पेशेवर संपादक और मालिक संपादक में बुनियादी अंतर है और वह रहेगा ही!

कबूलनामे पर प्रतिक्रिया… एएनआई की मालकिन स्मिता प्रकाश के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कथित इंटरव्यू और उसपर राहुल गांधी द्वारा उन्हें प्लायबल (लचीला या नर्म) कहे जाने के बाद एडिटर्स गिल्ड का बयान के बाद देश में पत्रकारिता और राजनीति की स्थिति लगभग साफ हो गई थी। मेरा मानना है कि उसके अलग-अलग पत्रकारों …

एक वरिष्ठ पत्रकार का कबूलनामा- ‘हां, मैंने भी दो बार फिक्स्ड इंटरव्यू किए हैं!’

इकबालिया बयान – सन्दर्भ – प्रधानमंत्री से स्मिता प्रकाश का इंटरव्यू… मुझे दो बार फिक्स्ड इंटरव्यू करने पड़े हैं. तब राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बने एक हफ्ता ही हुआ था. लालू प्रसाद जेल में थे. राबड़ी जी निहायत घरेलू महिला थीं. कुछ भी बोल नहीं सकती थीं. पत्रकारों से मिलती नहीं थीं. मुख्यमंत्री निवास में …

कई संपादक व उद्योगपति जिस मेंबरी के लिए अपना ईमान मार दे रहे, वह रामोजी राव को प्लेट में दी गई थी, बिना मांगे

Gunjan Sinha : रामोजी राव साहब को पद्म पुरस्कार दो दशक पहले मिलता तो ज्यादा ख़ुशी होती. अब वे इनसे काफी ऊपर हैं और इस बीच पद्म अपनी काफी चमक विवादों में खो चुके. उधर निष्पक्ष और उच्च पत्रकारिता के जो प्रतिमान उन्होंने स्थापित किये थे, वे उसी ईटीवी में उनके हमारे देखते देखते रोज ध्वस्त हो रहे हैं. मुझे लगता है वे अब कभी ईटीवी (हिंदी चैनल्स) नही देखते होंगे. मेहनत से बनाए ये चैनल उन्हें बेचने पड़े. जब वे झंडे गाड़ चुके तब कोई पद्म नहीं मिला, अब जब वे झंडे उखड चुके तो पुरस्कारों का क्या मतलब? फिर भी बधाई! अंधों को दिखा तो सही!

ABP News ने राष्ट्रगान के समय खड़े न होने वाली खबर को उल्टा रंग देने की कोशिश की!

Gunjan Sinha : एबीपी न्यूज के संपादकों की अकल अकालग्रस्त है क्या? मुंबई में एक थियेटर में एक परिवार राष्ट्रगान के समय खड़ा नहीं हुआ. इस बदतमीजी का आम दर्शकों ने विरोध किया और तब तक फिल्म नहीं चलने दी जबतक वह परिवार हाल से बाहर नहीं गया. एबीपी न्यूज इस खबर को यूँ बता रहा है कि दर्शकों ने ही उस परिवार से बादतमीजी की जबकि विजुअल के अनुसार दर्शकों ने राष्ट्रगान का सम्मान नहीं करने पर शांतिपूर्ण विरोध किया और उस परिवार को एक थप्पड़ भी नहीं मारा.

मुख्य धारा में हेमेंद्र जैसे नॉन कम्प्रोमाइजिंग ईमानदार पत्रकार के लिए स्थान नहीं रह गया था

Gunjan Sinha : ”बिहार के ग्रामीण इलाकों में वर्ग संघर्ष की वारदातें कवर करके जब लौटते थे हमलोग (हेमेन्द्र, अरुण रंजन, अरुण सिन्हा) तो हेमेन्द्र का रुमाल आंसुओं से भीगा रहता था और सबकी जेबें खाली हो चुकी होती थीं.”

जब अरुण कुमार ने गुंजन सिन्हा से कहा- ”जमकर मुकाबला कीजिये, अपने हाथ में सिर्फ स्ट्रगल है”

Gunjan Sinha : अन्ततः चले गए अरुण जी, असाध्य रोग कभी उनका मनोबल न तोड़ सका और न कभी कम कर सका सामाजिक सरोकारों के प्रति उनकी जबरदस्त प्रतिबद्धता … बहुत सालता है ऐसे जूझारू पुराने साथी का यूँ असमय चले जाना…. अलविदा अरुण जी. हमेशा याद रहेगी आपकी सादगी और उसके पीछे आडम्बर-रहित आग बदलाव और प्रतिरोध की.. संघर्ष तो बहुत लोग करते हैं. कोई शहीदाना मुद्रा में, समाज पर एहसान करते हुए, कोई गिरे हुओं के बीच जैसे एक आदर्श हों, ईश्वर के भेजे दूत, नाक फुलाते हुए…

