रहीस अहमद लाली-
जाहिद खान रहते तो हैं मध्य प्रदेश में लेकिन समूची दुनिया उनका आशियाना है। बहैसियत लेखक व पत्रकार उन्होंने खूब यात्राएं की हैं, अनगिन लोगों से उनके रिश्ते हैं। दोस्ती के, हमखयाली के, सरबराही के। अदब की दुनिया में उनका दख़ल उल्लेखनीय है।
कई किताबें उनकी प्रकाशित हुई हैं, पढ़ी और सराही गई हैं। चाहे देश में अल्पसंख्यकों के हालात बयां करते उनके आलेख हों, महिलाओं की स्थिति को पाठकों के सामने लाने का उनका प्रयास हो या फिर प्रगतिशील आंदोलन के तमाम पहलुओं को पेश करने का उनका रचनात्मक सफर।
हाल ही में उनकी किताब ‘तरक़्क़ीपसंद तहरीक की रहगुज़र’ लोकमित्र प्रकाशन, नई दिल्ली से प्रकाशित हुई है। इसमें तारक्कीपसंद तहरीक यानी प्रगतिशील आंदोलन से पाठकों को परिचित कराने के साथ इसके पुरोधाओं पर भी विस्तृत प्रकाश डाला है जाहिद खान ने।
नए भारत के निर्माण में उनकी भूमिका का जिक्र किया गया है तो अदब की दुनिया में उनके योगदान का भी हवाला है। यह किताब अमेजन पर भी उपलब्ध है। प्रकाशक से भी मंगवा कर पढ़ी जा सकती है किताब।
‘लोकमित्र प्रकाशन’ के कर्ताधर्ता मित्र आलोक शर्मा ने एक प्रति मुझे भी भेंट की है इस किताब की। मेरे गरीबखाने पर आकर। उसी मौके की हैं ये तस्वीर।
आप चाहें तो 9910343376 पर बात कर उनसे किताब मंगवा सकते हैं। रियायत के साथ मित्र आलोक शर्मा भेजेंगे आपको यह क़िताब। रियायत नहीं दें, तो आप मुझसे शिकायत कर सकते हैं। 😀