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योगी आदित्यनाथ फेल होते जा रहे हैं!

Surya Pratap Singh : CM योगी में तो है दम …पर अपराध क्यों नहीं हुए कम ……कहीं सीएम योगी को फ़ेल कराने की साज़िश तो नहीं!! कहीं अखिलेश की तरह फेल तो नहीं हो रहे सीएम योगी, अपराध पर मायावती की तरह डंका क्यों नहीं बजा पा रहे….!! गत अप्रैल माह में प्रति दिन 13 बलात्कार, 14 हत्याएँ, 15 लूट व 1 डकैती ने अखिलेश सरकार के भी रिकोर्ड भी तोड़ दिये हैं…… देखें आंकड़े…

Surya Pratap Singh : CM योगी में तो है दम …पर अपराध क्यों नहीं हुए कम ……कहीं सीएम योगी को फ़ेल कराने की साज़िश तो नहीं!! कहीं अखिलेश की तरह फेल तो नहीं हो रहे सीएम योगी, अपराध पर मायावती की तरह डंका क्यों नहीं बजा पा रहे….!! गत अप्रैल माह में प्रति दिन 13 बलात्कार, 14 हत्याएँ, 15 लूट व 1 डकैती ने अखिलेश सरकार के भी रिकोर्ड भी तोड़ दिये हैं…… देखें आंकड़े…

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पूर्व सीएम अखिलेश यादव की तरह सीएम योगी आदित्यनाथ भी फेल होते जा रहे हैं। यदि यही हाल रहा तो यूपी सरकार को तगड़ा झटका लग सकता है। सीएम योगी ने 100 दिन पूरा होने पर सरकार का रिपोर्ट कार्ड जारी करने की बात कही है, लेकिन वर्तमान में जो स्थिति है, उससे सीएम योगी की परेशानी बढ़ सकती है।

यूपी में ताबड़तोड़ अपराध हो रहे हैं। पीएम नरेन्द्र मोदी ने क्राइम को लेकर सपा सरकार पर जम कर हमला बोला था और जब यूपी में बीजेपी की सरकार बन गयी है तो भी अपराध नियंत्रण करने में पुलिस फेल साबित हो रही है।

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अपराधियों पर सरकार का खौफ नहीं दिख रहा है। रेप, हत्या, लूट, डकैती आदि की वारदाते थमने का नाम नहीं ले रही है। यूपी में जब बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिला था तो जनता के एक बड़े वर्ग को लगा था कि अब प्रदेश में शांति आ जायेगी। क्राइम कंट्रोल नहीं होने से लोगों का यह विश्वास अब टूटता जा रहा है।

यूपी में वर्ष 2007 से 2012 तक बसपा की सरकार थी और तत्कालीन सीएम मायावती के खौफ का असर यह था कि पुलिस अपराधियों पर क़हर बनकर टूट पड़ती थी। बड़े बदमाशों को काउंटर में मार गिराया जाता था और काफी अपराधियों को जेल भेजा था, जिसके बाद कुछ समय के लिए अपराध पर नियंत्रण हुआ था।

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आखिरकार क्यों नहीं हो रहा क्राइम कंट्रोल ?

पुलिस की अक्षमता/राजनीतिकरण व पूर्व सरकारों के प्रिय उच्च अधिकारियों पर निर्भरता/अधूरी प्रतिबद्धत्ता : सपा सरकार पर अपराधियों को संरक्षण देने का आरोप लगता था लेकिन अफ़सोस कि अब बीजेपी की सरकार बन गयी है फिर भी अपराध नियंत्रण क्यों नहीं हो रहा है। इसका बड़ा कारण पुलिस की अक्षमता व राजनैतिकरण तो है ही,साथ ही शासन स्तर पर पूर्व दो सरकारों के प्रिय जुगाड़ू भ्रष्ट निकम्मे अधिकारियों का यथावत बने रहना भी है….इन अधिकारियों की जनमानस में ख़राब छवि है और इनकी वर्तमान सरकार के प्रति आधी अधूरी प्रतिबद्धताएँ भी मुख्य कारण है। ४५० IAS/IPS के इतने बड़े केडर में से २०-२५ मुख्य संवेदनशील पदों के लिए ये सरकार कर्मशील निष्ठावान अधिकारी तैनात नहीं कर पा रही है।