चैनल मालिक अरूप चटर्जी की संपत्ति की कुर्की जब्ती के आदेश लेकिन झारखंड सरकार संरक्षण देने में जुटी

Gunjan Sinha : स्थिति मजेदार है भाई, झारखण्ड के एक नामी गिरामी चैनल के चर्चित मालिक के खिलाफ कुर्की जब्ती का हुकुम हुआ है और रांची के मेरे कई पत्रकार मित्र कोई प्रतिक्रिया ही नहीं दे पा रहे हैं! बड़ा धर्मसंकट है! लाइक तो कीजिये मित्रो। या यही लिखिए कि कुर्की जब्ती नहीं होनी चाहिए, कि वो भगोड़ा नहीं है, पूजा अर्चना में लगा हुआ है। असल में अदालत ने गैर जमानती आरोपी अरूप चटर्जी की संपत्ति की कुर्की जब्ती के आदेश जारी किये।

येचुरी से भी कोई उम्मीद नहीं… ये सब ड्राइंग रूम वामपंथी हैं…

Gunjan Sinha : येचुरी से भी कोई उम्मीद नही. करात, येचुरी आदि सब ड्राइंग रूम वामपंथी हैं… इन्हें कभी जनता के साथ संघर्ष करते देखा? सुना? चाहे हज़ारों किसान मर जाएं , लोग बिन दवा बिना भोजन मरें, लड़कियां रेप का शिकार हों, देश गिरवी हो जाए, आतंकी धर्मान्धता दिलों को बाँट दे, ये ड्राइंग रूम वामपंथी दिल्ली के एयर कंडीशन बेडरूम के बाहर रात नहीं बिता सकते. कुँए का पानी नहीं पी सकते. लेकिन मीडिया मैनेज कर सकते हैं. इनसे फिर भी बेहतर हैं माणिक सरकार या अतुल अनजान जो अपना काम ईमानदारी से कर रहे हैं.

वांटेड चैनल मालिक अरूप चटर्जी को बचा रहे हैं झारखंड के भाजपाई मुख्यमंत्री रघुवर दास!

(झारखंड की मीडिया का नटवरलाल अरुप चटर्जी जो हर कानून और हर सरकार को ठेंगा दिखा रहा)

गैर जमानत योग्य वारंटी अरूप चटर्जी को पुलिस गिरफ्तार करे भी तो कैसे? अभी मिली जानकारी के अनुसार 15 अप्रैल को अरूप ने पार्टी दी थी जिसमें मुख्यमंत्री रघुबर दास 7:45 से 8:15 बजे तक मौजूद थे। 13 और 14 अप्रैल को अरूप की पटना यात्रा के दौरान उसकी मुलाक़ात अमित शाह और केंद्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान से हुई थी। अरूप और रांची के उसके एक व्यवसायिक मित्र की मुलाक़ात धर्मेन्द्र प्रधान से दिल्ली में 19 तारीख को तय है।

राज चाहे हेमंत सोरेन का हो या रघुवर दास का, ऐश अरूप चटर्जी की चल रही है…

Gunjan Sinha : दयामनि जी नमस्ते, गूँगों के शहर में कोई तो बोला. बोलने के लिये बधाई. लेकिन आप निरीह लाचार पेटपालक से उम्मीद कर रही हैं – खुशी है कि किसी पत्रकार ने अपने कानूनी हक के लिये आवाज उठाई. उसे भी बधाई. और मुझे भी कि चेक बाउँस केस में अदालत ने न्यूज 11 के अरूप चटर्जी की जमानत रद्द कर दी है – लेकिन रांची पुलिस उसे गिरफ्तार करने की हिम्मत नहीं कर रही है.

जी न्यूज पर एक बेशर्म विज्ञापन से भारतीय मीडिया का घोर अपमान

Gunjan Sinha : अभी ज़ी न्यूज पर विज्ञापन देखा – ‘भारतीय मीडिया जिन्हें करता है सलाम!’ – और फिर नाम आया ‘सुभाष चन्‍द्रा’. मैं भौंचक हूँ. आप कहते हैं कि मैं ना बोलूं, चूंकि निगेटिव बोलता हूँ, व्यक्तिगत हो जाता हूँ… डाक्टर कहता है कि मत सोचिये और गुस्सा मत करिये ब्लड प्रेशर बढ़ेगा. बीवी कहती है कि सभी बेहूदों को बेहूदा कहते रहोगे तो नौकरी किसके यहाँ करोगे?