उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्रित्व में चल रही भाजपा सरकार में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा। सत्ता के गलियारे से लेकर दिल्ली दरबार तक चर्चा है कि मुख्यमंत्री योगी और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के बीच तलवारें खिंची हुई हैं। वहीँ कोढ़ में खाज की तरह एक अप्रत्याशित घटनाक्रम में यूपी विधानसभा में भाजपा के एक विधायक के उत्पीड़न के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी के लगभग 100 विधायकों ने विपक्षी विधायकों के साथ विधानसभा में प्रदर्शन किया और धरना दिया।
इस विरोध के चलते सदन की कार्रवाई स्थगित करनी पड़ी। शाम छह बजे के करीब विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष से मिले आश्वासन के बाद धरना समाप्त कर दिया। मंगलवार को विधानसभा में सत्ता पक्ष को उस समय काफी असहज स्थिति का सामना करना पड़ा जब लोनी के भाजपा विधायक नंद किशोर गुर्जर के कथित उत्पीड़न के खिलाफ विपक्ष के साथ सत्ता पक्ष के विधायक भी विरोध में उतर गए। सत्ता पक्ष के सदस्यों के मुखर विरोध की अभूतपूर्व घटना के चलते विधानसभा की कार्यवाही अगले दिन के लिए स्थगित करनी पड़ी। विधानसभा में प्रदर्शन के दौरान सदस्यों ने ‘विधायक एकता जिंदाबाद’ के नारे भी लगाए।
शीतकालीन सत्र के पहले दिन विधानसभा में शून्यकाल के दौरान विधायक नंद किशोर गुर्जर ने व्यवस्था का प्रश्न उठाना चाहा, लेकिन अध्यक्ष ने यह कहते हुए अनुमति नहीं कि उन्हें कोई नोटिस नहीं मिली है। संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना, नंद किशोर को बैठने का इशारा कर रहे थे, इसी बीच नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी ने कहा कि विधायक के उत्पीड़न पर नोटिस की जरूरत नहीं है। राम गोविंद चौधरी ने कहा कि हम सभी सदन के सदस्य हैं। एक विधायक का अपमान सबका अपमान है। अगर उसे सदन में अपनी बात रखने का मौका नहीं दिया जाएगा तो वो कहां बोलेगा? विधायकों का कहना था कि गाजियाबाद के एसएसपी सुधीर सिंह को सदन में बुलाकर दंडित किया जाए।मौका ना देने पर सपा विधायक वेल में आ गए। ‘न्याय दो-न्याय दो’ का नारा लगाते रहे।
इसी बीच संसदीय कार्यमंत्री ने नंद किशोर को बुलाकर मामले की जानकारी ली। नंद किशोर अपनी सीट पर पहुंचकर फिर खड़े हो गए, लेकिन फिर, बोलने का मौका नहीं मिला तो एसपी ने वॉकआउट कर दिया। इसी बीच सुरेश खन्ना और विधायक नंद किशोर को बात करने के लिए लॉबी में ले गए तो बीएसपी-एसपी विधायकों ने उन्हें बंधक बनाने का आरोप लगा दिया, जिसको कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने बेबुनियाद बताया।
नियम 103 पर चर्चा के दौरान नंदकिशोर सहित कई भाजपा विधायक सदन में आए और फिर अपनी सीट पर खड़े हो गए। उनके समर्थन में विपक्ष के विधायक भी अपनी सीट पर खड़े हो गए। इस असहज स्थिति को देखते हुए अध्यक्ष ने सदन पहले आधे घंटे के लिए और फिर 15- 15 मिनट के लिए स्थगित कर दिया। इस बीच मार्शल नंदकिशोर को बुलाने आया लेकिन वह सदन से नहीं गए। कई भाजपा विधायकों की मौजूदगी में सुरेश खन्ना ने उनसे विस्तार से बात की लेकिन हल नहीं निकला।
एक घंटे के स्थगन के बाद सदन की कार्रवाई ज्यों शुरू हुई अधिकतर बीजेपी विधायक फिर अपनी सीट पर खड़े हो गए। इस पर अध्यक्ष ने सदन की कार्रवाई अगले दिन के लिए स्थगित कर दी। सदन स्थगित होने के बाद भी नंदकिशोर के समर्थन में कई बीजेपी विधायक सदन में अपनी सीट पर जमे रहे। इसके बाद बैठक कक्ष में सुरेश खन्ना, उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा, अध्यक्ष हृदयनारायण दीक्षित और गन्ना मंत्री सुरेश राणा की मौजूदगी में करीब 2 घंटे मान- मनुहार चली।
नाराज विधायकों ने कहा कि उन्हें आश्वासन दिया गया है कि तीनों मंत्री सीएम योगी आदित्यनाथ से मिलकर घटनाक्रम से अवगत कराएंगे, दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होगी। नंदकिशोर गुर्जर विशेषाधिकार हनन की नोटिस भी देंगे। वहीं विधायक नंद किशोर गुर्जर ने कहा कि हमे मंगलवार को सुबह 11 बजे तक कार्रवाई का आश्वासन दिया गया है। इसके बाद आगे का कदम तय किया जाएगा।
दरअसल नंद किशोर गुर्जर पर एक फूड इंस्पेक्टर आशुतोष सिंह ने मीट की दुकान ना बंद करने पर मारपीट का आरोप लगाया था। इसका ऑडियो वायरल होने के बाद विधायक और उनके समर्थकों पर मुकदमा दर्ज हो गया। भाजपा ने भी कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया। विधायक का कहना था कि आरोप गलत हैं। गाजियाबाद के एसपी देहात नीरज जादौन आशुतोष के रिश्तेदार हैं। उन्होंने विधायक को घर से उठवाया और धमकी दी। यह मुद्दा नंदकिशोर सदन में उठाना चाहते थे।
लेखक जेपी सिंह इलाहाबाद के वरिष्ठ पत्रकार और कानूनी मामलों के जानकार हैं.