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तेज़ तर्रार पुलिस अधिकारी साइड लाइन हैं: पुलिस का सूचना तंत्र कमजोर हो चुका है। अमिताभ ठाकुर जैसे तेज तर्रार पुलिस वालों को साइड लाइन कर दिया गया है। सेटिंग वालों को जिलों/थानों की कमान सौंपी गयी है, जिसका असर व्यवस्था पर पड़ रहा है। खुलासे की बात तो दूर है जेल से छूटे बदमाश की सही लोकेशन तक पुलिस के पास नहीं है इसलिए भी अपराध नियंत्रित नहीं हो रहा है….

पुलिस का गिरता मनोबल :

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मायावती काल में पुलिस अपराधियों पर टूट पड़ती थी, वह क्षमता/साहस पुलिस में नहीं दिखायी नहीं दे रहा। सहारनपुर व गोरखपुर में भाजपा सांसद/विधायक द्वारा उच्च पुलिस अधिकारियों के साथ की गयी अभद्रता व कार्य में हस्तक्षेप और उनपर कोई क़ानूनी कार्यवाही न करने देना जैसी घटनाओं ने पुलिस का मनोबल तोड़ा है।

अमनमणि फ़ैक्टर :

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अपराध और अपराध‌ियों से दूरी बनाए रखने वाले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आद‌ित्यनाथ से इतनी भारी भूल होगी, इसका अंदाजा भी न था….बाहुबली अमर मणि का बेटा अपनी पत्नी का हत्यारा अमनमणि को मंच पर बुलाना, गुलदस्ता लेना, पैर छूने पर आशीर्वाद देना जनमानस को नागवार गुज़रा…..इसके पहले सीएम योगी आदित्यनाथ जब पहली बार 25 मार्च को गोरखपुर आए थे तो अमन मणि और उनके पिता बाहुबली पूर्व मंत्री अमर मणि त्रिपाठी के नाम के पोस्टर गोरखपुर की हर सड़कों पर योगी के स्वागत में लगे थे। इस प्रकार के प्रकरण अपराधियों को सरकार में संरक्षण देने व कथनी-करनी में अंतर को दर्शाता है और पुलिस/प्रशासन में ग़लत संदेश प्रेषित करता है।

मंत्रियों की अनुभवहीनता व सुर्ख़ियो में बने रहने की लालसा :

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खुर्रांट अनुभवी अधिकारियों द्वारा काम न करके मंत्रियों को मूर्ख बनाया जा रहा है। चमचागिरी का बोलबाला है। असली सघन समीक्षा न कर, टीवी पर आने के लिए बेवजह दिखावे के लिए छापेमारी की जा रही है…. इस तरह की छापेमारी से कोई सुधार भी नहीं हो रहा है। ज़्यादातर मंत्री busy without real business भागदौड़ कर रहे हैं।

प्राइम पोस्टिंग वाले विभागों में अखिलेश/मायावती के वफ़ादार अधिकारियों जमे बैठे हैं। सबसे आश्चर्य जनक बात तो यह कि हाल में पोस्ट हुए IAS/IPS में अखिलेश के प्रिय “दो” शीर्ष पर बैठे उच्च अधिकारियों की ही चली…. कई जाति आधारित पोस्टिंग भी हुईं। मंत्रियों/विधायकों व यहाँ तक मुख्यमंत्री तक को अंधेरे में रखकर कई अखिलेश व मायावती के प्रिय अधिकारी कमिशनर/डीएम/पुलिस अधीक्षक तक बना दिए गए। यहाँ तक कि कई शराब माफ़िया पॉंटी चड्ढा के प्रिय IAS भी अच्छी पोस्टिंग पा गए। कहीं सीएम योगी को फ़ेल कराने की साज़िश तो नहीं हो रही!

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वरिष्ठ आईएएस अधिकारी रहे सूर्य प्रताप सिंह की एफबी वॉल से.

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