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विवाद बढ़ता देख वाड्रा ने कारोबार समेटना शुरू कर दिया, बेची चार कंपनियां

विवाद बढ़ता देख कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा ने अपना कारोबार समेटना शुरू कर दिया है। वाड्रा ने चार कंपनियां बेच दी हैं। दो और कंपनियां जल्द ही बंद हो सकती है। ये सभी हरियाणा और राजस्थान में काम कर रही थीं। लाइफलाइन ऐग्रोटेक प्राइवेट लिमिटेड, ग्रीनवेव ऐग्रो प्राइवेट लिमिटेड, राइटलाइन ऐग्रिकल्चर प्राइवेट लिमिटेड और प्राइमटाइम ऐग्रो प्राइवेट लिमिटेड को रॉबर्ट वाड्रा बंद कर चुके हैं। केंद्र में बीजेपी के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद से ही विवादित जमीन सौदों के लिए चर्चित वाड्रा ने कंपनियों को बंद करने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी। कॉर्पोरेट अफेयर्स मंत्रालय का कहना है कि सभी कंपनियां मई महीने तक ऐक्टिव थीं।

<p>विवाद बढ़ता देख कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा ने अपना कारोबार समेटना शुरू कर दिया है। वाड्रा ने चार कंपनियां बेच दी हैं। दो और कंपनियां जल्द ही बंद हो सकती है। ये सभी हरियाणा और राजस्थान में काम कर रही थीं। लाइफलाइन ऐग्रोटेक प्राइवेट लिमिटेड, ग्रीनवेव ऐग्रो प्राइवेट लिमिटेड, राइटलाइन ऐग्रिकल्चर प्राइवेट लिमिटेड और प्राइमटाइम ऐग्रो प्राइवेट लिमिटेड को रॉबर्ट वाड्रा बंद कर चुके हैं। केंद्र में बीजेपी के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद से ही विवादित जमीन सौदों के लिए चर्चित वाड्रा ने कंपनियों को बंद करने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी। कॉर्पोरेट अफेयर्स मंत्रालय का कहना है कि सभी कंपनियां मई महीने तक ऐक्टिव थीं।</p>

विवाद बढ़ता देख कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा ने अपना कारोबार समेटना शुरू कर दिया है। वाड्रा ने चार कंपनियां बेच दी हैं। दो और कंपनियां जल्द ही बंद हो सकती है। ये सभी हरियाणा और राजस्थान में काम कर रही थीं। लाइफलाइन ऐग्रोटेक प्राइवेट लिमिटेड, ग्रीनवेव ऐग्रो प्राइवेट लिमिटेड, राइटलाइन ऐग्रिकल्चर प्राइवेट लिमिटेड और प्राइमटाइम ऐग्रो प्राइवेट लिमिटेड को रॉबर्ट वाड्रा बंद कर चुके हैं। केंद्र में बीजेपी के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद से ही विवादित जमीन सौदों के लिए चर्चित वाड्रा ने कंपनियों को बंद करने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी। कॉर्पोरेट अफेयर्स मंत्रालय का कहना है कि सभी कंपनियां मई महीने तक ऐक्टिव थीं।

वाड्रा जिन छह कंपनियों को बंद कर रहे हैं, उनके सालाना रिटर्न्स या लेखा-जोखा शुरू से ही नहीं दिए गए हैं। ऐसे में नाम के आधार पर अनुमान लगाया जा सकता है कि सभी कंपनियां कथित तौर से कृषि कारोबार से जुड़ी हैं और जमीन और कृषि तकनीक का कारोबार करती रही होंगी। वाड्रा सिर्फ कंपनियां ही बंद नहीं कर रहे हैं, जांच और कार्रवाई के डर से जमीन भी बेच रहे हैं। कॉर्पोरेट अफेयर्स मंत्रालय में रिटर्न्स और बैलेंस शीट जमा नहीं करने को लेकर मंत्रालय के अधिकारियों को आशंका है कि कंपनियों के बिजनेस मॉडल और लैंड डील्स के बारे में जानकारी बाहर आने से बचने के लिए उन्होंने ऐसा किया होगा।

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