजाम करने जा रहा है. सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने मीडिया उद्योग से कहा कि इस दिशा में काम करें. अभी तक केवल उपभोक्ता दूसरी कंपनी का डीटीएच तभी ले सकता है जब पहली कंपनी की सेवाएं बंद करा दे. मंत्रालय की सोच है कि सेट टॉप बॉक्स एक ही रहे और कंपनी बदली जा सके.

लैपटॉप, कंप्यूटर, मोबाइल पर देख पायेंगे इंटरनेट के बिना टीवी चैनल

यात्रा के दौरान यदि आप टीवी देखना चाहें और आपका मोबाइल फोन इंटरनेट से नहीं जुड़ा है या कनेक्शन कैच नहीं कर पा रहा है, तो भी आप टीवी देख पायेंगे. दूरदर्शन इस नयी तकनीक का तेजी से परीक्षण कर रहा है. दूरदर्शन के अधिकारी एम एस दुहन का कहना है कि दूरदर्शन अपने ग्राहकों को अच्छी क्वालिटी का प्रसारण मुफ्त मुहैया करायेगा. नयी योजना के तहत दूरदर्शन से प्रसारित किये जाने वाले कार्यक्रम अब आप न केवल टीवी पर, बल्कि मोबाइल फोन पर भी देख सकते हैं. फिलहाल ग्राहकों के पास टेलीविजन देखने के लिए डिश, केबल और एंटीना का विकल्प है. प्रसार भारती के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जवाहर सिरकार ने हाल ही में बताया है कि उपभोक्ताओं को टेलीविजन के लिए चौथा विकल्प भी मुहैया कराया जायेगा, जो डिजिटल एंटीना के रूप में होगा.