Avinash Pandey Samar-
रिपब_लिक टीवी ऐंकर विकास शर्मा की अकाल मौत पर बहुत दुःख हुआ, यह एकदम मानवीय प्रतिक्रिया है।
पर उसके लिए श्रद्धाँजलि की उल्टियाँ कर देना? उस आदमी के लिए जो जाने के कुछ घंटे पहले तक बाक़ी इंसानों के ख़िलाफ़ हिंसा भड़का रहा था? राकेश टिकैत समेत जो अभी कुछ समय पहले तक उसके मुताबिक़ देशभक्त थे- राजनाथ सिंह तक के साथ मंच पर देखे जाते थे?
ये ग़लत है! आदमी 35 में मरे या 135 की उम्र में, जिसने जीवन भर बाक़ी इंसानों के ख़िलाफ़ हिंसा की रोटी खाई हो उसको श्रद्धाँजलि?
उसके परिवार के लिए दुख महसूस करें- वह मानवीय भी है और सुंदर भी (बाक़ी उसके परिवार की भी खबरें आने लगीं हैं. भड़ास4मीडिया देखें. देश को इकट्ठा करने वाले अपना परिवार न सँभाल पायें ये होता है- पत्नी के साथ हिंसा के आरोप हों… ये और बहुत कुछ कहता है! पर इस पर आगे बाद में- मैं विकास शर्मा नहीं, इंसान हूँ.)
तो अभी बस इतना ही कि उसकी मौत का दुख ठीक है, इंसानी है।
उसके लिए प्रार्थनायें कर देना शुरू कर देना नहीं।
उसने खुद एक धर्म का पंटर होना चुना था। मृत्यु के बाद कुछ होता हो तो उसे उसके धर्म और कर्मों पर छोड़ दें। ज़मीन का ईश्वर न बनें।
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Comments on “उस एंकर ने खुद एक धर्म का पंटर होना चुना था!”
तुम बेहद घटिया आदमी हो
तुम बेहद घटिया आदमी हो । कौवा कभी कौवे का मांस नही खाता और मरने के बाद रावण अहिरावण को भी भारतीय संस्कृति ने अपमानित नही किया ।तुम खुद सोच लो कि तुम क्या हो । लगता है विकास ने तुम्हारी कभी कायदे से ली होगी इसलिए उसके मरने पर अपनी बक ….पोथी खोल रहे हो ।