(झारखंड की मीडिया का नटवरलाल अरुप चटर्जी जो हर कानून और हर सरकार को ठेंगा दिखा रहा)
गैर जमानत योग्य वारंटी अरूप चटर्जी को पुलिस गिरफ्तार करे भी तो कैसे? अभी मिली जानकारी के अनुसार 15 अप्रैल को अरूप ने पार्टी दी थी जिसमें मुख्यमंत्री रघुबर दास 7:45 से 8:15 बजे तक मौजूद थे। 13 और 14 अप्रैल को अरूप की पटना यात्रा के दौरान उसकी मुलाक़ात अमित शाह और केंद्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान से हुई थी। अरूप और रांची के उसके एक व्यवसायिक मित्र की मुलाक़ात धर्मेन्द्र प्रधान से दिल्ली में 19 तारीख को तय है।
यदि किसी पत्रकार मित्र के पास अदालत में वांटेड अरूप की मुख्यमंत्री रघुवर दास और अमित शाह के साथ मुलाकात की फुटेज हो तो कृपया यहाँ अपलोड कर दें। अगर नहीं दे सकते तो उन्हें मसरत पर मर्सिया करने का कोई नैतिक हक़ नहीं। बाकी धर्मेन्द्र प्रधान से होने वाली मुलाकात का फोटो मैं जुगाड़ कर लूंगा। तो ये है सच झारखण्ड में न्याय का। कल ही मैं अदालत से अपील करूँगा कि वह मुख्यमंत्री को भी नोटिस करे कि एक वांछित वारंटी अरूप की पार्टी में उनकी शिरकत को क्यों नहीं न्याय प्रक्रिया को प्रभावित करने और मुझे न्याय से वंचित करने की कोशिश माना जाए।
कृपया बताएं, कानूनी स्थिति क्या है – पुलिस अगर किसी फरार अपराधी को पकड़ नहीं रही हो, और वह आराम से घूम रहा हो तो आम जन क्या कर सकता है?
क. पकड़ कर पुलिस के हवाले कर सकता है .
ख. उसे गोली भी मार सकता है
ग. क़ानूनी तौर पर कुछ नहीं कर सकते सिवा अदालत को सूचित करने के.
घ. उसे जिन्दा या मुर्दा पकड़वाने वाले को इनाम देने की घोषणा कर सकता है ।
च. सिर्फ उसका सामाजिक बहिष्कार कर सकता है और पुलिस पर थू थू कर सकता है।
झारखण्ड में अर्जुन मुंडा की सरकार थी तब भी झारखंड के रीजनल न्यूज चैनल ”न्यूज 11” के मालिक अरूप चटर्जी के खिलाफ कोर्ट के वारंट तेलहंडे में जाते रहे. हेमंत सोरेन थे तब भी अरूप आजाद रहे और रांची पुलिस उसे तेल मालिश करती रही. अब रघुवर दास जी, आपकी सरकार है. तब भी पुलिस को हिम्मत नहीं उसे गिरफ्तार कर के कोर्ट में पेश कर सके. मेरे चेक बाउंस के केस में जनवरी में ही उसकी जमानत रद्द कर दी गई, फिर उसकी कंपनी के खिलाफ भी वारंट हुआ लेकिन पुलिस उसे पकड़ नहीं पा रही है. रघुवर दास जी ये बताइये कि क्या अब मैं उसकी टांग में गोली मार कर रांची पुलिस को तश्तरी में पेश करूँ ताकि वह उसे अदालत में पेश कर सके? अगर आपकी पुलिस उसे नहीं पकड़ पा रही है तो आप बताइये कि मैं क्या करूँ और अदालत क्या करे.
लेखक गुंजन सिन्हा वरिष्ठ और बेबाक पत्रकार हैं.
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